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अध्याय 10

ज़्यादा सेवा करने के तरीके

जब चेलों को राज का प्रचार करने के लिए भेजने का वक्‍त आया, तो यीशु ने उनसे कहा, “कटाई के लिए फसल बहुत है मगर मज़दूर थोड़े हैं।” काम बहुत था इसलिए यीशु ने यह भी कहा, “खेत के मालिक से बिनती करो कि वह कटाई के लिए और मज़दूर भेजे।” (मत्ती 9:37, 38) यीशु ने अपने चेलों को बताया कि प्रचार का काम कैसे करना है। उसने एक और बात कही जिससे पता चलता है कि इस काम के लिए वक्‍त बहुत कम है। उसने कहा, “तुम इसराएल के शहरों का दौरा पूरा भी न कर पाओगे कि इंसान का बेटा आ जाएगा।”​—मत्ती 10:23.

2 आज भी बहुत काम है यानी अभी बहुत-से लोगों को खुशखबरी सुनाना बाकी है। अंत आने से पहले राज की खुशखबरी का हर हाल में प्रचार किया जाना है, लेकिन वक्‍त निकलता जा रहा है! (मर. 13:10) सारी दुनिया वह खेत है जहाँ हमें प्रचार करना है। यीशु और उसके चेलों के सामने जो मुश्‍किल थी, वही आज हमारे सामने भी है। फर्क सिर्फ इतना है कि हमें उनसे कहीं बड़े पैमाने पर काम करना है। हम मुट्ठी-भर ही हैं, मगर हमें अरबों लोगों को प्रचार करना है। फिर भी हम यकीन रख सकते हैं कि इस काम में यहोवा हमारी मदद करेगा। राज की खुशखबरी का पूरी दुनिया में ज़रूर प्रचार किया जाएगा  और यहोवा ने जो समय तय किया है, उस समय अंत भी ज़रूर आएगा।  लेकिन क्या हम परमेश्‍वर के राज को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह देंगे ताकि हमें जो काम मिला है उसे अच्छी तरह पूरा कर सकें? इसके लिए हम परमेश्‍वर की सेवा में क्या लक्ष्य रख सकते हैं?

3 यीशु ने बताया कि यहोवा अपने समर्पित सेवकों से क्या चाहता है। उसने कहा, “तू अपने परमेश्‍वर यहोवा से अपने पूरे दिल, अपनी पूरी जान, अपने पूरे दिमाग और अपनी पूरी ताकत से प्यार करना।” (मर. 12:30) हमसे उम्मीद की जाती है कि हम परमेश्‍वर की सेवा तन-मन से करें। इसका मतलब है यहोवा की सेवा में अपना भरसक करना। यह दिखाएगा कि हम सच्चे दिल से सेवा करते हैं और हमने वाकई अपनी ज़िंदगी परमेश्‍वर को समर्पित की है। (2 तीमु. 2:15) हर कोई जितना कर सकता है, उसके हिसाब से सेवा करने का उसे मौका मिलता है। आगे बताया गया है कि सेवा करने के क्या-क्या मौके हैं। उन पर ध्यान दीजिए और फिर सोचिए कि आप इनमें से कौन-से लक्ष्य रख सकते हैं।

मंडली का प्रचारक

4 जो भी सच्चाई कबूल करते हैं, उन्हें लोगों को खुशखबरी सुनाने का सम्मान मिलता है। यही वह सबसे ज़रूरी काम है जो यीशु ने अपने चेलों को दिया था। (मत्ती 24:14; 28:19, 20) ज़्यादातर लोग जो यीशु के चेले बने हैं, उन्होंने राज का संदेश सुनने के फौरन बाद दूसरों को बताना शुरू कर दिया। अन्द्रियास, फिलिप्पुस, कुरनेलियुस और दूसरों ने ऐसा ही किया था। (यूह. 1:40, 41, 43-45; प्रेषि. 10:1, 2, 24; 16:14, 15, 25-34) तो क्या एक व्यक्‍ति बपतिस्मा लेने से पहले ही दूसरों को खुशखबरी सुना सकता है? हाँ बिलकुल। लेकिन रही बात घर-घर जाकर गवाही देने की, तो एक व्यक्‍ति बपतिस्मा-रहित प्रचारक बनने के बाद ही यह काम कर सकता है। घर-घर के अलावा अगर हो सके तो वह दूसरे तरीकों से भी गवाही दे सकता है।

