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  • मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
  • मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले—2018
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  • 1-7 जनवरी
  • 8-14 जनवरी
  • 15-21 जनवरी
  • 22-28 जनवरी
  • 29 जनवरी–4 फरवरी
मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले—2018
mwbr18 जनवरी पेज 1-8

मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले

1-7 जनवरी

पाएँ बाइबल का खज़ाना | मत्ती 1-3

“स्वर्ग का राज पास आ गया है”:

अ.बाइ. मत 3:1, 2 अध्ययन नोट

प्रचार करने लगा: इसके यूनानी शब्द का बुनियादी मतलब है, “लोगों को सरेआम संदेश सुनाना।” इससे संदेश सुनाने का तरीका पता चलता है और वह है, सरेआम सब लोगों को संदेश सुनाना, न कि एक समूह को उपदेश देना।

राज: यूनानी शब्द बसिलीया पहली बार इसी आयत में आता है। इसका मतलब सिर्फ एक राज नहीं बल्कि राजा का शासन-क्षेत्र और उसकी प्रजा भी है। शब्द बसिलीया मसीही यूनानी शास्त्र में 162 बार आया है। इनमें से 55 बार मत्ती की किताब में आया है और ज़्यादातर यह परमेश्‍वर के राज के लिए इस्तेमाल हुआ है, जो स्वर्ग में है। मत्ती ने “राज” शब्द इतनी बार इस्तेमाल किया कि उसकी किताब को राज की खुशखबरी की किताब कहा जा सकता है।

स्वर्ग का राज: इनके यूनानी शब्द मत्ती की किताब में करीब 30 बार आते हैं। ये शब्द खुशखबरी की दूसरी किताबों में नहीं आते। जिन ब्यौरों में मत्ती ने ये शब्द इस्तेमाल किए, उन्हीं ब्यौरों को जब मरकुस और लूका ने लिखा, तो उन्होंने ‘परमेश्‍वर का राज’ शब्द इस्तेमाल किए। इससे पता चलता है कि ‘परमेश्‍वर का राज’ स्वर्ग में है और वहीं से हुकूमत करता है।​—मत 21:43; मर 1:15; लूक 4:43; दान 2:44; 2ती 4:18.

पास आ गया है: यानी स्वर्ग के राज का होनेवाला राजा बहुत जल्द प्रकट होता।

अ.बाइ. मत 3:4 तसवीर

यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले की वेश-भूषा

यूहन्‍ना ऊँट के बालों से बुनकर तैयार किया गया कपड़ा पहनता था और कमर पर चमड़े का एक ऐसा पट्टा बाँधता था, जिसमें छोटी-छोटी चीज़ें रखी जा सकती थीं। भविष्यवक्‍ता एलियाह का पहनावा भी कुछ इसी तरह का था। (2रा 1:8) ऊँट के बालों का बना कपड़ा खुरदरा होता था और इसे ज़्यादातर गरीब लोग पहनते थे, जबकि अमीर लोग रेशम या मलमल से बने मुलायम कपड़े पहनते थे। (मत 11:7-9) यूहन्‍ना जन्म से एक नाज़ीर था, इसलिए उसके बाल कभी काटे नहीं गए होंगे। शायद उसकी वेश-भूषा देखते ही पता चलता था कि उसका जीवन सादा था और वह परमेश्‍वर के काम में ही लगा रहता था।

टिड्डियाँ

बाइबल में बतायी “टिड्डियाँ” किसी भी किस्म की टिड्डियाँ हो सकती हैं, जिनमें छोटी-छोटी संवेदी शृंगिकाएँ (एन्टिना) होती हैं, खासकर वे टिड्डियाँ जिनके बड़े-बड़े झुंड एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं। यरूशलेम में की गयी एक खोज के मुताबिक वीराने में पायी जानेवाली टिड्डियों में 75 प्रतिशत प्रोटीन होता है। आज जो लोग इन्हें खाते हैं, वे उनके सिर, पैर, पंख और पेट निकालकर फेंक देते हैं। बाकी के हिस्से यानी सीने को कच्चा या पकाकर खाया जाता है। कहा जाता है कि इनका स्वाद झींगे या केकड़े जैसा होता है और इनमें बहुत प्रोटीन होता है।

