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th अध्याय 4 पेज 7

गुण नंबर 4

आयतों का सही परिचय

आयत

मत्ती 22:41-45

क्या करना है: कोई आयत पढ़ने से पहले उसे समझने के लिए सुननेवालों के मनों को तैयार कीजिए।

कैसे करना है:

  • सोचिए कि आप आयत क्यों पढ़ना चाहते हैं। हर आयत का परिचय इस तरह दीजिए कि सुननेवालों का ध्यान आयत की उस खास बात पर जाए, जो आप बताना चाहते हैं।

    सुझाव

    आस-पास की आयतों का ध्यान रखिए। जब आप बताते हैं कि आयत की एक बात फलाँ व्यक्‍ति ने कही थी या बाइबल की एक किताब फलाँ व्यक्‍ति ने लिखी थी, तो वह जानकारी सही होनी चाहिए।

  • बाइबल से सिखाइए। परमेश्‍वर को माननेवालों से बात करते वक्‍त उनका ध्यान बाइबल की तरफ खींचिए ताकि वे जानें कि यह परमेश्‍वर का वचन है और आप जो कह रहे हैं, वह परमेश्‍वर की बातें हैं।

  • आयत में दिलचस्पी जगाइए। कोई सवाल कीजिए और जवाब आयत से दीजिए। किसी समस्या का ज़िक्र कीजिए और उसका हल आयत से बताइए। कोई सिद्धांत बताइए, फिर बाइबल का एक वाकया बताइए जिससे वह सिद्धांत पता चलता है। तब सुननेवालों को मुद्दा समझ में आएगा।

    सुझाव

    इस बात का ध्यान रखिए कि आप जिस विषय या आयत पर बात करने जा रहे हैं, उसके बारे में सुननेवालों को पहले से क्या पता है। जानी-मानी आयतों का भी ऐसे परिचय दीजिए कि सुननेवालों की दिलचस्पी जागे और वे कुछ नयी बात सीखें।

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