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  • मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
  • मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले—2022
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मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले—2022
mwbr22 सितंबर पेज 1-12

मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले

5-11 सितंबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 1 राजा 9-10

“यहोवा की बुद्धि के लिए उसकी तारीफ कीजिए”

प्र99 7/1 पेज 30 पै 6

एक ऐसी मुलाकात जिसका अंजाम बहुत बढ़िया निकला

सुलैमान से मिलने पर, रानी “कठिन कठिन प्रश्‍नों से” उसकी परीक्षा करने लगी। (1 राजा 10:1) यहाँ “प्रश्‍नों” के लिए इस्तेमाल किए गए इब्रानी शब्द का मतलब “पहेलियाँ” भी हो सकता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि रानी सुलैमान से खिलवाड़ कर रही थी। गौर करने लायक बात यह है कि भजन 49:4 में, पाप, मौत और छुटकारे के बारे में गुप्त या गंभीर सवालों के लिए इब्रानी भाषा का यही शब्द इस्तेमाल किया गया है। तो फिर, शीबा की रानी सुलैमान के साथ बहुत गंभीर विषयों पर बात कर रही थी और इस तरह उसने सुलैमान की बुद्धि की परीक्षा ली। बाइबल कहती है कि रानी “अपने मन की सब बातों के विषय में उस से बातें करने लगी।” और सुलैमान ने भी, “उसके सब प्रश्‍नों का उत्तर दिया, कोई बात राजा की बुद्धि से ऐसी बाहर न रही कि वह उसको न बता सका।”​—1 राजा 10:2ख, 3.

प्र99 11/1 पेज 20 पै 6

जब दरियादिली दिखायी जाती है

रानी तो ये सब कुछ देख-सुनकर हैरान रह गई और बड़ी दीनता से बोली: “धन्य हैं तेरे ये सेवक! जो नित्य तेरे सम्मुख उपस्थित रहकर तेरी बुद्धि की बातें सुनते हैं।” (1 राजा 10:4-8) रानी ने सुलैमान के सेवकों को धन्य कहा, क्या इसलिए कि वे बेशुमार धन-दौलत से घिरे हुए थे? जी नहीं। मगर इसलिए क्योंकि वे सुलैमान से बुद्धि की बातें हमेशा सुन सकते थे, ऐसी बुद्धि जो परमेश्‍वर ने उसे दी थी। आज यहोवा के लोगों के लिए शीबा की रानी कितनी बढ़िया मिसाल है क्योंकि वे तो खुद अपने सृष्टिकर्ता यहोवा और उसके बेटे यीशु मसीह की बुद्धि की बातों का हमेशा आनंद लेते हैं!

प्र99 7/1 पेज 30-31

एक ऐसी मुलाकात जिसका अंजाम बहुत बढ़िया निकला

जब शीबा की रानी ने सुलैमान की बुद्धि और उसके राज्य की खुशहाली देखी तो वह “दंग रह गई।” (1 राजा 10:4, 5, NHT) कुछ लोग इन शब्दों का मतलब यों बताते हैं कि रानी की “साँस ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे रह गई।” एक विद्वान ने तो यह भी कहा कि वह बेहोश हो गयी! सच चाहे जो भी हो, यह बात तो पक्की है कि रानी ने जो कुछ देखा और सुना, उससे वह चकित हो गई। उसने सुलैमान के सेवकों को धन्य कहा, क्योंकि उनको राजा की बुद्धिमानी की बातें सुनने का मौका मिलता था और उसने यहोवा की स्तुति की जिसने सुलैमान को राजगद्दी दी थी। बाद में उसने राजा को बहुत कीमती तोहफे दिए। उसने जो सोना दिया सिर्फ उसी की कीमत, आज के हिसाब से, लगभग 4,00,00,000 डॉलर थी। सुलैमान ने भी शीबा की रानी को तोहफे दिए, उसने “जो कुछ चाहा, वही राजा सुलैमान ने उसकी इच्छा के अनुसार उसको दिया।”​—1 राजा 10:6-13.

ढूँढ़े अनमोल रत्न

प्र08 11/1 पेज 22 पै 4-6, अँग्रेज़ी

क्या आप जानते हैं?

राजा सुलैमान के पास कितना सोना था?

बाइबल में लिखा है कि सोर के राजा ने राजा सुलैमान को करीब 4,000 किलो (4 टन) सोना दिया और शीबा की रानी ने भी उतना ही सोना उसे दिया। इसके अलावा, सुलैमान के सेवक जहाज़ के ज़रिए ओपीर से करीब 14,000 किलो (14 टन) सोना लाए। बाइबल में यह भी लिखा है, “सुलैमान को हर साल करीब 666 तोड़े सोना मिलता था,” यानी करीब 22,000 किलो (22 टन) सोना। (1 राजा 9:14, 28; 10:10, 14) क्या वाकई सुलैमान के पास इतना सोना था? आइए देखें कि पुराने ज़माने में राजाओं के पास कितना सोना होता था।

पुराने ज़माने का एक शिलालेख है जिसमें लिखी बातों को विद्वान सच मानते हैं। उस शिलालेख में एक फिरौन के बारे में बताया गया है जो सुलैमान के समय में जीया था। उस फिरौन ने अपने देवता के मंदिर में करीब 12,000 किलो (12 टन) सोना दान दिया था।

इतिहास के मुताबिक, सिकंदर महान (जो ईसा पूर्व 336 से 323 तक जीया था) पूरे फारस से करीब 60 लाख किलो (6,000 टन) सोना उठाकर लाया। और खासकर जब उसने सूसा शहर पर कब्ज़ा किया तो वह वहाँ से करीब 11 लाख किलो (1,070 टन) सोना लाया। इन सबूतों से पता चलता है कि बाइबल में राजा सुलैमान के खज़ाने के बारे में जो बताया गया है, वह बढ़ा-चढ़ाकर नहीं लिखा है बल्कि सच है।

12-18 सितंबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 1 राजा 11-12

“सोच-समझकर जीवन-साथी चुनिए”

प्र18.07 पेज 18 पै 7

क्या आप यहोवा की तरफ हैं?

