सही धर्म जानने के साथ-साथ ज़िम्मेदारी आती है
“ख़ुश हैं वे जो परमेश्वर का वचन सुनते और मानते हैं!”—लूका ११:२८, NW.
१. सही धर्म की पहचान कर लेने के बाद, किस क़िस्म के लोग उसके इर्द-गिर्द अपना जीवन बनाते हैं?
सही धर्म की पहचान कर लेना ही काफ़ी नहीं है। यदि हम उसके प्रेमी हैं जो सही और सत्य है, तो सही धर्म मिल जाने के बाद हम अपना जीवन उसके इर्द-गिर्द बनाएँगे। सच्चा धर्म मात्र एक मानसिक तत्त्वज्ञान नहीं है; वह एक जीवन-शैली है।—भजन ११९:१०५; यशायाह २:३; साथ ही प्रेरितों ९:२ से तुलना कीजिए.
२, ३. (क) यीशु ने परमेश्वर की इच्छा पूरी करने के महत्त्व पर किस प्रकार बल दिया? (ख) उन सभी लोगों पर क्या ज़िम्मेदारी आती है जो सही धर्म को जानते हैं?
२ यीशु मसीह ने वह कार्य करने के महत्त्व पर बल दिया जिसे परमेश्वर ने अपनी इच्छा के रूप में प्रकट किया है। जो पहाड़ी उपदेश के रूप में जाना जाता है उसकी समाप्ति में यीशु ने बताया कि वे सभी जो उसे प्रभु के रूप में सम्बोधित करते हैं (इस प्रकार मसीही होने का दावा करते हैं) राज्य में प्रवेश नहीं करेंगे; लेकिन जो उसके पिता की इच्छा पूरी करते हैं वे प्रवेश करेंगे। उसने कहा कि अन्य लोग “कुकर्म करनेवालो” के रूप में अस्वीकार किए जाएँगे। कुकर्म क्यों? क्योंकि जैसा बाइबल कहती है, परमेश्वर की इच्छा पूरी करने से चूकना पाप है, और सभी पाप कुकर्म है। (मत्ती ७:२१-२३; १ यूहन्ना ३:४; साथ ही रोमियों १०:२, ३ से तुलना कीजिए।) एक व्यक्ति शायद सही धर्म को जानता हो, जो इसे सिखाते हैं उनकी सराहना करता हो, और जो इसका अभ्यास करते हैं उनकी प्रशंसा करता हो, लेकिन उस पर यह ज़िम्मेदारी भी है कि वह इसे स्वयं अपने जीवन में लागू करे। (याकूब ४:१७) यदि वह उस ज़िम्मेदारी को स्वीकार करता है, तो वह पाएगा कि उसका जीवन समृद्ध होगा, और वह उस हर्ष का अनुभव करेगा जो किसी अन्य तरीक़े से नहीं आ सकता।
३ पिछले लेख में हमने सच्चे धर्म के छः पहचान चिह्नों पर विचार किया। उनमें से प्रत्येक न सिर्फ़ सही धर्म की पहचान करने में हमारी मदद करता है बल्कि व्यक्तिगत रूप से हमारे सामने चुनौतियाँ और अवसर प्रस्तुत करता है। किस तरह?
आप परमेश्वर के वचन के प्रति कैसी प्रतिक्रिया दिखाते हैं?
४. (क) जब नए लोग यहोवा के गवाहों के साथ संगति करना शुरू करते हैं, तो वे गवाहों द्वारा बाइबल के प्रयोग के बारे में जल्द ही क्या देख लेते हैं? (ख) आध्यात्मिक रूप से भली-भांति तृप्त होना यहोवा के सेवकों को किस प्रकार प्रभावित करता है?