5 बपतिस्मा लेने के बाद बेशक एक प्रचारक चाहेगा कि उससे जितना हो सके, वह दूसरों को सच्चाई सिखाए। आदमियों और औरतों, दोनों को प्रचार करने का खास सम्मान मिला है। इतने बड़े काम में हमें भी थोड़ा हाथ बँटाने का मौका मिला है जो एक बहुत बड़ी आशीष है। जो कोई अलग-अलग तरीकों से ज़्यादा सेवा करने का लक्ष्य रखता है, उसे बहुत खुशी मिलेगी।

ज़्यादा ज़रूरतवाली जगह सेवा

6 हो सकता है आपकी मंडली के इलाके में कई बार प्रचार किया गया हो और लोगों को बढ़िया गवाही मिल चुकी हो। इस वजह से शायद आपको लगे कि आप ज़्यादा सेवा करने के लिए ऐसे इलाके में जा सकते हैं जहाँ प्रचारकों की बहुत ज़रूरत है। (प्रेषि. 16:9) अगर आप प्राचीन या सहायक सेवक हैं, तो आप किसी दूसरी मंडली की मदद कर सकते हैं। उस मंडली के भाई-बहन आपकी बहुत कदर करेंगे। आपका सर्किट निगरान आपको बता सकता है कि आप अपने ही सर्किट में किस मंडली की मदद कर सकते हैं। अगर आप अपने देश के किसी और इलाके में जाकर सेवा करना चाहते हैं, तो शाखा दफ्तर आपको कुछ सुझाव दे सकता है।

7 क्या आप विदेश जाकर सेवा करना चाहते हैं? अगर हाँ, तो आपको सोच-समझकर फैसला करना चाहिए। क्यों न इस बारे में अपनी मंडली के प्राचीनों से बात करें? क्योंकि आपके फैसले का आप पर और आपके साथ जानेवालों पर काफी असर होगा। (लूका 14:28) लेकिन अगर आप लंबे समय तक विदेश में रुकने की नहीं सोच रहे हैं, तो अच्छा होगा कि आप अपने ही देश के किसी इलाके में सेवा करें।

8 जब एक देश के अनुभवी प्राचीन किसी और देश की एक मंडली में जाते हैं, तो वहाँ ज़िम्मेदारी सँभालनेवाले भाई उनके हाथ में मंडली चलाने का काम सौंप देते हैं। वे सोचते हैं कि अनुभवी भाई मंडली को चलाएँगे, तो ज़्यादा अच्छा रहेगा। लेकिन अगर आप एक प्राचीन हैं और किसी दूसरे देश में जाने की सोच रहे हैं, तो इस इरादे से मत जाइए कि वहाँ के भाइयों की ज़िम्मेदारी आप निभाएँगे। इसके बजाय, उनके साथ मिलकर  काम कीजिए। उनका हौसला बढ़ाइए ताकि वे और ज़िम्मेदारी लेने के योग्य बनें और मंडली की ज़िम्मेदारियाँ सँभालें। (1 तीमु. 3:1) वहाँ मंडली में जब आप देखते हैं कि कुछ काम उस तरह नहीं हो रहे हैं जैसे आपके देश में होते हैं, तो सब्र रखिए। एक प्राचीन के नाते आपके पास काफी अनुभव होगा, इसलिए वहाँ के भाइयों को सिखाइए। जब आप ऐसा करेंगे, तो वहाँ के प्राचीन मंडली की अच्छी देखरेख करने के काबिल हो जाएँगे। फिर कुछ समय बाद अगर आप अपने देश लौट आएँ, तो भी वे मंडली की ज़िम्मेदारियाँ सँभाल पाएँगे।