7 जब सुलैमान जवान था, तब यहोवा के साथ उसकी अच्छी दोस्ती थी। परमेश्‍वर ने उसे बहुत बुद्धि दी और यरूशलेम में एक आलीशान मंदिर बनाने की भारी ज़िम्मेदारी सौंपी। लेकिन बाद में सुलैमान ने यहोवा के साथ अपनी दोस्ती खो दी। (1 राजा 3:12; 11:1, 2) परमेश्‍वर के कानून में लिखा था कि एक राजा को ‘बहुत-सी शादियाँ नहीं करनी चाहिए ताकि उसका मन सही राह से भटक न जाए।’ (व्यव. 17:17) सुलैमान ने यह कानून नहीं माना, उसने बहुत-सी औरतों से शादी की। उसकी 700 पत्नियाँ और 300 उप-पत्नियाँ थीं! (1 राजा 11:3) इनमें से ज़्यादातर औरतें दूसरे देशों की थीं और वे झूठे देवी-देवताओं की पूजा करती थीं। इससे पता चलता है कि सुलैमान ने परमेश्‍वर का यह कानून भी तोड़ा कि इसराएलियों को परदेसियों से शादी नहीं करनी चाहिए।​—व्यव. 7:3, 4.

प्र19.01 पेज 15 पै 6

अपने दिल की हिफाज़त कैसे करें?

6 शैतान हमें अपनी तरह बनाना चाहता है। वह चाहता है कि हम यहोवा के स्तर ठुकराकर अपना मतलब पूरा करें। लेकिन शैतान हमसे ज़बरदस्ती नहीं कर सकता कि हम उसकी तरह सोचें या काम करें। इस वजह से वह दूसरे तरीके अपनाता है। मिसाल के लिए, वह हमें ऐसे लोगों से घिरे रखने की कोशिश करता है, जिनकी सोच वह पहले से ही भ्रष्ट कर चुका है। (1 यूह. 5:19) भले ही हमें पता है कि बुरी संगति हमारी सोच और हमारा चालचलन “बिगाड़” सकती है, फिर भी शैतान इस उम्मीद में रहता है कि हम उन लोगों के साथ वक्‍त बिताएँगे। (1 कुरिं. 15:33) शैतान की यह चाल राजा सुलैमान पर काम कर गयी। सुलैमान ने ऐसी बहुत-सी औरतों से शादी की जो यहोवा की उपासना नहीं करती थीं। उनका “उस पर ज़बरदस्त असर” हुआ और उन्होंने “धीरे-धीरे उसका दिल बहका दिया।”​—1 राजा 11:3; फु.

प्र18.07 पेज 19 पै 9

क्या आप यहोवा की तरफ हैं?

9 लेकिन यहोवा पाप को कभी अनदेखा नहीं करता। बाइबल बताती है, “यहोवा को सुलैमान पर बहुत क्रोध आया क्योंकि उसका दिल . . . यहोवा से बहककर दूर चला गया था।” परमेश्‍वर ने सुलैमान की मदद करने की कोशिश की। उसने ‘दो बार उसे दर्शन दिया और उसे साफ चेतावनी दी कि वह दूसरे देवताओं के पीछे न जाए। मगर उसने यहोवा की आज्ञा नहीं मानी।’ इसका अंजाम यह हुआ कि उसने परमेश्‍वर की मंज़ूरी खो दी। यहोवा ने उसके वंशजों को पूरे इसराएल राष्ट्र पर राज करने की इजाज़त नहीं दी और उन्हें सैकड़ों सालों तक बड़ी-बड़ी मुसीबतें झेलनी पड़ीं।​—1 राजा 11:9-13.

ढूँढ़े अनमोल रत्न

प्र18.06 पेज 13 पै 6–पेज 14 पै 3

वह परमेश्‍वर की मंज़ूरी पा सकता था

रहूबियाम ने बगावत करनेवाले 10 गोत्रों से लड़ने के लिए सेना इकट्ठी की। लेकिन यहोवा ने भविष्यवक्‍ता शमायाह के ज़रिए यह संदेश भेजा, “तुम ऊपर जाकर अपने इसराएली भाइयों से युद्ध मत करना। तुम सब अपने-अपने घर लौट जाओ क्योंकि यह सब मैंने ही करवाया है।”​—1 राजा 12:21-24.

आप सोच सकते हैं कि यह बात मानने में रहूबियाम को कितनी मुश्‍किल हुई होगी। लोग अपने इस नए राजा के बारे में क्या सोचेंगे? उसने तो उनसे कहा था कि वह उन्हें “कीलोंवाले कोड़ों” से पिटवाएगा, लेकिन अब जब उन्होंने बगावत करके उसका घोर अपमान किया है, तो वह चुपचाप बैठा है! (2 इतिहास 13:7 से तुलना कीजिए।) भले ही लोगों ने राजा के बारे में जो भी सोचा हो, लेकिन रहूबियाम और उसकी सेना ने “यहोवा की बात मान ली और सब अपने-अपने घर लौट गए, ठीक जैसे यहोवा ने उनसे कहा था।”

इससे हम क्या सीख सकते हैं? बुद्धिमानी इसी में है कि हम हमेशा यहोवा की बात मानें, फिर चाहे लोग हमारा मज़ाक क्यों न उड़ाएँ। जब हम यहोवा की आज्ञा मानते हैं, तो वह हमेशा आशीष देता है।​—व्यव. 28:2.

परमेश्‍वर की आज्ञा मानने से क्या रहूबियाम को आशीष मिली? हाँ। उसका राज यहूदा और बिन्यामीन गोत्र पर अब भी था। उसने कुछ नए शहर बनवाए और कुछ शहरों को “बहुत मज़बूत किया।” (2 इति. 11:5-12) इससे भी अच्छी बात यह थी कि उसने कुछ समय तक यहोवा का कानून माना। फिर जब दस गोत्रोंवाले राज में मूर्तिपूजा होने लगी, तब वहाँ से बहुत-से लोग सफर करके यरूशलेम आए, ताकि वे रहूबियाम का साथ दें और सच्ची उपासना कर सकें। (2 इति. 11:16, 17) इस तरह परमेश्‍वर की आज्ञा मानने से रहूबियाम का राज मज़बूत हो गया।

19-25 सितंबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 1 राजा 13-14

“क्यों संतुष्ट रहें और मर्यादा में रहें?”