जंगली शहद

यहाँ तसवीर में (1) जंगली मधुमक्खियों का एक छत्ता और (2) शहद से भरा एक मधुकोष दिखाया गया है। यूहन्‍ना जो शहद खाता था, वह शायद एपिस मेलिफेरा सिरियाका नाम की जंगली मधुमक्खियों का बनाया शहद था। इस किस्म की मधुमक्खियाँ बहुत ज़्यादा हमलावर होती हैं और यहूदा के वीराने में पायी जाती हैं। ये मरुभूमि के उस गरम और सूखे मौसम में भी रह लेती हैं, मगर मधुमक्खी पालन में इस प्रजाति का इस्तेमाल मुनासिब नहीं होता। यरदन घाटी के एक इलाके में, जो पुराने ज़माने में शहरी इलाका था (आज का टेल रिहोव), मधुमक्खी के छत्तों के कई सारे पुराने टुकड़े मिले हैं। ये करीब ईसवी सन्‌ नौवीं सदी के हैं। उस ज़माने में इसराएल के लोग शहद इकट्ठा करने के लिए मिट्टी के बेलनाकार बरतनों में एक अलग प्रजाति की मधुमक्खियाँ रखते थे। ये शायद उस इलाके से लायी गयी थीं, जिसे आज तुर्की कहा जाता है।

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अ.बाइ. मत 1:3 अध्ययन नोट

तामार: मत्ती की किताब में मसीहा की वंशावली में जिन पाँच औरतों का ज़िक्र किया गया है, उनमें पहला नाम तामार का है। बाकी चार औरतें हैं, राहाब और रूत जो इसराएली नहीं थीं (आय. 5); “उरियाह की पत्नी” बतशेबा (आय. 6) और मरियम (आय. 16)। हालाँकि इस वंशावली में ज़्यादातर आदमियों के नाम हैं, लेकिन इन औरतों के नाम शायद इसलिए दिए गए हैं क्योंकि वे अनोखे तरीके से यीशु की पुरखिन बनीं।

अ.बाइ. मत 3:11 अध्ययन नोट

तुम्हें . . . बपतिस्मा देता हूँ: या “डुबकी लगवाता हूँ।” यूनानी शब्द बपटाइज़ो का मतलब है “गोता लगाना।” बाइबल को समझानेवाली दूसरी किताबें बताती हैं कि बपतिस्मे में पानी के अंदर पूरी तरह जाना शामिल है। एक बार यूहन्‍ना सालीम के पास यरदन घाटी में लोगों को बपतिस्मा दे रहा था “क्योंकि वहाँ बहुत पानी था।” (यूह 3:23) जब फिलिप्पुस इथियोपिया के खोजे को बपतिस्मा देनेवाला था तो “वे दोनों पानी में उतरे।” (प्रेष 8:38) यूनानी शब्द बपटाइज़ो ही सेप्टुआजेंट में 2रा 5:14 में इस्तेमाल हुआ है, जहाँ बताया गया है कि नामान ने ‘यरदन नदी में सात बार डुबकी लगायी।’

8-14 जनवरी

पाएँ बाइबल का खज़ाना | मत्ती 4-5

“यीशु के पहाड़ी उपदेश से मिलनेवाली सीख”

अ.बाइ. मत 5:3 अध्ययन नोट

सुखी: यूनानी शब्द माकारियोस। इसका मतलब सिर्फ खुश होना नहीं है, जैसे कोई मौज-मस्ती करते वक्‍त महसूस करता है। इसके बजाय जब एक इंसान को सुखी कहा गया है, तो उसका मतलब है कि उस पर परमेश्‍वर की आशीष और मंज़ूरी है। यही यूनानी शब्द परमेश्‍वर के बारे में और स्वर्ग में महिमा पाए यीशु के बारे में बताने के लिए इस्तेमाल हुआ है।​—1ती 1:11; 6:15.

जिनमें परमेश्‍वर से मार्गदर्शन पाने की भूख है: जिस यूनानी शब्द का अनुवाद ‘जिनमें भूख है’ किया गया है, उसका शाब्दिक मतलब है, “जो गरीब (ज़रूरतमंद; कंगाल; भिखारी) हैं।” इस आयत में यह यूनानी शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल हुआ है, जिन्हें किसी चीज़ की ज़रूरत है और उन्हें इस बात का पूरा एहसास है। लूक 16:20, 22 में यही शब्द लाज़र नाम के “भिखारी” के लिए इस्तेमाल हुआ है। “जिनमें परमेश्‍वर से मार्गदर्शन पाने की भूख है,” इस वाक्य के लिए इस्तेमाल हुए यूनानी शब्दों को कुछ अनुवादों में “जो दिल के गरीब हैं” लिखा गया है। इसका मतलब है, ऐसे लोग जिन्हें इस बात का ज़बरदस्त एहसास है कि उनका परमेश्‍वर के साथ कोई रिश्‍ता नहीं है और उनमें परमेश्‍वर से मार्गदर्शन पाने की भूख है।

