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  • यहोवा के वफादार लोग खुश रहते हैं!

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  • यहोवा के वफादार लोग खुश रहते हैं!
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2022
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2022
w22 अक्टूबर पेज 12-17

अध्ययन लेख 42

यहोवा के वफादार लोग खुश रहते हैं!

“तेरे वफादार लोग खुशी से जयजयकार करें।”​—भज. 132:9.

गीत 124 हमेशा वफादार

एक झलकa

कुछ भाई-बहनों की तसवीरें, जिन्हें यहोवा के वफादार रहने की वजह से जेल में डाल दिया गया। इनमें से कुछ आज भी जेल में हैं। सभी के चेहरों पर मुस्कान है।

हमारे कुछ भाई-बहन जिन्हें यहोवा के वफादार रहने की वजह से जेल में डाल दिया गया। इनमें से कुछ आज भी जेल में हैं। हमारे ये भाई-बहन सच में हिम्मतवाले हैं! (पैराग्राफ 1-2)

1-2. (क) कुछ सरकारों ने क्या किया है, फिर भी यहोवा के लोग क्या करते हैं? (ख) अगर हम पर ज़ुल्म किए जाएँ, तब भी हम क्यों खुश रह सकते हैं? (बाहर दी तसवीर भी देखें।)

आज 30 से भी ज़्यादा देशों और इलाकों में हमारे काम पर या तो पाबंदी लगी है या पूरी तरह रोक लगी है। इनमें से कुछ देशों में तो अधिकारियों ने हमारे भाई-बहनों को जेल में भी डाल दिया है। उनका क्या कसूर है? यहोवा की नज़र में तो उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है। उन्हें बस इसलिए जेल में डाल दिया गया है क्योंकि वे बाइबल पढ़ते थे और उसका अध्ययन करते थे, प्रचार करते थे, सभाओं के लिए इकट्ठा होते थे या उन्होंने राजनैतिक मामलों में किसी का पक्ष नहीं लिया। पर इतने विरोध के बाद भी उनका विश्‍वास नहीं डगमगाया और वे यहोवा के वफादार बने हुए हैं। यही वजह है कि वे खुश हैं।

2 सच में, ये भाई-बहन बहुत हिम्मतवाले हैं! शायद आपने इनमें से कुछ भाई-बहनों की तसवीरें देखी होंगी और ध्यान दिया होगा कि उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती है। वे क्यों इतने खुश रहते हैं? क्योंकि वे जानते हैं कि यहोवा यह देखकर बहुत खुश है कि वे उसके वफादार हैं। (1 इति. 29:17) यीशु ने कहा था, ‘सुखी हैं वे जो सही काम करने की वजह से ज़ुल्म सहते हैं। वे मगन हों और खुशियाँ मनाएँ इसलिए कि उनके लिए बड़ा इनाम है।’​—मत्ती 5:10-12.

प्रेषितों की तरह यहोवा के वफादार रहिए

तसवीरें: 1. पतरस और यूहन्‍ना महासभा के सामने खड़े हैं और अधिकारियों से बात कर रहे हैं। 2. एक भाई अदालत में खड़ा है और जज को बता रहा है कि वह क्या मानता है।

पतरस और यूहन्‍ना की तरह आज भी मसीही हिम्मत से अदालत में सबके सामने बताते हैं कि वे क्या मानते हैं (पैराग्राफ 3-4)

3. जब प्रेषितों का विरोध किया गया, तो उन्होंने क्या किया और क्यों? (प्रेषितों 4:19, 20)

3 आज हमारे भाई-बहनों के साथ जो हो रहा है, वह कोई नयी बात नहीं है। पहली सदी में भी प्रेषितों के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था। जब उन्होंने यीशु के बारे में प्रचार किया, तो उन पर बहुत ज़ुल्म किए गए। महासभा के अधिकारियों ने बार-बार कोशिश की कि प्रचार काम रुक जाए। उन्होंने प्रेषितों को हुक्म दिया कि वे “यीशु के नाम से बोलना बंद कर दें।” (प्रेषि. 4:18; 5:27, 28, 40) पर प्रेषितों ने क्या किया? (प्रेषितों 4:19, 20 पढ़िए।) वे जानते थे कि कोई है जो उन अधिकारियों से भी ज़्यादा अधिकार रखता है और उसने उन्हें यह आज्ञा दी है कि वे मसीह के बारे में ‘प्रचार करें और अच्छी तरह गवाही दें।’ (प्रेषि. 10:42) इसलिए सभी प्रेषितों की तरफ से पतरस और यूहन्‍ना ने बेधड़क होकर उन अधिकारियों से कहा कि वे उनकी आज्ञा मानने के बजाय परमेश्‍वर की आज्ञा मानेंगे और यीशु के बारे में बताना नहीं छोड़ेंगे। मानो वे उनसे कह रहे थे, ‘तुम्हें क्या लगता है, तुम इतने बड़े हो कि हम परमेश्‍वर के बजाय तुम्हारी सुनें?’