प्र08 8/15 पेज 8 पै 4

एक चित्त होकर यहोवा के वफादार बने रहिए

4 इसके बाद यारोबाम सच्चे परमेश्‍वर के बंदे से कहता है: “मेरे साथ घर आ कर भोजन करो। मैं तुम्हें उपहार दूँगा।” (1 राजा 13:7, बुल्के बाइबिल) अब नबी को क्या करना चाहिए? क्या उसे राजा के न्यौते को कबूल कर लेना चाहिए, इसके बावजूद कि उसने अभी राजा को तीखे शब्दों में न्यायदंड सुनाया है? (भज. 119:113) या क्या उसे उसके न्यौते को ठुकरा देना चाहिए, जबकि ऐसा मालूम होता है कि राजा को अपने किए पर पछतावा है? यारोबाम के पास बेशुमार दौलत है और वह जिन पर मेहरबान होता है, उन्हें सोने-चाँदी से मालामाल कर सकता है। अगर परमेश्‍वर के नबी के दिल में इन चीज़ों के लिए ज़रा-भी चाहत होती, तो राजा की पेशकश को ठुकराना उसके लिए बहुत मुश्‍किल हो सकता था। और इससे उसकी वफादारी की सचमुच परख होती। लेकिन यहोवा ने नबी को हुक्म दिया है: “[तू] न तो रोटी खाना, और न पानी पीना, और न उस मार्ग से लौटना जिस से तू जाएगा।” इसलिए नबी राजा को साफ-साफ जवाब देता है: “चाहे तू मुझे अपना आधा घर भी दे, तौभी तेरे घर न चलूंगा; और इस स्थान में मैं न तो रोटी खाऊंगा और न पानी पीऊंगा।” (1 राजा 13:8-10) नबी के इस फैसले से हम पूरे दिल से यहोवा को वफादारी दिखाने के बारे में क्या सीखते हैं?​—रोमि. 15:4.

प्र08 8/15 पेज 11 पै 15

एक चित्त होकर यहोवा के वफादार बने रहिए

15 परमेश्‍वर के नबी ने जो गलती की, उससे हम और क्या सबक सीखते हैं? नीतिवचन 3:5 कहता है: “तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना।” इस नबी ने पहले कई मौकों पर यहोवा पर भरोसा दिखाया था। मगर जब बूढ़े नबी के संग जाने की बात आयी, तो इस मौके पर उसने अपनी समझ का सहारा लिया। इस गलती की वजह से वह अपनी जान से हाथ धो बैठा और यहोवा के साथ उसका अच्छा नाम खराब हो गया। यह घटना क्या ही ज़बरदस्त तरीके से सिखाती है कि यहोवा की सेवा करते वक्‍त हमें अपनी मर्यादा को पहचानना चाहिए और उसके वफादार रहना चाहिए।

प्र08 8/15 पेज 9 पै 10

एक चित्त होकर यहोवा के वफादार बने रहिए

10 यहूदा के नबी को समझ जाना चाहिए था कि वह बूढ़ा नबी उसे धोखा देने के लिए चाल चल रहा था। वह खुद से पूछ सकता था, ‘यहोवा मुझे नयी हिदायतें देने के लिए अपने स्वर्गदूत को किसी दूसरे के पास क्यों भेजेगा?’ या वह खुद यहोवा से पूछ सकता था कि क्या उसने वाकई उसके लिए कोई नयी हिदायतें दी हैं। लेकिन बाइबल में कहीं नहीं बताया गया है कि उसने ऐसा किया। इसके बजाय, “वह [बूढ़े नबी के] संग लौट गया और उसके घर में रोटी खाई और पानी पीया।” यहोवा इससे खुश नहीं था। जब वह नबी यहूदा को लौट रहा था, तो रास्ते में एक सिंह ने उसे मार डाला। कितने अफसोस की बात है कि एक नबी के तौर पर उसकी सेवा का इस तरह अंत हुआ।​—1 राजा 13:19-25.

ढूँढ़े अनमोल रत्न

प्र11 1/1 पेज 21 पै 5

वह इंसानों में अच्छाई ढूँढ़ता है

सबसे बढ़कर 1 राजा 14:13 से हम यहोवा के बारे में एक बढ़िया बात सीखते हैं और यह जान पाते हैं कि वह हममें क्या ढूँढ़ता है। याद कीजिए, अबिय्याह में कुछ भला या अच्छा “पाया” गया था। ज़ाहिर है कि यहोवा ने उसके दिल को तब तक टटोला होगा, जब तक उसने उसमें कुछ अच्छाई नहीं ढूँढ़ निकाली। एक विद्वान, अबिय्याह के खानदान से उसकी तुलना करते हुए कहता है कि “कंकड़-पत्थर के ढेर में” वही एक सुंदर मोती था। अबिय्याह की अच्छाई देखकर यहोवा को बेहद खुशी हुई और उसने उसे इनाम दिया। उसने दया दिखाते हुए दुष्ट खानदान के इस लड़के को इज़्ज़त से मिट्टी दिलवायी।

26 सितंबर–2 अक्टूबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 1 राजा 15-16

“क्या आप आसा की तरह हिम्मत दिखाते हैं?”

प्र12 8/15 पेज 8 पै 4

“तुम्हें अपने अच्छे काम का पुरस्कार मिलेगा”

इसराएल को दो राज्यों में बँटे 20 साल हो चुके थे। इस दौरान पूरे यहूदा राज्य में जहाँ देखो वहाँ झूठी उपासना हो रही थी। यहाँ तक कि ईसा पूर्व 977 में जब आसा राजा बना, तब राज दरबार के बड़े-बड़े अधिकारी भी जनन-क्षमता के कनानी देवी-देवताओं की पूजा कर रहे थे। मगर बाइबल बताती है, “आसा ने वही किया जो उसके परमेश्‍वर यहोवा की दृष्टि में अच्छा और ठीक था। उस ने तो पराई वेदियों को और ऊंचे स्थानों को दूर किया, और लाठों को तुड़वा डाला, और अशेरा नाम मूरतों को तोड़ डाला।” (2 इति. 14:2, 3) और-तो-और आसा ने मंदिर में सेवा करनेवाले “पुरुषगामियों” को भी अपने राज्य से खदेड़ दिया। झूठे धर्म को मिटाने के साथ-साथ आसा ने सच्ची उपासना को भी बढ़ावा दिया। उसने लोगों को उकसाया कि वे “अपने पूर्वजों के परमेश्‍वर यहोवा की खोज करें और [उसकी] व्यवस्था और आज्ञा को मानें।”​—1 राजा 15:12, 13; 2 इति. 14:4.

