क्या आध्यात्मिक तौर पर आप ठीक से खाते हैं?
“उत्तम आहार मानव की सर्वाधिक मूल ज़रूरत है। . . . बिना पर्याप्त भोजन के हम मर जाते।”—आहार और पोषण (अंग्रेज़ी)।
यह बुनियादी सच्चाई उन भूखे पुरुषों, स्त्रियों, और बच्चों के दुर्बल शरीरों से सचित्रित है जिन्हें यह “सर्वाधिक मूल ज़रूरत” नहीं मिलती। अन्य इस ज़रूरत को कुछ हद तक पूरा तो कर पाते हैं लेकिन फिर भी गंभीर रूप से अल्पपोषित हैं। किन्तु, जो अच्छा खा सकते हैं वे अकसर चटपटे भोजन से स्वयं को तृप्त करते हैं जो पोषित नहीं करता। “भोजन का,” स्वास्थ्यकर भोजन (अंग्रेज़ी) कहती है, “ऐसा प्रतीत होता है कि हमारे आधिपत्य में सबसे अधिक दुरुपयोग हुआ है।”
आध्यात्मिक भोजन अर्थात सच्चाई, जो परमेश्वर के वचन बाइबल में पायी जाती है, की भी समान स्थिति है। कुछ लोगों में तो सर्वाधिक मूल आध्यात्मिक पोषण का अभाव है; वे आध्यात्मिक तौर पर भूखे हैं। अन्य, उपलब्ध आध्यात्मिक भोजन का लाभ उठाने में बहुत लापरवाही दिखाते हैं। आपके बारे में क्या? क्या आप स्वयं आध्यात्मिक तौर पर ठीक से खाते हैं? या क्या ऐसा हो सकता है कि आप स्वयं को आध्यात्मिक पोषण से वंचित रखते हैं? इस सम्बन्ध में हमें अपने आप से ईमानदारी दिखाना आवश्यक है क्योंकि आध्यात्मिक भोजन हमारे लिए भौतिक भोजन से अधिक ज़रूरी है।—मत्ती ४:४.
आध्यात्मिक विकास के लिए भोजन
आहार और पोषण, पाठ्य पुस्तक जो कि सही आहार लेने की आवश्यकता पर चर्चा करती है, अच्छे तरीक़े से खाने के लिए हमें तीन उचित कारण देती है। एक कि “विकास के बढ़ावे और विकृत शरीर कोशिकाओं की क्षतिपूर्ति के लिए” हमें भोजन की ज़रूरत है। क्या आप जानते थे कि आपके जीवन के हरेक दिन, आपकी दस खरब शरीर कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त होती हैं और उन्हें प्रतिस्थापित करने की ज़रूरत है? सही विकास तथा शरीर के भरण-पोषण के लिए अच्छे भोजन की ज़रूरत है।
यही आध्यात्मिक तौर पर भी सच है। मसलन, जब प्रेरित पौलुस ने इफिसियों की कलीसिया को लिखा, उसने ज़ोर दिया कि कैसे हर मसीही को “एक सिद्ध मनुष्य” बनने के लिए अच्छे आध्यात्मिक भोजन की ज़रूरत है। (इफिसियों ४:११-१३) जब हम पौष्टिक आध्यात्मिक भोजन से स्वयं को पोषित करते हैं तब हम कमज़ोर बालकों की तरह नहीं रहेंगे, जो ख़ुद की देखभाल करने में असमर्थ होते हैं व हर प्रकार के ख़तरों का शिकार बन जाते हैं। (इफिसियों ४:१४) बल्कि, हम तंदुरुस्त वयस्क बनते हैं, विश्वास के लिए यत्नपूवर्क संघर्ष करते रहने में समर्थ क्योंकि हमारा “विश्वास. . की बातों से. . .पालन-पोषण होता” है।—१तीमुथियुस ४:६.
