कुख़्यात “वेश्या” उसका पतन
“वह गिर पड़ी है! वह बड़ी बाबेलोन गिर पड़ी है, जिस ने अपने व्यभिचार की कोपमय मदिरा सारी जातियों को पिलाई है!”—प्रकाशितवाक्य १४:८.
१९८८ के दौरान यहोवा के गवाहों के दैवी न्याय ज़िला सम्मेलनों में पेश की गई “नियत समय निकट है,” इस शीर्षक की संगोष्ठी का आख़री भाषण इस और उत्तरवर्ती लेख को मिलाकर तैयार किया गया था
१. कुख़्यात “वेश्या” कौन है, और हमारा उसके विषय जानना क्यों आवश्यक है?
कुख़्यात “वेश्या”—यह कौन है? हमें उसके बारे में बात करने की क्या ज़रूरत है? क्या रोमांचक उपन्यास, सिनेमा, दूरदर्शन, और विडियो अनैतिकता के काफ़ी घृणास्पद घोंट नहीं पेश करते? सच है! लेकिन यह कोई साधारण संध्यादेवी नहीं। वास्तव में, वह सारे इतिहास में सबसे प्रभावकारी, सबसे बदनाम, सबसे हिंस्र वृत्तिवाली वेश्या है। और वह ४,००० से भी ज़्यादा वर्षों से अपना प्रेम-भाव बेचती आयी है! हमें अपने संरक्षण के लिए उसके बारे में जानना चाहिए। प्रकाशितवाक्य १४:८ में, एक स्वर्गीय दूत इस कुख़्याति प्राप्त स्त्री को “बड़ी बाबेलोन” के नाम से बुलाता है और उसका वर्णन जातियों को बहकानेवाली के तौर से करता है। चूँकि वह उतनी ख़तरनाक़ है, हमें यह जानकर खुशी होगी कि उसे न्यायदंड देने के लिए यहोवा का “नियत समय निकट है।”—प्रकाशितवाक्य १:३.
२. यह वेश्या अपना नाम कहाँ से पाती है, और झूठे धर्म का एक विश्व-व्याप्त साम्राज्य कैसे शुरु हुआ?
२ यह वेश्या अपना नाम प्राचीन बाबेलोन से लेती है, जो कि वह घमंडी नगर था जिसे निम्रोद, “यहोवा के विरोध में एक पराक्रमी शिकार खेलनेवाले” ने अरम्नहरैम (मसोपोटामिया) में ४,००० से भी ज़्यादा वर्ष पहले बसाया। जब बाबेलियों ने एक मूर्तिपूजक धार्मिक मीनार बाँधना शुरु किया यहोवा ने उनकी भाषाओं को विभ्रांत किया और उन्हें पृथ्वी के कोने-कोने तक बिख़ेर दिया। वे अपना धर्म उनके साथ ले गए, और इस तरह से बाबेलवत् धर्म के एक विश्व-व्याप्त साम्राज्य की शुरुआत हुई। सचमुच, यह बड़ी बाबेलोन है। (उत्पत्ति १०:८-१०; ११:१-९) हमारे समय तक, प्राचीन बाबेलोन के रहस्य दुनिया के धर्मों के विश्वासों और अभ्यासों में प्रतिबिंबित हैं। (प्रकाशितवाक्य १७:७) उस नगर के इब्रानी नाम, बाबेल, का अर्थ है “विभ्रांति,” जो कि आज के झूठे धर्म की खिचड़ी के लिए एक उपयुक्त उपनाम है!
३. (अ) बाबेलोन ने परमेश्वर के लोगों को कितने समय तक क़ैदी रखा, और इस तरह उन्हें किस के सामिप्य में रखा? (ब) बाबेलोन ने एक अनर्थकारी पतन कब झेला, और उसका अंत उस समय क्यों नहीं हुआ?
