अध्याय 16
एकता के बंधन में बँधी भाइयों की बिरादरी
करीब 1,500 साल तक यहोवा ने इसराएल राष्ट्र को अपना समझा, क्योंकि उस राष्ट्र से उसका नाम जुड़ा था। इसके बाद उसने “गैर-यहूदी राष्ट्रों की तरफ ध्यान दिया ताकि उनके बीच से ऐसे लोगों को इकट्ठा करे जो परमेश्वर के नाम से पहचाने जाएँ।” (प्रेषि. 15:14) यहोवा के नाम से पहचाने जानेवाले लोग उसके साक्षी होंगे। वे चाहे धरती के किसी भी कोने में रहते हों, मगर विचारों और कामों में वे सब एक होंगे। जो लोग यहोवा के नाम से जाने जाते हैं उन सबका एक ही मकसद है। इस मकसद के बारे में यीशु ने अपने चेलों से कहा था, “जाओ और सब राष्ट्रों के लोगों को मेरा चेला बनना सिखाओ और उन्हें पिता, बेटे और पवित्र शक्ति के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें वे सारी बातें मानना सिखाओ जिनकी मैंने तुम्हें आज्ञा दी है।”—मत्ती 28:19, 20.
आप पूरी दुनिया में फैली मसीहियों की बिरादरी का हिस्सा हैं, जिसके बीच एकता है और जहाँ देश, जाति या अमीरी-गरीबी को लेकर कोई फूट नहीं है
2 समर्पण करने और बपतिस्मा लेने से आप यीशु मसीह के चेले बन गए हैं। अब आप पूरी दुनिया में फैली मसीहियों की बिरादरी का हिस्सा हैं, जिसके बीच एकता है और जहाँ देश, जाति या अमीरी-गरीबी को लेकर कोई फूट नहीं है। (भज. 133:1) नतीजा, आप मंडली के मसीही भाइयों से प्यार करते हैं और उनका आदर करते हैं। इनमें से कुछ लोग शायद दूसरे देश या दूसरी जाति से हों या फिर वे आपके जितना पढ़े-लिखे न हों। या फिर हो सकता है, सच्चाई में आने से पहले आपको ऐसे लोगों से मिलना-जुलना बिलकुल पसंद नहीं था। मगर अब आपके दिलों में भाइयों के लिए सच्चा प्यार है। प्यार का यह रिश्ता एक ही समाज, धर्म या परिवार के लोगों के बीच मौजूद किसी भी रिश्ते से कहीं ज़्यादा मज़बूत है।—मर. 10:29, 30; कुलु. 3:14; 1 पत. 1:22.
सोच-विचार में बदलाव
3 अगर कुछ लोगों के दिल में जाति, देश, समाज में ओहदे या किसी और बात को लेकर भेदभाव है और इसे मिटाना उन्हें मुश्किल लगता है, तो वे पहली सदी के यहूदी मसीहियों के उदाहरण पर ध्यान दे सकते हैं। यहूदी धर्म ने दूसरे सभी धर्मों के लोगों के खिलाफ यहूदियों के दिलों में नफरत भर दी थी। मगर अब मसीही बनने के बाद इन्हें यह भेदभाव अपने दिलों से उखाड़ फेंकना था। जब पतरस को एक रोमी सेनापति कुरनेलियुस के घर जाने की हिदायत दी गयी, तो यहोवा ने पतरस की भावनाओं का लिहाज़ करते हुए उसे इस काम के लिए तैयार किया।—प्रेषि., अध्या. 10.
