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बाइबल अध्ययन शुरू करना दरवाज़े पर खड़े-खड़े और टेलिफोन सेराज-सेवा—2005 | अगस्त
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बाइबल अध्ययन शुरू करना दरवाज़े पर खड़े-खड़े और टेलिफोन से
1, 2. जो लोग बहुत व्यस्त रहते हैं, उनके साथ बाइबल अध्ययन शुरू करने के लिए हम कौन-सा तरीका आज़मा सकते हैं?
आज लोगों के पास इतने सारे काम हैं कि उन्हें साँस लेने की फुरसत नहीं। फिर भी ज़्यादातर लोग आध्यात्मिक बातों में दिलचस्पी रखते हैं। हम कैसे इन लोगों की मदद कर सकते हैं ताकि वे अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत पूरी कर सकें? (मत्ती 5:3) बहुत-से प्रचारक, ऐसे लोगों के साथ दरवाज़े पर खड़े-खड़े या फिर टेलिफोन से बाइबल का अध्ययन करते हैं। क्या आप भी यही तरीका आज़माकर अपनी सेवा को बढ़ा सकते हैं?
2 बाइबल अध्ययन शुरू करने के लिए, ज़रूरी है कि हम हमेशा तैयार रहें और मौका मिलने पर घर-मालिक को दिखाएँ कि अध्ययन कैसे किया जाता है। हम लोगों के साथ कहाँ और कैसे अध्ययन शुरू कर सकते हैं?
3. पहली मुलाकात में ही बाइबल अध्ययन का नमूना क्यों दिखाना चाहिए, और यह कैसे किया जा सकता है?
3 दरवाज़े पर खड़े-खड़े: जब आप किसी ऐसे इंसान से मिलते हैं जो बाइबल के बारे में बात करने के लिए राज़ी होता है, तो हमारे साहित्य में से ऐसा पैराग्राफ दिखाइए जिसकी आपने पहले से तैयारी की है। जैसे, माँग ब्रोशर के पहले पाठ का पहला पैराग्राफ। इसके बाद, सीधे अध्ययन शुरू कर दीजिए। पैराग्राफ पढ़िए, सवाल पूछिए और वहाँ दी गयी एक-दो आयतों पर चर्चा कीजिए। ज़्यादातर घरों में आप दरवाज़े पर खड़े-खड़े ही पाँच-दस मिनट के अंदर ऐसा अध्ययन कर सकते हैं। अगर घर-मालिक को यह चर्चा अच्छी लगती है, तो अगले एक-दो पैराग्राफ पर किसी और दिन बातचीत करने का इंतज़ाम कीजिए।—इस तरह सीधे अध्ययन शुरू करने के बारे में ज़्यादा सुझाव जनवरी 2002 की हमारी राज्य सेवकाई के पेज 6 पर दिए गए हैं।
4. वापसी भेंट करते वक्त, हम दरवाज़े पर खड़े-खड़े बाइबल अध्ययन कैसे शुरू कर सकते हैं?
4 वापसी भेंट में भी ऐसा ही तरीका इस्तेमाल करके अध्ययन शुरू किया जा सकता है। मिसाल के लिए, आप घर-मालिक को माँग ब्रोशर देकर, उसके पाठ 2, पैराग्राफ 1-2 का इस्तेमाल करके परमेश्वर के नाम के बारे में बात कर सकते हैं। फिर अगली मुलाकात में, आप पैराग्राफ 3-4 का इस्तेमाल करके यह बता सकते हैं कि यहोवा के गुणों के बारे में बाइबल क्या कहती है। फिर अगली बार, आप पैराग्राफ 5-6 और पेज 5 पर दी तसवीर पर चर्चा करके दिखा सकते हैं कि बाइबल का अध्ययन किस तरह हमें यहोवा को जानने में मदद देता है। यह सारी चर्चा आप दरवाज़े पर खड़े-खड़े ही कर सकते हैं।
5, 6. (क) कुछ लोग टेलिफोन के ज़रिए अध्ययन करना क्यों पसंद करेंगे? (ख) हम टेलिफोन से अध्ययन की पेशकश कैसे कर सकते हैं?
