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  • यहोवा के गुणों की दिल से कदर कीजिए
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2013
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  • यहोवा से आप बेझिझक बात कर सकते हैं
  • बेहद ज़रूरी गुण
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  • यहोवा भेदभाव नहीं करता
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2013
w13 6/15 पेज 7-11

यहोवा के गुणों की दिल से कदर कीजिए

“परमेश्‍वर के प्यारे बच्चों की तरह उसकी मिसाल पर चलो।”—इफि. 5:1.

आपका जवाब क्या है?

  • हम यहोवा के गुणों के लिए अपनी कदरदानी कैसे बढ़ा सकते हैं?

  • अगर कोई चाहता है कि लोग उससे बेझिझक बात करें, तो उसे क्या करना होगा?

  • भेदभाव न करने के मामले में हम यहोवा की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं?

1. (क) आप यहोवा के कौन-कौन-से गुणों के बारे में सोच सकते हैं? (ख) यहोवा के गुणों का अध्ययन करने से हमें कैसे फायदा होगा?

जब आप यहोवा की शख्सियत के बारे में सोचते हैं, तो उसके कौन-से गुण आपके मन में आते हैं? हममें से कई लोग अकसर उसके प्यार, न्याय, बुद्धि और ताकत के बारे में सोचते हैं। लेकिन हम जानते हैं कि यहोवा में बहुत-से मनभावने गुण हैं। दरअसल, अगर यहोवा के गुणों की एक सूची बनायी जाए, तो उसमें 40 से भी ज़्यादा गुण लिखे जा सकते हैं, जिनमें से हरेक के बारे में हमारे साहित्यों में चर्चा की गयी है। ज़रा सोचिए, निजी और पारिवारिक अध्ययन के ज़रिए हमारे पास यहोवा की शख्सियत के बारे में और भी कितनी दिलचस्प जानकारी हासिल करने का मौका है! इस तरह का अध्ययन करने से हमें कैसे फायदा होगा? इससे स्वर्ग में रहनेवाले हमारे पिता के लिए हमारी कदरदानी बढ़ेगी। और जैसे-जैसे यहोवा के लिए हमारे दिल में कदरदानी बढ़ेगी, वैसे-वैसे उसके करीब आने और उसकी मिसाल पर चलने का हमारा इरादा मज़बूत होता जाएगा।—यहो. 23:8; भज. 73:28.

2. (क) उदाहरण देकर समझाइए कि कैसे हम यहोवा के गुणों के लिए कदरदानी बढ़ा सकते हैं। (ख) हम इस लेख और अगले दो लेखों में किस बात पर चर्चा करेंगे?

2 हम अपने दिल में किसी चीज़ के लिए कदर कैसे बढ़ा सकते हैं? एक मिसाल पर गौर कीजिए। मान लीजिए आप कोई नया व्यंजन खाना चाहते हैं। पहले आप उसकी खुशबू लेते हैं, फिर उसका हर निवाला स्वाद ले-लेकर खाते हैं और आखिर में, खुद वह व्यंजन बनाते हैं। उसी तरह, यहोवा के किसी गुण के लिए हमारी कदरदानी तब बढ़ती है, जब हम उस गुण के बारे में गहराई से अध्ययन करते हैं, फिर मनन करते हैं कि यहोवा कैसे वह गुण दिखाता है और आखिर में खुद अपनी ज़िंदगी में वह गुण ज़ाहिर करने की कोशिश करते हैं। (इफि. 5:1) इस लेख और अगले दो लेखों का मकसद है, यहोवा के उन गुणों के लिए अपनी कदरदानी बढ़ाना, जिनके बारे में हम उतना नहीं सोचते जितना कि उसके खास गुणों के बारे में सोचते हैं। हरेक गुण के बारे में चर्चा करते वक्‍त, हम इन सवालों पर गौर करेंगे: इस गुण का मतलब क्या है? यहोवा यह गुण कैसे ज़ाहिर करता है? और हम यहोवा की मिसाल पर चलकर इस गुण को कैसे दिखा सकते हैं?

