2. क्या हम खुद अपनी दुख-तकलीफों के लिए ज़िम्मेदार हैं?
यह जानना क्यों ज़रूरी है?
अगर हम ज़िम्मेदार हैं, तो इसका मतलब है कि दुख- तकलीफों को कुछ हद तक मिटाना हमारे हाथ में है।
ज़रा सोचिए
इंसान किस हद तक आगे बतायी दुख-तकलीफों के लिए ज़िम्मेदार है?
दुर्व्यवहार।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आँकड़े बताते हैं कि हर चौथे व्यक्ति को बचपन में बुरी तरह मारा-पीटा गया है। आँकड़े यह भी बताते हैं कि हर तीसरी औरत को कभी-न-कभी शारीरिक या लैंगिक दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी तो उनके साथ दोनों तरह का दुर्व्यवहार किया जाता है।
अपनों की मौत।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2018 की रिपोर्ट में बताया गया है, “सन् 2016 में पूरी दुनिया में लगभग 4,77,000 लोगों का खून किया गया था।” इसके अलावा उसी साल करीब 1,80,000 लोग युद्ध और दूसरे झगड़ों में मारे गए थे।
स्वास्थ्य की समस्याएँ।
नैशनल जियोग्राफिक पत्रिका के एक लेख में लेखिका फ्रान स्मिथ ने कहा कि “एक अरब से भी ज़्यादा लोग सिगरेट पीते हैं और तंबाकू का सेवन करते हैं। तंबाकू की वजह से लोगों को दिल की बीमारी, स्ट्रोक और फेफड़े का कैंसर होता है और लोग सबसे ज़्यादा इन्हीं बीमारियों से मरते हैं।”
ऊँच-नीच और भेदभाव।
मनोविज्ञानी जे वॉट्स का कहना है कि आज गरीबी, जाति, लिंग या ओहदे को लेकर भेदभाव किया जा रहा है। इतना ही नहीं, लोगों को अपनी जगह से खदेड़ा जा रहा है और लोग एक-दूसरे से आगे निकलने के लिए होड़ लगा रहे हैं। इन सब बातों से निराशा, तनाव और चिंताएँ बढ़ रही हैं।
ज़्यादा जानने के लिए
jw.org पर परमेश्वर ने धरती क्यों बनायी? वीडियो देखें।
बाइबल क्या बताती है?
दुख-तकलीफों के लिए इंसान काफी हद तक ज़िम्मेदार है।
आज दुनिया में ज़्यादातर तकलीफें सरकारों की वजह से आती हैं। वे लोगों की सेवा करने का दावा तो करती हैं, लेकिन हकीकत में वे उनका जीना मुश्किल कर देती हैं।
“इंसान, इंसान पर हुक्म चलाकर सिर्फ तकलीफें लाया है।”—सभोपदेशक 8:9.
तकलीफें कम की जा सकती हैं।
बाइबल के सिद्धांतों को मानने से हमें अच्छी सेहत मिलती है और हम दूसरों के साथ शांति बनाए रख पाते हैं।
“शांत मन से शरीर भला-चंगा रहता है, लेकिन जलन हड्डियों को गला देती है।”—नीतिवचन 14:30.
“हर तरह की जलन-कुढ़न, गुस्सा, क्रोध, चीखना- चिल्लाना और गाली-गलौज, साथ ही नुकसान पहुँचानेवाली हर बात को खुद से दूर करो।”—इफिसियों 4:31.