4 एक दर्शन में पतरस को बताया गया कि वह कुछ जानवरों को मारकर खाए। ये ऐसे जानवर थे जो मूसा के कानून के हिसाब से यहूदियों के लिए अशुद्ध थे। जब पतरस ने एतराज़ किया, तो स्वर्ग से एक आवाज़ ने उससे कहा, “तू अब से उन चीज़ों को दूषित मत कहना जिन्हें परमेश्वर ने शुद्ध किया है।” (प्रेषि. 10:15) इस तरह खुद परमेश्वर के कहने पर पतरस ने अपना नज़रिया बदला, ताकि उसे जो ज़िम्मेदारी मिलनेवाली थी उसे वह निभा सके, यानी एक गैर-यहूदी आदमी के घर जाकर उससे मिले। जब पतरस यहोवा की बात मानकर उस आदमी के यहाँ गया, तो उसने वहाँ जमा हुए लोगों से कहा, “तुम अच्छी तरह जानते हो कि एक यहूदी के लिए दूसरी जाति के किसी इंसान से मिलना-जुलना या उसके यहाँ जाना भी नियम के खिलाफ है। मगर फिर भी परमेश्वर ने मुझे दिखाया है कि मैं किसी भी इंसान को दूषित या अशुद्ध न कहूँ। इसलिए जब मुझे बुलाया गया, तो मैं बिना किसी एतराज़ के चला आया।” (प्रेषि. 10:28, 29) इसके बाद, पतरस ने खुद अपनी आँखों से देखा कि यहोवा ने कुरनेलियुस और उसके घराने पर अपनी मंज़ूरी कैसे ज़ाहिर की।
5 तरसुस का शाऊल एक फरीसी था और उसने ऊँची शिक्षा हासिल की थी। वह उन लोगों से मेल-जोल नहीं रखता था जिन्हें समाज तुच्छ समझता था। लेकिन अब मसीही बनने के बाद उसने खुद को नम्र किया और उन्हीं लोगों के साथ मेल-जोल रखा। इतना ही नहीं, उसने उन लोगों से मिलनेवाले निर्देशों को भी माना। (प्रेषि. 4:13; गला. 1:13-20; फिलि. 3:4-11) इसके अलावा सिरगियुस पौलुस, दियोनिसियुस, दमरिस, फिलेमोन, उनेसिमुस और ऐसे कई लोग जब यीशु मसीह के चेले बने, तो उन्होंने भी अपनी सोच में बड़े-बड़े बदलाव किए होंगे।—प्रेषि. 13:6-12; 17:22, 33, 34; फिले. 8-20.
अपनी अंतर्राष्ट्रीय एकता बरकरार रखिए
6 बेशक मंडली के भाई-बहनों के प्यार ने आपको यहोवा और उसके संगठन की तरफ खींचा होगा। आपने मंडली में ज़रूर ऐसा प्यार देखा होगा जो यीशु मसीह के सच्चे चेलों की पहचान है। यीशु ने कहा था, “मैं तुम्हें एक नयी आज्ञा देता हूँ कि तुम एक-दूसरे से प्यार करो। ठीक जैसे मैंने तुमसे प्यार किया है, वैसे ही तुम भी एक-दूसरे से प्यार करो। अगर तुम्हारे बीच प्यार होगा, तो इसी से सब जानेंगे कि तुम मेरे चेले हो।” (यूह. 13:34, 35) लेकिन मंडली का प्यार इस बात की बस एक झलक है कि पूरी दुनिया में भाई-बहनों के बीच कितना प्यार है। जब आपने यह बात समझी, तो आपके दिल में यहोवा और उसके संगठन के लिए कदर और बढ़ गयी होगी! आप बाइबल की वह भविष्यवाणी पूरी होते देख रहे हैं जो कहती है कि आखिरी दिनों में लोगों को इकट्ठा किया जाएगा, ताकि वे शांति से और एक होकर यहोवा की उपासना करें।—मीका 4:1-5.
7 आज इंसानों के बीच फूट पड़ने की कई वजह हैं। ऐसे में क्या कभी कोई सोच सकता था कि “सब राष्ट्रों और गोत्रों और जातियों और भाषाओं में से” लोगों को एक करना मुमकिन होगा? (प्रका. 7:9) ज़रा सोचिए, एक तरफ ऐसे लोग हैं जो विज्ञान के साथ कदम-से-कदम मिलाकर चलते हैं। दूसरी तरफ ऐसे लोग भी हैं जो अपने पुराने रस्मों-रिवाज़ छोड़ना नहीं चाहते। इन दोनों के बीच बहुत फर्क है। गौर कीजिए कि एक ही जाति और देश के लोगों के बीच धर्म को लेकर कितने दंगे-फसाद होते हैं। देश-भक्ति की भावना बढ़ गयी है और लोग पहले से कहीं ज़्यादा अलग-अलग देशों और राज्यों में बँट गए हैं। इसके अलावा, हर कहीं लोगों में अमीरी-गरीबी और दूसरी कई वजह से फूट पड़ी हुई है। ऐसे में सभी देशों, भाषाओं, समूहों और वर्गों के लोगों को एक करके उन्हें प्यार और शांति के अटूट बंधन में बाँधना किसी चमत्कार से कम नहीं है। यह चमत्कार सिर्फ सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही कर सकता है!—जक. 4:6.