यहोवा से आप बेझिझक बात कर सकते हैं

3, 4. (क) आप एक ऐसे शख्स के बारे में क्या कहेंगे, जिसके पास कोई भी जाकर बेझिझक बात कर सके? (ख) यहोवा कैसे हमें यकीन दिलाता है कि कोई भी उससे बेझिझक बात कर सकता है?

3 आप एक ऐसे शख्स के बारे में क्या कहेंगे, जो इतना मिलनसार हो कि कोई भी उसके पास जाकर बेझिझक बात कर सके? आप शायद कहें, ‘वह दूसरों के साथ प्यार से पेश आता है, दूसरों की खातिर वक्‍त निकालने के लिए हमेशा तैयार रहता है, और उससे बात करने में कोई हिचकिचाहट महसूस नहीं होती।’ अकसर आप पहचान सकते हैं कि एक इंसान में यह गुण है कि नहीं, अगर आप उसकी बातें सुनें और उसके हाव-भाव और चेहरे के हाव-भाव पर गौर करें, क्योंकि कई बार इंसान बिना कुछ कहे ही बहुत कुछ कह देता है।

4 यहोवा कैसे दिखाता है कि वह इतना प्यारा पिता है कि कोई भी उससे बेझिझक बात कर सकता है? हालाँकि यहोवा इस पूरे विश्‍व का सृष्टिकर्ता और सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर है, फिर भी वह हमें यकीन दिलाता है कि वह हमारी प्रार्थनाएँ सुनने और उनका जवाब देने के लिए बेताब रहता है। (भजन 145:18; यशायाह 30:18, 19 पढ़िए।) हम उससे किसी भी वक्‍त, किसी भी जगह और कितनी भी देर तक बात कर सकते हैं। हम बिना हिचकिचाए यहोवा से बात कर सकते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि ऐसा करने पर वह कभी हमें डाँट-फटकार नहीं लगाएगा। (भज. 65:2; याकू. 1:5) परमेश्‍वर का वचन ऐसे शब्दों में परमेश्‍वर की तसवीर पेश करता है, जिसे इंसान आसानी से समझ सकें। यह बात दिखाती है कि यहोवा चाहता है कि इंसान बेझिझक उससे बात करें। उदाहरण के लिए, दाविद ने भजन की किताब में लिखा, “यहोवा की आंखें [हम] पर लगी रहती हैं” और वह हमें अपने ‘दहिने हाथ से थामे रखता है।’ (भज. 34:15; 63:8) भविष्यवक्‍ता यशायाह ने यहोवा की तुलना एक चरवाहे से करते हुए कहा, “वह मेमनों को अपनी बाहों में समेट लेगा और गोद में लिए रहेगा।” (यशा. 40:11, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन) ज़रा सोचिए, यहोवा चाहता है कि हम उसके इतने करीब रहें, जितना एक मेम्ना परवाह करनेवाले चरवाहे की गोद में रहता है। सच, यहोवा की यह तसवीर हमें उसके और करीब जाने के लिए उभारती है! हम इस मामले में यहोवा की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं?

बेहद ज़रूरी गुण

5. प्राचीनों के लिए इतना मिलनसार होना क्यों ज़रूरी है कि कोई भी उनके पास आकर बेझिझक बात कर सके?

5 हाल ही में अलग-अलग देशों में रहनेवाले जोशीले साक्षियों से पूछा गया, “आपको एक प्राचीन में कौन-सा गुण सबसे अच्छा लगता है?” ज़्यादातर ने कहा, “एक प्राचीन इतना मिलनसार हो कि कोई भी उसके पास आकर बेझिझक बात कर सके।” यह सच है कि हरेक मसीही को अपने अंदर यह गुण बढ़ाने की पूरी कोशिश करनी चाहिए, मगर खास तौर से प्राचीनों में यह गुण होना बेहद ज़रूरी है। (यशा. 32:1, 2) प्राचीनों में यह गुण होना क्यों इतना ज़रूरी है? एक बहन बताती है कि वह एक प्राचीन के दूसरे गुणों से तभी वाकिफ हो पाएगी, जब वह इतना मिलनसार होगा कि वह उस भाई से बेझिझक बात कर सके। क्या आप बहन की इस बात से सहमत नहीं? तो सवाल उठता है कि एक इंसान अपने अंदर कैसे यह गुण पैदा कर सकता है?

