पायनियर कार्य—प्रेम का एक अभिव्यक्ति
यहोवा और हमारे संगी मनुष्यों के लिए प्रेम प्रचार कार्य में पूरी तरह से शरीक़ होने के लिए हमें प्रेरित करता है। जैसे यहोवा और लोगों के लिए हमारा प्रेम बढ़ता है, हम सेवकाई में और ज़्यादा हिस्सा लेने की योजना बनाने के लिए प्रेरित होते हैं। जैसे हम परमेश्वर के वचन का “यथार्थ ज्ञान” लेने में बढ़ते हैं, हमारा प्रेम भी बढ़ जाता है। (फिलि. १:९, १०, NW) यहोवा की इच्छा के बारे में हम जितना ज़्यादा सीखते हैं, हम उतना ही ज़्यादा इस वक़्त की अत्यावश्यकता की क़दर करते हैं जिस में हम जी रहे हैं। इस से दूसरों के प्रति हमारी चिन्ता तीव्र होती है। पायनियर सेवा करके अनेक जन अपनी प्रेममय चिन्ता को अभिव्यक्त कर रहे हैं।
२ एक सहायक या नियमित पायनियर बनने के लिए क्या आप ज़रूरी समंजन कर सकते हैं? मान लिया, हम में से हर कोई पायनियर सेवा नहीं कर सकता। पर हम सब को अपने हालात प्रार्थनापूर्वक जाँचने चाहिए।
३ सिर्फ़ कुछ ही मसीही पाते हैं कि उन्हें पायनियर कार्य करने के लिए खाली समय है; इसलिए, यह ज़रूरी है कि उन अनावश्यक चीज़ों से हम ‘समय मोल लें’ जो इस वक़्त हमारा वक़्त माँग रही हैं। (इफि. ५:१५-१७) परमेश्वर और लोगों के लिए हमारे प्रेम से हमें अपनी निजी अभिलाषाओं और सुख-साधन त्यागने के लिए इच्छुक बनना चाहिए ताकि हम अपना प्रेम अधिक सम्पूर्ण तरह से अभिव्यक्त कर सकें। (मरकुस १२:३३) ऐसी अनेक वस्तुएँ, जो हम प्राप्त करते हैं और शायद जिन्हें हम सामान्य समझते हैं, संसार के अन्य हिस्सों में विलास-वस्तुएँ मानी जा सकती है।
४ इस परमेश्वर-निर्दिष्ट तरीक़े से सोचने के लिए माँ-बाप अपने बच्चों की सहायता करने के लिए क्या कर सकते हैं? छोटी उम्र से ही माँ-बाप को अपने बच्चों के सामने ईश्वरशासित लक्ष्य रखने चाहिए। जैसे वे स्कूल से उपाधिकरण पानेवाले ही हैं, क्या वे लौकिक या आध्यात्मिक लक्ष्यों के बारे में सोच रहे हैं? हम अपने युवजन को एक छोटी उम्र से पायनियर सेवा में प्रवेश करने के फायदों को देखने हम हमारे जवानों की मदद करना चाहते हैं। यह स्वर्ग में खज़ाना रखना है। (मत्ती ६:१९-२१) यह परमेश्वर को पसंद आता है और उनके प्रति हमारी वफादारी और भक्ति का सबूत देता है। और यह दूसरों की जानें बचाती है।
५ यह परमेश्वर की इच्छा है कि ‘सब प्रकार के मनुष्यों का उद्धार हो।’ (१ तीम. २:४, NW) क्या हम यह दिखा सकते हैं कि यह हमारी भी इच्छा है? हम ऐसा दिखा सकते हैं अगर हम राज्य हितों को पहला स्थान देने में इच्छुक हैं। हम ऐसा इस बात का भरोसा रखकर भी दिखा सकते हैं, कि यहोवा ज़िंदगी की ज़रूरतों को पूरा करेंगे। (मत्ती ६:३१-३३) आर्थिक परिस्थिति बदतर हो सकती हैं, पर हमारी परवाह करने के लिए यहोवा का वादा कभी नहीं बदलता।—भजन. ३७:२५.
६ हमारे हालात जितना अनुमति दें उतना क्षेत्र सेवकाई में भाग लेने में परिश्रम करना प्रेम की एक अभिव्यक्ति है। कुछ व्यक्तियों के लिए इसका अर्थ नियमित पायनियर बनना है। सितम्बर १, १९९२ से ही शुरू करने के लिए क्यों न पूरा प्रयास करें?