३ प्राचीन बाबेलोन उस पहली हार से ठीक हुई और, सामान्य युग पूर्व ६३२ में अश्शूर के पराजय से, बाइबल इतिहास में तीसरी विश्व शक्ति बन गयी। वैसे देखा जाए तो उसका गौरव थोड़े समय का ही था—सौ से कम वर्ष—लेकिन उन में से लगभग ७० वर्षों तक उसने परमेश्वर के लोगों को क़ैद रखा। इस से वे बाबेलोन के हज़ार मंदिरों और चैपलों, उसके देवताओं के त्रिक और शैतानों के त्रिक, उसकी माँ-बेटे की उपासना, और तथाकथित अमर देवताओं की पूजा करनेवाली उसकी ज्योतिष विद्या के सामिप्य में थे। इस प्रकार, क़ैद इस्राएली लोग झूठे धर्म के विश्व केंद्र के पास थे जब, सा.यु.पू. ५३९ में, बाबेलोन के नगर ने एक अनर्थकारी पतन झेला। लेकिन उसका अंत अब नहीं था! उसके विजेता उसका उपयोग एक प्रतिष्ठाग्राही धार्मिक केंद्र के तौर से करते रहे।
सार्वभौमिक धार्मिक साम्राज्य
४. (अ) बाबेलोन के विषय यहोवा के भविष्यद्वक्ताओं ने क्या घोषित किया, और बाबेलोन को क्या हुआ? (ब) और कौनसी बाबेलोन अब भी टिकी है, जिस से पृथ्वी के लोगों का नुक़सान होता है?
४ यहोवा के भविष्यद्वक्ताओं ने बाबेलोन के विरोध में उसके न्यायदंड दिए थे कि बाबेलोन को अवश्य “सत्यानाश के झाडू से झाड़” दिया जाएगा—‘उसी तरह जैसी सदोम और अमोरा के नगरों की दशा हुई, जब परमेश्वर ने उनको उलट दिया था।’ क्या वे भविष्यद्वाणियाँ बाद में परिपूर्ण की गयीं? हाँ, अति सूक्ष्म रूप से। समय आने पर, प्राचीन बाबेलोन पत्थरों का एक ढेर बन गयी—सरीसृपों और जंगली जानवरों को छोड़ अन्य रूप से अवासित—बिल्कुल उसी तरह जैसे पूर्वबतलाया गया! (यशायाह १३:९, १९-२२; १४:२३; यिर्मयाह ५०:३५, ३८-४०) परंतु, वह दूसरी बाबेलोन, आधुनिक-समय की बड़ी बाबेलोन, बनी रहती है। झूठे धर्म का विश्व-व्याप्त साम्राज्य होने के नाते, वह मौलिक बाबेलोन के उपदेशों और अहंकारी भाववृत्ति को जारी रखती है। वह लोगों को यहोवा के राज्य उद्देश्यों की ओर अँधा बनाने में शैतान का प्रधान साधन है।—२ कुरिन्थियों ४:३, ४.
५. (अ)जब बाबेलोन अपनी गौरव की पराकाष्ठा पर थी, तब कौन-कौनसे धर्म विकसित हुए, लेकिन शैतान समस्त दुनिया को झूठे धर्म से अभिभूत करने में क्यों सफल न हुआ? (ब) ईसाईयत के परिचय के बाद शैतान ने झूठे धर्म का किस तरह उपयोग किया?
५ मसीह पूर्व लगभग छठीं सदी में, जब विश्व शक्ति बाबेलोन अपने गौरव की पराकाष्ठा पर थी, हिंदू, बौद्ध, कन्फ़्यूशीवाद, और शिंतोवाद के धर्म भी सामने आए। पर क्या शैतान समस्त दुनिया को झूठे धर्म से अभिभूत कर देने में सफल हुआ? नहीं, इसलिए कि यहोवा के प्राचीन गवाहों का एक अवशेष यहोवा की उपासना पुनःस्थापित करने के लिए बाबेलोन से यरूशलेम लौट आया। इस प्रकार, छः सदियों बाद, मसीह का स्वागत करने और मसीही कलीसियों के पहले सदस्य बनने के लिए विश्वसनीय यहूदी वहाँ प्रस्तुत थे। झूठा धर्म परमेश्वर के अपने पुत्र की शहादत का कारण बना और, जैसे यीशु और उसके प्रेरितों ने चिताया था, सच्चे ईसाईयत का विरोध करने के लिए शैतान का प्रधान साधन बन गया।—मत्ती ७:१५; प्रेरितों के काम २०:२९, ३०; २ पतरस २:१.
