आज परमेश्वर की करुणा का अनुकरण करें
“हम यहोवा के हाथ में पड़ें, क्योंकि उसकी दया बड़ी है।”—२ शमूएल २४:१४.
१. दाऊद ने परमेश्वर की करुणा के बारे में क्या महसूस किया, और क्यों?
राजा दाऊद को अपने तजर्बे से मालूम था कि यहोवा इंसानों से ज़्यादा करुणामय हैं। इस बात का यक़ीन होने की वजह से कि परमेश्वर के मार्ग, या रास्ते, सबसे बेहतर हैं, दाऊद ने उनके मार्गों के बारे में सीखकर उनकी सच्चाई के रास्ते पर चलना चाहा। (१ इतिहास २१:१३; भजन २५:४, ५) क्या आप दाऊद की तरह महसूस करते हैं?
२. गंभीर पाप से निपटने के बारे में मत्ती १८:१५-१७ में यीशु ने क्या सलाह दी?
२ बाइबल हमें परमेश्वर की विचारणा में अन्तदृष्टि देती है, ऐसे मामलों में भी जैसे कि अगर कोई हमारे ख़िलाफ़ अपराध करे तो हमें क्या करना चाहिए। यीशु ने अपने प्रेरितों से कहा, जो बाद में मसीही अध्यक्ष बनते: “यदि तेरा भाई तेरा अपराध करे, तो जा और अकेले में बातचीत करके उसे समझा; यदि वह तेरी सुने तो तू ने अपने भाई को पा लिया।” यहाँ सम्बद्ध अपराध कोई छोटा-सा व्यक्तिक अपमान न था बल्कि एक गंभीर पाप था, जैसे छल-कपट या मिथ्यापवाद। यीशु ने कहा कि अगर यह क़दम लेने से मामला सुलझ नहीं जाता और अगर गवाह उपलब्ध हों, तो जिस व्यक्ति का अपराध हुआ है, उसे उन्हें यह साबित करने के लिए साथ लेना चाहिए कि क्या कोई अपराध किया गया था या नहीं। क्या यह आख़िर में लिया जानेवाला क़दम है? नहीं। “यदि [पापी] उन की भी न माने, तो कलीसिया से कह दे, परन्तु यदि वह कलीसिया की भी न माने, तो तू उसे अन्यजाति और महसूल लेनेवाले के ऐसा जान।”—मत्ती १८:१५-१७.
३. यीशु के यह कहने का मतलब क्या था, कि पश्चातापहीन अपराधी से “अन्यजाति और महसूल लेनेवाले के ऐसा” बरताव करना था?
३ यहूदी होने की वजह से, प्रेरित समझ जाते कि किसी पापी से “अन्यजाति और महसूल लेनेवाले के ऐसा” बरताव करने का मतलब क्या था। यहूदी अन्यजातीय लोगों के साथ संगति करने से बचे रहते थे और वे उन यहूदियों का तिरस्कार करते जो रोमी महसूल लेनेवालों की हैसियत से काम करते थे।a (यूहन्ना ४:९; प्रेरितों १०:२८) अतः, यीशु शिष्यों को बता रहा था कि अगर मण्डली ने पापी को अस्वीकार किया, तो उन्हें भी उसके साथ संगति करना बन्द कर देना था। फिर भी, यह बात यीशु का महसूल लेनेवालों के साथ कभी-कभी होने से किस तरह संगत हो सकती है?
४. मत्ती १८:१७ में उसके वचनों का विचार करते हुए, यीशु कुछेक महसूल लेनेवालों और पापियों के साथ लेन-देन क्यों रख सका?