आपके विषय में क्या यही सच है? आध्यात्मिक तौर पर क्या आप बढ़ चुके हैं? या क्या आप अभी भी आध्यात्मिक बच्चे की तरह हैं—अति संवेदनशील, पूर्ण रूप से दूसरों पर निर्भर, और पूर्णतया मसीही ज़िम्मेदारियों को उठाने में असमर्थ? ज़ाहिर है, कोई नहीं कहेगा कि आध्यात्मिक तौर पर हम बच्चे समान हैं, फिर भी निष्कपट आत्म-परीक्षण उचित है। प्रथम शताब्दी में कुछ अभिषिक्त मसीही वैसे ही थे। जबकि उन्हें स्वयं “गुरू” हो जाना चाहिए था, दूसरों को सिखाने में समर्थ और इच्छुक कि परमेश्वर का वचन क्या कहता है, प्रेरित पौलुस ने कहा: “आवश्यक है, कि कोई तुम्हें परमेश्वर के वचनों की आदि शिक्षा फिर से सिखाए? और ऐसे हो गए हो, कि तुम्हें अन्न के बदले अब तक दूध ही चाहिए।” यदि आप आध्यात्मिक तौर पर बढ़ना चाहते हैं, तो अच्छे, ठोस आध्यात्मिक भोजन के लिए भूख बढ़ाइए। आध्यात्मिक बाल भोज से संतुष्ट न होइए।—इब्रानियों ५:१२.
इस विरोधी संसार में रोज़ाना परीक्षाओं का सामना करने पर होनेवाली क्षति की पूर्ति के लिए भी हमें इस ठोस आध्यात्मिक भोजन की ज़रूरत है। ये परीक्षाएँ हमारी आध्यात्मिक शक्ति को कमज़ोर कर सकती हैं। किन्तु परमेश्वर नवशक्ति प्रदान कर सकता है। पौलुस ने कहा: “इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है।” (२ कुरिन्थियों ४:१६) हम “दिन प्रतिदिन नये” कैसे होते हैं? अंशतः परमेश्वर के वचन पर नियमित रूप से पोषित होने के ज़रिए, यानी शास्त्रों व बाइबल आधारित प्रकाशनों का व्यक्तिगत और सामूहिक अध्ययन करने से।
आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए भोजन
“उष्मा और ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए” भी भोजन की ज़रूरत होती है। हमारे शरीर को ठीक से कार्य करने के लिए भोजन ईंधन का प्रबंध करता है। यदि हम घटिया भोजन करते हैं तो हमारे पास ऊर्जा की कमी होगी। मसलन, हमारे आहार में लोह तत्व की कमी हमें थका हुआ छोड़ सकती है व आलसी बना सकती है। जब आध्यात्मिक गतिविधि कि बात आती है तब कभी-कभार क्या आप ऐसा ही महसूस करते हैं? मसीही होने के नाते जो कार्य मिलते हैं उन्हें निभाने में क्या आपको कठिनाई होती है? कुछ जो यीशु मसीह के अनुयायी होने का दावा करते हैं, वे भले काम करने में थक जाते हैं, और मसीही कार्यों के लिए उनमें शक्ति की कमी होती है। (याकूब २:१७, २६) यदि आप पाते हैं कि यह आपके मामले में सच है, तो बहुत हद तक इसका उपाय आपके आध्यात्मिक आहार को सुधारने में या उसे अधिक मात्रा में लेने पर निर्भर कर सकता है।—यशायाह ४०:२९-३१; गलतियों ६:९.
आध्यात्मिक भोजन कम खाने की आदत विकसित करने के द्वारा धोखा मत खाइए। एक सबसे बड़ा धोखा जो शैतान ने शताब्दियों से प्रयोग किया है वह यह विश्वास दिलाने में कि लोगों को बाइबल पढ़ने और यथार्थ ज्ञान लेने की कोई आवश्यकता नहीं। शत्रु के नगरों को वश में करने के लिए आक्रमणकारी सैनिकों द्वारा अपनायी गयी, वही बरसों पुरानी युक्ति का प्रयोग शैतान करता है—उन्हें भोजन से वंचित कीजिए और भूख उन्हें आत्मसमर्पण की ओर ले जाएगी। लेकिन उसने इस युक्ति को एक क़दम और आगे बढ़ाया है। उन पर इस तरह हावी हो कर वह उन्हें धोखा देता है कि वे स्वयं को भूखा रखें, जबकि वे बड़े पैमाने पर हितकर आध्यात्मिक भोजन से घिरे हुए हैं। तब इसमें कोई आश्चर्य नहीं होता जब अनेक उसके आक्रमण का शिकार होते हैं!—इफिसियों ६:१०-१८.
आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए भोजन
भोजन की हमें ज़रूरत है इसका तीसरा कारण आहार और पोषण बताती है, “शारीरिक स्वास्थ्य को नियंत्रित करने . . . और बीमारियों से बचने के लिए।” अच्छे भोजन के स्वास्थ्य लाभों का फ़ौरन् पता नहीं चलता। जब हम अच्छा भोजन कर लेते हैं तब विरले ही हम सोचते हैं, ‘उसने मेरे हृदय (या मेरे गुर्दे या मेरी पेशी, और ऐसे ही कई अंगों) को कितना लाभ पहुँचाया है।’ फिर भी, कुछ समय के लिए ज़रा बिना खाए रहकर देखिए, और आपके स्वास्थ्य पर इसका नतीजा स्पष्ट हो जाएगा। कौन-सा नतीजा? “एक सामान्य नतीजा,” एक चिकित्सीय संदर्भ कार्य कहता है, “नकारात्मक है: बढ़ने में असफल, मामूली संक्रमण का विरोध करने में असफल, ऊर्जा या उत्साह की कमी।” कुछ समय के लिए प्राचीन इस्राएल को ऐसे ही बुरे आध्यात्मिक स्वास्थ्य ने ग्रसित किया था। भविष्यवक्ता यशायाह ने उनके बारे में कहा: “तुम्हारा सिर घावों से भर गया, और तुम्हारा हृदय दु:ख से भरा है। नख से सिर तक कहीं भी कुछ आरोग्यता नहीं।”—यशायाह १:५, ६.
अच्छा आध्यात्मिक भोजन ऐसी आध्यात्मिक दुर्बलता और आध्यात्मिक संक्रमण के प्रभावों का प्रतिरोध करने के लिए शक्ति देता है। परमेश्वर की ओर से ज्ञान हमें आध्यात्मिक तौर पर अच्छी स्थिति में रहने के लिए मदद करता है—यदि उससे हम पोषित हों तो! यीशु मसीह ने टिप्पणी की कि कैसे उसके दिनों में अधिकांश लोगों ने सही ढंग से आध्यात्मिक पोषण लेने के मामले में अपने पूर्वजों की लापरवाही से नहीं सीखा। उन्होंने भी उस सच्चाई से पोषित होने से इंकार किया जो वह सीखा रहा था। नतीजा क्या हुआ? यीशु ने कहा: “इन लोगों का मन मोटा हो गया है, और वे कानों से ऊंचा सुनते हैं और उन्हों ने अपनी आंखें मूंद ली हैं; कहीं ऐसा न हो कि वे आंखों से देखें, और कानों से सुनें और मन से समझें, और फिर जाएं, और मैं उन्हें चंगा करूं।” (मत्ती १३:१५) अधिकांश लोगों ने लाभ पहुँचानेवाली परमेश्वर के वचन की शक्ति का कभी फ़ायदा नहीं पाया। वे आध्यात्मिक रूप से बीमार रहे। यहाँ तक की कुछ अभिषिक्त मसीही “निर्बल और रोगी” हो गए। (१ कुरिन्थियों ११:३०) ऐसा हो कि परमेश्वर की ओर से प्रबंध किए गए आध्यात्मिक भोजन की कभी हम अवमानना न करें।—भजन १०७:२०.