अ.बाइ. मत 5:7 अध्ययन नोट

दयालु: बाइबल में शब्द “दयालु” और “दया” का मतलब सिर्फ किसी को माफ करना या सज़ा कम करना नहीं है। इनमें अकसर करुणा की भावना और तरस खाना भी शामिल होता है। ये गुण एक इंसान को ज़रूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए उभारते हैं।

अ.बाइ. मत 5:9 अध्ययन नोट

जो शांति कायम करते हैं: ऐसे लोग न सिर्फ शांति बनाए रखते हैं, बल्कि जहाँ शांति नहीं है, वहाँ शांति कायम करने की कोशिश भी करते हैं।

प्र07 12/1 पेज 17

अपने बच्चे को मेल-मिलाप करना सिखाइए

मसीही माता-पिता अपने बच्चों को ‘शांति ढूँढ़ने और उसका पीछा करने’ की तालीम देने में गहरी दिलचस्पी लेते हैं। (1 पतरस 3:11, NHT) माना कि शक, निराशा और नफरत जैसी बुरी भावनाओं पर काबू पाना और शांति बनाए रखना काफी मेहनत का काम है। मगर इससे जो खुशी मिलती है, उसके आगे यह मेहनत तो कुछ भी नहीं।

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अ.बाइ. मत 4:9 अध्ययन नोट

बस एक बार . . . मेरी उपासना करे: जिस यूनानी क्रिया का अनुवाद ‘उपासना करना’ किया जा सकता है, वह इस आयत में यूनानी में एओरिस्ट काल में लिखी गयी है। इस काल से पल-भर के लिए होनेवाले किसी काम का पता चलता है। यहाँ इस क्रिया का अनुवाद ‘बस एक बार मेरी उपासना करे’ किया गया है। इससे पता चलता है कि शैतान यीशु को “बस एक बार” उसकी उपासना करने के लिए कह रहा था, न कि लगातार करते रहने के लिए।

अ.बाइ. मत 4:23 अध्ययन नोट

सिखाता और . . . प्रचार करता रहा: सिखाने और प्रचार करने में फर्क है। प्रचार करने का मतलब है संदेश सुनाना, जबकि सिखाने में हिदायतें देना, समझाना, दलीलें देकर कायल करना और सबूत देना भी शामिल है।

15-21 जनवरी

पाएँ बाइबल का खज़ाना | मत्ती 6-7

“पहले राज की खोज में लगे रहिए”

सिखाती है पेज 178 पै 12

प्रार्थना—एक बड़ा सम्मान

12 हमें खास किन बातों के बारे में प्रार्थना करनी चाहिए? यहोवा और उसकी मरज़ी के बारे में। यहोवा ने हमारे लिए जो कुछ किया है, इसके लिए हमें दिल से उसका धन्यवाद करना चाहिए। (1 इतिहास 29:10-13) जब यीशु धरती पर था तब उसने अपने चेलों को इन्हीं बातों के बारे में प्रार्थना करना सिखाया था। (मत्ती 6:9-13 पढ़िए।) जैसे परमेश्‍वर का नाम पवित्र किया जाए, उसका राज आए और धरती पर उसकी मरज़ी पूरी हो। यीशु ने कहा था कि इन ज़रूरी बातों के बारे में प्रार्थना करने के बाद ही हमें खुद की ज़रूरतों के बारे में प्रार्थना करनी चाहिए। जब हम यहोवा और उसकी मरज़ी के बारे में सबसे पहले प्रार्थना करते हैं, तब हम दिखाते हैं कि हम इन बातों को सबसे ज़्यादा अहमियत देते हैं।

अ.बाइ. मत 6:24 अध्ययन नोट

दास . . . सेवा: दास का आम तौर पर एक ही मालिक होता है। यीशु यहाँ कह रहा था कि ऐसा नहीं हो सकता कि एक मसीही, परमेश्‍वर की भक्‍ति भी करे और सुख-सुविधा की चीज़ें बटोरने में भी लगा रहे, क्योंकि सिर्फ परमेश्‍वर को हमारी भक्‍ति पाने का हक है।