४ जब यहोवा के गवाह नयी-नयी दिलचस्पी रखनेवालों के साथ बाइबल का अध्ययन करते हैं, तो उनमें से अनेक नए लोग जल्द ही समझ जाते हैं कि जो कुछ सिखाया जा रहा है वह बाइबल से है। उनके प्रश्नों के उत्तर में उन्हें गिरजे के मतों, मानवी परंपराओं, या प्रमुख व्यक्तियों के विचारों के हवाले नहीं दिए जाते हैं। स्वयं परमेश्वर का वचन आधार है। जब वे राज्यगृह जाते हैं, वे देखते हैं कि वहाँ भी बाइबल ही मुख्य पाठ्य-पुस्तक है। सत्य के निष्कपट खोजियों को यह समझने में ज़्यादा समय नहीं लगता कि जो हर्ष वे यहोवा के गवाहों के मध्य देखते हैं उसका एक प्रमुख तत्त्व यह तथ्य है कि उन्हें परमेश्वर के वचन द्वारा आध्यात्मिक रूप से भली-भांति तृप्त किया जाता है।—यशायाह ६५:१३, १४.
५. (क) जो लोग यहोवा के गवाहों को देखते हैं उनके सामने क्या चुनौती आती है? (ख) वे गवाहों के हर्ष में कैसे हिस्सा ले सकते हैं?
५ यदि आप इसे पहचानते हैं, तो आप इसके प्रति कैसी प्रतिक्रिया दिखाते हैं? यदि आप इसका तात्पर्य समझते हैं, तो आप उचित रूप से केवल एक निष्क्रिय प्रेक्षक नहीं हो सकते, और न ही आपको ऐसा होने की इच्छा होनी चाहिए। बाइबल दिखाती है कि वे जो “केवल सुननेवाले” हैं परन्तु “वचन पर चलनेवाले” नहीं हैं “अपने आप को [झूठे तर्क से, NW] धोखा देते हैं।” (याकूब १:२२) वे अपने आप को धोखा देते हैं क्योंकि वे यह स्वीकार करने से चूक जाते हैं कि वे चाहे जो भी कहें, उनका परमेश्वर की आज्ञा मानने से चूकना यह दिखाता है कि वे वास्तव में उससे प्रेम नहीं करते। कर्म के बिना विश्वास का दावा मृत विश्वास है। (याकूब २:१८-२६; १ यूहन्ना ५:३) इसकी विषमता में, जो व्यक्ति यहोवा के लिए प्रेम से प्रेरित होकर “काम करता है वैसा करने में ख़ुश” होगा। जी हाँ, जैसा यीशु मसीह ने समझाया, “ख़ुश हैं वे जो परमेश्वर का वचन सुनते और मानते हैं!”—याकूब १:२५, NW; लूका ११:२८, NW; यूहन्ना १३:१७.
६. यदि हम सचमुच परमेश्वर के वचन का मूल्यांकन करते हैं, तो हम व्यक्तिगत रूप से किन अवसरों का लाभ उठाने का प्रयास करेंगे?
६ वह हर्ष और गहरा हो जाएगा जैसे-जैसे आप परमेश्वर की इच्छा के ज्ञान में बढ़ते हैं और जिन अतिरिक्त बातों को आप सीखते हैं उन्हें लागू करते हैं। परमेश्वर के वचन का अध्ययन करने के लिए आप कितना प्रयास करेंगे? दसियों हज़ार अनपढ़ लोगों ने पढ़ना सीखने के लिए कठिन परिश्रम किया है, ख़ासकर इसलिए कि वे शास्त्रवचन पढ़ सकें और उन्हें दूसरों को सिखा सकें। अन्य लोग प्रतिदिन सुबह जल्दी उठते हैं ताकि वे हर दिन बाइबल और बाइबल-अध्ययन सहायक, जैसे कि प्रहरीदुर्ग को पढ़ने में कुछ समय बिता सकें। जब आप व्यक्तिगत रूप से बाइबल का क्रमिक पठन करते हैं या अन्य अध्ययन सामग्री में उल्लिखित शास्त्रवचनों को पढ़ते हैं, तो यहोवा के नियमों और आज्ञाओं को ध्यानपूर्वक नोट कीजिए, और हमारे मार्गदर्शन के लिए वहाँ दिए अनेक सिद्धान्तों को समझने का प्रयास कीजिए। हर भाग परमेश्वर, उसके उद्देश्य, और मनुष्यजाति के साथ उसके व्यवहार के बारे में जो प्रकट करता है उस पर मनन कीजिए। इसे आपके हृदय को ढालने के लिए समय दीजिए। विचार कीजिए कि क्या कुछ तरीक़े हैं जिनसे आप बाइबल की सलाह को स्वयं अपने जीवन में ज़्यादा पूर्णता से लागू कर सकते हैं।—भजन १:१, २; १९:७-११; १ थिस्सलुनीकियों ४:१.