प्र17.03 पेज 19 पै 7

पूरे दिल से यहोवा की सेवा कीजिए!

7 हम कैसे जान सकते हैं कि हम यहोवा की सेवा में पूरी तरह लगे हुए हैं या नहीं? खुद से पूछिए, ‘क्या मैं तब भी यहोवा की आज्ञा मानूँगा, जब उसे मानना मेरे लिए मुश्‍किल हो? क्या मैंने ठान लिया है कि मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगा, जिससे यहोवा की शुद्ध मंडली पर दाग लगे?’ ज़रा सोचिए कि जब आसा ने अपनी दादी को राजमाता के पद से हटाया, तो उसे कितनी हिम्मत से काम लेना पड़ा होगा। कभी-कभी शायद आपको भी हिम्मत से काम लेना पड़े। जैसे, अगर आपके परिवार का कोई सदस्य या आपका दोस्त पाप करता है और पश्‍चाताप नहीं करता और इस वजह से उसका बहिष्कार कर दिया जाता है, तो आप क्या करेंगे? क्या आप ठान लेंगे कि आप उससे कोई नाता नहीं रखेंगे? आपके मन में क्या आएगा?

इंसाइट-1 पेज 184-185

आसा

राजा आसा ने कुछ मौकों पर यहोवा पर भरोसा नहीं किया और गलत फैसले लिए। फिर भी उसमें कई अच्छे गुण थे और उसने अपने राज में झूठी उपासना को मिटाने की पूरी कोशिश की। ऐसा लगता है कि यहोवा ने उसकी इन्हीं अच्छाइयों पर ध्यान दिया और उसकी गलतियों को माफ किया। इस वजह से उसे यहूदा के वफादार राजाओं में गिना जाता है। (2इत 15:17)

ढूँढ़े अनमोल रत्न

प्र98 9/15 पेज 21-22

क्या परमेश्‍वर आपके लिए वाकई असली है?

बतौर नमूना, यरीहो को फिर से निर्माण करने पर मिलनेवाली सज़ा के बारे में की गयी भविष्यवाणी पढ़िए और फिर इसकी पूर्ति पर विचार कीजिए। यहोशू 6:26 कहता है: “उसी समय यहोशू ने इस्राएलियों के सम्मुख शपथ रखी, और कहा, कि जो मनुष्य उठकर इस नगर यरीहो को फिर से बनाए वह यहोवा की ओर से शापित हो। जब वह उसकी नेव डालेगा तब तो उसका जेठा पुत्र मरेगा, और जब वह उसके फाटक लगवाएगा तब उसका छोटा पुत्र मर जाएगा।” इसकी पूर्ति कुछ 500 साल बाद हुई, क्योंकि हम 1 राजा 16:34 में पढ़ते हैं: राजा अहाब के “दिनों में बेतेलवासी हीएल ने यरीहो को फिर बसाया; जब उस ने उसकी नेव डाली तब उसका जेठा पुत्र अबीराम मर गया, और जब उस ने उसके फाटक खड़े किए तब उसका लहुरा पुत्र सगूब मर गया, यह यहोवा के उस वचन के अनुसार हुआ, जो उस ने नून के पुत्र यहोशू के द्वारा कहलवाया था।” वाकई एक असल परमेश्‍वर ही ऐसी भविष्यवाणियाँ कर सकता है, साथ ही यह भी देख सकता है कि उनकी पूर्ति हो।

3-9 अक्टूबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 1 राजा 17-18

“तुम लोग कब तक दो विचारों में लटके रहोगे?”

प्र17.03 पेज 14 पै 6

विश्‍वास रखिए, सही फैसले कीजिए!

6 जब इसराएली वादा किए हुए देश पहुँचे, तब उन्हें एक फैसला करना था, जो हमें शायद आसान-सा लगे, लेकिन उनके लिए बहुत अहम फैसला था, यह उनकी ज़िंदगी और मौत का सवाल था। उन्हें चुनना था कि वे यहोवा की उपासना करेंगे या झूठे देवी-देवताओं की। (यहोशू 24:15 पढ़िए।) न्यायियों के दिनों में इसराएलियों ने बार-बार गलत फैसले किए। वे यहोवा की उपासना करना छोड़ देते और झूठे देवी-देवताओं की उपासना करने लगते। (न्यायि. 2:3, 11-23) बाद में भविष्यवक्‍ता एलियाह के दिनों में फिर उन्हें यह फैसला करना था कि वे यहोवा की सेवा करेंगे या झूठे देवता बाल की। (1 राजा 18:21) आप शायद सोचें कि यह तो कोई मुश्‍किल फैसला नहीं था, यहोवा की सेवा करना तो हमेशा अच्छा ही होता है। दरअसल कोई भी समझदार आदमी बाल देवता की उपासना नहीं करेगा। मगर इसराएली यह फैसला नहीं कर पा रहे थे। बाइबल में लिखा है कि वे “दो विचारों में लटके” हुए थे। एलियाह ने बुद्धि से काम लिया और लोगों को बढ़ावा दिया कि वे सच्चे परमेश्‍वर यहोवा की उपासना करने का फैसला करें।

