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  • राज्य का प्रचार करना —सेवा का एक अनमोल अवसर
    राज-सेवा—2005 | अगस्त
    • राज्य का प्रचार करना —सेवा का एक अनमोल अवसर

      यहोवा ने कुदरत में ऐसे इंतज़ाम किए हैं जिनकी बदौलत इंसान ज़िंदा रह पाता है। और हर दिन करोड़ों लोग यहोवा की इस दरियादिली का फायदा उठाते हैं। (मत्ती 5:45) मगर ऐसे लोग बहुत कम हैं जिन्हें अपने जीवन-दाता के लिए एहसानमंदी दिखाने का एक अनोखा अवसर मिला है। वह अवसर है, परमेश्‍वर के राज्य की खुशखबरी फैलाना। (मत्ती 24:14) आप इस अनमोल अवसर की कितनी कदर करते हैं?

      2 राज्य के प्रचार काम से परमेश्‍वर की महिमा होती है, और ऐसे लोगों को मन का सुकून और उम्मीद मिलती है, जो आज के दर्दनाक हालात की वजह से बुरी तरह हताश हैं। (इब्रा. 13:15) जो लोग इस संदेश को कबूल करते हैं, उन्हें हमेशा की ज़िंदगी पाने की आशा मिलती है। (यूह. 17:3) दुनिया का और कौन-सा काम या पेशा लोगों को ऐसे फायदे पहुँचा सकता है? प्रेरित पौलुस ने प्रचार करने की ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाकर उसके लिए अपनी कदरदानी दिखायी। वह इस ज़िम्मेदारी को एक अनमोल खज़ाना समझता था।—प्रेरि. 20:20, 21, 24; 2 कुरि. 4:1, 7.

      3 अपने अनमोल अवसर के लिए एहसान दिखाना: इस अवसर के लिए अपना एहसान दिखाने का एक तरीका है, खुद की जाँच करना कि हम अपनी सेवा को कितनी अच्छी तरह से कर रहे हैं। क्या हम वक्‍त निकालकर ऐसी पेशकश तैयार करते हैं जिससे सुननेवालों के दिलों पर असर हो? क्या हम आयतों का इस्तेमाल करने और लोगों को दलीलें देकर समझाने की काबिलीयत को और भी निखार सकते हैं? हमें प्रचार का जो इलाका सौंपा जाता है, क्या उसे हम अच्छी तरह पूरा करते हैं? क्या हम बाइबल अध्ययन शुरू करना और उसे चलाना जानते हैं? पहली सदी के और आज के वफादार मसीहियों की तरह, हम भी प्रचार काम के बारे में सही नज़रिया रखते हैं और इस काम को एक अनोखी आशीष मानते हैं।—मत्ती 25:14-23.

      4 जब हम ढलती उम्र या खराब सेहत की वजह से तकलीफें झेल रहे होते हैं या कुछ और मुश्‍किलों का सामना करते हैं, तब हमें यह जानकर बहुत दिलासा मिलता है कि ऐसे हालात में भी हम जोश के साथ जो सेवा करते हैं, उसकी बहुत कदर की जाती है। परमेश्‍वर का वचन हमें भरोसा दिलाता है कि यहोवा ऐसी मेहनत की बहुत कदर करता है। यहाँ तक कि उसकी सेवा में किए जानेवाले छोटे-से-छोटे काम की भी वह बहुत कदर करता है, जो शायद दूसरों की नज़र में न के बराबर हो।—लूका 21:1-4.

      5 राज्य का प्रचार करना, मन को गहरी खुशी देनेवाला काम है। बानवे साल की एक बुज़ुर्ग बहन ने कहा: “यह मेरे लिए कितने सम्मान की बात है कि मैंने 80 से भी ज़्यादा साल यहोवा की सेवा में गुज़ारे हैं। और इसका मुझे बिलकुल भी अफसोस नहीं है! अगर मुझे दोबारा जीने का मौका दिया जाए तो बेशक मैं इसी तरह की ज़िंदगी जीना पसंद करूँगी जैसी मैंने अब तक बितायी है, क्योंकि ‘परमेश्‍वर की करुणा जीवन से भी उत्तम है।’” (भज. 63:3) आइए हम भी राज्य का प्रचार करने की अपनी ज़िम्मेदारी को संजोए रखें, क्योंकि यह परमेश्‍वर का दिया एक अनमोल अवसर है।

