मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
3-9 जनवरी
पाएँ बाइबल का खज़ाना | न्यायियों 15-16
“बेवफाई करना बहुत ही शर्मनाक बात है”
विश्वासघात—आखिरी दिनों की निशानी का हिस्सा!
4 आइए हम पहले दलीला के उदाहरण पर गौर करते हैं, जिससे न्यायी शिमशोन प्यार करता था। शिमशोन परमेश्वर के लोगों की तरफ से पलिश्तियों के खिलाफ लड़कर उनका सफाया कर देना चाहता था। इसलिए पलिश्तियों ने शिमशोन को खत्म करने की साज़िश रची। पाँच पलिश्ती सरदारों ने दलीला को शिमशोन की बेजोड़ ताकत का राज़ पता लगाने के लिए एक बड़ी रकम देने का वादा किया। शायद वे जानते थे कि दलीला को शिमशोन से सच्चा प्यार नहीं है। लालची दलीला ने यह सौदा मंज़ूर कर लिया, मगर शिमशोन की ताकत का राज़ जानने की उसकी कोशिशें तीन बार नाकाम रहीं। दलीला ने “हर दिन बातें करते करते उसको तंग किया, और यहां तक हठ किया” कि आखिरकार शिमशोन के “नाकों में दम आ गया।” शिमशोन ने उसे बता दिया कि उसके बालों पर कभी छुरा नहीं फिरा था और अगर उसके बाल काट दिए जाएँ, तो उसकी ताकत खत्म हो जाएगी। यह सुनने के बाद, दलीला ने शिमशोन को अपनी गोद में सुला दिया और चुपके से उसके बाल कटवा डाले। इसके बाद, उसने शिमशोन को उसके दुश्मनों के हाथों सौंप दिया ताकि वे उसका जो चाहें, करें। (न्यायि. 16:4, 5, 15-21) कितनी घिनौनी चाल चली उसने! लालच में आकर दलीला ने एक ऐसे इंसान को धोखा दिया, जो उससे प्यार करता था।
न्यायियों किताब की झलकियाँ
14:16, 17; 16:16. किसी के सामने रो-धोकर और उसे तंग करके अपनी बात मनवाने से उसके साथ रिश्ता बिगड़ सकता है।—नीतिवचन 19:13; 21:19.
विश्वासघात—आखिरी दिनों की निशानी का हिस्सा!
15 शादी-शुदा लोग कैसे अपने साथी के वफादार बने रह सकते हैं? बाइबल कहती है: “अपनी जवानी की पत्नी [या पति] के साथ आनन्दित रह” और ‘अपना जीवन अपनी प्यारी पत्नी [या पति] के संग में बिता।’ (नीति. 5:18; सभो. 9:9) जैसे-जैसे उनकी उम्र ढलती जाती है, पति-पत्नी को अपने रिश्ते को मज़बूत करते रहना चाहिए; शारीरिक तौर पर और मानसिक तौर पर भी। इसका मतलब है एक-दूजे का खयाल करना, एक-दूजे के साथ समय बिताना और एक-दूजे से नज़दीकी बढ़ाना। उन्हें अपने शादी के बंधन और परमेश्वर के साथ अपने रिश्ते को मज़बूत करना चाहिए। यही नहीं, शादी-शुदा जोड़ों को एक-साथ बाइबल पढ़ना चाहिए, प्रचार में एक-साथ काम करना चाहिए और यहोवा की आशीष पाने के लिए एक-साथ प्रार्थना भी करनी चाहिए।
यहोवा के वफादार रहिए
16 मंडली के कुछ सदस्यों को गंभीर पाप करने की वजह से ‘सख्ती से ताड़ना दी गयी है ताकि वे विश्वास में मज़बूत बनें रहें।’ (तीतु. 1:13) कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें अपने चालचलन की वजह से मंडली से बहिष्कृत करना पड़ा है। जिन लोगों ने ऐसे अनुशासन से ‘प्रशिक्षण पाया है’ उनके लिए यह फायदेमंद साबित हुई है। वे दोबारा परमेश्वर के साथ एक रिश्ता कायम कर पाए हैं। (इब्रा. 12:11) लेकिन जब हमारे किसी दोस्त या रिश्तेदार का बहिष्कार किया जाता है, तब हमारी वफादारी परखी जा सकती है। ऐसे हालात में क्या हम परमेश्वर के वफादार बने रहेंगे या फिर अपने दोस्त या रिश्तेदार के? यहोवा हमें देख रहा है, यह जानने के लिए कि किसी भी बहिष्कृत इंसान के साथ मेल-जोल न रखने की उसकी आज्ञा को हम मानेंगे या नहीं।—1 कुरिंथियों 5:11-13 पढ़िए।
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शिमशोन ने यहोवा की शक्ति से जीत पायी!