विश्‍वास की मिसाल पेज 88 पै 15

वह सच्ची उपासना के पक्ष में खड़ा हुआ

15 एलियाह की बात सुनकर बाल के पुजारियों पर मानो पागलपन का दौरा पड़ गया। वे ‘गला फाड़-फाड़कर पुकारने लगे। वे अपने दस्तूर के मुताबिक खुद को बरछों और कटारों से काटने लगे। वे ऐसा तब तक करते रहे जब तक कि उनका पूरा शरीर लहू-लुहान न हो गया।’ मगर कोई फायदा नहीं हुआ! “उन्हें कोई जवाब नहीं मिला, कोई आवाज़ सुनायी नहीं दी। उन पर ध्यान देनेवाला कोई न था।” (1 राजा 18:28, 29) यह साफ था कि बाल नाम का कोई देवता है ही नहीं। वह तो शैतान के दिमाग की उपज थी और उसने लोगों को बहकाकर यहोवा से दूर ले जाने के लिए ऐसा किया था। यह एक सच्चाई है कि यहोवा को छोड़ किसी और को अपना मालिक मानने से न सिर्फ निराशा हाथ लगती है बल्कि शर्मिंदा भी होना पड़ता है।​—भजन 25:3; 115:4-8 पढ़िए।

विश्‍वास की मिसाल पेज 90 पै 18

वह सच्ची उपासना के पक्ष में खड़ा हुआ

18 एलियाह के प्रार्थना करने से पहले, लोगों ने सोचा होगा कि क्या यहोवा भी बाल के जैसा झूठा निकलेगा। मगर जवाब के लिए उन्हें इंतज़ार नहीं करना पड़ा। बाइबल बताती है, “तब यहोवा ने ऊपर से आग भेजी जिससे होम-बलि, लकड़ी, पत्थर, धूल, सबकुछ भस्म हो गया और खाई का पानी भी पूरी तरह सूख गया।” (1 राजा 18:38) क्या ही हैरतअंगेज़ जवाब! यह देखकर लोगों ने क्या किया?

ढूँढ़े अनमोल रत्न

विश्‍वास की मिसाल पेज 86, बक्स

वह सच्ची उपासना के पक्ष में खड़ा हुआ

एलियाह के दिनों में सूखा कितने समय तक था?

यहोवा के भविष्यवक्‍ता एलियाह ने राजा अहाब को बताया कि लंबे समय से पड़ा सूखा जल्द ही खत्म हो जाएगा। ऐसा “तीसरे साल” में हुआ था (1 राजा 18:1) ज़ाहिर है, एलियाह ने शुरू में जब सूखा पड़ने का ऐलान किया था तब से गिनने पर जो तीसरा साल था तभी सूखा मिट गया था। फिर जब एलियाह ने कहा कि यहोवा बारिश कराएगा तो उसके तुरंत बाद बारिश होने लगी। कुछ लोग शायद सोचें कि तीसरे साल के दौरान ही सूखा मिट गया था, इसलिए कुल मिलाकर सूखा तीन साल से कम समय तक रहा। मगर यीशु और याकूब ने कहा कि सूखा “साढ़े तीन साल” तक रहा। (लूका 4:25; याकू. 5:17) क्या बाइबल दो अलग-अलग बातें बताती है?

जी नहीं। पुराने ज़माने में इसराएल में गरमी का मौसम काफी लंबा हुआ करता था, करीब छः महीने तक रहता था। जब एलियाह ने अहाब को बताया कि सूखा पड़ेगा तब तक गरमियों को शुरू हुए छः महीने से भी ज़्यादा समय हो चुका था और गरमियों से देश का पहले ही बुरा हाल हो चुका था। देखा जाए तो सूखा एक तरह से छः महीने पहले ही पड़ चुका था। इसलिए जब एलियाह ने कहा कि “तीसरे साल” में सूखा खत्म होगा तो तब तक सूखा पड़े साढ़े तीन साल बीत चुके थे। जब लोग करमेल पहाड़ पर हुई बड़ी परीक्षा के लिए इकट्ठा हुए तब तक पूरे “साढ़े तीन साल” गुज़र चुके थे।

अब गौर कीजिए कि जिस वक्‍त एलियाह अहाब से मिलने गया वह क्यों बिलकुल सही समय था। लोग मानते थे कि बाल “बादलों की सवारी करनेवाला” देवता है जो बारिश लाकर गरमियों के मौसम का अंत करता है। जब गरमियों का मौसम इतना लंबा चला जितना कभी नहीं होता था तो लोगों ने ज़रूर सोचा होगा, ‘बाल कहाँ चला गया? कब लाएगा वह बारिश?’ जब एलियाह ने कहा कि जब तक वह न कहे तब तक न बारिश होगी न ओस पड़ेगी, तो बाल की पूजा करनेवालों को बड़ा झटका लगा होगा।​—1 राजा 17:1.

10-16 अक्टूबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 1 राजा 19-20

“हौसला पाने के लिए यहोवा के पास जाइए”

प्र19.06 पेज 15 पै 5

जब चिंताओं से हों घिरे, यहोवा पर भरोसा रखें

5 1 राजा 19:1-4 पढ़िए। जब रानी इज़ेबेल ने एलियाह को जान से मारने की धमकी दी, तो वह बहुत डर गया और बेरशेबा के इलाके में भाग गया। वह इतना निराश हो गया कि “परमेश्‍वर से मौत” माँगने लगा। एलियाह ने ऐसा क्यों महसूस किया? क्योंकि वह भी हमारी तरह अपरिपूर्ण था और उसमें “हमारे जैसी भावनाएँ थीं।” (याकू. 5:17) शायद वह बहुत तनाव में था और शारीरिक रूप से पस्त हो चुका था। उसे लग रहा था कि उसने लोगों को यहोवा की उपासना करने का जो बढ़ावा दिया, उसका कोई फायदा नहीं, इसराएल देश के हालात में कोई सुधार नहीं हुआ है और यहोवा की सेवा करनेवालों में से वही अकेला रह गया है। (1 राजा 18:3, 4, 13; 19:10, 14) हमें शायद हैरानी हो कि इतना वफादार सेवक ऐसा कैसे सोच सकता था। लेकिन यहोवा एलियाह की भावनाएँ अच्छी तरह समझता था।

