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  • क्या पैसा ही सबकुछ है?

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  • क्या पैसा ही सबकुछ है?
  • सजग होइए!—2015
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सजग होइए!—2015
g 10/15 पेज 3-6
एक आदमी खूब सारे सिक्कों को देख रहा है

पहले पेज का विषय

क्या पैसा ही सबकुछ है?

लोग कहते हैं बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया! कई लोगों को लगता है कि यह बात बिलकुल सही है। वे कहते हैं कि आखिर पैसे से ही रोटी, कपड़ा और मकान खरीदा जाता है। समाज में पैसे की अहमियत के बारे में एक पत्रिका में लिखा था, “अगर लेन-देन के लिए पैसे का इस्तेमाल बंद कर दिया जाए, तो एक महीने के अंदर इस दुनिया में हाहाकार मच जाएगा और युद्ध छिड़ जाएगा।”

लेकिन यह बात भी सच है कि पैसे से सबकुछ नहीं खरीदा जा सकता। कहते हैं न कि पैसे से खाना तो खरीदा जा सकता है, लेकिन भूख नहीं; दवाई तो खरीदी जा सकती है, लेकिन सेहत नहीं; सोने के लिए अच्छा बिस्तर तो खरीदा जा सकता है, लेकिन मीठी नींद नहीं; किताबें तो खरीदी जा सकती हैं, लेकिन बुद्धि नहीं; ऐशो-आराम की चीज़ें तो खरीदी जा सकती हैं, लेकिन खुशी नहीं; बहुत-से लोगों से जान-पहचान तो हो सकती है, लेकिन सच्चे दोस्त नहीं मिल सकते; नौकर तो रखे जा सकते हैं, लेकिन उनकी वफादारी नहीं खरीदी जा सकती।

जब एक व्यक्‍ति का पैसे के बारे में सही नज़रिया होता है, तो वह इस बात को ध्यान में रखता है कि पैसा बस एक ज़रिया है जिससे वह अपनी ज़रूरतें पूरी कर सकता है, पैसा बटोरना उसकी ज़िंदगी का मकसद नहीं होता। अगर हम इस तरह सोचेंगे, तो हम ज़्यादा खुश रह पाएँगे। पवित्र किताब बाइबल बताती है कि ‘पैसे का प्यार तरह-तरह की बुराइयों की जड़ है और इसमें पड़कर कुछ लोगों ने कई तरह की दुःख-तकलीफों से खुद को छलनी कर लिया है।’—1 तीमुथियुस 6:10.

ज़रा इस बात पर ध्यान दीजिए कि पैसा नहीं, बल्कि पैसे का प्यार हम पर मुसीबतें लाता है। इसमें कोई शक नहीं कि पैसे के पीछे भागने से दोस्तों और परिवार के सदस्यों के बीच दरार आ सकती है। आइए इसके कुछ उदाहरणों पर गौर करें।

ढेर सारे पैसे गिर रहें है

दिनेश:a “गौरव मेरा अच्छा दोस्त था। मैं सोचता था कि वह बहुत ईमानदार है। मुझे उससे कभी कोई शिकायत नहीं हुई, जब तक कि उसने मेरी कार नहीं खरीदी। जब उसने मेरी कार खरीदी, तो उसमें कोई खराबी नहीं थी। हमारे बीच लिखित में यह बात तय हुई कि आगे चलकर अगर कार में कोई दिक्कत आए, तो मैं उसके लिए ज़िम्मेदार नहीं। लेकिन तीन महीने बाद कार खराब हो गयी। गौरव को लगा कि मैंने उसे धोखा दिया है। वह बहुत गुस्सा हो गया और मुझसे कहने लगा कि मैं उसके पैसे वापस कर दूँ। मुझे विश्‍वास ही नहीं हो रहा था कि वह मेरे साथ ऐसा भी कर सकता है। और जब मैंने उसे समझाने कि कोशिश की, तो वह बहस करने लगा और झगड़ने लगा। सच, जब बात पैसे की आयी, तो दोस्त दोस्त न रहा।”