  • तरक्की करनेवाले बाइबल अध्ययन चलाना
    राज-सेवा—2005 | अगस्त
    • तरक्की करनेवाले बाइबल अध्ययन चलाना

      भाग 12: बाइबल अध्ययन शुरू करने और चलाने में विद्यार्थियों की मदद करना

      जब हमारे बाइबल विद्यार्थी प्रचार में जाना शुरू करते हैं, तो शायद उन्हें दूसरों के साथ बाइबल अध्ययन शुरू करने और उसे चलाने के खयाल से ही डर लगे। ऐसे में हम उनकी कैसे मदद कर सकते हैं, ताकि वे सेवा के इस खास पहलू में हिस्सा लेने के लिए हिम्मत जुटा पाएँ?—मत्ती 24:14; 28:19, 20.

      2 अगर एक बाइबल विद्यार्थी बपतिस्मा-रहित प्रचारक बन गया है, तो ज़ाहिर है कि उसने परमेश्‍वर की सेवा स्कूल में हिस्सा लेना शुरू कर दिया है। यह स्कूल उसे विद्यार्थी भाग की तैयारी करने और उसे पेश करने की अच्छी तालीम देता है। इसलिए वह सिखाने के हुनर बढ़ा सकेगा और “ऐसा काम करनेवाला” बन सकेगा “जो लज्जित होने न पाए, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो।”—2 तीमु. 2:15.

      3 खुद की मिसाल से सिखाइए: यीशु ने अपने चेलों को साफ-साफ हिदायतें देकर और प्रचार में खुद एक बढ़िया मिसाल कायम करके उन्हें तालीम दी थी। उसने कहा था: “पूर्णत: प्रशिक्षित होने पर प्रत्येक चेला गुरु के समान बन जाता है।” (लूका 6:40, NHT) यह बहुत ज़रूरी है कि यीशु की तरह आप भी खुद प्रचार में एक अच्छी मिसाल बनें। जब आपका विद्यार्थी आपकी मिसाल पर गौर करेगा तो उसके दिमाग में यह बात अच्छी तरह बैठ जाएगी कि वापसी भेंट करने का मकसद बाइबल अध्ययन शुरू करना है।

      4 विद्यार्थी को समझाइए कि जब हम घर-मालिक के सामने अध्ययन की पेशकश रखते हैं, तो अध्ययन के इंतज़ाम के बारे में बहुत ज़्यादा ब्यौरा देने की ज़रूरत नहीं है। ज़्यादातर घर-मालिकों के साथ अध्ययन के किसी साहित्य से एक-दो पैराग्राफ पर चर्चा करके बाइबल अध्ययन का एक नमूना पेश करना बेहतर होता है। इस बारे में हमारी राज्य सेवकाई के इस अंक के पेज 8 पर और जनवरी 2002 के पेज 6 पर बढ़िया सुझाव दिए गए हैं।

      5 जब भी मुनासिब हो, विद्यार्थी को अपने साथ या किसी और तजुरबेकार प्रचारक के साथ दूसरे बाइबल अध्ययनों में आने के लिए कहिए। उस अध्ययन में वह भी किसी पैराग्राफ या खास आयत पर कुछ बता सकता है। इस तरह दूसरों को अध्ययन चलाते देखकर, विद्यार्थी भी तरक्की करनेवाले बाइबल अध्ययन चलाने के बारे में बहुत कुछ सीख सकेगा। (नीति. 27:17; 2 तीमु. 2:2) उसकी तारीफ कीजिए, और बताइए कि उसे कहाँ सुधार करने की ज़रूरत है।

      6 नए प्रचारकों को परमेश्‍वर का वचन सिखाने की तालीम देने से, वे खुद भी दूसरों के साथ अध्ययन शुरू करने और उसे चलाने का ‘भला काम’ कर सकेंगे। (2 तीमु. 3:17) हमें क्या ही खुशी मिलती है जब हम इन नए प्रचारकों के साथ मिलकर दूसरों को यह प्यार-भरा न्यौता देते हैं: “जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले”!—प्रका. 22:17.

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