शिमशोन का मकसद था, पलिश्तियों से लड़ना और उसने अपना ध्यान इस मकसद से बिलकुल भटकने नहीं दिया। परमेश्वर के दुश्मनों से लड़ने के मकसद से ही उसने अज्जा में एक वेश्या के घर में पनाह ली। शिमशोन के मन में नाजायज़ संबंध रखने का कोई इरादा नहीं था। उसे दुश्मनों के शहर में रात गुज़ारने के लिए एक जगह चाहिए थी और एक वेश्या के घर से महफूज़ जगह और क्या हो सकती थी? उसने आधी रात को उस घर से निकलकर नगर के फाटकों के साथ-साथ उसके दोनों पल्लों को उखाड़ दिया और उन्हें ढोकर हेब्रोन के पास पहाड़ की चोटी पर ले गया, जो करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर था। शिमशोन यह कारनामा परमेश्वर की मंज़ूरी और उसकी दी हुई ताकत की बदौलत कर पाया।—न्यायियों 16:1-3.
10-16 जनवरी
पाएँ बाइबल का खज़ाना | न्यायियों 17-19
“परमेश्वर की आज्ञाएँ न मानने से हमारा ही नुकसान होता है”
इंसाइट-2 पेज 390-391
मीका
1. मीका एप्रैम गोत्र का एक आदमी था। उसने अपनी माँ के चाँदी के टुकड़े चुराए थे, मगर फिर उन्हें लौटा दिया। तब उसकी माँ ने उनमें से 200 टुकड़े सुनार को दिए और उसने उससे “एक तराशी हुई और एक ढली हुई मूरत” बना दी। फिर ये मूरतें मीका के घर लायी गयीं। मीका के यहाँ पहले से ही “देवताओं के लिए एक मंदिर था।” उसने कुल देवताओं की मूरतें और एक एपोद बनवाया और अपने एक बेटे को याजक ठहराया। मीका और उसका परिवार यह दावा कर रहे थे कि वे यह सब यहोवा की महिमा के लिए कर रहे हैं, लेकिन सच तो यह था कि वे यहोवा का निरादर कर रहे थे। वे मूर्ति-पूजा करके यहोवा की आज्ञा तोड़ रहे थे। (निर्ग 20:4-6) इसके अलावा यहोवा ने पवित्र डेरे और याजकपद का जो इंतज़ाम किया था, उसकी भी उन्होंने कोई कदर नहीं की। (न्या 17:1-6; व्य 12:1-14) बाद में मीका ने योनातान नाम के एक लेवी को अपने यहाँ याजक का काम करने के लिए रख लिया। वह अपने इस फैसले से बहुत खुश था और उसने कहा, “अब यहोवा ज़रूर मेरा भला करेगा।” (न्या 17:7-13; 18:4) लेकिन यह उसकी गलतफहमी थी। मूसा के कानून के हिसाब से हारून के वंशज ही याजक बन सकते थे। लेकिन यह लेवी मूसा के बेटे गेरशोम का वंशज था, न कि हारून का। इसीलिए वह याजक के नाते सेवा नहीं कर सकता था। मीका ने पहले ही कई गलतियाँ की थीं, अब योनातान को याजक ठहराकर उसने एक और गलती कर दी।—न्या 18:30; गि 3:10.
इंसाइट-2 पेज 391 पै 2
मीका
कुछ समय बाद मीका और उसके आदमी दानियों के पीछे गए। जब वे दानियों के पास पहुँच गए, तो उन्होंने मीका से पूछा, “क्या हुआ?” तब मीका ने उनसे कहा कि तुमने मेरा सबकुछ लूट लिया। उसने कहा, “तुम मेरे देवताओं की मूरतें उठा लाए जिन्हें मैंने बनवाया था और मेरे याजक को भी अपने साथ ले आए।” तब दानियों ने उसे धमकी दी कि अगर वे उनका पीछा करते रहे और इस बारे में दोबारा बात की, तो वे उसे और उसके आदमियों को जान से मार डालेंगे। जब मीका ने देखा कि दान के लोग उससे ज़्यादा ताकतवर हैं, तो वह उलटे पाँव घर लौट गया।—न्या 18:22-26.
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परमेश्वर के वचन का जीता-जागता अनुवाद
6 आज इस बात के और भी कई सबूत हैं कि हमें परमेश्वर का नाम इस्तेमाल करना चाहिए। सन् 2013 में अँग्रेज़ी में निकाली गयी नयी दुनिया अनुवाद बाइबल में परमेश्वर का नाम 7,216 बार आता है। इससे पहले निकाली गयी बाइबल के मुकाबले इसमें परमेश्वर का नाम 6 बार ज़्यादा आया है। उनमें से पाँच आयतों में यह नाम इसलिए जोड़ा गया, क्योंकि हाल ही में मृत सागर के पास मिले खर्रों में परमेश्वर का नाम पाया गया है।a (फुटनोट देखिए।) ये पाँच आयतें हैं 1 शमूएल 2:25; 6:3; 10:26; 23:14, 16. साथ ही, भरोसेमंद पुरानी हस्तलिपियों का अच्छी तरह अध्ययन करने पर इस नाम को न्यायियों 19:18 में भी जोड़ा गया है।
17-23 जनवरी
पाएँ बाइबल का खज़ाना | न्यायियों 20-21
“यहोवा से सलाह लेते रहिए”
क्या आप पीनहास की तरह चुनौतियों का सामना कर सकते हैं?