क्या यहोवा के प्रति आपकी भक्ति पूर्ण है?
७. (क) किस प्रकार त्रियेक सिद्धान्त ने परमेश्वर की उपासना करने के लोगों के प्रयासों को प्रभावित किया है? (ख) जब एक व्यक्ति यहोवा के बारे में सत्य सीखता है तब क्या हो सकता है?
७ लाखों लोगों को यह सीखने से एक राहत मिली है कि सच्चा परमेश्वर एक त्रियेक नहीं है। “यह एक रहस्य है” इस व्याख्या ने उन्हें कभी संतुष्ट नहीं किया। वे एक ऐसे परमेश्वर के निकट कैसे आ सकते थे जो अबोध्य था? उस शिक्षा के फलस्वरूप, वे पिता (जिसका नाम उन्होंने गिरजे में कभी नहीं सुना) की उपेक्षा करने और परमेश्वर के रूप में यीशु की उपासना करने या अपनी उपासना मरियम (जो उन्हें सिखाया गया था कि “परमेश्वर की माता” है) को निर्दिष्ट करने के लिए प्रवृत्त हुए। लेकिन उनके हृदयों ने ख़ुशी से प्रतिक्रिया दिखायी जब एक यहोवा के गवाह ने बाइबल खोलकर उन्हें परमेश्वर का निजी नाम, यहोवा दिखाया। (भजन ८३:१८) ईश्वरीय नाम दिखाए जाने पर एक वेनिजुएलन स्त्री इतनी उल्लसित हुई कि उसने उस युवा गवाह को गले लगा लिया जिसने उसके साथ यह मूल्यवान सत्य बाँटा था और एक गृह बाइबल अध्ययन के लिए राज़ी हो गई। जब ऐसे लोग सीखते हैं कि यीशु ने अपने पिता के बारे में कहा ‘मेरा परमेश्वर और तुम्हारा परमेश्वर’ और कि यीशु ने अपने पिता को “अद्वैत सच्चे परमेश्वर” के रूप में सम्बोधित किया, तब वे समझते हैं कि बाइबल परमेश्वर के बारे में जो सिखाती है वह अबोध्य नहीं है। (यूहन्ना १७:३; २०:१७) जैसे-जैसे वे यहोवा के गुणों को जानते हैं, वे उसके निकट आते जाते हैं, उससे प्रार्थना करना शुरू करते हैं, और उसको प्रसन्न करना चाहते हैं। परिणाम क्या होता है?
८. (क) यहोवा के लिए उनके प्रेम और उसे प्रसन्न करने की उनकी इच्छा के कारण लाखों लोगों ने क्या किया है? (ख) मसीही बपतिस्मा अनिवार्यतः महत्त्वपूर्ण क्यों है?
८ पिछले दस वर्षों के दौरान, २५,२८,५२४ लोगों ने छः महाद्वीपों और बीसियों द्वीपों पर अपना जीवन यहोवा को समर्पित किया है और फिर अपने समर्पण को पानी में बपतिस्मा लेने के द्वारा चिह्नित किया है। क्या आप उनमें से एक थे, या क्या आप बपतिस्मा लेने के लिए अभी तैयारी कर रहे हैं? बपतिस्मा हर सच्चे मसीही के जीवन में एक महत्त्वपूर्ण मील-पत्थर है। यीशु ने अपने अनुयायियों को आज्ञा दी कि सभी जाति के लोगों को शिष्य बनाएँ और उन्हें बपतिस्मा दें। (मत्ती २८:१९, २०) यह भी उल्लेखनीय है कि यीशु के अपने बपतिस्मा के तुरंत बाद स्वयं यहोवा स्वर्ग से बोला, उसने कहा: “तू मेरा प्रिय पुत्र है, मैं तुझ से प्रसन्न हूं।”—लूका ३:२१, २२.
