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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1997
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ज़रूरतमंदों को प्यार दिखाना

ज़रूरत के वक़्त अपने मसीही भाई-बहनों को प्यार दिखाना मसीहियों का फ़र्ज़ भी है और विशेषाधिकार भी। (१ यूहन्‍ना ३:१७, १८) प्रेरित पौलुस ने लिखा: “इसलिये जहां तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें; विशेष करके विश्‍वासी भाइयों के साथ।” (गलतियों ६:१०) क़रीबन चालीस साल से यहोवा की सेवा कर रहे एक भाई ने, हाल ही में अपनी पत्नी की बीमारी के दौरान और उसकी मौत के बाद मसीही भाईचारे के प्यार को महसूस किया। वह लिखता है:

“चूँकि मैं घर पर अपनी बीमार पत्नी की देखभाल करता था, इसलिए मैं क़रीब दो महीने तक कोई नौकरी नहीं कर सका। मुझे कितनी राहत मिली जब कलीसिया के दोस्त, दिल से हमारी मदद करने के लिए आए! पैसों के रूप में दिए गए दर्जनों तोहफ़ों से क़िस्तें भरने, बिजली-पानी तथा बाक़ी ख़र्चों को उठाने में मदद मिली और तोहफ़ों के अंदर कार्ड पर लिखा था ‘ख़र्चे के लिए थोड़ी मदद।’

“मेरी पत्नी की मौत से दो हफ़्ते पहले, हमारे सर्किट ओवरसियर ने हमसे एक प्रोत्साहक भेंट की। यहाँ तक कि उसने हमें वे स्लाइड भी दिखाए जिन्हें कलीसिया को हफ़्ते के आख़िर में दिखाया जाता। टेलीफ़ोन पर हम सभाओं को सुन सकते थे—जिनमें सर्किट ओवरसियर द्वारा ली गई क्षेत्र सेवकाई के लिए सभाएँ भी शामिल थीं। फिर इन्हीं सभाओं में, एक बार प्रचार के लिए जितने लोग आए थे सभी से उसने एक समूह के रूप में मेरी पत्नी को ‘हैलो’ कहलवाया। इस तरह जबकि मेरी पत्नी शारीरिक तौर पर दूसरों से जुदा थी, मगर फिर भी उसने कभी अकेला महसूस नहीं किया।

“उसके मरने के एक घंटे के अन्दर ही क़रीब-क़रीब सारे प्राचीन मेरे घर पर जमा हो गए थे। उसी दिन, सौ से ज़्यादा भाई-बहन मिलने के लिए आए। एक ‘अजूबे’ की तरह मेज़ पर खाना उन सबके लिए आ गया था जो वहाँ मौजूद थे। मैं उन सबके तोहफ़े, दर्द की भावनाएँ, दिलासा देने- वाले शब्द और जो दुआएँ मेरे लिए की गईं उन सबको बयान नहीं कर सकता। ये सब कितना मज़बूत करने वाला था! आख़िरकार, मुझे भाइयों से कहना ही पड़ा कि अब खाना लाना और सफ़ाई में मदद करना रोक दें!

“यहोवा के संगठन के अलावा क्या कहीं और ऐसा दर्द, परवाह और प्यार की निस्वार्थ भावना दिखती है? आजकल, ज़्यादातर लोग अपनी उँगलियों पर गिन सकते हैं कि उनके सच्चे दोस्त कितने हैं। लेकिन यहोवा ने हमें आध्यात्मिक भाई-बहनों के एक बड़े परिवार की आशीष दी है!”—मरकुस १०:२९, ३०.

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