विश्‍वास की मिसाल पेज 103 पै 13

उसने अपने परमेश्‍वर से दिलासा पाया

13 आपको क्या लगता है, जब यहोवा ने स्वर्ग से नीचे देखा कि उसका प्यारा भविष्यवक्‍ता वीराने में झाड़ी के नीचे बैठा मौत की कामना कर रहा है, तो उसे कैसा लगा होगा? हमें अंदाज़ा लगाने की ज़रूरत नहीं। एलियाह जब सो गया तो यहोवा ने उसके पास एक स्वर्गदूत भेजा। स्वर्गदूत ने धीरे से उसे जगाया और कहा, “उठ और कुछ खा ले।” स्वर्गदूत ने उसके सिरहाने एक सादा-सा खाना, यानी ताज़ी गरम रोटी और पानी रख दिया था। एलियाह उठा, उसने खाना खाया और पानी पीया। क्या उसने स्वर्गदूत को धन्यवाद दिया? बाइबल सिर्फ इतना बताती है कि भविष्यवक्‍ता ने रोटी खायी, पानी पीया और दोबारा सो गया। क्या वह इतना निराश था कि उससे कुछ बोलते नहीं बना? बात चाहे जो भी रही हो, स्वर्गदूत ने उसे दूसरी बार उठाया, शायद सुबह-सुबह। एक बार फिर उसने एलियाह से कहा, “उठ और कुछ खा ले।” इसके बाद स्वर्गदूत ने जो कहा वह गौर करने लायक है। उसने कहा, “क्योंकि आगे का सफर तेरे लिए बहुत मुश्‍किल और थकाऊ होगा।”​—1 राजा 19:5-7.

विश्‍वास की मिसाल पेज 106 पै 21

उसने अपने परमेश्‍वर से दिलासा पाया

21 बाइबल साफ-साफ बताती है कि जब आँधी चली, भूकंप आया और आग भड़की तो कुदरत के इन शक्‍तिशाली प्रदर्शनों में यहोवा नहीं था। एलियाह को मालूम था कि यहोवा, बाल की तरह कोई मनगढ़ंत प्रकृति-देवता नहीं है। बाल की पूजा करनेवाले मानते थे कि बाल “बादलों की सवारी करनेवाला” देवता या बरसात का देवता है। कुदरत में पायी जानेवाली ज़बरदस्त शक्‍तियों का असली सोता यहोवा है। साथ ही, वह अपनी बनायी हर चीज़ से कहीं ज़्यादा महान है। वह इतना महान है कि वह विशाल आकाश में भी नहीं समा सकता! (1 राजा 8:27) इन सब बातों से एलियाह को कैसे मदद मिली? याद कीजिए कि वह बहुत डरा हुआ था। जब यहोवा जैसा परमेश्‍वर एलियाह के साथ है, जो कुदरत की ज़बरदस्त शक्‍तियों का जब चाहे जैसा चाहे इस्तेमाल कर सकता है, तो उसे अहाब और इज़ेबेल से डरने की कोई ज़रूरत नहीं!​—भजन 118:6 पढ़िए।

विश्‍वास की मिसाल पेज 106 पै 22

उसने अपने परमेश्‍वर से दिलासा पाया

22 आग के बाद चारों तरफ सन्‍नाटा छा गया। फिर एलियाह को “एक धीमी आवाज़ सुनायी दी और उस आवाज़ में नरमी थी।” उस आवाज़ ने एलियाह को एक बार फिर अपने दिल की बात बताने के लिए कहा और एलियाह ने दूसरी बार ऐसा किया। तब उसका मन हलका हो गया होगा। और उस “धीमी आवाज़” ने आगे जो कहा उससे बेशक एलियाह को और दिलासा मिला होगा। यहोवा ने एलियाह को भरोसा दिलाया कि वह बेकार नहीं है। परमेश्‍वर ने उसे बताया कि इसराएल से बाल की उपासना को जड़ से मिटाने के लिए भविष्य में क्या-क्या होगा। इससे पता चलता है कि एलियाह का काम बेकार नहीं गया था, क्योंकि परमेश्‍वर का मकसद आगे बढ़ता जा रहा था और उसे पूरा होने से कोई रोक नहीं सकता था। इसके अलावा, परमेश्‍वर आगे भी उसे अपने भविष्यवक्‍ता के तौर पर इस्तेमाल करनेवाला था, क्योंकि यहोवा ने उसे कुछ खास निर्देश देकर उसे फिर से कुछ ज़िम्मेदारियाँ सौंपीं।​—1 राजा 19:12-17.

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प्र97 11/1 पेज 31 पै 2

आत्म-त्याग और निष्ठा का उदाहरण

आज परमेश्‍वर के अनेक सेवक आत्म-त्याग की वैसी ही आत्मा दिखाते हैं। कुछ लोगों ने दूर क्षेत्रों में सुसमाचार का प्रचार करने के लिए या एक बॆथॆल परिवार के सदस्यों के रूप में सेवा करने के लिए अपने “खेत,” अपनी जीविकाएँ छोड़ दी हैं। दूसरे जन संस्था की निर्माण परियोजनाओं पर कार्य करने के लिए विदेश गये हैं। अनेक जनों ने वे काम स्वीकार किये हैं जिन्हें तुच्छ समझा जा सकता है। लेकिन, कोई भी जो यहोवा की सेवा करता है महत्त्वहीन काम नहीं कर रहा। यहोवा उन सब का मूल्यांकन करता है जो स्वेच्छा से उसकी सेवा करते हैं और वह उनकी आत्म-त्याग की आत्मा पर आशीष देगा।​—मरकुस 10:29, 30.