9 शाखा दफ्तर आपको उन मंडलियों के नाम बता सकता है जिन्हें मदद की ज़रूरत है। लेकिन इससे पहले आपकी मंडली सेवा-समिति को आपका सिफारिशी खत शाखा दफ्तर को भेजना चाहिए। आप चाहे एक प्राचीन हों या सहायक सेवक, पायनियर हों या प्रचारक, यह खत भेजना ज़रूरी है। सेवा-समिति सिफारिशी खत के साथ-साथ आप जो जानकारी पाना चाहते हैं, उसकी गुज़ारिश उस देश के शाखा-दफ्तर को भेजेगी जहाँ आप जाकर सेवा करना चाहते हैं।

दूसरी भाषा बोलनेवालों को प्रचार करना

10 परमेश्‍वर की सेवा और ज़्यादा करने के लिए आप चाहे तो कोई और भाषा सीख सकते हैं। आप साइन लैंग्वेज भी सीख सकते हैं। अगर आपने दूसरी भाषा सीखने का लक्ष्य रखा है, तो क्यों न आप अपने प्राचीनों से और सर्किट निगरान से बात करें? वे आपको इस मामले में सुझाव दे सकते हैं और आपका हौसला बढ़ा सकते हैं। शाखा दफ्तर के निर्देश में कई सर्किटों में दूसरी भाषा सीखने की क्लास रखी गयी है, ताकि कुछ काबिल प्रचारकों और पायनियरों को उस भाषा में प्रचार करना सिखाया जा सके।

पायनियर सेवा

11 सभी प्रचारकों को पता होना चाहिए कि सहयोगी पायनियर, पायनियर और खास पायनियर सेवा और दूसरे किस्म की पूरे समय की सेवा करने के लिए क्या योग्यताएँ होनी चाहिए। एक ऐसा प्रचारक ही पायनियर बन सकता है जिसका बपतिस्मा हो चुका हो, जो अच्छी मिसाल रखता हो और जिसके हालात ऐसे हों कि वह प्रचार के लिए तय किए घंटों की माँग पूरी कर सके। सहयोगी पायनियर और पायनियर सेवा की अर्ज़ी मंडली सेवा-समिति मंज़ूर करती है। लेकिन खास पायनियरों को शाखा दफ्तर नियुक्‍त करता है।

12 सहयोगी पायनियर  को उनके हालात के मुताबिक कम-से-कम एक महीने, लगातार कुछ महीने या लगातार हर महीने सेवा करने की मंज़ूरी दी जा सकती है। कई प्रचारक खास मौकों पर सहयोगी पायनियर सेवा करते हैं। जैसे, स्मारक के महीनों में या उस महीने में जब सर्किट निगरान का दौरा होता है। कुछ लोग छुट्टियों के समय यह सेवा करते हैं। जिन बच्चों का बपतिस्मा हो चुका है, वे उन महीनों में सहयोगी पायनियर सेवा कर सकते हैं जब उनकी स्कूल की छुट्टियाँ होती हैं। प्रचारक मार्च और अप्रैल में और सर्किट निगरान के दौरेवाले महीने में सहयोगी पायनियर सेवा कर सकते हैं, क्योंकि इन महीनों में कम घंटों की माँग की जाती है। आपके हालात चाहे जैसे भी हों, अगर आपका चालचलन अच्छा है, आपमें कोई गंदी आदत नहीं है, आप घंटों की माँग पूरी कर सकते हैं और आपको लगता है कि आप एक या उससे ज़्यादा महीने सहयोगी पायनियर सेवा कर सकते हैं, तो प्राचीन आपकी अर्ज़ी खुशी-खुशी मंज़ूर करेंगे।