खुशी: “हम दो बहने हैं, मैं और सुनीता। हमारी आपस में बहुत पटती थी। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि पैसा हमारे बीच आ जाएगा। लेकिन ऐसा ही हुआ। बात यह थी कि हमारे माता-पिता अपनी मौत से पहले हमारे नाम कुछ पैसे कर गए थे और उनकी मरज़ी थी कि हम दोनों को बराबर का हिस्सा मिले। लेकिन उनकी मौत के बाद, मेरी बहन उनकी मरज़ी के खिलाफ गयी, और अपने हिस्से से ज़्यादा की माँग करने लगी। लेकिन मैं अपने माता-पिता की ख्वाहिश पूरी करना चाहती थी, इसलिए वह मुझ पर गुस्से से भड़क उठी और मुझे धमकी देने लगी। आज तक वह इस बात के लिए मुझसे खफा है।”

पैसा और लोगों की सोच

पैसे के बारे में गलत नज़रिया रखने की वजह से कुछ लोग दूसरों के बारे में गलत राय कायम कर लेते हैं। उदाहरण के लिए, एक अमीर आदमी शायद यह मान बैठे कि कुछ लोग गरीब इसलिए होते हैं, क्योंकि वे आलसी हैं और खुद की हालत सुधारना नहीं चाहते। या एक गरीब व्यक्‍ति शायद यह मान बैठे कि अमीर लोग पैसे से प्यार करते हैं और लालची होते हैं। ज़रा लीना नाम की एक नौजवान लड़की के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। वह एक अमीर खानदान से है, जिस वजह से लोगों ने उसके बारे में गलत राय कायम कर ली थी। वह बताती है:

पैसे के बारे में पवित्र शास्त्र में जो सलाह दी गयी है, वह आज भी उतनी ही सही है जितनी पहले थी

“मुझे देखकर सब यही कहते थे कि मैं अमीर बाप की बेटी हूँ। कई बार लोग मुझसे कहते, ‘तुम्हें किस चीज़ की कमी है। जो चाहिए पापा से माँग लो’ या फिर ‘माफ करना हम तुम्हारी तरह अमीर नहीं हैं और तुम्हारे पापा की तरह अच्छी-अच्छी कारें नहीं खरीद सकते।’ आखिरकार मैंने अपने दोस्तों से यह साफ-साफ कह दिया कि वे इस तरह की बातें न करें और उन्हें समझाया कि क्यों उनकी बातें मुझे चुभती हैं। मैं चाहती थी कि लोग मुझे देखकर यह न सोचें कि यह तो अमीर खानदान की लड़की है, बल्कि यह सोचें कि ये लड़की हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहती है।”

पवित्र शास्त्र में क्या लिखा है

पवित्र शास्त्र ऐसा नहीं कहता कि पैसा होना गलत है। और न ही उसमें उन लोगों के बारे में बुरा-भला कहा गया है, जिनके पास पैसा है, फिर चाहे वे कितने ही दौलतमंद क्यों न हों। यह बात मायने नहीं रखती कि एक इंसान के पास कितना पैसा है, बल्कि यह कि पैसे के बारे में उसका रवैया कैसा है। पवित्र शास्त्र पैसे के बारे में सही नज़रिया अपनाने की सलाह देता है। हालाँकि ये सलाह सालों पहले लिखी गयी थी, लेकिन यह आज भी उतनी ही सही है। ज़रा कुछ उदाहरणों पर ध्यान दीजिए।

पवित्र शास्त्र में लिखा है: ‘धनवान बनने के लिए काम कर करके निज को मत थका।’—नीतिवचन 23:4, हिंदी ईज़ी-टू-रीड वर्शन।

एक किताब कहती है कि जो लोग धन-दौलत कमाने के पीछे भागते हैं, वे तन-मन से स्वस्थ नहीं रहते, जैसे उन्हें अकसर सिर दर्द, गले और पीठ का दर्द रहता है। वे हद-से-ज़्यादा शराब पीने और ड्रग्स लेने लगते हैं। ऐसा मालूम होता है कि पैसा पाने की चाहत का एक इंसान की सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ता है।

पवित्र शास्त्र में लिखा है: “तुम्हारे जीने के तरीके में पैसे का प्यार न हो, और जो कुछ तुम्हारे पास है उसी में संतोष करो।”—इब्रानियों 13:5.