अ.बाइ. मत 6:33 अध्ययन नोट

खोज में लगे रहो: यहाँ इस्तेमाल हुई यूनानी क्रिया से लगातार किए जानेवाले काम का पता चलता है। ऐसा नहीं है कि यीशु के सच्चे चेलों को सिर्फ कुछ वक्‍त के लिए राज की खोज करनी है और फिर वे दूसरे कामों में लग सकते हैं। इसके बजाय उन्हें हमेशा इसे ज़िंदगी में पहली जगह देनी है।

उसके राज: “उसके” का मतलब है परमेश्‍वर, जिसे मत 6:32 में ‘स्वर्ग में रहनेवाला पिता’ कहा गया है। कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में लिखा है, “परमेश्‍वर के राज।”

नेक स्तरों: जो लोग परमेश्‍वर के नेक स्तरों की खोज करते हैं, वे खुशी-खुशी उसकी मरज़ी पूरी करते हैं और सही-गलत के बारे में उसके स्तरों पर चलते हैं। लेकिन फरीसियों की शिक्षा इससे एकदम अलग थी। नेक काम कौन-से हैं और कौन-से नहीं, इसके लिए वे अपने ही स्तर ठहराते थे।​—मत 5:20.

प्र16.07 पेज 12 पै 18

राज की खोज कीजिए, चीज़ों की नहीं

18 मत्ती 6:33 पढ़िए। अगर हम ज़िंदगी में परमेश्‍वर के राज को पहली जगह दें, तो यहोवा हमारी हर ज़रूरत पूरी करेगा। यीशु ने समझाया कि हम क्यों इस वादे पर यकीन कर सकते हैं। उसने कहा, “तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है कि तुम्हें इन सब चीज़ों की ज़रूरत है।” यहोवा तो हमसे भी पहले यह जानता है कि हमारी क्या ज़रूरतें हैं। (फिलि. 4:19) वह जानता है कि आपका कौन-सा कपड़ा अब और काम नहीं आएगा। वह यह भी जानता है कि आपको किस तरह का खाना चाहिए। वह जानता है कि आपको और आपके परिवार को रहने की जगह चाहिए। यहोवा आपको वह हर चीज़ देगा, जिसकी आपको सच में ज़रूरत है।

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प्र14 5/15 पेज 14-15 पै 14-16

प्रचार करते वक्‍त सुनहरे नियम पर अमल कीजिए

14 कल्पना कीजिए कि कोई आपको फोन करता है, मगर आप उसकी आवाज़ नहीं पहचानते। वह एक अजनबी है, मगर आपसे पूछता है कि आप किस तरह का खाना पसंद करते हैं। आप सोचते हैं कि कौन फोन कर रहा है और आखिर वह चाहता क्या है। आप रुखाई से पेश नहीं आना चाहते, इसलिए आप कुछ देर उससे बात कर लेते हैं, मगर फिर आप शायद उससे कह दें कि आप बातचीत जारी नहीं रखना चाहते। अब इसी दृश्‍य की एक बार फिर कल्पना कीजिए। एक व्यक्‍ति आपको फोन करता है, मगर इस बार वह आपको अपनी पहचान बताता है। वह कहता है कि वह एक ऐसी नौकरी कर रहा है जिसमें वह लोगों को पौष्टिक खाना खाने का बढ़ावा देता है। वह आपको बताता है कि उसके पास कुछ जानकारी है जिससे आपको मदद मिल सकती है। ऐसे में शायद आप उसकी बात सुनना चाहें। दरअसल, जब लोग हमसे बात करते वक्‍त अपनी पहचान नहीं छिपाते, तो हमें अच्छा लगता है। प्रचार करते वक्‍त हम लोगों के लिए इस तरह आदर कैसे दिखा सकते हैं?

15 कुछ इलाकों में, हमें घर-मालिक को साफ-साफ बताना चाहिए कि हमारे आने का मकसद क्या है। ज़रा कल्पना कीजिए: आप एक घर-मालिक के दरवाज़े पर दस्तक देते हैं। आपके पास बहुत अनमोल जानकारी है, जिसकी घर-मालिक को सख्त ज़रूरत है। पर आप उसे यह नहीं बताते कि आप कौन हैं और क्यों उसके घर आए हैं। इसके बजाय, आप बस इस तरह का सवाल पूछकर सीधे अपनी पेशकश शुरू कर देते हैं: “अगर आप इस दुनिया की कोई समस्या सुलझा सकते, तो आप किस समस्या को दूर करते?” आप यह सवाल इसलिए पूछते हैं, ताकि आप यह पता लगा सकें कि घर-मालिक किस बारे में सोच रहा है, और फिर आप बाइबल से कोई आयत पढ़ सकें। लेकिन शायद घर-मालिक सोच रहा हो: ‘आखिर यह अजनबी है कौन, और क्यों मुझसे यह सवाल पूछ रहा है?’ हम सभी चाहते हैं कि लोगों को हमसे बात करने में खुशी हो। (फिलि. 2:3, 4) हम यह कैसे कर सकते हैं?