४ लूका १५:१ में कहा गया है: “सब चुंगी लेनेवाले और पापी उसके पास आया करते थे ताकि उसकी सुनें।” हर एक महसूल लेनेवाला या पापी वहाँ मौजूद न था, लेकिन “सब” इस अर्थ से है कि अनेक लोग वहाँ मौजूद थे। (लूका ४:४० से तुलना करें।) वे कौन-कौन थे? जो लोग अपनी पापों की माफ़ी चाहते थे। इस से पहले ऐसे कुछ लोग बपतिस्मा देने वाले यहून्ना के पश्चाताप के संदेश की ओर आकर्षित हुए थे। (लूका ३:१२; ७:२९) तो जब अन्य लोग यीशु के पास आए, उसका उन्हें उपदेश देने से मत्ती १८:१७ में दी गयी उसकी सलाह भंग नहीं हुई। यह ग़ौर करें कि ‘बहुत से चुंगी लेनेवालों और पापियों ने [यीशु की सुनी] और वे उसके पीछे हो लिए थे।’ (मरकुस २:१५) ये वे लोग न थे जो किसी भी प्रकार की मदद को अस्वीकार करके, बुरे आचरण करते रहना चाहते थे। उलटा, उन्होंने यीशु का सन्देश सुना और उनके दिल छू गए। अगर वे अब भी पाप कर रहे थे, हालाँकि संभव है कि परिवर्तन करने की कोशिश कर रहे थे, तब भी उनको प्रचार करके “उत्तम चरवाहा” अपने करुणामय पिता का अनुकरण कर रहा था।—यूहन्ना १०:१४, N.W.
माफ़ी, एक मसीही बाध्यता
५. माफ़ी के सम्बन्ध में परमेश्वर की आधारभूत स्थिति क्या है?
५ हमें अपने पिता की माफ़ कर देने की तैयारी के बारे में ये स्नेहपूर्ण आश्ववासन हैं: “यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारी पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है।” “मैं ये बातें तुम्हें इसलिए लिखता हूँ, कि तुम पाप न करो; और यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात् धार्मिक यीशु मसीह।” (१ यूहन्ना १:९; २:१) क्या किसी जाति-बहिष्कृत व्यक्ति के लिए माफ़ी मुमकिन है?
६. किसी जाति-बहिष्कृत व्यक्ति को किस तरह माफ़ किया और बहाल किया जा सकता है?
६ जी हाँ। पश्चातापहीन पाप के लिए किसी व्यक्ति को जाति-बहिष्कृत करने के समय, प्रचीन, जो मण्डली का प्रतिनिधित्व करते हैं, उसे समझाते हैं कि उसके लिए पश्चाताप करना और परमेश्वर की माफ़ी पाना मुमकिन है। वह किंग्डम हॉल में सभाओं में उपस्थित हो सकता है, जहाँ वह ऐसा बाइबल उपदेश सुन सकता है जिस से उसे पश्चाताप करने में मदद होगी। (१ कुरिन्थियों १४:२३-२५ से तुलना करें।) समय आने पर वह स्वच्छ मण्डली में बहाल किए जाने की बिनती कर सकता है। जब प्राचीन उसके साथ मुलाक़ात करते हैं, तो वे यह निर्धारित करने की कोशिश करेंगे कि क्या उसने पश्चाताप करके अपने पापी आचरण को छोड़ दिया है या नहीं। (मत्ती १८:१८) अगर ऐसा है, तो २ कुरिन्थियों २:५-८ में बताए गए उदाहरण के अनुसार, उसे बहाल किया जा सकता है। अगर वह कई सालों से जाति-बहिष्कृत है, तो उसे प्रगति करने के लिए भरसक कोशिश करनी पड़ेगी। उसके बाद भी उसे अपने बाइबल ज्ञान और क़दरदानी को मज़बूत करने के लिए काफ़ी मदद की ज़रूरत होगी, ताकि वह एक आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली मसीही बन जाए।
यहोवा के पास लौटना
७, ८. अपने निर्वासित लोगों के सम्बन्ध में परमेश्वर ने कैसा आदर्श स्थापित किया?