जो इंसान संतुष्ट रहता है, कई बार उसे भी पैसे की चिंता होती है। लेकिन वह जानता है कि पैसा ही सबकुछ नहीं है, इसलिए वह इस बारे में हद-से-ज़्यादा चिंता नहीं करता। मिसाल के लिए, पैसे का भारी नुकसान हो जाने पर ऐसा व्यक्‍ति बहुत परेशान नहीं होगा। इसके बजाय वह वही नज़रिया रखेगा, जैसा कि यीशु के एक शिष्य का था, जिसने लिखा “मैं जानता हूँ कि कम चीज़ों में गुज़ारा करना कैसा होता है, और यह भी जानता हूँ कि भरपूरी में जीना कैसा होता है। मैंने हर बात में और हर तरह के हालात में यह राज़ सीख लिया है कि भरपेट होना कैसा होता है और भूखे पेट होना कैसा होता है, भरा-पूरा होना कैसा होता है और तंगी झेलना कैसा होता है।”—फिलिप्पियों 4:12.

पवित्र शास्त्र में लिखा है: “जो अपने धन पर भरोसा रखता है वह गिर जाता है।”—नीतिवचन 11:28.

जानकारों का कहना है कि पैसे की वजह से आज कई पति-पत्नी एक-दूसरे से तलाक ले रहे हैं। कई बार तो पैसे की समस्या होने की वजह से लोग खुदकुशी तक कर लेते हैं! अफसोस की बात है कि कुछ लोगों के लिए पैसा शादी के बंधन से, यहाँ तक कि उनकी जान से भी प्यारा है। वहीं दूसरी तरफ, ऐसे लोग भी हैं जो पैसे के बारे में सही नज़रिया रखते हैं और उस पर भरोसा नहीं रखते। इसके बजाय, वे यीशु के कहे इन शब्दों को ध्यान में रखते हैं कि “चाहे इंसान के पास बहुत कुछ हो, तो भी उसकी ज़िंदगी उसकी संपत्ति की बदौलत नहीं होती।”—लूका 12:15.

पैसे के बारे में आपका क्या नज़रिया है?

एक आदमी के पास बहुत सारे पैसे रखे हैं और वह शीशे में देख रहा है

खुद से कुछ सवाल करने और उनका ईमानदारी से जवाब देने पर शायद आप पाएँ कि आपको पैसे के बारे में सही नज़रिया बनाने की ज़रूरत है। मिसाल के लिए, आप खुद से ये सवाल पूछ सकते हैं।

  • क्या मुझे रातों-रात अमीर बनने के ख्वाब दिखानेवाली तरकीबें पसंद आती हैं?

  • जब दूसरों के लिए पैसा खर्च करने की बात आती है, तो क्या मैं पीछे हट जाता हूँ?

  • क्या मैं ऐसे दोस्त बनाता हूँ, जो हमेशा पैसे या अपनी चीज़ों के बारे में ही बात करते रहते हैं?

  • क्या मैं पैसा बनाने के लिए झूठ बोलता हूँ या बेईमानी करता हूँ?

  • क्या पैसा आ जाने पर में खुद को बहुत समझने लगता हूँ?

  • क्या मैं हर वक्‍त पैसे के बारे में ही सोचता रहता हूँ?

  • पैसे के बारे में मेरा जो नज़रिया है, क्या उस वजह से मेरी सेहत खराब हो रही है और परिवारवालों के साथ मेरा रिश्‍ता बिगड़ रहा है?