8 ऐसी एकता कोई सपना नहीं, हकीकत है। जब आपने समर्पण करके बपतिस्मा लिया और यहोवा के साक्षी बने, तो आप भी इस बिरादरी का हिस्सा बन गए। अब क्योंकि आप इस भाईचारे से फायदा पा रहे हैं, तो आपकी ज़िम्मेदारी बनती है कि आप इसे कायम रखें। इसके लिए आप गलातियों 6:10 में दर्ज़ प्रेषित पौलुस की यह बात मान सकते हैं, “जब तक हमारे पास मौका है, आओ हम सबके साथ भलाई करें, खासकर उनके साथ जो विश्वास में हमारे भाई-बहन हैं।” हम इस सलाह को भी मानते हैं, “झगड़ालू रवैए या अहंकार की वजह से कुछ न करो, मगर नम्रता से दूसरों को खुद से बेहतर समझो। और हर एक सिर्फ अपने भले की फिक्र में न रहे, बल्कि दूसरे के भले की भी फिक्र करे।” (फिलि. 2:3, 4) आइए हम खुद को यह सिखाते रहें कि हम अपने भाई-बहनों को यहोवा की नज़र से देखेंगे न कि इंसानी नज़रिए से। जब तक हम ऐसा करेंगे उनके साथ हमारा रिश्ता शांति और खुशियों-भरा होगा।—इफि. 4:23, 24.
एक-दूसरे के लिए परवाह
9 प्रेषित पौलुस ने हमें समझाने के लिए मिसाल दी कि मंडली के भाई-बहन, शरीर के अलग-अलग अंगों की तरह एक-दूसरे से जुड़े हैं और एक-दूसरे की देखभाल करते हैं। (1 कुरिं. 12:14-26) पूरी दुनिया में फैली बिरादरी के कुछ भाई-बहनों से भले ही हम काफी दूर रहते हों, फिर भी हम उनकी चिंता करते हैं। अगर कहीं भाइयों को सताया जाता है तो बाकी भाई-बहनों को बहुत दुख होता है। अगर कुछ मसीही तंगी से गुज़र रहे हैं या वे किसी हादसे, युद्ध या दंगे-फसाद के शिकार हुए हैं, तो दूसरे भाई-बहन उन्हें खाना, कपड़े वगैरह पहुँचाने साथ ही, उन्हें बाइबल से दिलासा देने की हर मुमकिन कोशिश करते हैं।—2 कुरिं. 1:8-11.
10 हम सभी को हर दिन अपने भाइयों के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। हमारे कुछ भाई-बहनों को गलत काम करने के दबाव का सामना करना पड़ता है। कुछ भाई-बहन ऐसी दुख-तकलीफों का सामना करते हैं जिनके बारे में सब जानते हैं। मगर कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें हर दिन साथ काम करनेवालों और परिवार के अविश्वासी सदस्यों के विरोध का सामना करना पड़ता है और उनकी तकलीफ के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। (मत्ती 10:35, 36; 1 थिस्स. 2:14) इन भाइयों की तकलीफों के बारे में हम सभी को चिंता रहती है, क्योंकि हम सब पूरी दुनिया में फैली एक ही बिरादरी का हिस्सा हैं। (1 पत. 5:9) हमारे बीच कुछ भाई ऐसे हैं जो यहोवा की सेवा में कड़ी मेहनत करते हैं, वे प्रचार काम और मंडली के कामों में अगुवाई करते हैं। इसके अलावा, ऐसे भाई भी हैं जिन्हें पूरी दुनिया में हो रहे काम की देखरेख करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है। इन सभी भाइयों के लिए हमें प्रार्थना करनी चाहिए। इस तरह हम दिखाते हैं कि हमें भाइयों की सच्ची परवाह है और हम उनसे प्यार करते हैं, फिर चाहे हम किसी और तरीके से उनकी मदद न कर पाएँ।—इफि. 1:16; 1 थिस्स. 1:2, 3; 5:25.