6. अगर एक प्राचीन चाहता है कि दूसरे उसके पास बेझिझक आएँ, तो उसे क्या करना चाहिए?

6 अगर एक प्राचीन चाहता है कि दूसरे उसके पास बेझिझक आएँ, तो उसे दूसरों में सच्ची दिलचस्पी लेनी चाहिए। जब एक प्राचीन दूसरों की परवाह करता है और उनकी मदद करने के लिए तैयार रहता है, तो भाई-बहन, यहाँ तक कि छोटे बच्चे भी, उसके पास खिंचे चले आएँगे। (मर. 10:13-16) बारह साल का कार्लोस कहता है: “मैं राज-घर में प्राचीनों को मुसकराते और दूसरों के साथ अच्छी तरह पेश आते देखता हूँ, और मुझे उनकी यह बात बहुत अच्छी लगती है।” बेशक, एक प्राचीन को सिर्फ कहना नहीं चाहिए कि “कोई भी मेरे पास बेझिझक आ सकता है,” बल्कि उसे अपने व्यवहार से यह गुण दिखाना भी चाहिए। (1 यूह. 3:18) वह ऐसा कैसे कर सकता है?

7. कई बार बैज कार्ड से बातचीत क्यों शुरू हो जाती है? और इससे हम क्या सीख सकते हैं?

7 ज़रा इस उदाहरण पर गौर कीजिए। कुछ समय पहले, एक भाई किसी दूसरे देश में हुए एक अधिवेशन में हाज़िर हुआ था। अधिवेशन के बाद हवाई-जहाज़ से घर लौटते वक्‍त उसने अपना बैज कार्ड पहना हुआ था। जब हवाई-जहाज़ के अटेंडेंट ने उसका बैज कार्ड देखा जिस पर लिखा था, ‘परमेश्‍वर का राज आए!’ तो उसने भाई से कहा, “हाँ, ज़रूर आए। हमें इस बारे में बात करनी चाहिए।” बाद में, भाई ने उस अटेंडेंट से बात की और उसने खुशी-खुशी हमारी पत्रिकाएँ कबूल कीं। हममें से कइयों के साथ ऐसे अनुभव हुए हैं। लेकिन कई बार बैज कार्ड से बातचीत क्यों शुरू हो जाती है? क्योंकि बैज कार्ड मानो लोगों से कहता है: “मुझसे बेझिझक बात कीजिए। मुझसे पूछिए कि मैं कहाँ जा रहा हूँ।” बैज कार्ड एक निशानी की तरह है जो लोगों को जताता है कि हम उन्हें अपने विश्‍वास के बारे में बताना चाहते हैं। उसी तरह, मसीही प्राचीनों को अपने व्यवहार से कुछ निशानी देनी चाहिए, जो मानो भाई-बहनों से कहे: “मुझसे बेझिझक बात कीजिए।” उनमें से कुछ निशानियाँ क्या हैं?

8. प्राचीन कैसे दिखा सकते हैं कि वे दूसरों में सच्ची दिलचस्पी लेते हैं? और इसका मंडली पर क्या असर होता है?

