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  • भाग 1 मसीही शिक्षाएँ
  • यहोवा की मरज़ी पूरी करने के लिए संगठित
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यहोवा की मरज़ी पूरी करने के लिए संगठित
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बपतिस्मा लेनेवालों के लिए सवाल

भाग 1 मसीही शिक्षाएँ

आपने यहोवा के साक्षियों से बाइबल का अध्ययन किया और अब आप सच्चाई जान पाए हैं। आपने जो बातें सीखी हैं, उस वजह से परमेश्‍वर के साथ आपका एक अच्छा रिश्‍ता है। आपको परमेश्‍वर के राज में इस धरती पर फिरदौस में जीने और आशीषें पाने की आशा भी है। परमेश्‍वर के वचन पर आपका विश्‍वास मज़बूत हुआ है और मसीही मंडली में भाई-बहनों से संगति करने से आपने अभी से कई आशीषें पायी हैं। आप देख पाए हैं कि यहोवा अपने लोगों को आज किस तरह सही राह दिखा रहा है।—जक. 8:23.

अब आप बपतिस्मा लेने की तैयारी कर रहे हैं, इसलिए मंडली के प्राचीनों के साथ कुछ बुनियादी मसीही शिक्षाओं पर चर्चा करने से आपको फायदा होगा। (इब्रा. 6:1-3) हमारी दुआ है कि आप यहोवा को जानने के लिए जो मेहनत करते हैं, उस पर वह आशीष दे और आपको वह इनाम दे जिसका उसने वादा किया है।​—यूह. 17:3.

1. आप बपतिस्मा क्यों लेना चाहते हैं?

2. यहोवा कौन है?

• “ऊपर आसमान में और नीचे धरती पर सिर्फ यहोवा ही सच्चा परमेश्‍वर है। उसके सिवा और कोई परमेश्‍वर नहीं।”​—व्यव. 4:39.

• “सिर्फ तू जिसका नाम यहोवा है, सारी धरती के ऊपर परम-प्रधान है।”​—भज. 83:18.

3. यह क्यों ज़रूरी है कि आप परमेश्‍वर का नाम लें?

• “तुम इस तरह प्रार्थना करना: ‘हे हमारे पिता तू जो स्वर्ग में है, तेरा नाम पवित्र किया जाए।’”​—मत्ती 6:9.

• “जो कोई यहोवा का नाम पुकारता है वह उद्धार पाएगा।”​—रोमि. 10:13.

4. यहोवा के बारे में समझाने के लिए बाइबल में कौन-से शब्द इस्तेमाल किए गए हैं?

• “पृथ्वी की सब चीज़ों का बनानेवाला  यहोवा, युग-युग का परमेश्‍वर है।”​—यशा. 40:28.

• “हे हमारे पिता  तू जो स्वर्ग में है।”​—मत्ती 6:9.

• “परमेश्‍वर प्यार  है।”​—1 यूह. 4:8.

5. आप यहोवा परमेश्‍वर को क्या दे सकते हैं?

• “तू अपने परमेश्‍वर यहोवा से अपने पूरे दिल, अपनी पूरी जान, अपने पूरे दिमाग और अपनी पूरी ताकत से प्यार करना।”​—मर. 12:30.

• “तू सिर्फ अपने परमेश्‍वर यहोवा की उपासना कर और उसी की पवित्र सेवा कर।”​—लूका 4:8.

6. आप यहोवा के वफादार क्यों रहना चाहते हैं?

• “हे मेरे बेटे, बुद्धिमान बन और मेरा दिल खुश कर, ताकि मैं उसे जवाब दे सकूँ जो मुझे ताने मारता है।”​—नीति. 27:11.

7. आप किससे प्रार्थना करते हैं? आप किसके नाम से प्रार्थना करते हैं?

• “मैं [यीशु] तुमसे सच-सच कहता हूँ, अगर तुम पिता से कुछ भी माँगोगे तो वह मेरे नाम से तुम्हें दे देगा।”​—यूह. 16:23.

8. आप किन बातों के बारे में प्रार्थना कर सकते हैं?

• “तुम इस तरह प्रार्थना करना: ‘हे हमारे पिता तू जो स्वर्ग में है, तेरा नाम पवित्र किया जाए। तेरा राज आए। तेरी मरज़ी जैसे स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे धरती पर भी पूरी हो। आज के दिन की रोटी हमें दे। जैसे हमने अपने खिलाफ पाप करनेवालों को माफ किया है, वैसे ही तू भी हमारे पाप माफ कर। जब हम पर परीक्षा आए तो हमें गिरने न दे, मगर हमें शैतान से बचा।’”​—मत्ती 6:9-13.

• “हमें परमेश्‍वर पर भरोसा है कि हम उसकी मरज़ी के मुताबिक चाहे जो भी माँगें वह हमारी सुनता है।”​—1 यूह. 5:14.

9. यहोवा कब एक व्यक्‍ति की प्रार्थना नहीं सुनता?

