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तरक्की करनेवाले बाइबल अध्ययन चलानाराज-सेवा—2004 | नवंबर
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तरक्की करनेवाले बाइबल अध्ययन चलाना
भाग 3: आयतों का कुशलता से इस्तेमाल करना
1. बाइबल अध्ययन चलाते वक्त हमें क्यों आयतों पर खास ज़ोर देना चाहिए?
बाइबल अध्ययन चलाने का हमारा मकसद है, ‘चेले बनाना।’ परमेश्वर के वचन की सच्चाइयाँ समझने, कबूल करने और उनके मुताबिक ज़िंदगी जीने में लोगों की मदद करने से हम उन्हें चेला बना सकते हैं। (मत्ती 28:19, 20; 1 थिस्स. 2:13) इसलिए हमें अध्ययन के दौरान बाइबल की आयतों पर खास ज़ोर देना चाहिए। सबसे पहले तो विद्यार्थियों को यह सिखाना अच्छा होगा कि वे अपनी बाइबल में आयतें कैसे ढूँढें। लेकिन आध्यात्मिक तरक्की करने में उनकी मदद करने के लिए हम आयतों का कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं?
2. बाइबल की किन आयतों को पढ़कर उन पर चर्चा करनी चाहिए, इसका फैसला हम कैसे कर सकते हैं?
2 पढ़ने के लिए आयतें चुनिए: अध्ययन की तैयारी करते वक्त, देखिए कि लेख में जिन आयतों का सिर्फ ज़िक्र किया गया है, वे उस मुद्दे से कैसे ताल्लुक रखती हैं जिस पर आप चर्चा करेंगे। फिर तय कीजिए कि अध्ययन के वक्त किन आयतों को पढ़कर उन पर चर्चा करना सही रहेगा। ज़्यादातर ऐसी आयतों को पढ़ना अच्छा रहेगा जो दिखाती हैं कि हम जो विश्वास करते हैं उसकी बुनियाद बाइबल है। ऐसी आयतें पढ़ने की ज़रूरत नहीं जिनमें सिर्फ यह जानकारी दी जाती है कि फलाँ घटना कब-कहाँ हुई थी। हर विद्यार्थी की ज़रूरतों और उसके हालात को ध्यान में रखकर आयतें चुनिए।
3. सवाल पूछने का क्या फायदा है, और यह हम कैसे कर सकते हैं?
3 सवाल पूछिए: बाइबल की आयतों का मतलब खुद ही बता देने के बजाय, विद्यार्थी को समझाने के लिए कहिए। आयतों पर कुशलता से सवाल पूछकर आप विद्यार्थी को उनके बारे में समझाने के लिए उकसा सकते हैं। अगर एक आयत में लिखे शब्दों से ही साफ पता चल जाए कि उसे कैसे लागू करना है, तो आप सिर्फ इतना पूछ सकते हैं कि वह आयत पैराग्राफ में दी गयी जानकारी को कैसे पक्का करती है। दूसरे मामलों में, विद्यार्थी से आयतों के बारे में सीधे-सीधे एक सवाल या फिर कई सवाल पूछना ज़रूरी हो सकता है, ताकि वह सही नतीजे पर पहुँच सके। अगर विद्यार्थी को आयत के बारे में ज़्यादा समझाने की ज़रूरत हो, तो उसके जवाब देने के बाद यह किया जा सकता है।
4. हम जो आयतें पढ़ते हैं, उनके बारे में विद्यार्थी को कितना समझाने की ज़रूरत है?
4 सरलता से समझाइए: एक कुशल तीरंदाज़ को निशाना लगाने के लिए बस एक तीर काफी होता है। उसी तरह, एक अच्छे शिक्षक को किसी मुद्दे पर ज़ोर देने के लिए चंद शब्द काफी होते हैं। वह ढेर सारी बातें नहीं कहता। वह जानकारी को सरल शब्दों में, साफ-साफ और ठीक-ठीक पेश कर सकता है। कभी-कभी शायद एक आयत को खुद समझने और विद्यार्थी को ठीक-ठीक समझाने के लिए आपको मसीही साहित्य में खोजबीन करनी पड़े। (2 तीमु. 2:15) लेकिन अध्ययन में हर आयत का हरेक पहलू समझाने की कोशिश मत कीजिए। सिर्फ उतनी जानकारी दीजिए जितनी कि चर्चा के मुद्दे को समझाने के लिए ज़रूरी है।
5, 6. परमेश्वर के वचन को अपने जीवन में लागू करने के लिए हम विद्यार्थियों की मदद कैसे कर सकते हैं, लेकिन हमें क्या नहीं करना चाहिए?