७ पर क्या प्राचीन खुद किसी जाति-बहिष्कृत व्यक्ति के पास जाने की कोई पहल कर सकते हैं? जी हाँ। बाइबल दिखाती है कि करुणा न सिर्फ़ सज़ा न देने के नकारात्मक कार्य से, लेकिन अकसर सकारात्मक कार्यों से व्यक्त की जाती है। हमारे पास यहोवा की मिसाल मौजूद है। अपने बेवफ़ा लोगों को निर्वासन में भेज देने से पहले, उन्होंने भविष्यसूचक रूप से उनके लौटने की सम्भावना पेश की: “हे याकूब, हे इस्राएल, इन बातों को स्मरण कर, तू मेरा दास है। . . . मैं तेरे अपराधों को काली घटा के समान और तेरे पापों को बादल के समान मिटा दूँगा। मेरी ओर फिर लौट आ, क्योंकि मैं तुझे छुड़ा लूँगा।”—यशायाह ४४:२१, २२, N.W.
८ फिर, निर्वासन के दौरान, यहोवा ने और अधिक क़दम लेकर, एक सकारात्मक रूप से कार्य किया। उन्होंने अपने प्रतिनिधि, अपने भविष्यद्वक्ताओं को इस्राएल के पास उन्हें आमंत्रित करने के लिए भेजा ताकि वे ‘उसे ढूँढ़ें और पाए।’ (यिर्मयाह २९:१, १०-१४) यहेज़केल ३४:१६ में, उन्होंने अपनी तुलना एक चरवाहे से और इस्राएल की जाति की तुलना खोयी हुई भेड़ों से की: “मैं खोई हुई को ढूँढ़ूँगा, और निकाली हुई को फेर लाऊँगा।” यिर्मयाह ३१:१० में भी, यहोवा ने उनका इस्राएलियों के लिए एक चरवाहा होने का सजीव चित्रिण किया। नहीं, उन्होंने अपना चित्रण एक ऐसे चरवाहे के तौर से नहीं किया जो भेड़शाला के पास खोई हुई के लौटने की राह देख रहा है, बल्कि उन्होंने अपने आप को एक ऐसे चरवाहे के तौर से दर्शाया जो खोई हुई को ढूँढ़ता है। यह भी ग़ौर करें कि उस समय भी जब आम लोग पश्चातापहीन और निर्वासित थे, परमेश्वर ने उनकी वापसी के लिए कोशिशें शुरू कीं। और मलाकी ३:६ के अनुसार, परमेश्वर मसीही प्रबन्ध में अपने व्यवहार को नहीं बदलते।
९. मसीही मण्डली में परमेश्वर के आदर्श का अनुकरण किस तरह किया गया?
९ क्या इस से सूचित नहीं होता कि ऐसे कुछ लोगों की ओर कुछ क़दम उठाने की पहल करने के लिए कारण हो सकता है, जो जाति-बहिष्कृत हैं और जो अब पश्चाताप कर चुके हैं? यह याद रखें कि प्रेरित पौलुस ने बुरे आदमी को कुरिन्थ की मण्डली से निकालने का आदेश दिया था। बाद में उसने मण्डली को उस आदमी के पश्चाताप के कारण, जिसके परिणामस्वरूप उसे बाद में मण्डली में बहाल किया गया, उसके प्रति अपने प्रेम का प्रमाण देने के लिए प्रोत्साहन दिया।—१ कुरिन्थियों ५:९-१३; २ कुरिन्थियों २:५-११.
१०. (अ) कुछेक जाति-बहिष्कृत लोगों से संपर्क करने की कोशिशों की प्रेरणा क्या होनी चाहिए? (ब) मसीही रिश्तेदार संपर्क करने की पहल क्यों नहीं करते?