16 एक सफरी निगरान यह तरीका अपनाता है: अपना परिचय देने के बाद, वह घर-मालिक को क्या आप सच्चाई जानना चाहेंगे? ट्रैक्ट की एक कॉपी देता है और कहता है: “आज हम इस इलाके में सभी को इसकी एक कॉपी दे रहे हैं। इसमें ऐसे 6 सवाल दिए हैं जो कई लोग पूछते हैं। यह आपके लिए है।” भाई कहता है कि जब लोग जान जाते हैं कि भाई क्यों उनसे मिलने आया है, तो ज़्यादातर लोग इत्मीनान से उसके साथ बातचीत करने के लिए राज़ी हो जाते हैं और भाई के लिए भी बातचीत जारी रखना ज़्यादा आसान हो जाता है। घर-मालिक को ट्रैक्ट देने के बाद, भाई उससे पूछता है: “क्या आपने कभी इनमें से किसी सवाल के बारे में सोचा है?” अगर घर-मालिक एक सवाल चुनता है, तो भाई ट्रैक्ट खोलकर उसके साथ चर्चा करता है कि बाइबल उस सवाल का क्या जवाब देती है। अगर घर-मालिक कोई सवाल नहीं चुनता, तो भाई घर-मालिक को शर्मिंदा किए बगैर एक सवाल चुनता है और बातचीत जारी रखता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि बातचीत शुरू करने के बहुत-से तरीके हैं। कुछ जगहों पर यह ज़रूरी है कि हम पहले वहाँ के रिवाज़ के मुताबिक घर-मालिक से दुआ-सलाम करें और फिर उन्हें बताएँ कि हम क्यों उनके घर आए हैं। हमें यह समझना चाहिए कि अगर हम चाहते हैं कि लोग हमारा संदेश सुनें, तो यह बेहद ज़रूरी है कि हम अपनी पेशकश में फेरबदल करने के लिए तैयार रहें।

अ.बाइ. मत 7:28, 29 अध्ययन नोट

दंग रह गयी: यहाँ इस्तेमाल हुई यूनानी क्रिया का मतलब हो सकता है, “इस कदर हैरान रह जाना कि मुँह खुला-का-खुला रह जाए।” यहाँ क्रिया जिस तरह से इस्तेमाल हुई है, उससे कुछ लगातार होने का मतलब निकलता है। यह दिखाता है कि यीशु की बातों का असर लोगों पर लंबे समय तक रहा।

उसके सिखाने का तरीका: इन शब्दों का मतलब सिर्फ यह नहीं कि यीशु ने कैसे सिखाया बल्कि यह भी है कि उसने क्या सिखाया और इसमें पहाड़ी उपदेश की सारी बातें भी शामिल हैं।

उनके शास्त्रियों की तरह नहीं: यीशु अपनी बात साबित करने के लिए इज़्ज़तदार रब्बियों की कही बातें नहीं दोहराता था, जैसा शास्त्री किया करते थे। इसके बजाय यीशु ऐसे इंसान की तरह सिखाता था जिसके पास बड़ा अधिकार हो। वह यहोवा की तरफ से बोलता और उसके वचन से सिखाता था।​—यूह 7:16.

22-28 जनवरी

पाएँ बाइबल का खज़ाना | मत्ती 8-9

“यीशु को लोगों से प्यार था”

अ.बाइ. मत 8:3 अध्ययन नोट

यीशु ने . . . उसे छुआ: मूसा के कानून में बताया गया था कि कोढ़ियों को अलग रखा जाए ताकि उनकी बीमारी दूसरों में न फैले। (लैव 13:45, 46; गि 5:1-4) लेकिन यहूदी धर्म गुरुओं ने इस बारे में और भी नियम बना दिए थे। जैसे, लोगों को एक कोढ़ी से चार हाथ यानी करीब 6 फुट (1.8 मी.) दूर रहना होता था। लेकिन अगर हवा चल रही हो, तो उन्हें उससे 100 हाथ यानी करीब 150 फुट (45 मी.) दूर रहना होता था। इन नियमों की वजह से लोग कोढ़ियों के साथ बड़ी बेरहमी से पेश आते थे। जैसे, एक रब्बी कोढ़ियों को देखकर छिप जाता था और दूसरा उन्हें दूर भगाने के लिए पत्थर मारता था। प्राचीन यहूदी लेखों में इन रब्बियों की तारीफ की गयी है। मगर यीशु उनसे बिलकुल अलग था। यहाँ बताए कोढ़ी की हालत पर उसे इतना तरस आया कि उसने वह काम किया जो यहूदी लोग करने की सोच भी नहीं सकते थे। वह चाहता तो सिर्फ बोलकर उस कोढ़ी को ठीक कर सकता था, मगर उसने उसे छुआ!​—मत 8:5-12.