६. (अ) शैतान ने मसीही उपदेशों को किस तरह अशुद्ध किया, और कौनसे परमेश्वर का अनादर करनेवाले उपदेश विकसित हुए? (ब) उन हज़ारों लोगों का क्या हुआ जिन्होंने बाबेलवत् धर्मसिद्धांत की अपेक्षा बाइबल सच्चाई पसंद की?
६ सामान्य युग ७० में यरूशलेम के दूसरे विनाश के विशेषकर बाद, शैतान ने मसीही उपदेशों को बाबेलवत् रहस्यवाद और यूनानी दर्शनशास्त्र के साथ जुड़कर इन्हें अशुद्ध करने के लिए झूठे प्रेरितों का इस्तेमाल किया। इस तरह, एक ‘दैवी त्रिक,’ त्रियेक ने बाइबल के “एक यहोवा” का स्थानापन्न किया। (व्यवस्थाविवरण ६:४; मरकुस १२:२९; १ कुरिन्थियों ८:५, ६) और मसीह की छुड़ौती और पुनरुत्थान के बहुमूल्य उपदेशों का प्रतिवाद करने के लिए, मानव प्राण की अमरता का धर्मसिद्धांत, जैसे मूर्तिपूजक दार्शनिक प्लेटो ने सिखाया, प्रस्तुत किया गया। इस से ज्वलनशील नरक और एक कम ज्वलनशील पापमोचन-स्थान में विश्वास के लिए रास्ता साफ़ हुआ। (भजन ८९:४८; यहेजकेल १८:४, २०) परमेश्वर का अनादर करनेवाले ऐसे उपदेशों ने, जो लोगों के भय पर काम करते हैं, चर्चों की तिजोरियाँ भरने में मदद की हैं। उसके अतिरिक्त, धर्म न्यायाधिकरण (इंक्विज़िशन) और ईसाई सुधार आंदोलन (रेफ़ोर्मेशन) के समय में, यंत्रणा करने के लिए पादरी वर्ग ने नरकाग्नि के शोलों की राह नहीं देखी। जिन हज़ारों ने बाबेलवत् धर्मसिद्धांत की अपेक्षा बाइबल सच्चाई पसंद की, उन्हें कैथोलिक और प्रोटेस्टेन्ट, दोनों ने खूँटे पर ज़िंदा जला डाला। लेकिन जैसे हम देखेंगे, बड़ी बाबेलोन की वेश्यावृत्ति झूठ विकसित करने से कहीं आगे बढ़ती है।
यहोवा का न्याय करने का दिन
७. (अ) यहोवा ने कब और कैसे मूलभूत बाइबल सच्चाईयों का पुनरुद्धार करना और झूठे, बाबेलवत् उपदेशों का भांडा-फोड़ करना शुरु किया? (ब) बाइबल विद्यार्थियों ने कौनसे मूलभूत बाइबल सच्चाईयों का पुनरुद्धार किया?