१० पहले उद्धृत किए गए विश्वकोश में बताया गया: ‘बहिष्कार का बुनियादी तर्काधार समूह के मानकों को सुरक्षित रखना था: “थोड़ा सा खमीर पूरे गूँधे हुए आटे को खमीर कर देता है” (१ कुरि. ५:६)। अधिकांश बाइबलीय और अतिरिक्त प्रामाणिक धर्मग्रंथ संग्रह के सूत्रों में स्पष्ट है, लेकिन बहिष्करण के बाद भी, व्यक्ति के लिए परवाह २ कुरि. २:७-१० में पौलुस की बिनती का आधार था।’ (तिरछे टाइप हमारे।) इसलिए, तर्कसंगत रूप से इस तरह की परवाह आज झुण्ड के चरवाहों द्वारा दिखायी जानी चाहिए। (प्रेरितों २०:२८; १ पतरस ५:२) भूतपूर्व दोस्त और रिश्तेदार शायद आशा करेंगे कि एक जाति-बहिष्कृत व्यक्ति लौट आए; फिर भी १ कुरिन्थियों ५:११ में दिए आदेश के लिए आदरभाव से, वे एक निष्कासित व्यक्ति से मेल-जोल नहीं रखते।b ऐसा व्यक्ति लौटना चाहता है या नहीं देखने के लिए वे पहल करने की ज़िम्मेदारी नियुक्त चरवाहों पर ही छोड़ देते हैं।
११, १२. किस तरह के निष्कासित लोगों से प्राचीन भी संपर्क करना नहीं चाहेंगे, लेकिन वे किस तरह के लोगों से मुलाक़ात कर सकते हैं?
११ कुछेक निष्कासित व्यक्तियों की ओर पहल करना प्राचीनों के लिए भी उपयुक्त न होगा, जैसे धर्मत्यागी, जो ‘चेलों को अपने पीछे खींच लेने को टेढ़ी-मेढ़ी बातें कहते हैं।’ ये ‘झूठे उपदेशक हैं जो नाश करनेवाले पंथों को ले आने और नक़ली बातें कहकर मण्डली से अनुचित लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं।’ (प्रेरितों २०:३०; २ पतरस २:१, ३) बाइबल ऐसे जाति-बहिष्कृत व्यक्तियों को खोज निकालने के लिए भी कोई आधार नहीं देती जो युद्ध करने को तैयार हैं या जो सक्रिय रूप से अपराध प्रोत्साहित करते हैं।—२ थिस्सलुनीकियों २:३; १ तीमुथियुस ४:१; २ यूहन्ना ९-११; यहूदा ४, ११.
१२ परन्तु, अनेक निष्कासित व्यक्ति वैसे नहीं हैं। किसी ने उस गंभीर पाप को छोड़ दिया होगा जिसकी वजह से उसे जाति-बहिष्कृत किया गया था। एक और शायद तमाख़ू इस्तेमाल कर रहा था, या अतीत में वह शायद ज़्यादा शराब पी रहा था, लेकिन अब वह दूसरों को अपराध में ले जाने की कोशिश नहीं कर रहा है। यह भी याद करें कि इस से भी पहले कि निर्वासित इस्राएल जाति परमेश्वर की ओर लौट आयी, परमेश्वर ने उन्हें वापस आने का प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिनिधियों को भेजा। बाइबल यह नहीं कहती कि क्या पौलुस या कुरिन्थ की मण्डली के अन्य प्राचीनों ने उस जाति-बहिष्कृत आदमी को मिलने की पहल की या नहीं। जब उस आदमी ने पश्चाताप करके अपनी अनैतिकता बन्द कर दी, पौलुस ने मण्डली को उसे बहाल करने का आदेश दिया।
१३, १४. (अ) कुछेक व्यक्ति करुणामय पहलों के प्रति अनुकूल प्रतिक्रिया दिखाएँगे, यह किस बात से सूचित होता है? (ब) प्राचीनों का वर्ग किस तरह संपर्क करने का प्रबन्ध कर सकते हैं?