आध्यात्मिक संदूषण
आध्यात्मिक भुखमरी के ख़तरे के अलावा, हमें एक और ख़तरे से सचेत रहने की ज़रूरत है—शायद जिस प्रकार का भोजन हम करें वह स्वयं ही दूषित हो। अनिष्टकारी पैशाचिक विचारों से संदूषित शिक्षाओं को ग्रहण करने पर हम उतने ही आसानी से विषाक्त हो सकते हैं जितने की कीटाणु या जीवविष द्वारा संदूषित शारीरिक भोजन से। (कुलुस्सियों २:८) विषाक्त भोजन को पहचान लेना हमेशा आसान नहीं होता है। “भोजन” एक अधिकारी कहता है, “कभी-कभी पूर्ण रूप से स्वास्थ्यकर लगता है और फिर भी रोग उत्पन्न करनेवाले जीवाणु से ग्रस्त हो सकता है।” इसलिए हम लाक्षणिक भोजन के स्रोत की जाँच करके ठीक करते हैं, यह ध्यान में रखते हुए कि कुछ साहित्य, जैसे कि धर्मत्यागी लेख अशास्त्रीय शिक्षाओं और तत्त्वज्ञान से संदूषित हो सकते हैं। अपने ग्राहकों को धोखा देने के लिए कुछ खाद्य-उत्पादक अपने उत्पादन पदार्थों के बारे में भ्रामक लेबल का भी प्रयोग करते हैं। महा धोखेबाज़, शैतान से हम निश्चय ही ठीक ऐसा करने की अपेक्षा कर सकते हैं। इसलिए, निश्चित कीजिए कि ऐसे लाक्षणिक भोजन आप विश्वसनीय स्रोत से पाएँ ताकि आप “विश्वास में पक्के हो जाएं।”—तीतुस १:९, १३.
थोमस ऎडम्स, १७वीं शताब्दी का प्रचारक, अपने समय के लोगों के विषय में कहता है: “उन्होंने अपनी क़ब्रें अपने ही दाँतों से खोदी हैं।” दूसरे शब्दों में, जो उन्होंने खाया वही उनके मौत का कारण हुआ। जाँचिए, जो आप खाते हैं कहीं वो आपको आध्यात्मिक रूप से मार न डाले। अच्छी आध्यात्मिक भोजन सामग्री की खोज कीजिए। “जो भोजनवस्तु नहीं है, उसके लिये तुम क्यों रुपया लगाते हो?” यहोवा परमेश्वर ने पूछा जब वे लोग, जो उसका होने का दावा करते थे, झूठे शिक्षक एवं भविष्यवक्ता के हो गए थे। “मेरी ओर मन लगाकर सुनो, तब उत्तम वस्तुएं खाने पाओगे और चिकनी चिकनी वस्तुएं खाकर सन्तुष्ट हो जाओगे। कान लगाओ, और मेरे पास आओ; सुनो, तब तुम जीवित रहोगे”—यशायाह ५५:२, ३; यिर्मयाह २:८, १३ से तुलना कीजिए।
भरपूर मात्रा में आध्यात्मिक भोजन
निश्चित ही अच्छे आध्यात्मिक भोजन की कोई कमी नहीं है। जैसे कि यीशु मसीह ने भविष्यवाणी की थी, उसके पास अभी विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास वर्ग है जो “समय पर उन्हें भोजन” देने में व्यस्त है जो इसे चाहते हैं। (मत्ती २४:४५) भविष्यवक्ता यशायाह के ज़रिए, यहोवा ने प्रतिज्ञा की: “देखो, मेरे दास तो खाएंगे, पर तुम भूखे रहोगे। . . . देखो, मेरे दास हर्ष के मारे जयजयकार करेंगे।” असल में, वह जेवनार की प्रतिज्ञा करता है उनके लिए जो इसे खाना चाहते हैं। “सेनाओं का यहोवा . . . सब देशों के लोगों के लिये ऐसी जेवनार करेगा जिस में भांति भांति का चिकना भोजन और निथरा हुआ दाखमधु होगा; उत्तम से उत्तम चिकना भोजन।”—यशायाह २५:६; ६५:१३, १४.