जब बिन्यामीन के गोत्र से, गिबा के पुरुषों ने एक लेवी की सुरैतिन (रखैल) का बलात्कार और खून कर दिया तब बाकी गोत्र बिन्यामीनियों से युद्ध करने को निकल पड़े। (न्यायि. 20:1-11) युद्ध के मैदान में जाने से पहले उन्होंने यहोवा से मदद के लिए प्रार्थना की थी, पर दो बार वे हार गए और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा। (न्यायि. 20:14-25) क्या वे इस नतीजे पर पहुँचते कि उनकी प्रार्थनाओं का कोई फायदा नहीं हुआ? क्या यहोवा वाकई चाहता था कि वे इस गलत काम के खिलाफ कोई कदम न उठाएँ?
क्या आप पीनहास की तरह चुनौतियों का सामना कर सकते हैं?
हम इससे क्या सबक सीख सकते हैं? प्राचीनों की कड़ी मेहनत और यहोवा से मदद की पुकार के बावजूद मंडली की कुछ समस्याएँ हल नहीं होतीं। अगर ऐसा होता है तो प्राचीन यीशु के यह शब्द याद रख सकते हैं: “माँगते [या प्रार्थना करते] रहो और तुम्हें दे दिया जाएगा। ढूँढ़ते रहो और तुम पाओगे। खटखटाते रहो, और तुम्हारे लिए खोला जाएगा।” (लूका 11:9) अगर प्राचीनों को लगता है कि उन्हें जवाब नहीं मिल रहा, तब भी वे इस बात का यकीन रख सकते हैं कि यहोवा अपने ठहराए हुए समय पर ज़रूर कदम उठाएगा।
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प्र14 5/1 पेज 11 पै 4-6, अँग्रेज़ी
क्या आप जानते हैं?
पुराने ज़माने में युद्धों में गोफन कैसे चलाए जाते थे?
दाविद ने गोफन से लंबे-चौड़े गोलियात को मार गिराया। उसने गोफन चलाना शायद तब सीखा होगा जब वह एक चरवाहे का काम करता था।—1 शमूएल 17:40-50.
मध्य-पूर्वी देशों में खुदाई करनेवालों (पुरातत्वज्ञानियों) को गोफन के कई पत्थर मिले हैं। ये पत्थर पुराने ज़माने में युद्धों में चलाए गए थे। गोफन चलानेवाला अपने सिर के ऊपर तेज़ी से गोफन को घुमाता था और फिर गोफन की एक डोरी छोड़ देता था। गोफन के पत्थर की रफ्तार 160-240 किलोमीटर प्रति घंटा होती थी और वह सीधे जाकर निशाने पर लगता था। विद्वान यह तो नहीं जानते कि गोफन का पत्थर इतनी दूर जा सकता था जितनी दूर एक तीर जा सकता है, पर एक बात तो तय है कि वह तीर के जितना घातक होता था।—न्यायियों 20:16.
