गीत 20
हमारी सभाओं पर आशीष दे!
1. आ-ए हैं याह ते-रे दर पे
झो-ली अप-नी फै-ला-ए।
माँ-गें ते-री पा-वन शक्-ति दे
प्यार, ए-का और शां-ति।
2. भर व-चन से मन का कु-आँ
प्यास ह-मा-री तू मि-टा।
बाँ-टें सब-को जल जी-वन का
पा-एँ वो भी चैन दिल का।
3. बा-रिश में ज्यूँ पौ-धे बढ़-ते
यूँ स-भा में हम फल-ते।
अप-नी बो-ली और का-मों से
ते-री जय स-दा क-रें।
(भज. 22:22; 34:3; यशा. 50:4 भी देखिए।)