७ परमेश्वर को इस वेश्या का न्याय करने के दिन को तो आना ही था! (इब्रानियों १०:३०) १८७० के दशक में शुरु होनेवाला एक प्रारंभिक समय था, जब यहोवा ने मूलभूत बाइबल सच्चाईयों का पुनरुद्धार करने और झूठे बाबेलवत् उपदेशों का भांडा-फ़ोड़ करने के लिए अपने “दूत”—बाइबल विद्यार्थियों के एक सच्चे समूह—को भेज दिया। (मलाकी ३:१अ) यह “दूत” समूह प्रकाशितवाक्य ४:११ (न्यू.व.) के भविष्यसूचक शब्दों से सहमत था: “हे यहोवा, हमारे परमेश्वर, तू ही महिमा, और आदर, और सामर्थ के योग्य है, क्योंकि तू ही ने सब वस्तुएँ सृजीं और वे तेरी ही इच्छा से अस्तित्व में थीं, और सृजी गईं।” यह “दूत” यीशु की छुड़ौती बलिदान, मानवजाति का उद्धार करने के लिए परमेश्वर के प्रबंध, का एक सीधा अधिवक्ता भी बन गया। उद्धार की गयी मानवजाति प्रथम “छोटे झुण्ड” को समाविष्ट करती, जो कि यीशु के साथ उसके स्वर्गीय राज्य में राज करेगा, और बाद में उन करोड़ों लोगों को भी, जो प्रमोदवनीय पृथ्वी पर अनन्त काल तक जीएँगे—जिन में के अधिकांश लोग मृतावस्था से पुनर्जीवित किए जाएँगे। (लूका १२:३२; १ यूहन्ना २:२; प्रेरितों के काम २४:१५) जी हाँ, उन बाइबल विद्यार्थियों ने इन बुनियादी सच्चाइयों का पुनरुद्धार किया, और एक प्रतीकात्मक रूप में, उन्होंने ‘नरक पर पानी का ज़ोरदार फुहारा मारकर’ बाबेलवत् अनन्त-यंत्रणा के धर्मसिद्धांत ‘की आग भी बुझा दी।’a
८. (अ) मसीहीजगत् के पादरी वर्ग ने बाइबल विद्यार्थियों को नष्ट करने के लिए विश्व युद्ध I का उपयोग करने की कोशिश किस तरह की? (ब) उस न्यायाधीश का क्या हुआ जिसने ज़मानत नामंज़ूर करके वॉचटावर सोसाइटी के आठ अधिकारियों को क़ैदखाने में रखा?
८ लगभग ४० वर्षों तक बाइबल विद्यार्थियों ने निडरता से घोषित किया कि सन् १९१४ अन्य जातियों के समय की समाप्ति चिह्नित करता। अपेक्षानुसार, उस वर्ष में सारे संसार को हिला देनेवाली घटनाएँ घटीं, जिन में से प्रथम विश्व युद्ध एक महत्त्वपूर्ण घटना थी। ओह, मसीहीजगत् के पादरी वर्ग—बड़ी बाबेलोन का सबसे विशिष्ट हिस्सा—ने उन स्पष्टवादी बाइबल विद्यार्थियों को नष्ट करने के लिए उस समय के विश्व संकट स्थिति का इस्तेमाल करने की कितनी कोशिश की! आख़िरकार, १९१८ में, उन्होंने वॉचटावर सोसाइटी के आठ अधिकारियों पर राजद्रोह के बनावटी इल्ज़ाम लगाकर उन्हें क़ैदखाने में भिजवा दिया। लेकिन नौ महीने बाद ये अधिकारी रिहा किए गए और बाद में निर्दोष ठहराए गए। यू. एस. के संघीय न्यायाधीश मार्टिन टी. मॅन्टन, जिसने इन बाइबल विधार्थियों की ज़मानत नामंज़ूर करके उन्हें जेल में रखा, उसे बाद में पोप पायस XI ने “बड़े संत ग्रेगोरी के वर्ग का एक सामंत बनाकर,” पद प्रदान किया। परंतु, उसका गौरव थोड़े ही समय के लिए था, इसलिए कि १९३९ में उसे दो साल क़ैद और एक भारी जुरमाने की सज़ा सुनायी गयी। क्यों? इसलिए कि वह कुल मिलाकर $१,८६,००० की रिश्वत लेकर छः अदालती फ़ैसले बेचने का कसूरवार पाया गया!
९. यहोवा के लोगों पर क्या बीत रही थी, इस के विषय मलाकी की भविष्यवाणी ने क्या बताया, और इसलिए न्यायदंड किस से शुरु हुआ?
