गीत 104
सुन ले दुहाई, दे पवित्र शक्ति!
1. गम मेरा तू ही जाने यहोवा,
पाप के इस बोझ ने मुझे तोड़ा।
गर तू पवित्र शक्-ति मुझे दे,
जानूँ तूने मुझको ना है छोड़ा।
2. पापी इंसाँ हूँ, भूल मुझसे होती,
ले जाए दिल गलत राहों पे।
सुन ले दुहाई, दे अपनी शक्-ति,
लौटके चल पाऊँ मैं तेरी राह पे।
3. होता जब भी मायूस या कमज़ोर मैं,
ताकत नयी तुझसे ही मिले।
जो तू पवित्र शक्-ति मुझे दे,
फिर से उड़ पाऊँ उकाबों जैसे।
(भज. 51:11; यूह. 14:26; प्रेषि. 9:31 भी देखें।)