8 हो सकता है अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग रीति-रिवाज़ हों, पर आम तौर पर जब हम अपने भाई-बहनों को देखकर मुसकराते हैं, उनसे हाथ मिलाते हैं, और दिल से नमस्ते कहते हैं, तो हम दिखाते हैं कि हमें उनमें सच्ची दिलचस्पी है। ऐसा करने में किसे पहल करनी चाहिए? ध्यान दीजिए इस मामले में यीशु ने क्या मिसाल रखी। मत्ती बताता है कि एक बार जब यीशु ने अपने चेलों के साथ एक बैठक रखी, तो खुद “यीशु उनके पास आया” और उनसे बात करने लगा। (मत्ती 28:18) उसी तरह, आज प्राचीन अपने भाई-बहनों के पास जाकर उनसे बात करने में पहल करते हैं। इसका मंडली पर क्या असर होता है? एक 88 साल की पायनियर बहन कहती है: “राज-घर में कदम रखते ही प्राचीनों के मुसकराते चेहरे देखकर और उनकी हौसला बढ़ानेवाली बातें सुनकर मेरे दिल में उनके लिए प्यार बढ़ जाता है।” एक और वफादार बहन कहती है: “दूसरों को शायद यह मामूली बात लगे, मगर जब एक प्राचीन मुसकराकर सभा में मेरा स्वागत करता है, तो यह मेरे दिल को छू जाता है।”

भाई-बहनों से बात करने के लिए वक्‍त निकालिए

9, 10. (क) यहोवा ने क्या बेहतरीन मिसाल रखी है? (ख) प्राचीन यहोवा की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं?

9 बेशक, अगर हम दूसरों के लिए वक्‍त ही नहीं निकालेंगे, तो वे हमसे बेझिझक बात कैसे कर पाएँगे? इस मामले में यहोवा ने एक बेहतरीन मिसाल रखी है। बाइबल बताती है, “वह हममें से किसी से भी दूर नहीं है।” (प्रेषि. 17:27) एक तरीका जिससे प्राचीन यहोवा की मिसाल पर चल सकते हैं, वह है मसीही सभाओं से पहले और बाद में सभी भाई-बहनों के साथ बात करके, फिर चाहे वे छोटे हों या बड़े। एक पायनियर भाई ने कहा, “जब एक प्राचीन मुझसे पूछता है कि मैं कैसा हूँ और फिर इतमीनान से मेरा जवाब सुनता है, तो मुझे महसूस होता है कि कोई मेरी कदर करता है।” एक बहन, जो करीब 50 साल से यहोवा की सेवा कर रही है, कहती है: “जब प्राचीन सभा के बाद मुझसे बात करते हैं, तो वे मुझे एहसास दिलाते हैं कि मैं यहोवा की नज़र में बहुत अनमोल हूँ।”

10 यह सच है कि मसीही चरवाहों को बहुत-सी ज़िम्मेदारियाँ पूरी करनी होती हैं। लेकिन सभाओं में उनका यह लक्ष्य होना चाहिए कि वे पहले अपनी भेड़ों पर ध्यान दें।

यहोवा भेदभाव नहीं करता

11, 12. (क) भेदभाव न करने का क्या मतलब है? (ख) भेदभाव न करने में यहोवा ने कैसे हमारे लिए मिसाल रखी है?

11 यहोवा का एक और मनभावना गुण है कि वह भेदभाव नहीं करता। भेदभाव न करने का क्या मतलब है? इसका मतलब है किसी के साथ पक्षपात न करना या किसी की तरफदारी न करना। इसमें दो बातें शामिल हैं: हमारा रवैया और हमारा व्यवहार। अगर एक इंसान अपने मन में भेदभाव नहीं करेगा, तो वह दूसरों के साथ अपने व्यवहार में भी भेदभाव नहीं करेगा। मसीही यूनानी शास्त्र में “भेदभाव नहीं करता” का शाब्दिक अर्थ है, “चेहरा देखकर काम नहीं करता” यानी एक चेहरे से बढ़कर दूसरे चेहरे का पक्ष नहीं लेता। (प्रेषि. 10:34, किंगडम इंटरलीनियर) इसलिए जो भेदभाव नहीं करता, वह एक इंसान के बाहरी रूप या उसके हालात को देखने के बजाय, इस बात पर ध्यान देता है कि वह इंसान अंदर से कैसा है।

12 भेदभाव न करने में यहोवा ने सबसे बेहतरीन मिसाल रखी है। उसका वचन बताता है कि वह “भेदभाव नहीं करता” और “किसी का पक्ष नहीं करता।” (प्रेषितों 10:34, 35; व्यवस्थाविवरण 10:17 पढ़िए।) मूसा के ज़माने में कुछ हालात उठे जो इस बात को ज़ाहिर करते हैं।

सलोफाद की बेटियों ने भेदभाव न करने के यहोवा के गुण की कदर की (पैराग्राफ 13, 14 देखिए)

13, 14. (क) सलोफाद की पाँच बेटियाँ किस दुविधा में थीं? (ख) यहोवा ने कैसे दिखाया कि वह भेदभाव नहीं करता?