९ जैसे कि हमने अभी-अभी ग़ौर किया है, १९१८ में यहोवा के लोगों ने तीव्र परीक्षण की एक अवधि में प्रवेश किया। मलाकी ३:१-३ (न्यू.व.) में भविष्यद्वक्ता के अगले शब्द बताते हैं कि क्या हो रहा था: “और सच्चे प्रभु [यहोवा], जिसे तुम ढूँढ़ते हो, वह अचानक अपने मंदिर में आ जाएगा; और [इब्राहीम के] वाचा का वह दूत”—यीशु। जी हाँ, यहोवा अपने मसीह के साथ न्याय करने के लिए आ गया। फिर यहोवा पूछता है: “परन्तु उसके आने के दिन की कौन सह सकेगा? और जब वह दिखाई दे, तब कौन खड़ा रह सकेगा? क्योंकि वह सोनार की आग और धोबी के साबुन के समान होगा।” १ पतरस ४:१७ के अनुसार, न्यायदंड उन लोगों से शुरु होता जो “परमेश्वर का परिवार” होने का दावा करते हैं। इस प्रकार, सच्चे मसीही यहोवा की सेवा के लिए शुद्ध और साफ़ किए गए।
“हे मेरी प्रजा, उस . . . में से निकल आओ”!
१०. १९१९ तक मसीहीजगत् और सभी झूठे धर्म पर कौनसा दैवी न्यायदंड आया, जिस के परिणामस्वरूप बड़ी बाबेलोन को क्या हुआ?
१० बड़ी बाबेलोन का एक अपश्चातापी हिस्सा होने के नाते, मसीहीजगत् का पादरी वर्ग यहोवा का न्यायदंड न सह सका। विश्व युद्ध की हत्याकाण्ड में भागीदार और सच्चे मसीहियों के उत्पीड़क होने के नाते उन्होंने अपने वस्त्र बुरी तरह कलंकित किए थे। (यिर्मयाह २:३४) मसीह के आनेवाले स्वर्गीय राज्य का स्वागत करने के बजाय, उन्होंने एक मानव-निर्मित राष्ट्र संघ का समर्थन किया, जिसका वर्णन वे “पृथ्वी पर परमेश्वर के राज्य की राजनीतिक अभिव्यक्ति” के तौर से करने लगे। १९१९ तक यह स्पष्ट था कि यहोवा ने मसीहीजगत् पर न्यायदंड सुनाया था—और वास्तव में सभी झूठे धर्म पर। बड़ी बाबेलोन गिरी थी, मृत्युदंड के योग्य ठहरायी गयी! सच्चाई और धार्मिकता के सभी प्रेमियों को यिर्मयाह ५१:४५ (न्यू.व.) में लिपिबद्ध इस भविष्यसूचक आदेश पर अमल करने का यही ऐन वक्त था: “हे मेरी प्रजा, उस के बीच में से निकल आओ! अपने अपने प्राण को यहोवा के भड़के हुए कोप से बचाओ!”
११, १२. (अ) बड़ी बाबेलोन पर सुनाए न्यायदंड से संबंधित प्रकाशितवाक्य १७:१, २ में स्वर्गदूत क्या कहता है? (ब) बड़ी वेश्या जिन “बहुत से पानियों” पर बैठी है, वे क्या हैं, और उसने किस तरह पृथ्वी के रहनेवालों को “उसके व्यभिचार की मदिरा से मतवाला” किया है?