    दूसरों को खुशी-खुशी दीजिए और दरियादिल बनिए

अगर आपने ऊपर दिए इन सवालों में से कुछ के जवाब हाँ में दिए हैं, तो खूब पैसा बनाने की ख्वाहिशों को ठुकराइए। ऐसे लोगों से दोस्ती मत कीजिए जिनके लिए पैसा और ऐशो-आराम की चीज़ें ही सबकुछ हैं। इसके बजाय उन लोगों से दोस्ती कीजिए जिनके लिए उनके उसूल मायने रखते हैं।

पैसे के प्यार को अपने दिल में कभी जड़ मत पकड़ने दीजिए। हमेशा याद रखिए कि आपके दोस्त, आपके परिवार के सदस्य और आपकी सेहत पैसे से कहीं ज़्यादा अनमोल है। अगर आप इन बातों को ध्यान में रखें, तो आप यह ज़ाहिर करेंगे कि आपके लिए पैसा ही सबकुछ नहीं है। ◼ (g15-E 09)

a इस लेख में नाम बदल दिए गए हैं।

दो स्त्रियाँ गुस्से से एक-दूसरे को देख रही हैं

परिवार पैसे से ज़्यादा ज़रूरी है

“हाल ही मेरे पिता ने अपनी वसीयत दोबारा बनवायी। इस वजह से मेरा हिस्सा पहले से काफी कम हो गया और मेरे भाई और बहन का हिस्सा काफी बढ़ गया। लेकिन हमने इस बारे में बात की। मैं समझ गया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया और मैं उनके इस फैसले से पूरी तरह सहमत हूँ। मैं पैसे की वजह से हमारे आपसी रिश्‍तों में कभी दरार नहीं आने दूँगा।”—जतिन, जो 55 साल का है।

पैसा और भेदभाव

“गरीब को उसके पड़ोसी भी दूर रखते हैं; किन्तु धनी जन के मित्र बहुत होते हैं।”—नीतिवचन 14:20, हिंदी ईज़ी-टू-रीड वर्शन।

यह बात वाकई सच है। पैसे के बारे में हम जो नज़रिया रखते हैं, कई बार हम उसी हिसाब से लोगों के साथ पेश आते हैं। जैसे, हो सकता है कि हम गरीब लोगों को पसंद न करें, क्योंकि हमें उनसे कोई फायदा नहीं हो सकता। वहीं दूसरी तरफ, हो सकता है हम अमीर लोगों की चापलूसी करें, ताकि वे हमें पसंद करें और शायद आर्थिक तौर पर हमारी मदद भी करें।

पवित्र शास्त्र में लिखा है कि एक व्यक्‍ति की हैसियत देखकर भेद-भाव करना गलत है, फिर चाहे कोई कम पैसेवालों को नापसंद करे या ‘अपने फायदे के लिए खास-खास लोगों के सामने उनकी तारीफों के पुल बाँधे।’ (यहूदा 16; यशायाह 10:1, 2) क्यों न आप यह ठान लें कि आप सभी लोगों को एक ही नज़र से देखेंगे और सभी के साथ एक जैसे ही पेश आएँगे?

पवित्र शास्त्र में दी बेहतरीन सलाह

पवित्र शास्त्र यह मानता है कि . . .

  • ‘धन रक्षा करता है।’—सभोपदेशक 7:12, हिंदी ईज़ी-टू-रीड वर्शन।

लेकिन यह हमें खबरदार भी करता है कि. . .

  • “जो धनी होने में उतावली करता है, वह निर्दोष नहीं ठहरता।”—नीतिवचन 28:20.

  • “जो लोग हर हाल में अमीर बनना चाहते हैं, वे परीक्षा और फंदे में फँस जाते हैं और मूर्खता से भरी और खतरनाक ख्वाहिशों में पड़ जाते हैं।”—1 तीमुथियुस 6:9.

इसलिए इसमें सलाह दी है कि . . .

  • “तुम्हारे जीने के तरीके में पैसे का प्यार न हो।”—इब्रानियों 13:5.

  • “हर तरह के लालच से खुद को बचाए रखो, क्योंकि चाहे इंसान के पास बहुत कुछ हो, तो भी उसकी ज़िंदगी उसकी संपत्ति की बदौलत नहीं होती।”—लूका 12:15.

  • “भलाई करना और अपनी चीज़ों से दूसरों की मदद करना न भूलो।”—इब्रानियों 13:16.

इसे मानने से क्या फायदे होंगे?

  • “लेने से ज़्यादा खुशी देने में है।”—प्रेषितों 20:35.

  • “उदार प्राणी हृष्ट पुष्ट हो जाता है, और जो औरों की खेती सींचता है, उसकी भी सींची जाएगी।”—नीतिवचन 11:25.

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