13 पायनियर  बनने के लिए ज़रूरी है कि आप पूरे साल के घंटों की माँग पूरी कर पाएँ। एक पायनियर के नाते अच्छा होगा कि आप मंडली के सभी इंतज़ामों के मुताबिक काम करें और सबके साथ प्रचार करें। जोशीले पायनियर मंडली के लिए एक आशीष होते हैं। वे प्रचार के लिए भाई-बहनों में जोश पैदा करते हैं और दूसरों को भी पायनियर बनने का बढ़ावा देते हैं। लेकिन पायनियर सेवा के लिए अर्ज़ी भरने से पहले ज़रूरी है कि एक प्रचारक के तौर पर आपने अच्छी मिसाल कायम की हो और आपको बपतिस्मा लिए कम-से-कम छ: महीने हो गए हों।

14 खास पायनियर  आम तौर पर ऐसे पायनियरों में से चुने जाते हैं जो प्रचार करने में काफी कुशल होते हैं। साथ ही, वे ऐसी किसी भी जगह जाकर सेवा करने के लिए तैयार होते हैं जहाँ शाखा दफ्तर उन्हें भेजना चाहता है। अकसर उन्हें दूर-दराज़ के इलाकों में भेजा जाता है ताकि वे वहाँ दिलचस्पी लेनेवालों को ढूँढ़ें और नयी मंडलियाँ बना सकें। कभी-कभी खास पायनियरों को ऐसी मंडलियों में भेजा जाता है जिन्हें प्रचार का इलाका पूरा करने में मदद की ज़रूरत है। कुछ खास पायनियरों को, जो प्राचीन भी हैं, छोटी-छोटी मंडलियों की मदद करने भेजा जाता है, फिर चाहे वहाँ ज़्यादा प्रचारकों की ज़रूरत न भी हो। खास पायनियरों को रोज़मर्रा का खर्च चलाने के लिए थोड़ा भत्ता दिया जाता है। कुछ भाई-बहनों को अस्थायी खास पायनियर नियुक्‍त किया जाता है।

पूरे समय प्रचार करनेवाले मिशनरी

15 शासी निकाय की सेवा-समिति कुछ भाई-बहनों को पूरे समय प्रचार करने के लिए मिशनरी नियुक्‍त करती है। फिर शाखा दफ्तर उन्हें घनी आबादीवाले इलाकों में सेवा करने भेजता है। वे प्रचार काम को बढ़ाने और मंडली का काम अच्छी तरह करने में मदद करते हैं। अकसर ये मिशनरी राज प्रचारकों के लिए स्कूल से तालीम पाए हुए होते हैं। उन्हें रहने के लिए घर और रोज़मर्रा का खर्च चलाने के लिए थोड़ा भत्ता दिया जाता है।

सर्किट काम

16 जिन्हें शासी निकाय सर्किट निगरान नियुक्‍त करता है, उन्हें इसके लिए प्रशिक्षण दिया जाता है और पहले वे सहायक (सबस्टिट्यूट) सर्किट निगरान के तौर पर सेवा करते हैं। इन भाइयों को प्रचार काम से लगाव होता है और वे भाई-बहनों से प्यार करते हैं। वे जोशीले पायनियर होते हैं, अच्छी तरह बाइबल का अध्ययन करते हैं और बोलने और सिखाने में कुशल होते हैं। वे पवित्र शक्‍ति के गुण दर्शाने में एक बढ़िया मिसाल रखते हैं और हर मामले में संतुलन बनाए रखते हैं और समझ-बूझ से काम लेते हैं। अगर एक भाई शादीशुदा है, तो उसकी पत्नी जो एक पायनियर होती है, सही चालचलन बनाए रखने और दूसरों के साथ व्यवहार करने में अच्छी मिसाल रखती है। वह प्रचार करने में भी काफी अच्छी होती है। एक मसीही पत्नी होने के नाते वह अपने पति के अधीन रहती है, इसलिए वह अपने पति की तरफ से नहीं बोलती, न ही दूसरों से बात करते वक्‍त उन पर धौंस जमाती है। सर्किट निगरान और उनकी पत्नियों को बहुत मेहनत करनी पड़ती है। इस वजह से जो यह ज़िम्मेदारी पाने की कोशिश करते हैं, उनकी सेहत काफी अच्छी होनी चाहिए। सर्किट निगरान की ज़िम्मेदारी के लिए पायनियर खुद अर्ज़ी नहीं भरते। इसके बजाय वे अपनी इस इच्छा के बारे में अपने सर्किट निगरान को बताते हैं जो उन्हें बढ़िया सुझाव देता है।