मैं चाहता हूँ: यीशु ने न सिर्फ उसकी गुज़ारिश सुनी, बल्कि उसे पूरा करने की ज़बरदस्त इच्छा भी ज़ाहिर की। वह सिर्फ फर्ज़ की खातिर नहीं, बल्कि दिल से चाहता था कि उसे ठीक करे।

अ.बाइ. मत 9:10 अध्ययन नोट

खाना खा रहा था: या “मेज़ से टेक लगाए बैठा था।” किसी के साथ मेज़ से टेक लगाकर बैठना दिखाता था कि उनके बीच गहरी दोस्ती है। इसलिए यीशु के दिनों में यहूदी गैर-यहूदियों के साथ इस तरह कभी नहीं बैठते थे, न खाना खाते थे।

कर-वसूलनेवाले: कई यहूदी, रोमी अधिकारियों के लिए कर वसूलते थे। इन यहूदियों से नफरत की जाती थी क्योंकि वे ऐसी विदेशी सरकार का साथ दे रहे थे जिसे लोग पसंद नहीं करते थे। इसके अलावा, ये यहूदी कर के लिए तय की गयी रकम से ज़्यादा वसूल करते थे। यहूदी लोग कर-वसूलनेवालों को पापी और वेश्‍याओं के जैसा तुच्छ मानते थे और उनसे दूर ही रहते थे।​—मत 11:19; 21:32.

अ.बाइ. मत 9:36 अध्ययन नोट

तड़प उठा: इन शब्दों के लिए यूनानी क्रिया स्प्लैगख्नीज़ोमाइ इस्तेमाल हुई है, जो “अंतड़ियों” के यूनानी शब्द (स्प्लैगख्ना) से संबंधित है। इसका मतलब एक ऐसी भावना है, जो दिल की गहराइयों से उठती है। यूनानी में यह शब्द गहरी और कोमल करुणा के लिए इस्तेमाल होता है।

ढूँढ़ें अनमोल रत्न

प्र02 8/15 पेज 13 पै 16

“मैं ने तुम्हें नमूना दिखा दिया है”

16 उसी तरह जब एक सूबेदार ने, जो शायद गैर-यहूदी या रोमी था, यीशु से बिनती की कि वह उसके बीमार दास को चंगा कर दे, तो यीशु जानता था कि उस सैनिक में खामियाँ हैं। उस ज़माने में एक सूबेदार अपनी बीती ज़िंदगी में बहुत-से ज़ुल्म ढाता, खून-खराबे और झूठी उपासना में हिस्सा लेता था। फिर भी यीशु ने उस सूबेदार के एक अच्छे गुण पर ध्यान दिया, वह था, उसका मज़बूत विश्‍वास। (मत्ती 8:5-13) उसी तरह, बाद में जब यीशु ने यातना स्तंभ पर अपने साथ लटकाए गए अपराधी से बात की, तब भी उसने उस अपराधी को उसके पापों के लिए झिड़कने के बजाय उसे भविष्य के लिए एक आशा दी। (लूका 23:43) यीशु अच्छी तरह जानता था कि दूसरों में नुक्स निकालने और उनका खंडन करने से कुछ भला नहीं होगा बल्कि इससे वे निराश हो सकते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि दूसरों के अच्छे गुणों पर ज़्यादा ध्यान देने की वजह से उसने कई लोगों को अपनी ज़िंदगी सुधारने में मदद दी।

जीज़स द वे पेज 70 पै 6

यीशु के चेले उपवास क्यों नहीं करते?