5 जीवन में लागू करना: जब भी सही लगे, विद्यार्थी को यह समझने में मदद दीजिए कि बाइबल की आयतें उसकी ज़िंदगी पर कैसे लागू होती हैं। मसलन, अगर आप इब्रानियों 10:24, 25 पर किसी ऐसे विद्यार्थी के साथ चर्चा करते हैं, जिसने अब तक मसीही सभाओं में हाज़िर होना शुरू नहीं किया है, तो आप किसी एक सभा के बारे में उसे बता सकते हैं, और फिर उसमें हाज़िर होने के लिए उसे न्यौता दे सकते हैं। लेकिन उस पर दबाव मत डालिए। परमेश्वर के वचन को उस पर असर करने दीजिए ताकि वह यहोवा को मंज़ूर होनेवाला कदम उठा सके।—इब्रा. 4:12.
6 चेले बनाने की ज़िम्मेदारी निभाते वक्त आइए हम आयतों का कुशलता से इस्तेमाल करें, ताकि लोगों को “विश्वास से आज्ञा माननेवाले” बनने का बढ़ावा दे सकें।—रोमि. 16:26.
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पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिएराज-सेवा—2004 | नवंबर
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पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
सजग होइए! अक्टू.-दिसं.
“आपकी राय में क्या बात लोगों को अपने मन से भेद-भाव मिटाने में मदद दे सकती है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर मत्ती 7:12 पढ़िए।] यह पत्रिका बताती है कि भेद-भाव की जड़ें क्या हैं, और हम उन्हें अपने दिल से कैसे उखाड़ फेंक सकते हैं।”
प्रहरीदुर्ग नवं. 15
“ज़्यादातर लोग सेहतमंद रहना और लंबी उम्र पाना चाहते हैं। लेकिन मान लीजिए कि इंसान के लिए हमेशा-हमेशा जीना मुमकिन है, तो क्या आप जीना चाहेंगे? [जवाब के लिए रुकिए। फिर यूहन्ना 17:3 पढ़िए।] बाइबल में हमेशा की ज़िंदगी का जो वादा दिया गया है, उसके बारे में इस पत्रिका में चर्चा की गयी है। इसमें यह भी समझाया गया है कि जब वह वादा पूरा होगा, तो ज़िंदगी कैसी होगी।”
सजग होइए! अक्टू.-दिसं.
“आज दुनिया में भेद-भाव के चलते जो कत्लेआम हो रहे हैं, उनकी खबरें सुनकर ज़रूर आपका दिल दहल जाता होगा। यह सच है कि भेद-भाव की वजह से हमेशा कत्ल नहीं होते, फिर भी क्या आपको नहीं लगता कि इससे लोगों में फूट और नफरत पैदा होती है? [जवाब के लिए रुकिए।] सजग होइए! का यह लेख समझाता है कि भेद-भाव के ऐसे रवैयों को दूर करने के लिए क्या किया जा सकता है।”—मत्ती 7:12 पढ़िए।
प्रहरीदुर्ग दिसं. 1
“सही-गलत में फर्क करने की काबिलीयत एक ऐसी खासियत है जो सिर्फ इंसानों में पायी जाती है, जानवरों में नहीं। लेकिन अफसोस, बहुत-से लोग फिर भी बुरे काम करते हैं। आपके खयाल से इसकी वजह क्या है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर यिर्मयाह 17:9 या प्रकाशितवाक्य 12:9 पढ़िए।] यह पत्रिका समझाती है कि सही क्या है, उसे जानने और करने में कौन-सी बात हमारी मदद कर सकती है।”
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