17-23 अक्टूबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 1 राजा 21-22

“यहोवा अपने अधीन रहनेवालों के साथ जिस तरह पेश आता है, उससे सीखिए”

यहोवा के करीब पेज 59 पै 5

विनाशकारी शक्‍ति​—“यहोवा योद्धा है”

5 बाइबल की मूल भाषाओं में, इब्रानी शास्त्र में करीब तीन सौ बार और मसीही यूनानी शास्त्र में दो बार परमेश्‍वर को ‘सेनाओं का यहोवा’ कहा गया है। (1 शमूएल 1:11) इस पूरे जहान के महाराजाधिराज, यहोवा के पास अनगिनित स्वर्गदूतों की बड़ी सेना है। (यहोशू 5:13-15; 1 राजा 22:19) और ये सेनाएँ इतना विनाश करने के काबिल हैं जिसका कोई हिसाब नहीं। (यशायाह 37:36)

प्र21.02 पेज 4 पै 9

“हर आदमी का सिर मसीह है”

9 नम्रता। यहोवा पूरे जहान में सबसे बुद्धिमान है। फिर भी वह उनकी सुनता है जो उसके अधीन हैं और उनसे सलाह भी लेता है। (उत्प. 18:23, 24, 32) बाइबल बताती है कि एक बार उसने किसी विषय पर स्वर्गदूतों से सलाह ली। (1 राजा 22:19-22) यहोवा परिपूर्ण है पर वह यह उम्मीद नहीं करता कि हमसे कोई गलती नहीं होगी। वह हमें खुश देखना चाहता है, इसलिए वह हमारी मदद करता है। (भज. 27:9; 113:6, 7; इब्रा. 13:6) राजा दाविद ने भी कहा कि वह यहोवा की नम्रता की वजह से ही अपनी ज़िंदगी में कामयाब हो पाया।​—2 शमू. 22:36.

इंसाइट-2 पेज 245

झूठ

जो लोग झूठी बातें पसंद करते हैं उन्हें परमेश्‍वर “झूठी शिक्षाओं से बहकने देता है ताकि वे झूठ पर यकीन करें,” न कि यीशु मसीह के बारे में खुशखबरी पर। (2थि 2:9-12) सदियों पहले इसराएली राजा अहाब के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था। झूठे भविष्यवक्‍ताओं ने उसे कायल कर दिया कि वह रामोत-गिलाद को हरा देगा जबकि यहोवा के भविष्यवक्‍ता मीकायाह ने कहा था कि अगर वह युद्ध में जाएगा, तो उसके साथ बुरा होगा। जैसे मीकायाह ने दर्शन में देखा यहोवा की इजाज़त से एक स्वर्गदूत ने अहाब के भविष्यवक्‍ताओं के मुँह से “झूठ बुलवाया।” इसका मतलब यह है कि उस स्वर्गदूत ने भविष्यवक्‍ताओं पर ऐसा असर किया कि उन्होंने अहाब को सच बताने के बजाय वही बात बतायी जो वे बताना चाहते थे और जो अहाब सुनना चाहता था। हालाँकि अहाब को बताया गया था कि वह उन भविष्यवक्‍ताओं की झूठी बातों पर यकीन न करे, फिर भी उसने यकीन किया, इसलिए वह अपनी जान से हाथ धो बैठा।​—1रा 22:1-38; 2इत 18.

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प्र21.10 पेज 3 पै 4-6

दिल से पश्‍चाताप करने का क्या मतलब है?

4 आखिरकार, यहोवा के सब्र का बाँध टूट गया। उसने एलियाह के ज़रिए अहाब और इज़ेबेल को बताया कि वह उनके खानदान को पूरी तरह मिटा देगा। यह बात अहाब को बुरी तरह लग गयी! और वह घमंडी राजा “नम्र बन गया।”​—1 राजा 21:19-29.

5 यह बात सच है कि अहाब ने उस वक्‍त खुद को नम्र किया। लेकिन उसने बाद में जो किया, उससे पता चलता है कि उसे सच में अपने किए पर पछतावा नहीं था। उसने अपने राज्य से बाल की उपासना नहीं हटायी, न ही उसने लोगों को यहोवा की उपासना करने का बढ़ावा दिया। उसने और भी बहुत कुछ किया, जिससे पता चलता है कि उसे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं था।

6 कुछ समय बाद, अहाब ने यहूदा के राजा यहोशापात से कहा कि वह सीरिया के खिलाफ युद्ध करने में उसका साथ दे। यहोशापात एक अच्छा राजा था, इसलिए उसने कहा कि उन्हें इस मामले में यहोवा के भविष्यवक्‍ता से सलाह लेनी चाहिए। अहाब ऐसा नहीं करना चाहता था, क्योंकि उसने कहा, “एक और आदमी है जिसके ज़रिए हम यहोवा से सलाह माँग सकते हैं, मगर मुझे उस आदमी से नफरत है। वह मेरे बारे में कभी अच्छी बातों की भविष्यवाणी नहीं करता, सिर्फ बुरी बातें कहता है।” फिर भी, अहाब मान गया और दोनों राजाओं ने भविष्यवक्‍ता मीकायाह से सलाह ली। जैसा अहाब ने कहा था, भविष्यवक्‍ता ने उसके बारे में बुरी खबर सुनायी। यह सुनकर खुद को बदलने के बजाय, अहाब ने भविष्यवक्‍ता को ही कैद में डाल दिया। (1 राजा 22:7-9, 23, 27) हालाँकि उसने भविष्यवक्‍ता का मुँह बंद करवा दिया, लेकिन वह यहोवा की बात को पूरा होने से नहीं रोक पाया। उसी युद्ध में अहाब की मौत हो गयी।​—1 राजा 22:34-38.

24-30 अक्टूबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 राजा 1-2

“प्रशिक्षण के बारे में बढ़िया सीख”

प्र15 4/15 पेज 13 पै 15

प्राचीन कैसे दूसरों को योग्य बनने की तालीम देते हैं?

15 एलीशा के ब्यौरे से यह भी पता चलता है कि आज भाइयों के लिए तजुरबेकार प्राचीनों का आदर करना कितना ज़रूरी है। एलिय्याह और एलीशा यरीहो में भविष्यवक्‍ताओं के एक समूह से मिलने के बाद, यरदन नदी पर गए। फिर “एलिय्याह ने अपनी चद्दर पकड़कर ऐंठ ली, और जल पर मारा, तब वह इधर उधर दो भाग हो गया।” उन दोनों ने सूखी ज़मीन पर चलकर यरदन नदी पार की और वे “चलते चलते बातें कर रहे थे।” एलीशा ने अपने शिक्षक की कही हर बात बड़े ध्यान-से सुनी और उससे सीखता रहा। एलीशा ने कभी ऐसा नहीं सोचा कि उसे सबकुछ पता है। फिर एलिय्याह एक बवंडर में स्वर्ग पर उठा लिया गया और एलीशा वापस यरदन नदी पर आ गया। वहाँ उसने एलिय्याह की चद्दर पानी पर मारी और कहा, “एलिय्याह का परमेश्‍वर यहोवा कहाँ है?” नदी का पानी फिर से दो भागों में बँट गया।​—2 राजा 2:8-14.