९. यहोवा के साथ एक स्वीकृत सम्बन्ध बनाए रखने के लिए हमारी ओर से क्या ज़रूरी है?
९ यहोवा के साथ एक स्वीकृत सम्बन्ध प्रिय समझने की चीज़ है। यदि समर्पण और बपतिस्मा के द्वारा आप एक ऐसे सम्बन्ध में आए हैं, तो ऐसी किसी भी चीज़ से दूर रहिए जो इसे बिगाड़ेगी। जीवन की चिन्ताओं और भौतिक वस्तुओं के लिए चिन्ता को इसे दूसरे स्थान में धकेलने न दीजिए। (१ तीमुथियुस ६:८-१२) सचमुच नीतिवचन ३:६ की सलाह के सामंजस्य में जीवन बिताइए: “[यहोवा] को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा।”
मसीह का प्रेम आपको कितनी गहराई से प्रभावित करता है?
१०. हमारा यहोवा की उपासना करना क्यों हमें यीशु की उपेक्षा करने के लिए प्रेरित नहीं करता?
१० निःसंदेह, एकमात्र सच्चे परमेश्वर के रूप में यहोवा के लिए उचित मूल्यांकन एक व्यक्ति को यीशु मसीह की उपेक्षा करने के लिए प्रेरित नहीं करता। इसके विपरीत, प्रकाशितवाक्य १९:१० (NW) कहता है: “यीशु की गवाही देना भविष्यद्वाणी करना उत्प्रेरित करती है।” उत्पत्ति से प्रकाशितवाक्य तक, उत्प्रेरित भविष्यवाणियाँ यहोवा के उद्देश्य में यीशु मसीह की भूमिका के सम्बन्ध में विवरण देती हैं। जब एक व्यक्ति उन विवरणों से परिचित होता है, तो एक मोहक चित्र उभरता है जो ऐसी विकृतियों और ग़लत धारणाओं से मुक्त होता है जो मसीहीजगत की झूठी शिक्षाओं के कारण होती हैं।
११. परमेश्वर के पुत्र के बारे में बाइबल वास्तव में क्या सिखाती है यह सीखने से पोलैंड में एक स्त्री पर क्या प्रभाव पड़ा?
११ परमेश्वर के पुत्र के बारे में सत्य को समझने का एक व्यक्ति पर गहरा प्रभाव हो सकता है। पोलैंड में एक स्त्री, डनूटा के साथ ऐसा ही हुआ। उसने आठ वर्षों से यहोवा के गवाहों के साथ संपर्क बनाया हुआ था, जो वे सिखाते थे उसका आनन्द लेती थी, लेकिन वह सच्ची उपासना को अपनी जीवन-शैली नहीं बना रही थी। फिर उसने वह सर्वश्रेष्ठ मनुष्य जो कभी जीवित रहा पुस्तक की एक प्रति प्राप्त की, जो मसीह के जीवन को एक समझने-में-सरल तरीक़े से प्रस्तुत करती है।a देर शाम को उसने सिर्फ़ एक अध्याय पढ़ने के इरादे से पुस्तक खोली। लेकिन, जब तक कि उसने पूरी नहीं पढ़ ली, भोर तक उसने पुस्तक नीचे नहीं रखी। वह रो पड़ी। “यहोवा, मुझे क्षमा कीजिए,” उसने याचना की। जो उसने पढ़ा था उसके फलस्वरूप, उसने यहोवा और उसके पुत्र द्वारा दिखाए गए प्रेम को पहले से कहीं ज़्यादा स्पष्टता से देखा। उसे एहसास हुआ कि आठ वर्षों से वह अकृतज्ञता से उस मदद को ठुकरा रही थी जो यहोवा धीरज के साथ उसे पेश कर रहा था। वर्ष १९९३ में उसने यीशु मसीह में विश्वास के आधार पर यहोवा को अपने समर्पण के प्रतीक के रूप में बपतिस्मा लिया।
१२. यीशु मसीह के बारे में यथार्थ ज्ञान किस प्रकार हमारे जीवन को प्रभावित करता है?