११ बड़ी बाबेलोन गिर गयी है! लेकिन वह अब तक नष्ट नहीं हुई है। झूठे धर्म का विश्व-व्याप्त साम्राज्य होने के नाते, वह शैतान के छल की श्रेष्ठ कृति के तौर से अब और थोड़े समय के लिए अस्तित्व में रहेगी। उस परमेश्वर का आख़री न्यायदंड क्या है? हमें कोई संदेह में नहीं रखा गया है! आइए, हम अपने बाइबल प्रकाशितवाक्य १७:१, २ के पृष्ठ पर खोलें। यहाँ एक स्वर्गदूत प्रेरित यूहन्ना को और, उसके ज़रिए, भविष्यवाणी के आज के विद्यार्थियों को यह कहकर संबोधित करता है कि: “इधर आ, मैं तुझे उस बड़ी वेश्या का दण्ड दिखाऊँ, जो बहुत से पानियों पर बैठी है। जिस के साथ पृथ्वी के राजाओं ने व्यभिचार किया, और पृथ्वी के रहेनवाले उसके व्यभिचार की मदिरा से मतवाले किए गए थे।” ये शब्द ‘बहुत से पानी’ मानवजाति के विक्षुब्ध जनसमूह का ज़िक्र करते हैं, जो इतनी देर तक बड़ी वेश्या का ज़ुल्म सहता आया है। और भविष्यवाणी कहती है कि “पृथ्वी के रहनेवाले” उसके व्यभिचार की मदिरा से मतवाले किए गए हैं। वे बड़ी बाबेलोन के झूठे उपदेश और सांसारिक, अनैतिक रीतियों को सोख लेते हैं और वे चकराए जाते हैं, मानो एक सस्ते, नाजायज़ मदिरा से मदहोश हुए हैं।
१२ याकूब ४:४ में हम पढ़ते हैं: “हे व्यभिचारिणियों, क्या तुम नहीं जानतीं, कि संसार से मित्रता करनी परमेश्वर से बैर करना है?” बीसवीं-सदीय धर्म चापलूसी से संसार का अनुग्रह प्राप्त करने के लिए बहुत ही तैयार है, और यह मसीहीजगत् के बारे में ख़ास तौर से सच है। न सिर्फ़ उसके पादरी वर्ग यहोवा के आनेवाले राज्य का सुसमाचार सुनाने से रह जाते हैं लेकिन वे चर्च सदस्यों के बीच सांसारिक अनुज्ञेयता की देखी-अनदेखी करके बाइबल के नैतिक उपदेशों की प्रभाविता कम करते हैं। पादरी वर्ग भी शारीरिक व्यभिचार के संबंध में इतने निर्दोष नहीं, जिसकी निंदा प्रेरित पौलुस ने इतनी साफ़-साफ़ की, जब उसने कहा: “धोखा न खाओ। न वेश्यागामी, न मूर्तिपूजक, न परस्त्रीगामी, न पुरुष वेश्या, न समलिंग कामी, . . . परमेश्वर के राज्य के वारिस होंगे। और तुम में से कितने ऐसे ही थे। परन्तु तुम . . . धोए गए हो।”—१ कुरिन्थियों ६:९-११ (न्यू.व.)
‘कीचड़ में लोटना’
१३, १४. (अ) कौनसे उदाहरण दिखाते हैं कि आधुनिक-समय का पादरी वर्ग नहीं “धोए गए” हैं? (ब) समलिंगी जननांगीय कर्म के प्रति चर्च ऑफ इंग्लैंड की एक धर्मसभा ने कैसी अभिवृत्ति अपनायी, और एक समाचार लेखक ने कौनसा नाम सुझाया जिस से चर्च का फिर से नामकरण करना चाहिए? (क) धर्मत्यागी पादरी वर्ग प्रेरित पतरस के कौनसे शब्दों से भली-भाँति अनुकूल है?