प्र15 4/15 पेज 13 पै 16

प्राचीन कैसे दूसरों को योग्य बनने की तालीम देते हैं?

16 क्या आपने गौर किया, एलीशा का पहला चमत्कार ठीक वैसा ही था जैसा एलिय्याह का आखिरी चमत्कार? इससे हम क्या सीख सकते हैं? एलीशा ने ऐसा नहीं सोचा कि अब उसके पास अधिकार है इसलिए उसे हर काम उस तरह से करने की ज़रूरत नहीं जैसे एलिय्याह ने किया था। इसके बजाय, उसने एलिय्याह के तरीके अपनाकर दिखाया कि वह अपने शिक्षक की कितनी इज़्ज़त करता है। इस वजह से बाकी भविष्यवक्‍ता भी एलीशा पर भरोसा रख पाए। (2 राजा 2:15) एलीशा ने 60 सालों तक एक नबी के तौर पर सेवा की। और यहोवा ने उसे एलिय्याह से कहीं ज़्यादा चमत्कार करने की शक्‍ति दी। इससे आज के विद्यार्थियों को क्या सीख मिलती है?

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प्र05 8/1 पेज 9 पै 1

दूसरा राजा किताब की झलकियाँ

2:11​—“एलिय्याह बवंडर में होकर स्वर्ग पर चढ़ गया” था। यहाँ बताया गया “स्वर्ग” क्या था? यहाँ स्वर्ग का मतलब ना तो यह अंतरिक्ष है, ना ही वह आत्मिक लोक है जहाँ परमेश्‍वर और उसके स्वर्गदूत रहते हैं। (व्यवस्थाविवरण 4:19; भजन 11:4; मत्ती 6:9; 18:10) एलिय्याह जिस “स्वर्ग” को उठा लिया गया था, वह दरअसल आकाश यानी वायुमंडल था। (भजन 78:26; मत्ती 6:26) ज़ाहिर है कि वह अग्निमय रथ पृथ्वी के वायुमंडल से होते हुए, एलिय्याह को धरती के किसी और इलाके में ले गया। वहाँ एलिय्याह कुछ और समय तक जीया। दरअसल, इस घटना के सालों बाद एलिय्याह ने उस जगह से यहूदा के राजा, यहोराम को एक खत भी लिखा था।​—2 इतिहास 21:1, 12-15.

31 अक्टूबर–6 नवंबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 राजा 3-4

“अपने बेटे को गोद में उठा ले”

प्र17.12 पेज 4 पै 7

“मैं जानती हूँ . . . वह ज़िंदा हो जाएगा”

7 दूसरी घटना भविष्यवक्‍ता एलीशा के समय में घटी थी। शूनेम नाम के शहर में एक इसराएली औरत रहती थी, जिसका कोई बच्चा नहीं था। वह औरत अकसर एलीशा की मेहमान-नवाज़ी करती थी। यह देखकर यहोवा खुश हुआ और उसने उस औरत और उसके बुज़ुर्ग पति को एक बेटा दिया। मगर कुछ साल बाद, वह बेटा मर गया। ज़रा सोचिए, उस माँ पर क्या बीती होगी! वह इतनी दुखी थी कि एलीशा को ढूँढ़ने के लिए 30 किलोमीटर दूर करमेल पहाड़ तक गयी। फिर एलीशा ने उसके बेटे को ज़िंदा करने के लिए अपने सेवक गेहजी को अपने आगे भेजा। लेकिन गेहजी उसे ज़िंदा नहीं कर पाया। फिर एलीशा और वह औरत घर पहुँचें।​—2 राजा 4:8-31.

प्र17.12 पेज 5 पै 8

“मैं जानती हूँ . . . वह ज़िंदा हो जाएगा”

8 एलीशा अंदर गया जहाँ बेटे की लाश रखी थी और उसने प्रार्थना की। यहोवा ने उसकी प्रार्थना सुनी और लड़के को ज़िंदा कर दिया। अपने बच्चे को ज़िंदा देखकर माँ की खुशी का ठिकाना नहीं रहा! (2 राजा 4:32-37 पढ़िए।) शायद उसे हन्‍ना की प्रार्थना याद आयी होगी। हन्‍ना की कोई संतान नहीं थी। फिर यहोवा ने उसे एक बेटा दिया जिसका नाम शमूएल रखा गया। तब हन्‍ना ने यहोवा की तारीफ में कहा, “वही इंसान को नीचे कब्र में पहुँचाता है और जो कब्र में हैं उन्हें जी उठाता है।” (1 शमू. 2:6) यहोवा ने शूनेम की रहनेवाली उस औरत के बेटे को सचमुच जी उठाया और इस तरह उसने साबित किया कि उसके पास मरे हुओं को ज़िंदा करने की ताकत है।

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इंसाइट-2 पेज 697 पै 2

भविष्यवक्‍ता

‘भविष्यवक्‍ताओं के बेटे।’ इन शब्दों का मतलब सच में बेटे नहीं है। यहाँ ‘बेटे’ के लिए जो इब्रानी शब्द है, उसका मतलब किसी दल का सदस्य भी हो सकता है। इसलिए ‘भविष्यवक्‍ताओं के बेटों’ का मतलब शायद भविष्यवक्‍ताओं का एक दल था, जिसमें एलीशा जैसा एक निगरान होता था और वह उन्हें सिखाता था। या ‘बेटों’ का मतलब भविष्यवक्‍ताओं का एक समूह भी हो सकता है जो साथ में रहते थे। उनमें से शायद एक अकेले को भी भविष्यवाणी करने का काम दिया जाता था। बाइबल में उनके बारे में जो जानकारी दी गयी है, उससे पता चलता है कि वे एक साधारण जीवन जीते थे।​—1रा 20:35-42; 6:1-7; 9:1, 2; 2रा 4:38.

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
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