यीशु ने यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले के चेलों को समझाया कि कोई भी उसके चेलों से यह उम्मीद न करे कि वे यहूदी धर्म के पुराने रीति-रिवाज़ों को मानें, जैसे उपवास करने के रिवाज़ को। यीशु यहूदी धर्म का सुधार करने नहीं आया था, जिसे जल्द ही परमेश्‍वर ठुकराने वाला था क्योंकि यह धर्म इंसानों के बनाए रीति-रिवाज़ों का एक ढर्रा बनकर रह गया था। यीशु लोगों को उपासना करने का ऐसा तरीका सिखा रहा था, जो उस ज़माने के यहूदी धर्म की परंपराओं से हटकर था। यीशु एक पुराने कपड़े के छेद पर नए कपड़े का टुकड़ा लगाने या सिकुड़े हुए पुराने मशक में नयी दाख-मदिरा भरने नहीं आया था।

29 जनवरी–4 फरवरी

पाएँ बाइबल का खज़ाना | मत्ती 10-11

“यीशु ने लोगों को तरो-ताज़ा करने का वादा किया”

अ.बाइ. मत 10:29, 30 अध्ययन नोट

चिड़ियाँ: यूनानी भाषा में शब्द स्ट्रूथियोन अल्पार्थक शब्द है जिसका मतलब है, कोई भी छोटी चिड़िया। मगर यह शब्द अकसर गौरैया के लिए इस्तेमाल होता था, जो भोजन के लिए सबसे सस्ती चिड़िया होती थी।

एक पैसे में: शा., “एक असारियन।” 45 मिनट की मज़दूरी। (अति. ख14 देखें।) जब यीशु गलील के तीसरे दौरे पर था तो उसने कहा कि दो गौरैयों की कीमत एक असारियन है। एक दूसरे मौके पर, शायद एक साल बाद यहूदिया में प्रचार करते वक्‍त, यीशु ने कहा कि पाँच गौरैयों की कीमत दो असारियन है। (लूक 12:6) मतलब, व्यापारी पाँचवीं गौरैया मुफ्त में ही दे देते थे। इससे पता चलता है कि गौरैया बहुत मामूली-सी चिड़िया मानी जाती थी।

तुम्हारे सिर का एक-एक बाल तक गिना हुआ है: कहा जाता है कि एक इंसान के सिर पर औसतन 1,00,000 बाल होते हैं। यहोवा का इतनी बारीक जानकारी रखना हमें भरोसा दिलाता है कि उसे मसीह के हर चेले में गहरी दिलचस्पी है।

अ.बाइ. मत 10:29 तसवीर

चिड़िया

गौरैया खाने के लिए बिकनेवाली चिड़ियों में से सबसे सस्ती चिड़िया थी। 45 मिनट काम करके जो मज़दूरी मिलती, उससे दो गौरैया खरीदी जा सकती थीं। गौरैया के लिए यूनानी में जो शब्द इस्तेमाल हुआ है, उसका मतलब कई तरह की छोटी-छोटी चिड़ियाँ हो सकती हैं। इनमें से दो हैं, घरेलू गौरैया (पास्सेर डोमेस्टिकस) और स्पैनिश गौरैया (पास्सेर हिस्पैनियोलैंसिस), जो आज भी इसराएल देश में काफी देखने को मिलती हैं।

अ.बाइ. मत 11:28 अध्ययन नोट

बोझ से दबे: यीशु ने जिन लोगों को अपने पास आने का बुलावा दिया वे जीवन की चिंताओं और काम के बोझ से दबे हुए थे। यहोवा की उपासना भी उनके लिए बोझ बन गयी थी क्योंकि मूसा के कानून में इंसानों की बनायी परंपराएँ जोड़ दी गयी थीं। (मत 23:4) यहाँ तक कि सब्त का दिन मनाना भी एक बोझ बन गया था, जबकि उन्हें इससे ताज़गी मिलनी चाहिए थी।​—निर्ग 23:12; मर 2:23-28; लूक 6:1-11.

मैं तुम्हें तरो-ताज़ा करूँगा: “तरो-ताज़ा” के यूनानी शब्द का मतलब हो सकता है, आराम (मत 26:45; मर 6:31) या राहत जिससे शरीर को फिर से ताकत मिलती है। (2कुर 7:13; फिले 7) संदर्भ से पता चलता है कि यीशु का “जुआ” उठाने (मत 11:29) में काम करना शामिल है, न कि आराम करना। इसलिए यहाँ यीशु कह रहा था कि वह थके-हारे लोगों में दोबारा ताज़गी और दम भर देगा ताकि वे खुशी-खुशी उसका जुआ उठाएँ, जो हलका और आसान है।