24-30 जनवरी
पाएँ बाइबल का खज़ाना | रूत 1-2
“अटल प्यार करते रहिए”
यहोवा के करीबी दोस्तों की मिसाल पर चलिए
5 रूत सोच सकती है कि मोआब में उसका परिवार है, वहाँ उसकी माँ है, उसके रिश्तेदार हैं। वह उनके पास लौट सकती है और वे उसकी देखभाल करेंगे। वह वहाँ के लोगों, वहाँ की भाषा और वहाँ के रहन-सहन से वाकिफ है। नाओमी उसे बेतलेहेम में यह सब देने का वादा नहीं कर सकती। उसे डर था कि वह रूत का न तो घर बसा पाएगी, न ही उसके लिए सिर छिपाने की जगह का इंतज़ाम कर पाएगी। इसलिए वह रूत को वापस मोआब जाने के लिए कहती है। जैसा कि हमने देखा, ओर्पा “अपने लोगों और अपने देवता के पास लौट” जाती है। (रूत 1:9-15) लेकिन रूत फैसला करती है कि वह अपने लोगों और उनके झूठे देवताओं के पास नहीं जाएगी।
यहोवा के करीबी दोस्तों की मिसाल पर चलिए
6 ऐसा लगता है कि रूत ने अपने पति से या नाओमी से यहोवा के बारे में सीखा था। उसने सीखा कि यहोवा, मोआब के देवताओं जैसा नहीं है। रूत यहोवा से प्यार करती थी और जानती थी कि यहोवा इस बात का हकदार है कि वह यहोवा से प्यार करे और उसकी उपासना करे। लेकिन यह ज्ञान होना ही काफी नहीं था। उसे फैसला लेना था कि क्या वह यहोवा को अपना परमेश्वर मानेगी। रूत ने बुद्धि-भरा फैसला लिया। उसने नाओमी से कहा, “तेरे लोग मेरे लोग होंगे, और तेरा परमेश्वर मेरा परमेश्वर होगा।” (रूत 1:16) रूत को नाओमी से जो प्यार था, उस बारे में जब हम सोचते हैं तो यह हमारे दिल को छू जाता है। लेकिन यहोवा के लिए उसका प्यार इससे भी ज़्यादा गौरतलब है। यह बात बोअज़ को भी अच्छी लगी, जिसने बाद में यह कहकर रूत की तारीफ की कि उसने ‘यहोवा के पंखों तले शरण ली’ है। (रूत 2:12 पढ़िए।) बोअज़ ने यहाँ जो शब्द इस्तेमाल किए, उनसे हमें शायद याद आए कि कैसे एक चिड़िया का बच्चा हिफाज़त के लिए अपने पिता के पंखों तले जाता है। (भज. 36:7; 91:1-4) उसी तरह यहोवा ने रूत की प्यार से हिफाज़त की और उसके विश्वास के लिए उसे इनाम दिया। रूत ने जो फैसला लिया था उस पर उसे कभी पछतावा नहीं हुआ।
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रूत किताब की झलकियाँ
1:13, 21—क्या यहोवा ने नाओमी को बहुत दुःख दिया और उस पर विपत्ति लायी? नहीं, और ना ही नाओमी ने परमेश्वर को किसी बात के लिए कसूरवार ठहराया। दरअसल, उस पर जो आसमान टूट पड़ा था, उसकी वजह से शायद उसे लगा हो कि यहोवा ने उससे मुँह मोड़ लिया है। उसका दिल पत्थर हो चुका था और हालात ने उसे अँधा कर दिया था। इतना ही नहीं, उन दिनों कोख का फलना परमेश्वर की आशीष मानी जाती थी जबकि बाँझ होना एक श्राप। उसके दो बेटे मौत की आगोश में जा चुके थे और अपने पीछे कोई वारिस भी नहीं छोड़ गए थे, जिस वजह से नाओमी को यह सोचना सही लगा कि यहोवा ने ही उसे ये बुरे दिन दिखाए हैं।
31 जनवरी–6 फरवरी
पाएँ बाइबल का खज़ाना | रूत 3-4
“अच्छा नाम कमाइए”
विश्वास की मिसाल पेज 47 पै 18
“एक नेक औरत”
फिर बोअज़ ने रूत से बात की। उसने ज़रूर नरमी से बात की होगी जिससे रूत का डर दूर हुआ होगा। उसने कहा, “यहोवा तुझे आशीष दे मेरी बेटी। तूने पहले भी अपने अटल प्यार का सबूत दिया है, मगर इस बार तूने और भी बढ़कर इसका सबूत दिया है। क्योंकि तू किसी जवान आदमी के पीछे नहीं गयी, फिर चाहे वह अमीर हो या गरीब।” (रूत 3:10) रूत ने नाओमी के लिए अपने अटल प्यार का ‘पहली’ बार सबूत तब दिया था जब वह नाओमी के साथ इसराएल आयी और उसकी सेवा करने लगी। और “इस बार” भी उसने अपने अटल प्यार का सबूत दिया। कैसे? जैसे बोअज़ ने कहा, रूत जवान थी और चाहे तो किसी जवान आदमी से शादी कर सकती थी, फिर चाहे वह अमीर होता या गरीब। मगर उसने नाओमी और उसके पति का भला करना चाहा। वह उस मरे हुए आदमी का वंश आगे बढ़ाना चाहती थी। इसलिए हम समझ सकते हैं कि बोअज़ ने क्यों रूत के निस्वार्थ प्यार के लिए उसकी तारीफ की।
विश्वास की मिसाल पेज 48 पै 21
“एक नेक औरत”
रूत बोअज़ की यह बात याद करके कितनी खुश हुई होगी कि सब लोग उसे एक “नेक औरत” मानते हैं। बेशक उसने यह अच्छा नाम इसलिए कमाया क्योंकि वह यहोवा को जानने और उसकी सेवा करने के लिए तैयार थी। इतना ही नहीं, उसने नाओमी पर बहुत कृपा की और उसके लोगों के तौर-तरीके और रिवाज़ अपनाकर उनका गहरा आदर किया, जबकि ये उसके लिए बिलकुल नए थे। अगर हम रूत जैसा विश्वास ज़ाहिर करें तो हम दूसरों का, उनके तौर-तरीकों और रिवाज़ों का दिल से आदर करेंगे। तब हम भी नेक होने का नाम कमाएँगे।
विश्वास की मिसाल पेज 50 पै 25
“एक नेक औरत”
बोअज़ ने रूत से शादी कर ली। इसके बाद “यहोवा की आशीष से रूत गर्भवती हुई और उसने एक बेटे को जन्म दिया।” बेतलेहेम की औरतों ने नाओमी को आशीर्वाद दिया और रूत की तारीफ करते हुए कहा कि वह नाओमी के लिए सात बेटों से भी बढ़कर है। बाद में रूत के बेटे के खानदान से ही महान राजा दाविद पैदा हुआ। (रूत 4:11-22) आगे चलकर दाविद के वंश से यीशु मसीह पैदा हुआ।—मत्ती 1:1.