१३ हाल के समय में ऐसे उदाहरण रहे हैं जहाँ प्राचीन संयोगवश किसी जाति-बहिष्कृत व्यक्ति से मिला है।c जहाँ उचित था, चरवाहे ने बहाली के लिए कौनसे क़दम लेने हैं, उनकी रूप-रेखा बता दी। इस व्यक्ति की तरह कुछ लोगों ने मन फिराया और उन्हें बहाल कर दिया गया। ऐसे आनन्दित परिणामों से सूचित होता है कि कुछ जाति-बहिष्कृत या स्वेच्छा से वियोजित लोग होंगे जो चरवाहों द्वारा किए गए एक करुणामय प्रस्ताव की ओर अनुकूल प्रतिक्रिया दिखाएँगे। लेकिन प्राचीन इस मामले से किस तरह निपट सकेंगे? कम से कम साल में एक बार, प्राचीनों के वर्ग को इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या उनके क्षेत्र में ऐसे लोग रह रहे हैं या नहीं।d प्राचीन उन लोगों पर ध्यान केंद्रित करेंगे जो एक साल से ज़्यादा समय से जाति-बहिष्कृत रहे हैं। परिस्थितियों के अनुसार, अगर यह उचित हो, तो वे दो प्राचीनों को (आशा की जाती है कि ये वे दो होंगे जो इस परिस्थिति से वाक़िफ़ हैं), ऐसे व्यक्ति से मुलाक़ात करने का भार सौंपेंगे। ऐसे किसी व्यक्ति से मुलाक़ात नहीं की जाएगी जो एक समालोचक, ख़तरनाक़ मनोवृत्ति दर्शाते हैं या जिन्होंने यह बता दिया है कि उन्हें कोई मदद की ज़रूरत नहीं।—रोमियों १६:१७, १८; १ तीमुथियुस १:२०; २ तीमुथियुस २:१६-१८.
१४ दो प्राचीन छोटी-सी मुलाक़ात करने के लिए टेलिफोन कर सकते हैं, या वे किसी उचित समय को वहाँ जा सकते हैं। मुलाक़ात के दौरान, उन्हें सख़्त या उदासीन होने की ज़रूरत नहीं, बल्कि अपनी करुणामय परवाह को स्नेहपूर्ण रूप से प्रतिबिंबित करना चाहिए। गत मामले पर पुनर्विचार करने के बजाय, वे यशायाह १:१८ और ५५:६, ७ और याकूब ५:२० जैसे बाइबल आयतों पर विचार-विमर्श कर सकते हैं। अगर वह व्यक्ति परमेश्वर के झुण्ड में वापस आना चाहता है, तो वे दयालुता से उसे समझा सकते हैं कि उसे कौनसे क़दम लेने चाहिए, जैसे बाइबल और वॉच टावर सोसाइटी के प्रकाशन पढ़ना और किंग्डम हॉल में सभाओं में उपस्थित होना।
१५. किसी जाति-बहिष्कृत व्यक्ति के साथ संपर्क करने में प्राचीनों को किस बात को ध्यान में रखना चाहिए?
१५ इन प्राचीनों को बुद्धि और विवेक की भी ज़रूरत होगी, यह तै करने के लिए कि क्या पश्चाताप का कोई संकेत है और क्या फिर से मुलाक़ात करना उपयुक्त होगा या नहीं। बेशक, उन्हें ध्यान में रखना चाहिए कि कुछ जाति-बहिष्कृत व्यक्तियों को कभी ‘मन फिराने के लिए नया’ नहीं बनाया जा सकेगा। (इब्रानियों ६:४-६; २ पतरस २:२०-२२) मुलाक़ात के बाद, ये दो प्राचीन मण्डली की सेवा कमेटी को एक संक्षिप्त ज़बानी वर्णन देंगे। पारी से, वे उनकी अगली सभा में प्राचीनों के वर्ग को सूचित करेंगे। प्राचीनों की करुणामय पहल से परमेश्वर का यह दृष्टिकोण प्रतिबिंबित हो चुका होगा: “‘तुम मेरी ओर फिरो, तब मैं भी तुम्हारी ओर फिरूँगा,’ सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।”—मलाकी ३:७.