• “तुम मदद के लिए यहोवा को पुकारोगे, लेकिन वह तुम्हें कोई जवाब नहीं देगा, तुम्हारे दुष्ट कामों की वजह से वह तुमसे मुँह फेर लेगा।”​—मीका 3:4.

• “यहोवा की आँखें नेक लोगों पर लगी रहती हैं और उसके कान उनकी मिन्‍नतें सुनते हैं। मगर यहोवा बुरे काम करनेवालों के खिलाफ हो जाता है।”​—1 पत. 3:12.

10. यीशु मसीह कौन है?

• “शमौन पतरस ने जवाब दिया, ‘तू मसीह है, जीवित परमेश्‍वर का बेटा।’”​—मत्ती 16:16.

11. यीशु धरती पर क्यों आया था?

• “इंसान का बेटा भी सेवा करवाने नहीं, बल्कि सेवा करने आया है और इसलिए आया है कि बहुतों की फिरौती के लिए अपनी जान बदले में दे।”​—मत्ती 20:28.

• ‘यीशु ने कहा, “मुझे दूसरे शहरों में भी परमेश्‍वर के राज की खुशखबरी सुनानी है क्योंकि मुझे इसीलिए भेजा गया है।”’​—लूका 4:43.

12. आप कैसे ज़ाहिर कर सकते हैं कि आप यीशु के बलिदान की कदर करते हैं?

• “वह सबके लिए मरा ताकि जो जीते हैं वे अब से खुद के लिए न जीएँ, बल्कि उसके लिए जीएँ जो उनके लिए मरा और ज़िंदा किया गया।”​—2 कुरिं. 5:15.

13. यीशु को क्या अधिकार दिया गया है?

• “स्वर्ग में और धरती पर सारा अधिकार मुझे दिया गया है।”​—मत्ती 28:18.

• “परमेश्‍वर ने उसे पहले से भी ऊँचा पद देकर महान किया और कृपा करके उसे वह नाम दिया जो दूसरे हर नाम से महान है।”​—फिलि. 2:9.

14. क्या आप मानते हैं कि यहोवा के साक्षियों का शासी निकाय ही “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” है, जिसे यीशु ने नियुक्‍त किया है?

• “तो असल में वह विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास कौन है, जिसे उसके मालिक ने अपने घर के कर्मचारियों के ऊपर ठहराया है कि उन्हें सही वक्‍त पर खाना दे?”​—मत्ती 24:45.

15. क्या पवित्र शक्‍ति कोई व्यक्‍ति है?

• “स्वर्गदूत ने उससे कहा, ‘परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति तुझ पर आएगी और परम-प्रधान की शक्‍ति तुझ पर छा जाएगी। इसलिए जो पैदा होगा वह पवित्र और परमेश्‍वर का बेटा कहलाएगा।’”​—लूका 1:35.

• “जब तुम दुष्ट होकर भी अपने बच्चों को अच्छे तोहफे देना जानते हो तो तुम्हारा पिता, जो स्वर्ग में है, और भी बढ़कर अपने माँगनेवालों को पवित्र शक्‍ति क्यों न देगा!”​—लूका 11:13.

16. यहोवा ने अपनी पवित्र शक्‍ति से क्या-क्या किया है?

• “यहोवा के वचन से आकाश की रचना हुई, उसमें जो कुछ है वह उसके मुँह की साँस से बनाया गया।”​—भज. 33:6.

• “जब तुम पर पवित्र शक्‍ति आएगी, तो तुम ताकत पाओगे और . . . दुनिया के सबसे दूर के इलाकों में मेरे बारे में गवाही दोगे।”​—प्रेषि. 1:8.

• “तुम सबसे पहले यह जान लो कि शास्त्र की कोई भी भविष्यवाणी किसी के अपने विचारों के मुताबिक नहीं की गयी। क्योंकि कोई भी भविष्यवाणी इंसान की मरज़ी से कभी नहीं हुई, बल्कि इंसान पवित्र शक्‍ति से उभारे जाकर परमेश्‍वर की तरफ से बोलते थे।”​—2 पत. 1:20, 21.

17. परमेश्‍वर का राज क्या है?

• “स्वर्ग का परमेश्‍वर एक ऐसा राज कायम करेगा जो कभी नाश नहीं किया जाएगा। वह राज किसी और के हाथ में नहीं किया जाएगा। वह राज इन सारी हुकूमतों को चूर-चूर करके उनका अंत कर डालेगा और सिर्फ वही हमेशा तक कायम रहेगा”​—दानि. 2:44.

18. परमेश्‍वर के राज में आपको क्या आशीषें मिलेंगी?

• “वह उनकी आँखों से हर आँसू पोंछ देगा और न मौत रहेगी, न मातम, न रोना-बिलखना, न ही दर्द रहेगा। पिछली बातें खत्म हो चुकी हैं।”​—प्रका. 21:4.

19. आप क्यों मानते हैं कि परमेश्‍वर का राज बहुत जल्द धरती पर आशीषें लाएगा?