11 इन आखिरी दिनों में हर कहीं खलबली मची हुई है। ऐसे में यहोवा के लोगों को एक-दूसरे की मदद करने के लिए हरदम तैयार रहना चाहिए। कभी-कभी भूकंप और बाढ़ जैसे बड़े-बड़े हादसे होते हैं। उनकी वजह से बड़े पैमाने पर राहत पहुँचाने का इंतज़ाम करना पड़ता है और बहुत सारे कपड़े, दवाइयाँ वगैरह पहुँचानी होती हैं। इस मामले में पहली सदी के मसीहियों ने अच्छी मिसाल रखी। यीशु की सलाह याद रखते हुए अंताकिया के मसीहियों ने बड़ी खुशी से यहूदिया के भाई-बहनों के लिए दान भेजे। (प्रेषि. 11:27-30; 20:35) बाद में प्रेषित पौलुस ने कुरिंथ के मसीहियों को बढ़ावा दिया कि वे दान देकर राहत काम में हाथ बँटाएँ, जो व्यवस्थित तरीके से किया जा रहा था। (2 कुरिं. 9:1-15) आज भी अगर हमारे भाइयों पर कहीं कोई मुसीबत आ जाती है और उन्हें खाने, कपड़े वगैरह की ज़रूरत होती है, तो परमेश्वर का संगठन और हरेक मसीही फौरन उनकी मदद के लिए आगे आते हैं और ज़रूरी चीज़ें उन तक पहुँचाते हैं।
यहोवा की मरज़ी पूरी करने के लिए अलग किए गए
12 पूरी दुनिया में फैली हमारी बिरादरी में एकता है और हम यहोवा की मरज़ी पूरी करने के लिए संगठित हैं। आज उसकी मरज़ी यही है कि राज की खुशखबरी का सारे जगत में प्रचार किया जाए ताकि सब राष्ट्रों को गवाही दी जाए। (मत्ती 24:14) यहोवा चाहता है कि हम इस काम को करते वक्त हर घड़ी ध्यान रखें कि हमारा चालचलन हमेशा उसके ऊँचे नैतिक स्तरों के मुताबिक हो। (1 पत. 1:14-16) यहोवा का काम पूरा करने के लिए ज़रूरी है कि हम खुशी-खुशी एक-दूसरे के अधीन रहें और खुशखबरी फैलाने में मेहनत करें। (इफि. 5:21) आज का यह वक्त अपनी ख्वाहिशें पूरी करने का नहीं है। इसके बजाय, आज पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी हो गया है कि हम ज़िंदगी में परमेश्वर के राज को पहली जगह दें। (मत्ती 6:33) इस बात को ध्यान में रखकर जब हम कंधे-से-कंधा मिलाकर खुशखबरी सुनाते हैं, तो हमें गहरा संतोष और खुशी मिलती है। इससे भविष्य में भी हमें ऐसी आशीषें मिलेंगी, जो हमेशा कायम रहेंगी।
13 हम यहोवा के साक्षी दुनिया के लोगों से एकदम अलग हैं। हमें शुद्ध किया गया है जिस वजह से हम पूरे जोश से अपने परमेश्वर की सेवा करते हैं। (तीतु. 2:14) यहोवा की उपासना करने की वजह से हम दूसरों से अलग हैं। हम दुनिया-भर में रहनेवाले भाइयों के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर सेवा करते हैं। यही नहीं, हम एक भाषा यानी सच्चाई की भाषा बोलते हैं और सच्चाई के मुताबिक चलते भी हैं। यहोवा ने भविष्यवक्ता सपन्याह से कहलवाया था कि ऐसा होगा। उसने कहा, “मैं देश-देश के लोगों को एक शुद्ध भाषा सिखाऊँगा ताकि वे सब यहोवा का नाम पुकारें, कंधे-से-कंधा मिलाकर उसकी सेवा करें।”—सप. 3:9.
14 इसके बाद यहोवा ने सपन्याह को दुनिया-भर में फैली बिरादरी के बारे में यह भविष्यवाणी करने के लिए प्रेरित किया: “इसराएल के बचे हुए लोग बुरे काम नहीं करेंगे, झूठ नहीं बोलेंगे, न उनकी जीभ छल की बातें करेगी। वे खाएँगे-पीएँगे और आराम करेंगे, उन्हें कोई नहीं डराएगा।” (सप. 3:13) आज यह भविष्यवाणी पूरी हो रही है। यहोवा के वचन में जो सच्चाई दर्ज़ है हमने उसकी समझ हासिल की है और अपनी सोच बदल दी है। साथ ही, यहोवा के स्तरों पर चलने के लिए अपने जीने का तरीका बदला है। इस वजह से हम सब एक होकर काम कर पाते हैं। हम ऐसे काम कर पाते हैं, जो इंसानी सोच रखनेवालों को एकदम नामुमकिन लगता है। जी हाँ, हमारी वाकई एक अलग पहचान है। हम परमेश्वर के लोग हैं और पूरी धरती पर यहोवा का नाम रौशन कर रहे हैं।—मीका 2:12.