१३ क्या आधुनिक-समय के पादरी वर्ग “धोए गए” हैं? ख़ैर, मिसाल के तौर पर, ब्रिटेन में की स्थिति पर ग़ौर करें, जो कि किसी वक्त प्रोटेस्टेन्टवाद का केंद्र था। नवंबर १९८७ में, जिस समय ब्रिटेन की प्रधान मंत्री पादरी वर्ग को नैतिक अगुआई देने के लिए आह्वान कर रही थी, उसी समय एक अँग्लिकन चर्च का रेक्टर यह कह रहा था: “समलिंग कामियों को लैंगिक विचार अभिव्यक्त करने का उतना ही अधिकार है जितना कि दूसरों को है; हमें उस में की अच्छी बातों को देखना चाहिए और [समलिंग कामियों के बीच] ईमानदारी प्रोत्साहित करनी चाहिए।” लंदन के एक अख़बार ने रिपोर्ट किया कि: “एक अँग्लिकन धर्मवैज्ञानिक महाविद्यालय में समलिंगी आचरण इतना निरंकुश हो गया कि दूसरे महाविद्यालय के प्राध्यापकगण को विद्यार्थियों का वहाँ जाना निषिद्ध करना पड़ा।” एक जाँच ने अनुमान किया कि “एक लंदन ज़िले में, समलिंग झुकावों सहित पादरियों की संख्या, कुल संख्या के आधे से भी ज़्यादा होगी।” और एक चर्च महासभा में, चर्च ऑफ इंग्लैंड के पादरी वर्ग के ९५ प्रतिशत पादरियों ने एक ऐसे प्रस्ताव का समर्थन किया जिस में व्यभिचार और जारकर्म पाप कहलाए गए, लेकिन समलिंगी जननांगीय कर्म नहीं; यह कहा गया कि ऐसे समलिंगी कर्म आदर्श के बस थोड़े ही कम पड़ते थे। इन सारी बातों पर टीका करते हुए, एक समाचार लेखक ने सुझाव दिया कि चर्च ऑफ इंग्लैंड को सदोम और अमोरा, यह नया नाम भली-भाँति दिया जा सकता है। एक और लंदन अख़बार ने कहा: “जब ब्रिटिश लोग अनुज्ञेयता की एक पीढ़ी के नतीजों पर ग़ौर करते हैं वे स्तब्ध रह जाते हैं।”
१४ सारे इतिहास में धर्मत्यागी पादरी वर्ग प्रेरित पतरस के शब्दों के कितने भली-भाँति अनुकूल हैं: “उन पर यह सही कहावत ठीक बैठती है कि ‘कुत्ता अपनी छाँट की ओर और धोई हुई सूअरनी कीचड़ में लोटने के लिए फिर चली जाती है’”!—२ पतरस २:२२.
१५. (अ) समस्त मसीहीजगत् में नैतिक मान्यताओं की क्या बिगाड़ घटी है? (ब) इस शोचनीय फ़सल के लिए किसे ज़िम्मेदारी में हिस्सा लेना चाहिए?
१५ सारे मसीहीजगत्, और सचमुच सारी दुनिया में, नैतिक मान्यताओं में एक भयावह बिगाड़ प्रकट है। कुछेक समाजों में, विवाह अब अनावश्यक समझा जाता है, और जो शादी-शुदा हैं, वे सोचते हैं कि वैवाहिक वफ़ादारी ग़ैरफ़ैशनेबुल है। अब और भी कम लोग अपने जोड़ को वैध बनाते हैं, और जो लोग ऐसा करते हैं, उन में तलाक़ दर बहुत बढ़ गया है। अमरीका के संयुक्त राज्य में, तलाक़ पिछले २५ वर्षों में तिगुना से भी अधिक होकर, प्रति वर्ष दस करोड़ से कहीं ज़्यादा होते हैं। १९६५ से लेकर एक २०-वर्षीय अवधि में, ब्रिटेन में तलाक़, ४१,००० से १,७५,००० होकर, चौगुना हो गए। कुँवारे लोग दोनों में से किसी भी जाति के कुँवारे लोगों के साथ सहवास करना पसंद करते हैं, और अनेक लोग अपना साथी बदलते रहते हैं। वे उन भयानक लैंगिक रूप से प्रसारित रोगों के कारण शोक प्रकट करते हैं, विशेष रूप से एडस्, जो उनके अनैतिक जीवन-शैली के कारण प्रफलित हुए हैं, लेकिन वे अपने अपमानजनक लैंगिक अभ्यासों पर अड़े रहते हैं। मसीहीजगत् के पादरी वर्ग ने पथभ्रष्ट सदस्यों को प्रताड़ित नहीं किया है। जिस हद तक उन्होंने अनैतिकता की ओर अनदेखी की है, उन्हें उस हद तक इस शोचनीय फ़सल की ज़िम्मेदारी में शामिल होना चाहिए।—यिर्मयाह ५:२९-३१.
१६. (अ) यह वास्तविकता कि बड़ी बाबेलोन गिर पड़ी है, उस पर कौनसी बात ज़ोर देती है, और प्रकाशितवाक्य १८:२ में कौनसी स्वर्गदूतीय पुकार उचित है? (ब) इस संसार के अंत से जो कोई बचना चाहते हैं, उन्हें क्या करना चाहिए?