अन्य करुणामय सहायता
१६, १७. किसी जाति-बहिष्कृत व्यक्ति के मसीही रिश्तेदारों के बारे में हमें कैसा दृष्टिकोण रखना चाहिए?
१६ हम में से उन लोगों के बारे में क्या जो अध्यक्ष नहीं हैं और इसलिए जाति-बहिष्कृत व्यक्तियों की ओर ऐसी पहल नहीं कर रहे होंगे? इस प्रबन्ध से संगत और यहोवा के अनुकरण में हम क्या कर सकते हैं?
१७ जब तक कोई व्यक्ति जाति-बहिष्कृत या स्वेच्छा से वियोजित व्यक्ति है, हमें इस आदेश का पालन करने की ज़रूरत है: “यदि कोई भाई कहलाकर, व्यभिचारी, या लोभी, या मूर्तिपूजक, या गाली देनेवाला, या पियक्कड़, या ज़बरदस्ती पैसा ऐंठनेवाला हो, तो उस की संगति मत करना; बरन ऐसे मनुष्य के साथ खाना भी न खाना।” (१ कुरिन्थियों ५:११) लेकिन इस बाइबलीय आदेश से उस परिवार के मसीही सदस्यों के बारे में, जो जाति-बहिष्कृत व्यक्ति के साथ रहते हैं, हमारे नज़रिए पर असर होना नहीं चाहिए। प्राचीन यहूदी महसूल लेनेवालों के प्रति इतनी ज़बरदस्त प्रतिक्रिया दिखाते थे कि उनकी घृणा ने महसूल लेनेवाले के परिवार को भी समाविष्ट किया। यीशु ने इसका समर्थन नहीं किया। उसने कहा कि जो पापी मदद अस्वीकार करता, उसके साथ “अन्यजाति और महसूल लेनेवाले के ऐसा” बरताव किया जाना चाहिए था; उसने नहीं कहा कि उसके परिवार के मसीही सदस्यों से इस तरह का बरताव करना था।—मत्ती १८:१७.
१८, १९. किसी निष्कासित व्यक्ति के विश्वसनीय रिश्तेदारों के प्रति हमें अपनी मसीहियत को दर्शाने के कुछेक तरीक़े क्या हैं?
१८ हमें परिवार के उन सदस्यों का ख़ास तौर से समर्थन करना चाहिए जो विश्वसनीय मसीही हैं। वे शायद पहले से ही एक निष्कासित व्यक्ति के साथ घर में रहने के दुःख और बाधाओं का सामना कर रहे होंगे, जो कि वास्तव में उनकी आध्यात्मिक कार्यों को निरुत्साहित कर रहा हो। वह शायद मसीहियों का घर पर आना पसन्द नहीं करेगा; या अगर वे परिवार के वफ़ादार सदस्यों से मिलने आते भी हैं, तो वह शायद मेहमानों से दूर रहने की भद्रता नहीं दिखाएगा। वह शायद सभी मीटिंगों और सभाओं में जाने के लिए परिवार की कोशिशों में बाधा डालेगा। (मत्ती २३:१३ से तुलना करें।) इस तरह प्रतिकूल परिस्थिति में रहनेवाले मसीही सचमुच ही हमारी करुणा के योग्य हैं।—२ कुरिन्थियों १:३, ४.