13 वादा किए हुए देश में जाने से ठीक पहले, पाँच अविवाहित सगी बहनें एक दुविधा में थीं। वह क्या? उन्हें मालूम था कि दूसरे इसराएली परिवारों की तरह, उनके परिवार को भी कुछ ज़मीन मिलेगी जो उनके पिता के हिस्से में थी। (गिन. 26:52-55) लेकिन उनके पिता, सलोफाद की मौत हो गयी थी। कानून के मुताबिक, सलोफाद के बाद उसके बेटों को ज़मीन पर अधिकार मिलना चाहिए था, मगर उसकी तो सिर्फ बेटियाँ थीं। (गिन. 26:33) बेटा न होने की वजह से क्या उस परिवार की ज़मीन रिश्‍तेदारों को दे दी जाती? क्या सलोफाद की बेटियों को अपने पिता की विरासत नहीं मिलती?

14 पाँचों बहनें मूसा के पास आयीं और उन्होंने उससे पूछा: “हमारे पिता का नाम उसके कुल में से पुत्र न होने के कारण क्यों मिट जाए?” उन्होंने बिनती की: “हमारे चाचाओं के बीच हमें भी कुछ भूमि निज भाग करके दे।” क्या मूसा ने उन्हें इस तरह जवाब दिया, ‘हम आपके लिए नया कानून नहीं बना सकते’? नहीं, इसके बजाय “उनकी यह बिनती मूसा ने यहोवा को सुनाई।” (गिन. 27:2-5) मूसा को क्या जवाब मिला? यहोवा ने उससे कहा: “सलोफाद की बेटियां ठीक कहती हैं; इसलिये तू उनके चाचाओं के बीच उनको भी अवश्‍य ही कुछ भूमि निज भाग करके दे, अर्थात्‌ इनके पिता का भाग उनके हाथ सौंप दे।” यहोवा ने कुछ और भी किया। उसने एक नया कानून बनाया और मूसा को यह हिदायत दी: “यदि कोई मनुष्य निपुत्र मर जाए, तो उसका भाग उसकी बेटी के हाथ सौंपना।” (गिन. 27:6-8; यहो. 17:1-6) इसके बाद से जो भी इसराएली स्त्री ऐसे हालात में होती, उसे अपनी विरासत ज़रूर मिलती।

15. (क) यहोवा अपने लोगों के साथ किस तरह पेश आता है, उनके साथ भी जो बेबस हैं? (ख) बाइबल में दर्ज़ और कौन-से वाकए दिखाते हैं कि यहोवा भेदभाव नहीं करता?

15 यह कितना प्यार-भरा और निष्पक्ष फैसला था! ये पाँच बहनें बेबस थीं, लेकिन यहोवा उनके साथ उसी गरिमा से पेश आया जैसे वह बाकी सभी इसराएलियों के साथ पेश आया था। (भज. 68:5) यह बाइबल में दर्ज़ उन बहुत-से वाकयों में से सिर्फ एक है, जो दिल छू लेनेवाली इस सच्चाई का बयान करता है कि यहोवा अपने सभी सेवकों के साथ एक समान पेश आता है, वह किसी के साथ भेदभाव नहीं करता।—1 शमू. 16:1-13; प्रेषि. 10:30-35, 44-48.

हम यहोवा की मिसाल पर चल सकते हैं

16. हम यहोवा की तरह भेदभाव करने से कैसे दूर रह सकते हैं?