4. प्रेषितों 5:27-29 के मुताबिक प्रेषितों ने क्या किया और हम उनकी तरह कैसे बन सकते हैं?

4 प्रेषितों ने ‘इंसानों के बजाय परमेश्‍वर को अपना राजा जानकर उसकी आज्ञा मानी।’ तब से लेकर आज तक मसीहियों ने ऐसा ही करने की कोशिश की है। (प्रेषितों 5:27-29 पढ़िए।) पर जब प्रेषितों ने अधिकारियों की बात नहीं मानी और यीशु के बारे में प्रचार करते रहे, तो उन्हें बहुत पीटा गया। तब क्या वे हिम्मत हार बैठे? नहीं। जब वे महासभा से निकले, तो “इस बात पर बड़ी खुशी मनाते हुए अपने रास्ते चल दिए कि उन्हें यीशु के नाम से बेइज़्ज़त होने के लायक तो समझा गया।” उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और जोश से प्रचार करते रहे।​—प्रेषि. 5:40-42.

5. हमारे मन में शायद कौन-से सवाल आएँ?

5 विरोध होने पर प्रेषितों ने जो किया, उससे हमारे मन में कुछ सवाल आ सकते हैं। आज हम जानते हैं कि मसीहियों को “ऊँचे अधिकारियों के अधीन” रहना चाहिए। (रोमि. 13:1) पर जब प्रेषितों ने उन अधिकारियों के बजाय परमेश्‍वर की आज्ञा मानने का फैसला किया, तो क्या वे सही कर रहे थे? और आज हम “सरकारों और अधिकारियों के अधीन” रहने के साथ-साथ यहोवा के वफादार कैसे रह सकते हैं?​—तीतु. 3:1.

‘ऊँचे अधिकारी’

6. (क) रोमियों 13:1 में जिन “ऊँचे अधिकारियों” की बात की गयी है, वे कौन हैं और हमें उनके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए? (ख) उनके पास जो अधिकार है, उसके बारे में क्या कहा जा सकता है?

6 रोमियों 13:1 पढ़िए। इस आयत में ‘ऊँचे अधिकारी’ ऐसे लोगों को कहा गया है जिन्हें दूसरे लोगों पर कुछ अधिकार होता है। वे इस बात का ध्यान रखते हैं कि सब लोग नियम-कानून मानें और सबकुछ कायदे से हो। और कभी-कभी तो वे यहोवा के लोगों की हिफाज़त भी करते हैं। (प्रका. 12:16) सभी मसीहियों को इन अधिकारियों के अधीन रहना चाहिए। बाइबल में हमसे कहा गया है कि हम इनका आदर करें और सरकार को टैक्स दें। (रोमि. 13:7) इन सरकारों के पास जो अधिकार है, वह उन्हें यहोवा ने ही दिया है। और ध्यान दीजिए कि एक बार यीशु ने क्या कहा। जब रोमी राज्यपाल पुन्तियुस पीलातुस ने यीशु से कहा कि उसकी ज़िंदगी और मौत उसके हाथ में है, तो यीशु ने कहा, “अगर तुझे यह अधिकार ऊपर से न दिया गया होता, तो मुझ पर तेरा कोई अधिकार नहीं होता।” (यूह. 19:11) पीलातुस की तरह आज के अधिकारियों और नेताओं के पास भी सिर्फ कुछ हद तक अधिकार है।

7. (क) हमें कब अधिकारियों की बात नहीं माननी चाहिए? (ख) जो अधिकारी यीशु के चेलों का विरोध करते हैं, उनका क्या होगा?