5 टेलिफोन से: कुछ लोग शायद हमारे साथ बैठकर अध्ययन करने के बजाय टेलिफोन के ज़रिए अध्ययन करना पसंद करें। इस अनुभव पर गौर कीजिए: घर-घर प्रचार करते वक्त एक बहन की मुलाकात एक जवान स्त्री से हुई जो एक माँ है और काम भी करती है। इसलिए वह बहुत व्यस्त रहती है। बहन ने इस स्त्री से दोबारा उसके घर पर मिलने की कोशिश की मगर वह नहीं मिली। इसलिए उसने स्त्री को फोन करने का फैसला किया। इस जवान स्त्री ने उसे बताया कि उसके पास बाइबल के बारे में चर्चा करने के लिए ज़रा भी वक्त नहीं है। तब बहन ने कहा: “अगर आप मुझे फोन पर सिर्फ 10 या 15 मिनट दें, तो आप बाइबल के बारे में कुछ नया सीख सकती हैं।” तब स्त्री ने कहा: “अगर फोन पर है, तो ठीक है!” बस फिर क्या था, कुछ ही समय के अंदर टेलिफोन से अध्ययन शुरू हो गया।
6 आप प्रचार में जिनसे मिलते हैं, क्या उनमें से कुछ लोग टेलिफोन से अध्ययन करना पसंद करेंगे? अभी-अभी जो तरीका बताया गया है, उसे आज़माकर देखिए। या आप बस इतना कहकर शुरू कर सकते हैं: “आप चाहो तो हम टेलिफोन से बाइबल के बारे में चर्चा कर सकते हैं। क्या यह तरीका आपके लिए ठीक रहेगा?” अगर हम लोगों की सहूलियत के हिसाब से बाइबल अध्ययन चलाने के कार्यक्रम में फेरबदल करें, तो हम ‘परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त’ करने में उनकी मदद कर सकेंगे।—नीति. 2:5; 1 कुरि. 9:23.
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पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिएराज-सेवा—2005 | अगस्त
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पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग अग. 15
“जब किसी का कोई अपना मर जाता है, तो उसे गहरा सदमा पहुँचता है और वह अकसर मन में सोचता है कि आखिर मरने पर इंसान का क्या होता होगा। आपको क्या लगता है, क्या मौत के बारे में हकीकत जानना मुमकिन है? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका समझाती है कि मरे हुए किस दशा में हैं, इस बारे में बाइबल क्या कहती है। यह परमेश्वर के इस वादे के बारे में भी समझाती है कि हमारे जो अपने मौत की नींद सो रहे हैं, उन्हें वह दोबारा ज़िंदा करेगा।” यूहन्ना 5:28, 29 पढ़िए।
सजग होइए! जुला.–सितं.
“आजकल हमारे देश में भी ज़्यादा-से-ज़्यादा जवानों को ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जो पहले सिर्फ दूसरे देशों में हुआ करती थी, है ना? [जवाब के लिए रुकिए।] मिसाल के लिए, इस समस्या पर गौर कीजिए। [पेज 18 पर दिया लेख दिखाइए।] देखिए कि यहाँ जवानों के लिए कितनी अच्छी सलाह दी गयी है। [नीतिवचन 18:13 पढ़िए और लेख की तरफ ध्यान खींचिए।] यह लेख ऐसी कुछ बातों पर रोशनी डालता है जिन पर हमें ध्यान देना चाहिए।”
प्रहरीदुर्ग सितं. 1
“आज के ज़माने में, वफादारी के उसूल की तारीफ तो बहुत की जाती है, मगर ऐसे लोग बहुत कम हैं जो सचमुच वफादारी निभाते हैं। ज़रा इस आयत पर गौर कीजिए, अगर हर कोई यहाँ बताए मित्र की तरह हो, तो कितना बढ़िया होगा, है ना? [नीतिवचन 17:17 पढ़िए। फिर जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका समझाती है कि अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ वफादारी निभाने से क्या फायदे मिलते हैं।”
सजग होइए! जुला.–सितं.
“ज़्यादातर माता-पिता सोच-समझकर तय करते हैं कि उनके बच्चे कौन-सी फिल्म देख सकते हैं और कौन-सी नहीं। क्या आपको लगता है कि आजकल अपने परिवार के लिए अच्छी फिल्मों का चुनाव करना मुश्किल हो गया है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर इफिसियों 4:17 पढ़िए।] यह पत्रिका बताती है कि माता-पिता कैसे अपने बच्चों को अच्छे मनोरंजन का चुनाव करने में मदद दे सकते हैं।”
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