१६ झूठे धर्म के विश्व-व्याप्त साम्राज्य में की दयनीय नैतिक अवस्था इस वास्तविकता पर भी ज़ोर देती है कि बड़ी बाबेलोन गिर पड़ी है। परमेश्वर ने उसे न्यायदंड सुनाया है और उसे विनाश के लिए चिह्नित किया है। फिर, प्रकाशितवाक्य १८:२ (न्यू.व.) में यह कितना उपयुक्त है कि स्वर्गदूत ने ऊँचे आवाज़ में कहा: “वह गिर पड़ी है! बड़ी बाबेलोन गिर पड़ी है, और वह दुष्टात्माओं का निवास और हर एक अशुद्ध आत्मा का अड्डा, और हर एक अशुद्ध और घृणित पक्षी का अड्डा हो गयी है।” और यह कितना महत्त्वपूर्ण है कि सभी जो इस संसार के अंत से बचना चाहते हैं, वे आयत ४ के आह्वान का उत्तर देने में अब कार्य करें: “हे मेरे लोगों, उस में से निकल आओ, कि तुम उसके पापों में भागी न हो, और उस की विपत्तियों में से कोई तुम पर आ न पड़े”! झूठे धर्म में से निकलना, अब थोड़े ही आगे “भारी क्लेश” से बचने के लिए एक अत्यावश्यक क़दम है। (प्रकाशितवाक्य ७:१४) लेकिन जैसा कि हम देखेंगे, कुछ अधिक बातें ज़रूरी हैं!
[फुटनोट]
a नवंबर १, १९०३ के दिन, पिट्सबर्ग, पेन्नसिल्वेनिया, यू.एस.ए. में, कार्नेगी हॉल में आयोजित चार्लस् टी. रस्सेल और डॉ. ई.एल. इटन के बीच एक वाद-विवाद श्रृंखला के आख़री वाद-विवाद के पश्चात्, वहाँ उपस्थित एक पादरी ने भाई रस्सेल की जीत यह कहकर स्वीकार की: “मैं यह देखकर खुश हूँ कि तुमने नरक पर पानी का ज़ोरदार फुहारा सतत मारकर उसकी आग बुझाई है।”
[पेज 8 पर बक्स]
पादरी वर्ग के नैतिक आचार
“पिछले पाँच वर्षों में अमरीका के संयुक्त राज्य में कैथोलिक पादरियों ने जिन सैंकडों बच्चों से छेड़छाड़ की है, उन्हें तीव्र भावात्मक सदमा पहुँचा है, ऐसा माता-पिता, मनोवैज्ञानी, पुलिस अफ़सर और मुक़दमों में शामिल अभिवक्ता कहते हैं।”—ॲक्रोन बीकन जर्नल, जनवरी ३, १९८८.
“अमरीका के संयुक्त राज्य में रोमन कैथोलिक चर्च उन परिवारों को हरजाने के तौर पर करोड़ों डॉलर अदा करने तक मजबूर हुआ है, जो दावा करते हैं कि पादरियों ने उनके बच्चों का लैंगिक रूप से दुर्व्यवहार किया है। उसके बावजूद भी, समस्या इतनी बढ़ गयी है कि कई वकील और पीड़ित कहते हैं कि चर्च ऐसे मामलों की अनदेखी करके उन पर परदा डालती है।”—द मायॲमी हेरल्ड, जनवरी ३, १९८८.
[पेज 6 पर तसवीरें]
प्राचीन मिस्र से और मसीहीजगत् से—त्रियेक देवताओं की प्रतिमाएँ
[चित्रों का श्रेय]
Saint-Remi Museum collection, Reims, photo by J. Terrisse
Louvre Museum, Paris
[पेज 9 पर तसवीरें]
बाइबल अनैतिक धार्मिक अगुवाओं की तुलना धोई हुई सूअरनी से करती है जो कीचड़ में लोटने के लिए फिर चली जाती है