7 मसीही वे सभी कायदे-कानून मानते हैं जो यहोवा के सिद्धांतों के खिलाफ नहीं हैं। पर अगर सरकारें हमसे कुछ ऐसा करने को कहें जिसे करने से यहोवा ने मना किया है या कुछ ऐसा करने से मना करें जिसे यहोवा ने करने को कहा है, तो हम उनकी नहीं मानते। जैसे हो सकता है कि वे यह कानून बना दें कि एक उम्र पार करने पर लोगों को सेना में भरती होना ही पड़ेगा।b या शायद वे नयी दुनिया अनुवाद  बाइबल या हमारे दूसरे प्रकाशनों पर रोक लगा दें। या फिर हो सकता है कि वे हमें प्रचार करने से और साथ में इकट्ठा होने से भी मना कर दें। कई सरकारें और अधिकारी ऐसा ही करते हैं। वे अपने अधिकार का फायदा उठाकर यीशु के चेलों का विरोध करते हैं और उन्हें सताते हैं। पर यह सब यहोवा की नज़रों से छिपा नहीं है, वह उन्हें देख रहा है और उन्हें उसे अपने कामों का हिसाब देना होगा!​—सभो. 5:8.

8. यहोवा और “ऊँचे अधिकारियों” में क्या फर्क है?

8 ‘ऊँचे अधिकारी’ का मतलब एक ऐसा व्यक्‍ति है जो किसी ऊँचे या बड़े ओहदे पर हो। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वह सबसे ऊँचे या सबसे बड़े ओहदे पर है। बाइबल में इंसानों की सरकारों को ‘ऊँचे अधिकारी’ कहा गया है, पर उनसे भी ऊपर कोई है जिसके पास उनसे कहीं ज़्यादा अधिकार है। वह और कोई नहीं बल्कि परमेश्‍वर यहोवा है, जिसे बाइबल में कई बार “सबसे महान” कहा गया है।​—दानि. 7:18, 22, 25, 27.

“सबसे महान”

9. दानियेल ने दर्शनों में क्या देखा?

9 भविष्यवक्‍ता दानियेल ने कुछ ऐसे दर्शन देखे जिनसे पता चलता है कि यहोवा सभी अधिकारियों से कहीं ज़्यादा महान है। पहले उसने दर्शन में चार बड़े-बड़े जानवर देखे जो अलग-अलग विश्‍व शक्‍तियों को दर्शाते हैं यानी बैबिलोन, मादी-फारस, यूनान, रोम और रोम से ही निकली ब्रिटेन-अमरीकी विश्‍व शक्‍ति को जो आज हुकूमत कर रही है। (दानि. 7:1-3, 17) फिर दानियेल ने देखा कि स्वर्ग में यहोवा अपनी राजगद्दी पर विराजमान है और उसके सामने अदालत की कार्रवाई शुरू होती है। (दानि. 7:9, 10) यह सब देखने के बाद दानियेल को दर्शन में कुछ ऐसा दिखायी देता है जिससे पता चलता है कि आज की सरकारों का क्या हश्र होगा।

10. दानियेल 7:13, 14, 27 के मुताबिक यहोवा किन्हें धरती पर राज करने का अधिकार देगा और इससे क्या पता चलता है?

10 दानियेल 7:13, 14, 27 पढ़िए। परमेश्‍वर इंसानों की सरकारों से राज करने का अधिकार ले लेगा और उन्हें दे देगा जो उनसे कहीं ज़्यादा काबिल और ताकतवर हैं। वह यह अधिकार किन्हें देगा? ‘इंसान के बेटे जैसे किसी को’ यानी यीशु मसीह को और “सबसे महान परमेश्‍वर के पवित्र जनों को” यानी 1,44,000 जनों को और वे “युग-युग तक” राज करेंगे। (दानि. 7:18) सिर्फ यहोवा ही इंसानों की सरकारों से उनका अधिकार ले सकता है और किसी और को दे सकता है। सच में, वही “सबसे महान” है।

11. दानियेल ने और क्या लिखा जिससे पता चलता है कि यहोवा के पास ही सबसे ज़्यादा अधिकार है?

11 दानियेल अध्याय 7 में बताए गए दर्शन के अलावा, दानियेल ने पहले भी कुछ ऐसा लिखा था जिससे पता चलता है कि यहोवा किसी से भी अधिकार ले सकता है और किसी को भी दे सकता है। उसने लिखा था, ‘स्वर्ग का परमेश्‍वर राजाओं को उनके पद से हटाता है और राजाओं को ठहराता है।’ उसने यह भी लिखा था, “इंसानी राज्यों पर परम-प्रधान परमेश्‍वर का राज है और वह जिसे चाहे उसके हाथ में राज देता है।” (दानि. 2:19-21; 4:17) क्या आपको बाइबल का कोई किस्सा याद है जब यहोवा ने किसी राजा को उसके पद से हटाया या किसी और को उसकी जगह ठहराया?