16 भेदभाव न करने के मामले में हम यहोवा की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं? याद कीजिए कि भेदभाव न करने में दो बातें शामिल हैं। जब हमारे मन में भेदभाव की भावना नहीं होगी, तभी हम दूसरों के साथ अपने व्यवहार में भेदभाव नहीं करेंगे। यह सच है कि हम सभी अपने बारे में यही सोचते हैं कि हम भेदभाव नहीं करते। लेकिन यह भी सच है कि हम हमेशा अपनी भावनाओं का सही-सही जायज़ा नहीं कर सकते। तो हम असल में भेदभाव करते हैं कि नहीं, यह पता लगाने के लिए हम क्या कर सकते हैं? यीशु की मिसाल पर गौर कीजिए। जब वह जानना चाहता था कि लोग उसके बारे में क्या कह रहे हैं, तो उसने अपने भरोसेमंद दोस्तों से पूछा: “लोग क्या कहते हैं, इंसान का बेटा कौन है?” (मत्ती 16:13, 14) यीशु की तरह क्यों न आप अपने किसी ऐसे दोस्त से बात करें, जो आपके सवाल का सच-सच जवाब देगा और उससे पूछें, “क्या तुम्हें लगता है कि मैं पक्षपाती हूँ? और लोग मेरे बारे में क्या कहते हैं?” अगर वह आपको बताता है कि आप किसी की जाति या तबके की वजह से या फिर किसी की दौलत आँककर थोड़ा-बहुत भेदभाव करते हैं, तो आपको क्या करना चाहिए? सच्चे मन से यहोवा से बिनती कीजिए कि वह आपको अपना नज़रिया बदलने में मदद दे, ताकि आप यहोवा की मिसाल पर और नज़दीकी से चल सकें और किसी के साथ भेदभाव न करें।—मत्ती 7:7; कुलु. 3:10, 11.

17. हम किन तरीकों से दूसरों के साथ बिना भेदभाव के पेश आ सकते हैं?

17 मसीही मंडली में अपने सभी भाई-बहनों के साथ गरिमा और कृपा से पेश आकर, हम यहोवा की मिसाल पर चल सकते हैं और भेदभाव करने से दूर रह सकते हैं। मिसाल के लिए, मेहमान-नवाज़ी दिखाते वक्‍त हम अपने सभी भाई-बहनों को अपने घर बुला सकते हैं, फिर चाहे उनकी संस्कृति हमसे अलग हो, वे गरीब हों, विधवा हों, अनाथ हों या ऐसे बच्चे हों, जिनके परिवार में कोई सच्चाई में नहीं है। (गलातियों 2:10; याकूब 1:27 पढ़िए।) इसके अलावा, प्रचार काम करते वक्‍त हम बिना भेदभाव किए सभी लोगों को खुशखबरी सुनाते हैं, फिर चाहे वे किसी भी संस्कृति या देश के क्यों न हों। कितनी खुशी की बात है कि यहोवा का संगठन करीब 600 भाषाओं में बाइबल साहित्य प्रकाशित करता है! भेदभाव न करने का यह क्या ही ज़बरदस्त सबूत है!

18. इस लेख में बताए यहोवा के दो गुणों के बारे में मनन करने से आपको क्या करने का बढ़ावा मिला है?

18 जी हाँ, जब हम इस बात पर गहराई से मनन करते हैं कि कोई भी यहोवा से बेझिझक बात कर सकता है और यहोवा कभी भेदभाव नहीं करता, तो उसके लिए हमारी कदरदानी बढ़ जाती है। इस कदरदानी से हमें बढ़ावा मिलना चाहिए कि हम भाई-बहनों के साथ अपने व्यवहार में और प्रचार काम में यहोवा के गुणों को और अच्छी तरह दिखाएँ।

“जितने यहोवा को पुकारते हैं, . . . उन सभों के वह निकट रहता है।”—भज. 145:18 (पैराग्राफ 9 देखिए)

“तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा . . . किसी का पक्ष नहीं करता।”—व्यव. 10:17 (पैराग्राफ 17 देखिए)

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