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रूत किताब की झलकियाँ
4:6—किसी को छुड़ाने से छुड़ानेवाला का निज भाग कैसे “बिगड़” सकता था? अगर एक इंसान गरीबी के दलदल में धँसकर अपनी विरासत की ज़मीन बेच देता, तो छुड़ानेवाले को सबसे पहले अपना पैसा डालकर उसकी ज़मीन खरीदनी पड़ती। इसके लिए उसे उस हिसाब से कीमत अदा करनी पड़ती, जो अगले जुबली वर्ष तक उस ज़मीन की होती। (लैव्यव्यवस्था 25:25-27) इस तरह अपना पैसा लगाने से छुड़ानेवाले की अपनी संपत्ति में घटी आती। इसके अलावा, अगर रूत को बेटा पैदा होता तो छुड़ाई गयी ज़मीन उसके बेटे को मिलती, न कि छुड़ानेवाले के किसी करीबी रिश्तेदार को।
7-13 फरवरी
पाएँ बाइबल का खज़ाना | 1 शमूएल 1-2
“दिल खोलकर यहोवा से प्रार्थना कीजिए”
विश्वास की मिसाल पेज 55 पै 12
उसने दिल खोलकर परमेश्वर से प्रार्थना की
12 प्रार्थना के मामले में हन्ना, यहोवा के सभी सेवकों के लिए एक बेहतरीन मिसाल है। यहोवा हमसे कहता है कि हम उससे प्रार्थना में खुलकर बात करें और बेझिझक उसे अपनी परेशानियाँ बताएँ, ठीक जैसे एक छोटा बच्चा अपने पिता पर भरोसा करता है और उसे सारी बातें बताता है। (भजन 62:8; 1 थिस्सलुनीकियों 5:17 पढ़िए।) प्रार्थना के बारे में प्रेषित पतरस ने परमेश्वर की प्रेरणा से यह बात लिखी जिससे हमें बहुत दिलासा मिलता है: “तुम अपनी सारी चिंताओं का बोझ उसी पर डाल दो क्योंकि उसे तुम्हारी परवाह है।”—1 पत. 5:7.
विश्वास की मिसाल पेज 55-56 पै 15
उसने दिल खोलकर परमेश्वर से प्रार्थना की
15 यहोवा के आगे अपना दिल खोल देने और पवित्र डेरे में उसकी उपासना करने का हन्ना पर क्या असर हुआ? बाइबल बताती है, “तब वह औरत वहाँ से चली गयी। उसने जाकर कुछ खाया और उसके चेहरे पर फिर उदासी न रही।” (1 शमू. 1:18) जी हाँ, हन्ना ने राहत महसूस की। उसने अपने दिल का सारा बोझ अपने पिता यहोवा पर डाल दिया था जो उससे ज़्यादा ताकतवर था। (भजन 55:22 पढ़िए।) क्या आपको लगता है कि ऐसी कोई समस्या है जिसे परमेश्वर हल नहीं कर सकता? आज तक न तो ऐसी कोई समस्या उठी है, न कभी उठेगी!