राजा बेलशस्सर और उसके महल में आए मेहमान दीवार पर लिखे शब्द देखकर चौंक गए हैं।

यहोवा ने बेलशस्सर का राज्य मादियों और फारसियों को दे दिया (पैराग्राफ 12)

12. कोई ऐसा किस्सा बताइए जब यहोवा ने किसी राजा को उसके पद से हटा दिया। (तसवीर भी देखें।)

12 बाइबल में ऐसे कई किस्से हैं जिनसे पता चलता है कि यहोवा के पास “ऊँचे अधिकारियों” से कहीं ज़्यादा अधिकार है। आइए उनमें से तीन पर ध्यान दें। मिस्र के राजा फिरौन ने परमेश्‍वर के लोगों को अपना गुलाम बना लिया था। यहोवा ने मूसा के ज़रिए उससे कई बार कहा कि वह उसके लोगों को जाने दे, लेकिन फिरौन ने साफ इनकार कर दिया। आखिर में यहोवा ने अपने लोगों को छुड़ा लिया और फिरौन को लाल सागर में डुबो दिया। (निर्ग. 14:26-28; भज. 136:15) इसके कई साल बाद, एक दिन बैबिलोन के राजा बेलशस्सर ने एक बड़ी दावत रखी और “स्वर्ग के मालिक, परमेश्‍वर के खिलाफ जाकर खुद को ऊँचा उठाया।” उसने यहोवा के बजाय “उन देवताओं की बड़ाई की जो सोने-चाँदी” के बने थे। (दानि. 5:22, 23) पर यहोवा ने उसका घमंड तोड़ दिया। “उसी रात” बेलशस्सर को मार डाला गया और उसका राज्य मादियों और फारसियों को दे दिया गया। (दानि. 5:28, 30, 31) सदियों बाद, पैलिस्टाइन के राजा हेरोदेस अग्रिप्पा प्रथम ने प्रेषित याकूब को मरवा डाला और पतरस को भी गिरफ्तार कर लिया ताकि उसे भी मरवा डाले। पर यहोवा ने ऐसा नहीं होने दिया। उसने अपने एक स्वर्गदूत के ज़रिए हेरोदेस को सज़ा दी और कुछ समय बाद उसकी मौत हो गयी।​—प्रेषि. 12:1-5, 21-23.

13. जब बहुत-से राजाओं ने मिलकर यहोवा के लोगों पर हमला किया, तब भी यहोवा ने क्या साबित किया? उदाहरण दीजिए।

13 कई बार ऐसा भी हुआ कि बहुत-से राजाओं ने मिलकर यहोवा के लोगों पर हमला किया। तब भी यहोवा ने साबित किया कि वह उनसे कहीं ज़्यादा महान है। जैसे जब इसराएली वादा किए गए देश पर कब्ज़ा करनेवाले थे, तो कनान के 31 राजा साथ मिल गए और उन्होंने इसराएलियों को रोकने की कोशिश की। तब यहोवा इसराएलियों की तरफ से लड़ा और उसने उन सभी राजाओं को हरा दिया। (यहो. 11:4-6, 20; 12:1, 7, 24) एक और बार जब सीरिया का राजा बेन-हदद 32 और राजाओं के साथ मिलकर इसराएल से लड़ने आया, तो यहोवा ने उन सभी को धूल चटा दी।​—1 राजा 20:1, 26-29.

14-15. (क) राजा नबूकदनेस्सर और राजा दारा ने यहोवा के अधिकार के बारे में क्या कहा? (ख) भजन के एक लेखक ने यहोवा और उसके लोगों के बारे में क्या कहा?

14 यहोवा ने कई बार साबित किया है कि वही सबसे महान है और कुछ राजाओं ने भी इस बात को माना है। एक बार बैबिलोन का राजा नबूकदनेस्सर खुद पर बहुत घमंड कर रहा था। उसने कहा कि उसने अपना पूरा राज्य अपनी ताकत से खड़ा किया है और वही सबसे महान है। इसलिए यहोवा ने उसे सज़ा दी और वह पागल हो गया। लेकिन जब वह ठीक हुआ और उसकी अक्ल ठिकाने आयी, तब उसने माना कि यहोवा ही सबसे महान है। उसने “परम-प्रधान परमेश्‍वर की तारीफ की” और कहा, ‘यहोवा का राज सदा कायम रहनेवाला राज है।’ उसने यह भी कहा कि कोई यहोवा को अपनी मरज़ी पूरी करने से रोक नहीं सकता। (दानि. 4:30, 33-35) और याद कीजिए, जब दानियेल यहोवा का वफादार रहा और इस वजह से उसे शेरों की माँद में फेंक दिया गया, तो क्या हुआ। यहोवा ने उसे बचा लिया और जब राजा दारा ने यह देखा, तो उसने ऐलान किया, “लोग दानियेल के परमेश्‍वर का डर मानें और उसका आदर करें, क्योंकि वही जीवित परमेश्‍वर है और युग-युग तक बना रहता है। उसका राज कभी नाश नहीं किया जाएगा और उसका राज करने का अधिकार सदा बना रहेगा।”​—दानि. 6:7-10, 19-22, 26, 27.