संगठन के स्कूल

17 राज प्रचारकों के लिए स्कूल:  जिन इलाकों में कभी-कभार ही प्रचार होता है, वहाँ अच्छी तरह गवाही देने और मंडलियों को मज़बूत करने के लिए प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत होती है। इस वजह से अविवाहित भाई, बहन और शादीशुदा जोड़े ‘राज प्रचारकों के लिए स्कूल’ में जाने के लिए अर्ज़ी भर सकते हैं। इस स्कूल से तालीम पानेवाले भाई-बहनों को पायनियर बनाकर उन्हीं के देश में ऐसे इलाकों में भेजा जाता है, जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है। लेकिन जो लोग अपने देश में या विदेश में किसी और तरीके से सेवा करने के लिए तैयार हैं, उन्हें वहाँ सेवा करने भेजा जाता है। कुछ भाई-बहनों को खास पायनियर या अस्थायी खास पायनियर नियुक्‍त किया जाता है। जो पायनियर इस स्कूल में जाना चाहते हैं, उनके लिए क्षेत्रीय अधिवेशन में एक सभा रखी जाती है। वहाँ बताया जाता है कि इस स्कूल में जाने के लिए क्या-क्या योग्यताएँ होनी चाहिए।

18 वॉचटावर बाइबल स्कूल ऑफ गिलियड:  इस स्कूल में हाज़िर होने के लिए ऐसे अविवाहित भाइयों, बहनों और शादीशुदा जोड़ों को चुना जाता है जो अँग्रेज़ी बोलते हैं और खास पूरे समय की सेवा कर रहे हैं। इन भाई-बहनों में प्रचार काम और शाखा दफ्तर में संगठन का काम अच्छी तरह करने की काबिलीयत होती है। उन्होंने पहले ही दिखाया है कि उन्हें भाई-बहनों की सेवा करना अच्छा लगता है। साथ ही, वे शास्त्र और संगठन से मिलनेवाली हिदायतों के बारे में जानने और उसके मुताबिक चलने में भाई-बहनों की प्यार से मदद करते हैं। ऐसे काबिल भाई-बहनों को उनके देश की शाखा-समिति गिलियड स्कूल के लिए अर्ज़ी भरने का न्यौता देती है। इस स्कूल से तालीम पानेवाले भाई-बहनों को उनके ही देश में या किसी और देश में पूरे समय प्रचार करने के लिए भेजा जाता है। या फिर उनके ही देश के शाखा-दफ्तर में या किसी और देश के शाखा दफ्तर में सेवा करने के लिए कहा जाता है।