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
पहले शमूएल किताब की झलकियाँ
2:10—हन्ना ने अपनी प्रार्थना में ऐसा क्यों कहा कि यहोवा ‘अपने राजा को बल दे,’ जबकि उस वक्त तक इस्राएल में कोई इंसानी राजा हुकूमत नहीं कर रहा था? दरअसल मूसा की व्यवस्था में भविष्यवाणी की गयी थी कि आगे चलकर इस्राएलियों पर एक इंसानी राजा ठहराया जाएगा। (व्यवस्थाविवरण 17:14-18) अपनी मौत से पहले याकूब ने भविष्यवाणी की थी: ‘यहूदा से राजदण्ड [राजा के अधिकार की निशानी] न छूटेगा।’ (उत्पत्ति 49:10) इसके अलावा, इस्राएलियों की पुरखिन सारा के बारे में यहोवा ने कहा: “उसके वंश में राज्य राज्य के राजा उत्पन्न होंगे।” (उत्पत्ति 17:16) तो इसका मतलब है कि प्रार्थना में हन्ना भविष्य में आनेवाले राजा की बात कर रही थी।
14-20 फरवरी
पाएँ बाइबल का खज़ाना | 1 शमूएल 3-5
“यहोवा लिहाज़ करनेवाला परमेश्वर है”
सर्वशक्तिमान होने के बावजूद लिहाज़ करनेवाला
3 जब शमूएल ने पवित्र डेरे में सेवा करना शुरू किया, तब वह बहुत छोटा था। (1 शमू. 3:1) कुछ सालों बाद उसके साथ एक अनोखी घटना घटी। (1 शमूएल 3:2-10 पढ़िए।) एक रात जब वह सो रहा था, तब उसने सुना कि कोई उसका नाम पुकार रहा है। शमूएल ने सोचा कि महायाजक एली उसे बुला रहा है। वह एक आज्ञाकारी बच्चा था, इसलिए वह फौरन उठा और भागकर एली के पास गया। उसने कहा, “तूने मुझे बुलाया?” एली ने कहा, “नहीं, मैंने तुझे नहीं बुलाया।” ऐसा दो बार और हुआ। तब एली समझ गया कि परमेश्वर शमूएल को बुला रहा है। उसने शमूएल को बताया कि अगली बार आवाज़ सुनने पर उसे क्या करना चाहिए। शमूएल ने एली की बात मानी। लेकिन सवाल उठता है कि यहोवा ने पहली बार ही शमूएल को क्यों नहीं बताया कि वह उसे बुला रहा है? बाइबल इस बारे में कुछ नहीं बताती। लेकिन हो सकता है कि इसकी वजह यह हो कि यहोवा शमूएल की भावनाएँ समझता था।
सर्वशक्तिमान होने के बावजूद लिहाज़ करनेवाला
4 पहला शमूएल 3:11-18 पढ़िए। यहोवा के कानून में आज्ञा दी गयी थी कि बच्चों को बड़े-बुज़ुर्गों का आदर करना चाहिए, खासकर उनका, जिनके पास कोई अधिकार है। (निर्ग. 22:28; लैव्य. 19:32) इस वजह से हम समझ सकते हैं कि शमूएल को कैसा लगा होगा। उसने सोचा भी नहीं होगा कि सुबह उठकर वह सीधे एली के पास जाए और बेधड़क होकर उसे परमेश्वर का कड़ा संदेश सुनाए। बाइबल बताती है कि “वह दर्शन की बात एली को बताने से डर रहा था।” लेकिन परमेश्वर ने एली पर ज़ाहिर कर दिया था कि वह शमूएल को बुला रहा है। इस वजह से एली ने शमूएल को आज्ञा दी कि परमेश्वर ने उससे जो कुछ कहा, उसकी एक भी बात वह उससे न छिपाए। शमूएल ने एली की आज्ञा मानी और उसे “सारी बात बतायी।”
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पहले शमूएल किताब की झलकियाँ
3:3—क्या शमूएल सचमुच परमपवित्र स्थान में सोया था? जी नहीं। शमूएल लेवी गोत्र के कहाती परिवार से था जो याजकवर्ग से जुदा था। (1 इतिहास 6:33-38) इसलिए उसे ‘भीतर जाकर पवित्र वस्तुओं को देखने’ की इजाज़त नहीं थी। (गिनती 4:17-20) शमूएल सिर्फ निवासस्थान के आँगन में आ-जा सकता था, इसलिए वह वहीं सोया होगा। ऐसा लगता है कि एली भी आँगन में ही कहीं सोता था। तो ज़ाहिर है, “जहां परमेश्वर का सन्दूक था,” इन शब्दों का मतलब निवासस्थान का इलाका होगा।
21-27 फरवरी
पाएँ बाइबल का खज़ाना | 1 शमूएल 6-8
“आपका राजा कौन है?”