१९ हम एक और रीति से कोमल करुणा दिखा सकते हैं, और वह ‘दिलासा से बात करने’ तथा परिवार में रहनेवाले ऐसे विश्वसनीय लोगों के साथ प्रोत्साहक बातचीत करने के द्वारा है। (१ थिस्सलुनीकियों ५:१४) सभाओं से पहले और उनके बाद, क्षेत्र सेवा में, या अन्य समय जब हम साथ होते हैं, समर्थन देने के लिए भी उत्तम मौक़े हैं। हमें जाति-बहिष्कार का ज़िक्र करने की ज़रूरत नहीं लेकिन हम अनेक प्रोत्साहक बातों पर विचार-विमर्श कर सकते हैं। (नीतिवचन २५:११; कुलुस्सियों १:२-४) जबकि प्राचीन परिवार में रहनेवाले मसीहियों की चरवाही करते रहेंगे, हम शायद पाएँगे कि हम भी निष्कासित व्यक्ति से कोई लेन-देन रखे बिना उनके घर जा सकते हैं। अगर जब हम टेलीफोन करते हैं और संयोगवश जाति-बहिष्कृत व्यक्ति उसे उठाता है, तो हम उस मसीही रिश्तेदार का नाम बता सकते हैं जिनसे हम बात करना चाहते हैं। कभी-कभी परिवार के मसीही सदस्य मेल-जोल के लिए शायद हमारे घर आने का निमंत्रण स्वीकार कर सकेंगे। बात यही है: वह—बूढ़े और जवान—हमारे संगी दास हैं, परमेश्वर की मण्डली के प्रिय सदस्य, उन्हें अलग नहीं रखना है।—भजन १०:१४.
२०, २१. अगर किसी व्यक्ति को बहाल किया जाता है, तो हमें किस तरह महसूस करना और बरताव करना चाहिए?
२० करुणा दिखाने का एक और क्षेत्र तब खुलता है जब निष्कासित व्यक्ति को बहाल किया जाता है। यीशु के दृष्टान्त स्वर्ग में होनेवाले आनन्द को विशिष्ट करते हैं, जब ‘एक पापी मन फिराता’ है। (लूका १५:७, १०) पौलुस ने कुरिन्थियों को उस आदमी के बारे में लिखा जिसे जाति-बहिष्कृत किया गया था: “उसका अपराध क्षमा करो; और शान्ति दो, न हो कि ऐसा मनुष्य बहुत उदासी में डूब जाए। इस कारण मैं तुम से बिनती करता हूँ, कि उस को अपने प्रेम का प्रमाण दो।” (२ कुरिन्थियों २:७, ८) व्यक्ति के बहाल किए जाने के बाद के दिनों और हफ़्तों में आइए हम उस सलाह पर संजीदगी और प्रेम से अमल करें।
२१ खोए हुए बेटे के बारे में यीशु के दृष्टान्त में एक ऐसे ख़तरे के बारे में बताया गया है जिस से हमें दूर रहना चाहिए। बड़े भाई ने खोए हुए के लौटने पर खुशी नहीं मनायी बल्कि नाराज़ रहा। हम वैसे न हों, किसी भूतपूर्व अपराध के कारण दुर्भावना रखते हुए या व्यक्ति के बहाल किए जाने के कारण कुढ़ते हुए। उलटा, हमारा लक्ष्य उस पिता की तरह होना है, जिसने यहोवा की प्रतिक्रिया को सचित्र किया। पिता खुश था कि उसका बेटा, जो खोया हुआ था और तक़रीबन मरे हुए के जैसे था, मिल गया, या ज़िन्दा हो गया। (लूका १५:२५-३२) तदनुसार, हम बहाल किए गए भाई से अबाध रूप से बातें करेंगे और अन्य रूप से उसे प्रोत्साहित करेंगे। जी हाँ, हमें यह ज़ाहिर करना चाहिए हम हम अपने माफ़ करनेवाले और करुणामय स्वर्ग के पिता के समान करुणा दिखा रहे हैं।—मत्ती ५:७.
२२. हमारा यहोवा परमेश्वर का अनुकरण करने में क्या शामिल है?