बेथेल सेवा

19 बेथेल में सेवा करना बड़े सम्मान की बात है। बेथेल का मतलब है “परमेश्‍वर का घर।” बेथेल में जिस तरह का काम होता है, उसके हिसाब से यह नाम बिलकुल सही है। बेथेल के भाई-बहन बहुत ज़रूरी काम करते हैं। वे बाइबल पर आधारित साहित्य तैयार करते हैं, उसका अनुवाद करते हैं और मंडलियों तक पहुँचाते हैं। शासी निकाय, जो पूरी दुनिया की मंडलियों की निगरानी करता है और उन्हें निर्देश देता है, इन भाई-बहनों की मेहनत की कदर करता है। बेथेल के कई भाई-बहन अनुवाद का काम करते हैं। वे जिस भाषा में अनुवाद करते हैं, उसी भाषा के इलाके में रहते हैं इस वजह से वे आम बोलचाल की भाषा सुन पाते हैं। वे यह भी जान पाते हैं कि वे प्रकाशनों में जो भाषा इस्तेमाल करते हैं उसे लोग समझ पाते हैं या नहीं।

20 बेथेल के ज़्यादातर काम में बहुत मेहनत लगती है। इस वजह से बेथेल सेवा के लिए अकसर बपतिस्मा पाए हुए भाइयों को बुलाया जाता है जो जवान और तंदुरुस्त हों और अच्छा दमखम रखते हों। जो शाखा दफ्तर आपके देश की निगरानी करता है, अगर वहाँ ज़रूरत है और आप वहाँ सेवा करना चाहते हैं, तो आप अपनी मंडली के प्राचीनों से बात कर सकते हैं। वे आपको बताएँगे कि बेथेल सेवा के लिए आपमें क्या योग्यताएँ होनी चाहिए।

निर्माण सेवा

21 परमेश्‍वर के काम के लिए इस्तेमाल होनेवाली इमारतें बनाना एक किस्म की पवित्र सेवा है। यह काम सुलैमान के मंदिर के निर्माण काम जैसा है। (1 राजा 8:13-18) बहुत-से भाई-बहन इस काम में हाथ बँटाने के लिए अपना समय और तन-मन-धन लगा देते हैं।

22 क्या आप बपतिस्मा पाए प्रचारक हैं और इस काम में मदद दे सकते हैं? अगर हाँ, तो आपके इलाके में निर्माण काम की देखरेख करनेवाले भाइयों को बड़ी खुशी होगी। चाहे आप थोड़ा-बहुत भी काम जानते हों, तो भी वे आपको यह काम अच्छी तरह करना सिखाएँगे। क्यों न आप अपनी मंडली के प्राचीनों को बताएँ कि आप निर्माण काम करना चाहते हैं? कुछ काबिल और बपतिस्मा पाए प्रचारक स्वयंसेवकों के तौर पर दूसरे देशों में जाकर भी निर्माण काम करते हैं।

23 निर्माण काम में हम अलग-अलग तरीके से हिस्सा ले सकते हैं। जिन काबिल भाई-बहनों के पास थोड़ा-बहुत हुनर है और जो अपने घर के पास होनेवाले निर्माण काम में मदद कर सकते हैं, वे स्थानीय योजना और निर्माण स्वयंसेवक  के नाते काम कर सकते हैं। कुछ भाई-बहन दूर के इलाकों में जाकर निर्माण काम में मदद कर सकते हैं। यह काम शायद एक तय समय के लिए चले। ऐसे काम में मदद करनेवालों को शाखा दफ्तर नियुक्‍त करता है। वे दो हफ्तों से लेकर तीन महीने तक काम करते हैं और उन्हें निर्माण स्वयंसेवक  कहा जाता है। जिन भाई-बहनों को लंबे समय के लिए निर्माण काम के लिए नियुक्‍त किया जाता है उन्हें निर्माण सेवक  कहते हैं। जो निर्माण सेवक दूसरे देश में जाकर निर्माण काम करते हैं, उन्हें दूसरे देश में सेवा करनेवाले निर्माण सेवक  कहा जाता है। निर्माण सेवकों और निर्माण स्वयंसेवकों से मिलकर निर्माण समूह  बनता है। यह समूह हर निर्माण काम की अगुवाई करता है। इस समूह के साथ ‘स्थानीय योजना और निर्माण स्वयंसेवक’ और उन मंडलियों के स्वयंसेवक काम करते हैं जहाँ निर्माण काम चल रहा होता है। निर्माण समूह एक शाखा दफ्तर के इलाके में ही एक निर्माण काम पूरा करके दूसरा काम शुरू करता है।

आपने क्या लक्ष्य रखा है?