इंसाइट-2 पेज 163 पै 1
परमेश्वर का राज
एक इंसान को राजा ठहराने की माँग। इसराएली चाहते थे कि दूसरे राष्ट्रों की तरह उनका भी एक राजा हो। यह माँग करके वे दरअसल यहोवा को अपना राजा मानने से इनकार कर रहे थे। (1शम 8:4-8) यहोवा ने वादा किया था कि वह एक राज कायम करेगा। उसने यह वादा अब्राहम और याकूब से किया था। याकूब ने भी अपनी मौत से पहले यहूदा के बारे में भविष्यवाणी करते वक्त इस राज का ज़िक्र किया। (उत 49:8-10) इसराएलियों को मिस्र से बाहर निकालने के बाद भी यहोवा ने इस राज के बारे में बताया था। (निर्ग 19:3-6) यहाँ तक कि मूसा के कानून में भी यहोवा ने इस बारे में ज़िक्र किया। (व्य 17:14, 15) यहोवा ने भविष्यवक्ता बिलाम के ज़रिए जो संदेश सुनाया, उसमें भी इस राज का ज़िक्र था। (गि 24:2-7, 17) शमूएल की माँ हन्ना ने भी प्रार्थना करते वक्त यह यकीन ज़ाहिर किया कि परमेश्वर का राज आएगा। (1शम 2:7-10) यह सच है कि यहोवा ने अब तक इस “पवित्र रहस्य” यानी राज लाने के वादे के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी थी, जैसे यह नहीं बताया था कि यह राज कब आएगा, इसमें कौन-कौन होगा और यह धरती पर होगा या स्वर्ग में। लेकिन उसने यह साफ ज़ाहिर कर दिया था कि वह अपना राज लाएगा। इसलिए हम कह सकते हैं कि एक इंसानी राजा की माँग करके इसराएलियों ने सही नहीं किया, उन्हें ऐसी माँग करने का कोई अधिकार नहीं था।
निराशाओं के बावजूद उसने धीरज रखा
गौर कीजिए कि जब शमूएल ने यहोवा से इस बारे में प्रार्थना की तो यहोवा ने उसे क्या जवाब दिया: “वे लोग जो कुछ तुझ से कहें उसे मान ले; क्योंकि उन्हों ने तुझ को नहीं परन्तु मुझी को निकम्मा जाना है, कि मैं उनका राजा न रहूं।” यह सुनकर शमूएल को कितना दिलासा मिला होगा, लेकिन ऐसी माँग करके इसराएलियों ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कितनी तौहीन की! यहोवा ने अपने भविष्यवक्ता से कहा कि वह लोगों को चेतावनी दे कि अगर एक इंसानी राजा उन पर राज करेगा तो उन्हें इसकी बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। जब शमूएल ने उन्हें यह चेतावनी दी तब भी वे अपनी बात पर अड़े रहे और कहा: “नहीं! हम निश्चय अपने लिये राजा चाहते हैं।” इस पर परमेश्वर ने उनके लिए राजा चुना और आज्ञाकारी शमूएल ने जाकर उसका अभिषेक किया।—1 शमूएल 8:7-19.
यहोवा की हुकूमत बुलंद हुई!
9 इतिहास दिखाता है कि यहोवा की यह चेतावनी सच साबित हुई। इंसानी राजाओं के हुकूमत करने से इसराएल जाति कई बार मुसीबतों के भँवर में फँस गयी, खासकर तब जब एक राजा परमेश्वर का वफादार साबित नहीं होता था। इसलिए इस उदाहरण को ध्यान में रखते हुए हमारे लिए यह कोई हैरानी की बात नहीं कि सदियों से इंसानी सरकार यहोवा को न जानने की वजह से हमेशा के लिए अच्छे हालात नहीं ला पायी। यह सच है कि कुछ नेताओं ने शांति और सुरक्षा लाने की अपनी कोशिशों पर परमेश्वर की बरकत माँगी। लेकिन परमेश्वर उन्हें आशीष कैसे दे सकता है, जिन्हें उसकी हुकूमत के अधीन रहना गवारा नहीं?—भज. 2:10-12.
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बपतिस्मा क्यों लें?
13 बपतिस्मा पाकर यहोवा के साक्षी बनने से पहले हमारा मन-फिराव होना ज़रूरी है। मन-फिराव एक ऐसा कदम है जिसे एक इंसान अपनी मरज़ी से उठाता है, जब वह मसीह यीशु के नक्शे-कदम पर चलने का तन-मन से फैसला करता है। ऐसे लोग गलत मार्ग पर चलना छोड़ देते हैं और यह ठान लेते हैं कि वे वही काम करेंगे जो परमेश्वर की नज़रों में सही है। बाइबल में, मन-फिराव से जुड़ी इब्रानी और यूनानी क्रियाओं का मतलब, लौट आना या मुड़ना है। यह कदम, गलत मार्ग को छोड़कर परमेश्वर की ओर लौट जाने को सूचित करता है। (1 राजा 8:33, 34) ऐसा करने के लिए “मन फिराव के योग्य काम” करने की ज़रूरत होती है। (प्रेरितों 26:20) ये काम हैं, झूठी उपासना को ठुकरा देना, परमेश्वर की आज्ञाओं के मुताबिक चलना और यहोवा को छोड़ किसी और को भक्ति न देना। (व्यवस्थाविवरण 30:2, 8-10; 1 शमूएल 7:3) जब हम मन फिराते हैं, तो हमारे सोच-विचार, लक्ष्य और स्वभाव में बदलाव आ जाता है। (यहेजकेल 18:31) जब हम बुरे गुणों की जगह नया मनुष्यत्व पहनने लगते हैं, तो हम ‘लौट आते’ हैं।—प्रेरितों 3:19; इफिसियों 4:20-24; कुलुस्सियों 3:5-14.