२२ इस बात का कोई सवाल ही नहीं कि अगर हम अपने परमेश्वर का अनुकरण करना चाहते हैं, तो हमें उनके आदेशों और न्याय के अनुसार करुणा दिखानी चाहिए। भजनकार उनका वर्णन इस तरह करता है: “यहोवा अनुग्रहकारी और दयालु, विलम्ब से क्रोध करनेवाला और अति करुणामय है। यहोवा सभों के लिए भला है, और उसकी दया उसकी सारी सृष्टि पर है।” (भजन १४५:८, ९) मसीहियों को अनुकरण करने के लिए यह कैसा प्रेम-भरा नमूना है!
[फुटनोट]
a कई कारणों से पलिश्तीन की यहूदी जनता महसूल लेनेवालों को ख़ास तौर से तुच्छ समझती थी: (१) उन्होंने उस विदेशी ताक़त के लिए पैसा वसूल किया, जो इस्राएल की भूमि पर अधिकार कर रही थी, और इस प्रकार अप्रत्यक्ष रूप से इस घोर अपमान को समर्थन कर रहे थे; (२) उनकी बेईमानी मशहूर थी, और वे अपनी ही क़ौम के अन्य लोगों की क़ीमत पर धनवान् बनते जा रहे थे; तथा (३) उनके काम के सिलसिले में उन्हें अन्यजातीय लोगों से नियमित रूप से संपर्क करना पड़ता था, जिस कारण वे आनुष्ठानिक रूप से अशुद्ध बन जाते थे। महसूल लेनेवालों के प्रति तिरस्कार दोनों न[ए] नि[यम] और रब्बियों के साहित्य में पाया जाता है . . . अवरोक्त सूत्रों के अनुसार, घृणा महसूल लेनेवाले के परिवार को भी दिखायी जानी थी।”—दी इंटरनॅशनल् स्टॅन्डर्ड बाइबल एन्साइक्लोपीडिया.
b अगर किसी मसीही परिवार में कोई जाति-बहिष्कृत रिश्तेदार मौजूद हो, तो वह व्यक्ति अब भी सामान्य, रोज़मर्रा पारीवारिक लेन-देन और कार्यों का एक हिस्सा होगा। इस में शायद एक परिवार के रूप में आध्यात्मिक अध्ययन-विषय पर विचार करने के समय मौजूद होना सम्मिलित होगा।—नवम्बर १५, १९८८, के द वॉचटावर, पृष्ठ १९-२० देखें।
c १९९१ यरबुक ऑफ जेहोवाज़ विट्नेसिज़, पृष्ठ ५३-४ देखें।
d अगर कोई गवाह, घर-घर के प्रचार कार्य में या किसी दूसरी रीति से, जान जाता है कि एक जाति-बहिष्कृत व्यक्ति क्षेत्र में रहता है, तो उसे वह जानकारी प्राचीनों को देनी चाहिए।
क्या आपने इन बातों पर ग़ौर किया?
◻ यहूदियों ने महसूल लेनेवालों और पापियों के साथ कैसा सुलूक किया, लेकिन यीशु ने ऐसे ही कुछ लोगों के साथ लेन-देन क्यों रखा?
◻ अनेक खोए हुओं के प्रति ली जानेवाली करुणामय पहल के लिए कौनसा धर्मशास्त्रीय आधार है?
◻ प्राचीनों के वर्ग ऐसी पहल किस तरह कर सकते हैं, और किन की ओर?
◻ हमें बहाल किए गए लोगों और जाति-बहिष्कृत लोगों के परिवारों के प्रति करुणा क्यों दिखानी चाहिए?
[पेज 19 पर बक्स]
जो व्यक्ति किसी समय परमेश्वर के स्वच्छ और आनन्दित मण्डली का एक हिस्सा था लेकिन जो अब जाति-बहिष्कृत या स्वेच्छा से वियोजित है, उसे ऐसी अवस्था में रहने की ज़रूरत नहीं। उलटा, वह मन फिरा सकता है और मण्डली के प्राचीनों के साथ संवाद कर सकता है। लौटने का रास्ता खुला है।
[पेज 20 पर चित्र का श्रेय]
Garo Nalbandian