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मसीह, कलीसियाओं से बात करता हैप्रहरीदुर्ग—2003 | मई 15
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7, 8. इफिसुस की कलीसिया में क्या गंभीर समस्या थी, और हम इस तरह की समस्या का सामना कैसे कर सकते हैं?
7 इसके बावजूद, इफिसुस के मसीहियों की एक गंभीर समस्या थी। यीशु ने कहा: “मुझे तेरे विरुद्ध यह कहना है कि तू ने अपना पहिला सा प्रेम छोड़ दिया है।” उस कलीसिया के सदस्यों को अपने अंदर यहोवा के लिए पहले जैसा प्रेम दोबारा बढ़ाने की ज़रूरत थी। (मरकुस 12:28-30; इफिसियों 2:4; 5:1, 2) हमें भी सावधान रहना चाहिए ताकि हम परमेश्वर के लिए अपना पहले जैसा प्यार न खो दें। (3 यूहन्ना 3) लेकिन अगर धन-दौलत या ऐशो-आराम की चाहत हमारे मन में घर करने लगी है, तब हम क्या कर सकते हैं? (1 तीमुथियुस 4:8; 6:9, 10) तब हमें तन-मन से परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमें अपने मन से इन चाहतों को निकाल फेंकने और इनकी जगह उसके लिए गहरा प्यार पैदा करने में मदद करे। साथ ही उन एहसानों के लिए कदरदानी दिखाने में भी मदद दे जो उसने और उसके बेटे ने हम पर किए हैं।—1 यूहन्ना 4:10, 16.
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मसीह, कलीसियाओं से बात करता हैप्रहरीदुर्ग—2003 | मई 15
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11. हम यहोवा के लिए प्यार कैसे बढ़ा सकते हैं?
11 इफिसियों ने जिस तरह यहोवा के लिए पहले जैसा प्रेम खो दिया था, अगर यही समस्या आज किसी कलीसिया में पैदा हो जाए, तब हम क्या कर सकते हैं? आइए हममें से हरेक यहोवा के प्यार भरे तौर-तरीकों और कामों पर चर्चा करें और इस तरह भाइयों के मन में यहोवा के लिए प्यार बढ़ाएँ। हम इस बात के लिए अपना आभार जता सकते हैं कि परमेश्वर ने हमारी खातिर अपने अज़ीज़ बेटे को छुड़ौती के तौर पर दे दिया। (यूहन्ना 3:16; रोमियों 5:8) जब कभी मुनासिब लगे, तब हम अपने जवाबों में और सभा का कोई भाग पेश करते वक्त परमेश्वर के प्रेम के बारे में बता सकते हैं। और मसीही सेवा में यहोवा के नाम की महिमा करके हम उसके लिए अपना प्यार दिखा सकते हैं। (भजन 145:10-13) वाकई हम अपनी बातों और कामों से, कलीसिया में यहोवा के लिए पहले जैसा प्यार दोबारा पैदा करने या उसे और भी मज़बूत करने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं।
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