28 फरवरी–6 मार्च
पाएँ बाइबल का खज़ाना | 1 शमूएल 9-11
“शाऊल पहले नम्र था”
नम्र बनें और मर्यादा में रहें
11 राजा शाऊल के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। वह पहले एक नम्र इंसान था और अपनी मर्यादा में रहता था। जब उसे एक बड़ी ज़िम्मेदारी दी गयी, तो वह उसे लेने से झिझकने लगा क्योंकि वह अपनी हद पहचानता था। (1 शमू. 9:21; 10:20-22) मगर जब वह राजा बना, तो कुछ ही समय बाद उसमें घमंड आ गया। वह ऐसे काम करने लगा जिन्हें करने का अधिकार उसे नहीं था। एक बार उसे भविष्यवक्ता शमूएल का इंतज़ार करना था कि वह आकर होम-बलि चढ़ाए। जब शमूएल को आने में देर होने लगी, तो शाऊल उतावला होने लगा। उसे यहोवा पर भरोसा रखना था कि वह बलि चढ़ाने के लिए कोई इंतज़ाम करेगा। लेकिन शाऊल ने भरोसा नहीं रखा। उसने खुद जाकर बलि चढ़ा दी जबकि उसे ऐसा करने का अधिकार नहीं था। अंजाम क्या हुआ? यहोवा ने शाऊल को ठुकरा दिया और बाद में उसे राजा के पद से हटा दिया। (1 शमू. 13:8-14) हमें शाऊल से सबक लेना चाहिए और कभी-भी अपनी मर्यादा नहीं लाँघनी चाहिए।
त्याग की भावना कैसे बनाए रखें
8 राजा शाऊल की मिसाल हमारे लिए एक चेतावनी है कि कैसे हमारा स्वार्थी रवैया, हमारी त्याग की भावना को खत्म कर सकता है। जब शाऊल ने राज करना शुरू किया, तब वह नम्र था और खुद को हद-से-ज़्यादा अहमियत नहीं देता था। (1 शमू. 9:21) उसने नम्र होकर यह फैसला किया कि वह उन इसराएलियों को सज़ा नहीं देगा, जो उसके राज के बारे में बुरी-बुरी बातें कर रहे थे, हालाँकि ऐसा करके वे दरअसल उस अधिकार पर उँगली उठा रहे थे, जो परमेश्वर ने उसे दिया था। (1 शमू. 10:27) इसराएलियों को अम्मोनियों के खिलाफ जंग में जीत दिलाकर, राजा शाऊल ने परमेश्वर की पवित्र शक्ति के मार्गदर्शन को कबूल किया। इसके बाद, शाऊल ने नम्रता दिखाते हुए इस जीत का सारा श्रेय यहोवा को दिया।—1 शमू. 11:6, 11-13.
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अम्मोनी—ऐसे लोग जिन्होंने कृपा का बदला शत्रुता से दिया
एक बार फिर अम्मोनियों ने यहोवा की कृपा का बदला दुश्मनी से दिया। यहोवा ने इस धमकी को अनदेखा नहीं किया। “जब शाऊल ने [नाहाश का संदेश] सुना तो परमेश्वर की पवित्र शक्ति उस पर काम करने लगी और वह गुस्से से तमतमा उठा।” परमेश्वर की पवित्र शक्ति के निर्देशन में शाऊल ने 3,30,000 सैनिकों को इकट्ठा किया और उन्होंने अम्मोनियों को इस कदर तितर-बितर किया कि “उनमें से हर किसी को अकेले भागना पड़ा।”—1 शमूएल 11:6, 11.
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पहले शमूएल किताब की झलकियाँ
9:9—“जो आज कल नबी कहलाता है वह पूर्वकाल में दर्शी कहलाता था,” इन शब्दों के क्या मायने हैं? इन शब्दों का यह मतलब हो सकता है कि शमूएल के दिनों में और इस्राएली राजाओं के ज़माने में, यहोवा की मरज़ी ज़ाहिर करने के लिए नबियों को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाने लगा था। इसलिए “दर्शी” की जगह “नबी” शब्द इस्तेमाल होने लगा। शमूएल को सबसे पहला भविष्यवक्ता माना जाता है।—प्रेरितों 3:24.
[फुटनोट]
a फुटनोट: मृत सागर के पास मिले खर्रे, इब्रानी मसोरा पाठ (यानी ‘इब्रानी शास्त्र की पुरानी हस्तलिपियाँ’) से 1,000 साल से भी ज़्यादा पुराने हैं। मसोरा पाठ से ही नयी दुनिया अनुवाद बाइबल का अनुवाद किया गया।