24 अगर आपने अपनी ज़िंदगी यहोवा को समर्पित की है, तो इसमें कोई शक नहीं कि आप हमेशा यहोवा की सेवा करना चाहते हैं। मगर क्या आपने यहोवा की सेवा में कुछ लक्ष्य रखे हैं? अगर आप लक्ष्य रखेंगे, तो आप अपनी ताकत और साधनों का बुद्धिमानी से इस्तेमाल कर पाएँगे। (1 कुरिं. 9:26) जब आप ज़्यादा सेवा करेंगे, तो आप सच्चाई में तरक्की करेंगे और ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातों पर ध्यान दे पाएँगे।​—फिलि. 1:10; 1 तीमु. 4:15, 16.

25 प्रेषित पौलुस ने परमेश्‍वर की सेवा में हमारे लिए एक बढ़िया मिसाल कायम की। (1 कुरिं. 11:1) पौलुस ने यहोवा की सेवा में जी-जान से मेहनत की। यहोवा ने उसे सेवा करने के बहुत-से मौके दिए थे। पौलुस ने कुरिंथ के भाइयों को लिखा, “मेरे लिए मौके का एक दरवाज़ा खोला गया है कि मैं और ज़्यादा सेवा कर सकूँ।” हमें भी मंडली के साथ मिलकर यहोवा की सेवा करने के बहुत-से मौके मिलते हैं, खासकर राज की खुशखबरी का प्रचार करने के मौके। मगर पौलुस की तरह ‘ज़्यादा सेवा’ करते वक्‍त हमें ‘बहुत-से विरोधियों’ का सामना करना पड़ सकता है। (1 कुरिं. 16:9) पौलुस खुद के साथ सख्ती बरतने के लिए तैयार था। ध्यान दीजिए पौलुस ने क्या कहा, “मैं अपने शरीर को मारता-कूटता हूँ और उसे एक दास बनाकर काबू में रखता हूँ।” (1 कुरिं. 9:24-27) क्या हम भी ऐसा ही नज़रिया रखते हैं?

परमेश्‍वर की सेवा में लक्ष्य रखने से आप अपनी ताकत और साधनों का बुद्धिमानी से इस्तेमाल कर पाएँगे

26 हममें से हरेक को बढ़ावा दिया जाता है कि हम कुछ ऐसे लक्ष्य रखें जिन्हें हम हासिल कर सकते हैं। फिर उन्हें हासिल करने के लिए हमें मेहनत करनी चाहिए। आज बहुत-से भाई-बहन किसी-न-किसी तरह की पूरे समय की सेवा कर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने बचपन में ही लक्ष्य रखे थे। ऐसा करने के लिए उनके माता-पिता और दूसरों ने उनका हौसला बढ़ाया था। इस वजह से उन्होंने बरसों से यहोवा की सेवा करते हुए ढेरों आशीषें पायी हैं और उन्हें अपने फैसले पर कोई पछतावा नहीं है। (नीति. 10:22) कुछ और लक्ष्य हैं, हर हफ्ते प्रचार में जाना, बाइबल अध्ययन शुरू करना और उसे चलाना, साथ ही सभाओं की और अच्छी तैयारी करना। सबसे अहम बात यह है कि हम डटे रहें और सेवा अच्छी तरह पूरी करें। अगर हम ऐसा करते हैं, तो हम यहोवा की महिमा करेंगे और अपना सबसे बड़ा लक्ष्य हासिल कर पाएँगे और वह है परमेश्‍वर की सेवा हमेशा करते रहना।​—लूका 13:24; 1 तीमु. 4:7ख, 8.

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