अ.बाइ. मत 11:29 अध्ययन नोट

मेरा जुआ उठाओ: यीशु ने यहाँ शब्द “जुआ” लाक्षणिक तौर पर इस्तेमाल किया जिसे उठाने का मतलब है, अधिकार मानना और निर्देश का पालन करना। अगर यीशु के मन में दो जानवरों पर रखनेवाला जुआ था तो वह मानो कह रहा था कि यहोवा ने उस पर जो जुआ रखा है, उसमें उसके चेले उसके साथ जुत जाएँ और वह उनकी मदद करेगा। तो फिर “मेरा जुआ उठाओ” का अनुवाद इस तरह किया जा सकता है, “मेरे साथ मेरे जुए में जुत जाओ।” लेकिन अगर उसके मन में एक जानवर पर रखा जानेवाला जुआ था तो वह मानो कह रहा था कि उसने चेलों पर जो जुआ रखा है उन्हें उसके अधीन रहना है, यानी उन्हें उसका अधिकार मानना चाहिए और उसके निर्देशों का पालन करना चाहिए।

ढूँढ़ें अनमोल रत्न

जीज़स द वे पेज 96 पै 2-3

यूहन्‍ना यीशु से कुछ जानना चाहता है

क्या आपको हैरानी होती है कि यूहन्‍ना ने यह सवाल क्यों किया? यूहन्‍ना परमेश्‍वर का डर माननेवाला इंसान है। करीब दो साल पहले जब उसने यीशु को बपतिस्मा दिया, तब उसने पवित्र शक्‍ति को यीशु पर उतरते देखा था। उसने यहोवा को यह कहते भी सुना था कि उसने यीशु को मंज़ूर किया है। क्या अब यूहन्‍ना का विश्‍वास कमज़ोर हो गया है? अगर ऐसा होता, तो यीशु यूहन्‍ना की इतनी तारीफ नहीं करता, जैसे उसने इस मौके पर की थी। यूहन्‍ना के मन में यीशु को लेकर कोई शक नहीं है। तो फिर उसने यह सवाल क्यों किया?

शायद यूहन्‍ना यीशु से सीधे-सीधे जानना चाहता है कि क्या वही मसीहा है। जवाब जानने से उसे जेल की सज़ा काटने की हिम्मत मिलती। शायद उसके सवाल करने की एक और वजह भी है। बाइबल की कुछ भविष्यवाणियों में बताया गया था कि परमेश्‍वर का अभिषिक्‍त जन एक राजा और उद्धारकर्ता होगा। यूहन्‍ना उन भविष्यवाणियों के बारे में जानता है। मगर यीशु के बपतिस्मे के कई महीनों बाद भी यूहन्‍ना जेल से नहीं छूटा है, इसलिए वह पूछ रहा है कि क्या यीशु के बाद कोई और आएगा, जो मसीहा से जुड़ी बाकी भविष्यवाणियाँ पूरी करेगा।

जीज़स द वे पेज 98 पै 1-2

यीशु ढीठ लोगों की पीढ़ी को धिक्कारता है

यीशु के मन में यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले के लिए बहुत आदर है। लेकिन ज़्यादातर लोग यूहन्‍ना को किस नज़र से देखते हैं? यीशु बताता है, “यह पीढ़ी ऐसी है मानो बाज़ारों में बैठे बच्चे अपने साथ खेलनेवालों को पुकारकर कह रहे हों, ‘हमने तुम्हारे लिए बाँसुरी बजायी मगर तुम नहीं नाचे। हम रोए मगर तुमने दुख के मारे छाती नहीं पीटी।’”​—मत्ती 11:16, 17.

यीशु के कहने का क्या मतलब है? वह समझाता है, “यूहन्‍ना औरों की तरह खाता-पीता नहीं आया फिर भी लोग कहते हैं, ‘उसमें दुष्ट स्वर्गदूत समाया है,’ जबकि इंसान का बेटा औरों की तरह खाता-पीता आया, फिर भी लोग कहते हैं, ‘देखो! यह आदमी पेटू और पियक्कड़ है और कर-वसूलनेवालों और पापियों का दोस्त है।’” (मत्ती 11:18, 19) एक तरफ यूहन्‍ना नाज़ीर के तौर पर सादा जीवन जीता है, यहाँ तक कि दाख-मदिरा भी नहीं पीता। फिर भी इस पीढ़ी के लोग कहते हैं कि उसमें दुष्ट स्वर्गदूत है। (गिनती 6:2, 3; लूका 1:15) वहीं दूसरी तरफ यीशु आम लोगों की तरह जीता है। वह एक हद में रहकर खाता-पीता है, मगर लोग उसे पेटू और पियक्कड़ कहते हैं। ऐसा लगता है कि इस पीढ़ी के लोगों को खुश करना नामुमकिन है।

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