फिर भी, इस पर विचार कीजिए: एक जेवनार में हम भूखों मर सकते हैं! भोजन से घिरे होने के बावजूद, हम गंभीर रूप से अल्पपोषित हो सकते हैं जब तक की हम स्वतः बढ़कर उसमें से न खाएँ। नीतिवचन २६:१५ शब्दशः यह वर्णन करता है: “आलसी अपना हाथ थाली में तो डालता है, परन्तु आलस्य के कारण कौर मुंह तक नहीं उठाता।” क्या ही दयनीय अवस्था! हम परमेश्वर के वचन और बाइबल आधारित प्रकाशनों का जो आध्यात्मिक भोजन के उद्देश्य से बनाये गये हैं व्यक्तिगत अध्ययन करने के लिए प्रयत्न में ऐसे ही आलसी हो सकते हैं। या हम बेहद थक सकते हैं जिससे मसीही कलीसिया की सभाओं की तैयारी न कर पाएँ या न उनमें भाग ले पाएँ।
खाने की अच्छी आदतें
इसलिए आध्यात्मिक तौर पर खाने की अच्छी आदत को विकसित करने के लिए हमारे पास बहुत से कारण हैं। बहरहाल, सच्चाई यह है कि कई लोग आध्यात्मिक भोजन बहुत कम खाते हैं तो कुछ भूखे ही रहते हैं। ये ऐसे मनुष्यों के समान हैं जो सही आहार लेने के महत्त्व को नहीं समझते जब तक कि बाद में अपने जीवन में उनके परिणामों को भुगत न लें। स्वास्थ्यकर भोजन यह कारण देती है कि क्यों हम खाने में लापरवाही दिखाते हैं, जबकि हम जानते हैं कि अच्छा भोजन हमारे जीवन के लिए आवश्यक है: “समस्या यह है कि [सही तरीके से न खाने के कारण] स्वास्थ्य तुरंत नहीं बिगड़ता, जैसे कि लापरवाही से सड़क पार करने पर अचानक परिणाम होते हैं। इसके बजाय, बड़े धीमे-धीमे, यह छल से एक व्यक्ति के शरीर को नुक़सान पहुँचा सकता है, रोग झट से पकड़ सकता है, हड्डी अधिक कमज़ोर हो सकती है, घाव का ठीक होना और बीमारी से स्वास्थ्यलाभ धीमा हो सकता है।”
गंभीर मामलों में एक व्यक्ति शायद उस युवती के समान हो सकता है जो ऐनॅरेक्सिआ नर्वोसा से पीड़ित होती है। वह स्वयं को विश्वास दिलाने की कोशिश करती है कि उसे बस थोड़े भोजन की आवश्यकता है कि वह पूर्ण रूप से स्वस्थ है, इस असलियत के बावजूद कि वह शारीरिक तौर पर कमज़ोर हो रही है। आख़िरकार वह खाने की इच्छा को पूरी तरह खो बैठती है। “यह ख़तरनाक अवस्था है,” ऐसा एक चिकित्सीय संदर्भ कहता है। भला क्यों? यद्यपि मरीज़ विरले ही भूख के कारण मरती है, जिसे मात्र मामूली रोग होना चाहिए था, वह उससे गंभीर रूप से अल्पपोषित हो सकती है और जान भी गवाँ सकती है।”
एक मसीही स्त्री ने स्वीकार किया: “कई सालों तक मैं इस विचार से जूझती रही कि सभा की नियमित तैयारी और व्यक्तिगत अध्ययन ज़रूरी हैं और फिर भी करने में असमर्थ रही।” अंततः उसने परिवर्तन किये जिस कारण वह परमेश्वर के वचन की अच्छी विद्यार्थिनी बन सकी, लेकिन तभी जब उसने अपने स्थिति की अत्यावश्यकता को ठीक से पहचाना।
इसलिए प्रेरित पतरस ने जो सलाह दी उसे दिल में उतारिये। “नये जन्मे हुए बच्चों की नाईं” बनो और “निर्मल आत्मिक दूध की लालसा करो, ताकि उसके द्वारा उद्धार पाने के लिये बढ़ते जाओ।” (१ पतरस २:२) जी हाँ, “लालसा करो”—तीव्र इच्छा विकसित कीजिए—परमेश्वर के ज्ञान से अपने दिल दिमाग़ को भर देने के लिए। आध्यात्मिक वयस्क को भी ऐसी ही लालसा विकसित करने की ज़रूरत है। आध्यात्मिक भोजन का ‘हमारे आधिपत्य में सबसे अधिक दुरुपयोग’ न होने दें। आध्यात्मिक तौर पर ठीक से खायें, और “खरी बातें” जो परमेश्वर के वचन बाइबल में पायी जाती हैं उनका पूर्ण रूप से लाभ उठायें।—२ तीमुथियुस १:१३, १४.
[पेज 28 पर तसवीर]
अपने आहार में क्या आपको सुधार की ज़रूरत है?