• “चेले अकेले में उसके पास आकर पूछने लगे, ‘हमें बता, ये सब बातें कब होंगी और तेरी मौजूदगी की और दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्‍त की क्या निशानी होगी?’ यीशु ने उन्हें यह जवाब दिया, ‘. . . एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र पर और एक राज्य दूसरे राज्य पर हमला करेगा। एक-के-बाद-एक कई जगह अकाल पड़ेंगे और भूकंप होंगे। और राज की इस खुशखबरी का सारे जगत में प्रचार किया जाएगा ताकि सब राष्ट्रों को गवाही दी जाए और इसके बाद अंत आ जाएगा।’”​—मत्ती 24:3, 4, 7, 14.

• “आखिरी दिनों में संकटों से भरा ऐसा वक्‍त आएगा जिसका सामना करना मुश्‍किल होगा। इसलिए कि लोग सिर्फ खुद से प्यार करनेवाले, पैसे से प्यार करनेवाले, डींगें मारनेवाले, मगरूर, निंदा करनेवाले, माता-पिता की न माननेवाले, एहसान न माननेवाले, विश्‍वासघाती, लगाव न रखनेवाले, किसी भी बात पर राज़ी न होनेवाले, बदनाम करनेवाले, संयम न रखनेवाले, खूँखार, भलाई से प्यार न करनेवाले, धोखेबाज़, ढीठ, घमंड से फूले हुए, परमेश्‍वर के बजाय मौज-मस्ती से प्यार करनेवाले होंगे, वे भक्‍ति का दिखावा तो करेंगे मगर उसके मुताबिक जीएँगे नहीं।”​—2 तीमु. 3:1-5.

20. आप कैसे ज़ाहिर कर सकते हैं कि परमेश्‍वर का राज आपके लिए अहमियत रखता है?

• “तुम पहले उसके राज और उसके नेक स्तरों की खोज में लगे रहो।”​—मत्ती 6:33.

• “यीशु ने अपने चेलों से कहा, ‘अगर कोई मेरे पीछे आना चाहता है, तो वह खुद से इनकार करे और अपना यातना का काठ उठाए और मेरे पीछे चलता रहे।’”​—मत्ती 16:24.

21. शैतान और दुष्ट स्वर्गदूत कौन हैं?

• “तुम अपने पिता शैतान से हो। . . . वह शुरू से ही हत्यारा है।”​—यूह. 8:44.

• “वह बड़ा भयानक अजगर, वही पुराना साँप, जो इबलीस और शैतान कहलाता है और जो सारे जगत को गुमराह करता है, वह नीचे धरती पर फेंक दिया गया और उसके दुष्ट स्वर्गदूत भी उसके साथ फेंक दिए गए।”​—प्रका. 12:9.

22. शैतान ने यहोवा और उसके उपासकों पर क्या इलज़ाम लगाया है?

• “औरत ने साँप से कहा, ‘हम बाग के सब पेड़ों के फल खा सकते हैं। मगर जो पेड़ बाग के बीच में है उसके फल के बारे में परमेश्‍वर ने हमसे कहा है, “तुम उसका फल मत खाना, उसे छूना तक नहीं, वरना मर जाओगे।”’ तब साँप ने औरत से कहा, ‘तुम हरगिज़ नहीं मरोगे। परमेश्‍वर जानता है कि जिस दिन तुम उस पेड़ का फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आँखें खुल जाएँगी, तुम परमेश्‍वर के जैसे हो जाओगे और खुद जान लोगे कि अच्छा क्या है और बुरा क्या।’”​—उत्प. 3:2-5.

• “शैतान ने यहोवा से कहा, ‘खाल के बदले खाल। इंसान अपनी जान बचाने के लिए अपना सबकुछ दे सकता है।’”​—अय्यू. 2:4.

23. आप कैसे साबित कर सकते हैं कि शैतान के इलज़ाम झूठे हैं?

• ‘पूरे दिल से परमेश्‍वर की सेवा कर।’​—1 इति. 28:9.

• “मैंने ठान लिया है, मैं मरते दम तक निर्दोष बना रहूँगा।”​—अय्यू. 27:5.

24. लोग क्यों मरते हैं?

• “एक आदमी से पाप दुनिया में आया और पाप से मौत आयी और इस तरह मौत सब इंसानों में फैल गयी क्योंकि सबने पाप किया।”​—रोमि. 5:12.

25. जिनकी मौत हो गयी है, वे किस दशा में हैं?

• “जो ज़िंदा हैं वे जानते हैं कि वे मरेंगे, लेकिन मरे हुए कुछ नहीं जानते।”​—सभो. 9:5.

26. जो मौत की नींद सो रहे हैं, क्या उन्हें ज़िंदा किया जाएगा?

• “अच्छे और बुरे, दोनों तरह के लोगों को मरे हुओं में से ज़िंदा किया जाएगा।”​—प्रेषि. 24:15.

27. कितने लोग स्वर्ग जाकर यीशु के साथ राज करेंगे?

• “फिर मैंने देखा तो क्या देखा! मेम्ना सिय्योन पहाड़ पर खड़ा है और उसके साथ 1,44,000 जन खड़े हैं जिनके माथे पर उसका नाम और उसके पिता का नाम लिखा है।”​—प्रका. 14:1.

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