१२ “हमारे प्रभु यीशु मसीह का यथार्थ ज्ञान” एक सक्रिय और फलवन्त मसीही बनने से सम्बन्धित है। (२ पतरस १:८, NW) ऐसे कार्य में, दूसरों के साथ राज्य संदेश बाँटने में आप किस हद तक हिस्सा लेंगे? व्यक्ति कितनी मात्रा में करने में समर्थ होते हैं यह अनेक परिस्थितियों द्वारा प्रभावित होता है। (मत्ती १३:१८-२३) कुछ परिस्थितियों को हम परिवर्तित नहीं कर सकते हैं; कुछ को कर सकते हैं। जो परिवर्तन किए जा सकते हैं उनको पहचानने और करने में क्या बात हमें प्रेरित करेगी? प्रेरित पौलुस ने लिखा: “मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है”; दूसरे शब्दों में, हमारे बदले में अपनी जान देने के द्वारा उसने जो प्रेम दिखाया वह इतना उल्लेखनीय है कि जैसे-जैसे उसके लिए हमारा मूल्यांकन बढ़ता है, स्वयं हमारे हृदय गहराई से प्रभावित होंगे। फलस्वरूप, हमें एहसास होता है कि यह हमारे लिए अति अनुचित होगा कि हम स्वार्थी लक्ष्यों का पीछा करते रहें और अधिकांशतः स्वयं को प्रसन्न करने के लिए जीएँ। इसके बजाय, जो कार्य मसीह ने अपने शिष्यों को करना सिखाया था उसे पहला स्थान देने के लिए हम अपने कार्यों में समंजन करते हैं।—२ कुरिन्थियों ५:१४, १५.
संसार से अलग —किस हद तक?
१३. जिस धर्म ने अपने आप को संसार का भाग बना लिया है हम उस धर्म का कोई भाग क्यों नहीं चाहेंगे?
१३ मसीहीजगत और अन्य धर्मों द्वारा बनाए गए रिकार्ड को देखना मुश्किल नहीं है क्योंकि वे संसार का भाग होना चाहते हैं। गिरजा निधियों का प्रयोग क्रांतिकारी गतिविधियों का अर्थप्रबन्ध करने के लिए किया गया है। पादरी गुरिल्ला लड़ाकू बन गए हैं। दिन-पर-दिन, समाचार पत्र पृथ्वी के विभिन्न भागों में धार्मिक गुटों के बारे में रिपोर्ट करते हैं जो एक दूसरे से लड़ रहे हैं। उनके हाथ ख़ून से चू रहे हैं। (यशायाह १:१५) और संसार भर में पादरीवर्ग राजनीतिक दृश्य को छल से चलाने की कोशिश करना जारी रखते हैं। सच्चे उपासकों का इसमें कोई भाग नहीं।—याकूब ४:१-४.
१४. (क) यदि हमें संसार से अलग रहना है तो हमें व्यक्तिगत रूप से किन बातों से दूर रहना चाहिए? (ख) सांसारिक मनोवृत्तियों और अभ्यासों के फंदे में पड़ने से दूर रहने के लिए क्या चीज़ हमारी मदद करेगी?
१४ लेकिन संसार से अलगाव में उससे भी ज़्यादा सम्मिलित है। संसार की विशेषता है रुपये का और रुपया क्या ख़रीद सकता है उसका लोभ, व्यक्तिगत प्रमुखता की अभिलाषा, और विलास का अन्तहीन पीछा, साथ ही ऐसी बातें जैसे कि दूसरों के लिए सच्ची चिन्ता की कमी, झूठ और गंदी बोली, अधिकार के विरुद्ध विद्रोह, और आत्मसंयम दिखाने में असफलता। (२ तीमुथियुस ३:२-५; १ यूहन्ना २:१५, १६) स्वयं हमारी अपरिपूर्णता के कारण हम कभी-कभी किसी तरीक़े से इनमें से कुछ लक्षण दिखा सकते हैं। ऐसे फंदों से दूर रहने के लिए हमारे संघर्ष में क्या चीज़ हमारी मदद कर सकती है? हमें अपने आप को याद दिलाने की ज़रूरत है कि इस सब के पीछे कौन है। “सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है।” (१ यूहन्ना ५:१९) चाहे एक मार्ग कितना ही प्रलोभक क्यों न दिखे, चाहे कितने ही अन्य लोग उस प्रकार क्यों न जीते हों, जब हम यहोवा के मुख्य विरोधी, शैतान अर्थात् इब्लीस को उसके पीछे देखते हैं, हम समझते हैं कि वास्तव में वह कितना घृणित है।—भजन ९७:१०.
आपका प्रेम कितनी दूर तक पहुँचता है?
१५. जो निःस्वार्थ प्रेम आपने देखा उसने सही धर्म की पहचान करने में कैसे आपकी मदद की?
१५ जब आपने पहले यहोवा के गवाहों के साथ संगति करना शुरू किया, तो निःसंदेह उनके बीच प्रदर्शित प्रेम ने आपको आकर्षित किया, क्योंकि वह संसार की आत्मा की विषमता में था। निःस्वार्थ प्रेम पर बल यहोवा की शुद्ध उपासना को उपासना के अन्य सभी तरीक़ों से भिन्न करता है। हो सकता है कि इसी बात ने आपको विश्वास दिलाया हो कि यहोवा के गवाह सचमुच सही धर्म का अभ्यास कर रहे हैं। स्वयं यीशु मसीह ने कहा: “यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो।”—यूहन्ना १३:३५.
१६. प्रेम दिखाने में अपना हृदय और खोलने के लिए व्यक्तिगत रूप से हमारे पास क्या अवसर हो सकते हैं?
१६ क्या वह गुण मसीह के एक शिष्य के रूप में आपकी भी पहचान कराता है? क्या ऐसे कुछ तरीक़े हैं जिनसे आप प्रेम दिखाने में अपना हृदय और खोल सकते हैं? बिना किसी संदेह के हम सभी ऐसा कर सकते हैं। इसमें राज्यगृह में दूसरों के साथ मित्रभाव दिखाने से ज़्यादा सम्मिलित है। और यदि हमें केवल उन्हीं को प्रेम दिखाना होता जो हम से प्रेम करते हैं, तो क्या हम संसार से कोई भिन्न होते? “सबसे श्रेष्ठ बात यह है कि एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो,” बाइबल आग्रह करती है। (१ पतरस ४:८) किस के प्रति हम अधिक प्रेम दिखा सकते हैं? क्या वह एक मसीही भाई या बहन है जिसकी पृष्ठभूमि हमारी पृष्ठभूमि से भिन्न है और जिसका कई चीज़ों को करने का तरीक़ा हमें चिढ़ दिलाता है? क्या वह एक ऐसा व्यक्ति है जो बीमारी या बुढ़ापे के कारण नियमित रूप से सभाओं में उपस्थित होने में समर्थ नहीं हुआ है? क्या वह हमारा विवाह साथी है? या क्या वह शायद हमारे बूढ़े माता-पिता हैं? कुछ ऐसे लोगों ने, जो अच्छी तरह आत्मा के फल दिखा रहे थे, जिसमें प्रेम सम्मिलित है, महसूस किया मानो वे इनको फिर से सीख रहे थे जब उनको बहुत कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। ये परिस्थितियाँ परिवार में एक ऐसे सदस्य की लगभग पूरी देखरेख करते समय खड़ी हो सकती हैं जो गंभीर रूप से अपंग हो गया हो। निःसंदेह, इन परिस्थितियों का सामना करते हुए भी हमारे प्रेम को स्वयं हमारे घराने के अलावा बाहर भी पहुँचना चाहिए।
राज्य गवाही —आपके लिए कितनी महत्त्वपूर्ण?
१७. यदि यहोवा के गवाहों की भेंटों से हमने व्यक्तिगत रूप से लाभ उठाया है, तो हमें अब क्या करने के लिए प्रेरित महसूस करना चाहिए?
१७ हम अपने पड़ोसियों को परमेश्वर के राज्य के बारे में गवाही देने के द्वारा उनके प्रति प्रेम दिखाते हैं। यह उनके प्रति प्रेम दिखाने का एक महत्त्वपूर्ण तरीक़ा है। यह कार्य जो यीशु ने पूर्वबताया केवल एक समूह के लोग कर रहे हैं। (मरकुस १३:१०) ये लोग यहोवा के गवाह हैं। हम ने व्यक्तिगत रूप से इससे लाभ उठाया है। अब दूसरों की मदद करना हमारा विशेषाधिकार है। यदि इस विषय में हम परमेश्वर का दृष्टिकोण रखते हैं, तो यह कार्य हमारे जीवन में प्रमुख होगा।
१८. यहोवा के गवाह—परमेश्वर के राज्य के उद्घोषक पुस्तक पढ़ने से राज्य गवाही कार्य में स्वयं हमारे हिस्से पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
१८ इन अन्तिम दिनों में राज्य संदेश किस प्रकार पृथ्वी के सबसे दूरस्थ भागों में पहुँचाया गया है इसका रोमांचक वृत्तांत यहोवा के गवाह—परमेश्वर के राज्य के उद्घोषक (अंग्रेज़ी) पुस्तक में बताया गया है। यदि आप अंग्रेज़ी जानते हैं तो इसे पढ़ने से न चूकिए। और जब आप पढ़ते हैं, तो उन सभी तरीक़ों पर ख़ास ध्यान दीजिए जिनसे लोगों ने राज्य के बारे में गवाही देने में हिस्सा लिया है। क्या कुछ ऐसे लोग हैं जिनके उदाहरण का आप अनुकरण कर सकते हैं? हम सब के सामने अनेक अवसर खुले हैं। ऐसा हो कि यहोवा के लिए हमारा प्रेम हमें उनका अच्छा प्रयोग करने के लिए प्रेरित करे।
१९. जब हम उस ज़िम्मेदारी को स्वीकार करते हैं जो सही धर्म जानने के साथ-साथ आती है, तो हमें कैसे लाभ मिलता है?
१९ जब हम इस प्रकार यहोवा की इच्छा पूरी करने में लग जाते हैं, हमें इस प्रश्न का उत्तर मिल जाता है, जीवन का क्या अर्थ है? (प्रकाशितवाक्य ४:११) फिर हम भटकते नहीं हैं, हमारे अन्दर खालीपन की भावना नहीं रहती। कोई ऐसा पेशा नहीं है जिसमें अपने आप को समर्पित करने से आपको उतनी अधिक तृप्ति मिलेगी जितनी कि पूरे हृदय से यहोवा परमेश्वर की सेवा में लगने से प्राप्त होगी। और यह क्या ही शानदार भविष्य प्रस्तुत करता है! उसके नए संसार में अनन्तकाल तक संतोषजनक जीवन, जहाँ हम जिस प्रेममय उद्देश्य के लिए परमेश्वर ने मनुष्यजाति की सृष्टि की थी उसके सामंजस्य में अपनी क्षमताओं को पूरी तरह प्रयोग करने में समर्थ होंगे।
[फुटनोट]
a वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी ऑफ़ इंडिया द्वारा प्रकाशित।
आप कैसे उत्तर देंगे?
▫ एक धर्म के लिए बाइबल को परमेश्वर के वचन के रूप में स्वीकार करना और सच्चे परमेश्वर के रूप में यहोवा को सम्मान देना अनिवार्य क्यों है?
▫ मुक्तिदाता के रूप में यीशु की भूमिका के बारे में सच्चा धर्म क्या सिखाता है?
▫ मसीहियों को क्यों संसार से अलग रहना चाहिए और निःस्वार्थ प्रेम का अभ्यास करना चाहिए?
▫ सही धर्म में राज्य गवाही की क्या भूमिका है?
[पेज 16 पर तसवीरें]
सच्ची उपासना की ज़िम्मेदारियों को स्वीकार करने में बपतिस्मा एक अनिवार्य क़दम है। हर महीने, संसार-भर में कुछ २५,००० लोग यह क़दम उठाते हैं
रूस
सेनेगल
पापुआ न्यू गिनी
अमरीका
[पेज 17 पर तसवीरें]
दूसरों के साथ बाइबल सत्य बाँटना सच्ची उपासना का भाग है
अमरीका
अमरीका
ब्राज़ील
हांग कांग