15 भजन के एक लेखक ने कहा, “यहोवा ने राष्ट्रों की साज़िशें नाकाम कर दीं, देश-देश के लोगों की योजनाओं पर पानी फेर दिया।” उसने यह भी कहा, “सुखी है वह राष्ट्र जिसका परमेश्‍वर यहोवा है, वे लोग जिनको उसने अपनी जागीर चुना है।” (भज. 33:10, 12) सच में, यहोवा के वफादार रहने में ही हमारी भलाई है!

किसकी होगी जीत?

सफेद घोड़ों पर सवार यहोवा की सेना धरती पर सैनिकों पर हमला कर रही है।

परमेश्‍वर यहोवा और उसकी स्वर्ग की सेना के सामने राष्ट्रों के गठबंधन की एक नहीं चलेगी! (पैराग्राफ 16-17)

16. “महा-संकट” के दौरान यहोवा क्या करेगा और हम क्यों इस बात का यकीन रख सकते हैं? (तसवीर भी देखें।)

16 अब तक हमने बाइबल के ऐसे कई किस्से देखे जिनसे पता चलता है कि यहोवा के पास ही सबसे ज़्यादा अधिकार है और जब उसके लोगों पर हमला किया गया, तो उसने उनकी हिफाज़त की। बहुत जल्द “महा-संकट” के दौरान कई सारे राष्ट्र एक-दूसरे के साथ गठबंधन करके पूरी दुनिया में परमेश्‍वर के लोगों पर ज़ोरदार हमला करेंगे। (मत्ती 24:21) बाइबल में राष्ट्रों के इस समूह को मागोग देश का गोग कहा गया है। हम यकीन रख सकते हैं कि बीते ज़माने की तरह यहोवा उस वक्‍त भी अपने वफादार सेवकों की हिफाज़त करेगा। (दानि. 12:1) अगर इस गठबंधन में संयुक्‍त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य भी मिल जाएँ, तब भी सबसे महान परमेश्‍वर यहोवा और उसकी स्वर्ग की सेना के सामने उनकी एक नहीं चलेगी! यहोवा ने वादा किया है, “मैं बहुत-से राष्ट्रों के देखते अपनी महिमा करूँगा, खुद को पवित्र ठहराऊँगा और खुद को प्रकट करूँगा और उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।”​—यहे. 38:14-16, 23; भज. 46:10.

17. भविष्य में धरती के राजाओं और यहोवा के वफादार सेवकों का क्या होगा?

17 जब मागोग देश का गोग यहोवा के लोगों पर हमला करेगा, तो यहोवा अपने लोगों को बचाने के लिए कदम उठाएगा और तब हर-मगिदोन का युद्ध शुरू हो जाएगा। इस युद्ध में यहोवा “सारे जगत के राजाओं” को मिटा देगा। (प्रका. 16:14, 16; 19:19-21) लेकिन यहोवा “अपने वफादार लोगों की जान की हिफाज़त” करेगा और उसके बाद सिर्फ वही धरती पर जीएँगे।​—भज. 97:10.

यहोवा के वफादार बने रहिए

18. यहोवा के कई सेवकों ने क्या किया है और क्यों? (दानियेल 3:28)

18 यहोवा के ऐसे कई सेवक थे जो हर हाल में उसके वफादार रहे। उन्हें यह चिंता नहीं थी कि उन्हें कैद कर लिया जाएगा या उनकी जान को खतरा होगा। आज भी ऐसे कई वफादार भाई-बहन हैं। वे इसी वजह से वफादार रह पाए हैं क्योंकि वे यहोवा से प्यार करते हैं और मानते हैं कि वही सारे जहान का मालिक है और उसे ही हम पर राज करने का अधिकार है। वे उन तीन इब्रियों की तरह हैं जो हर हाल में यहोवा के वफादार रहना चाहते थे और आग के भट्ठे में जाने को भी तैयार थे।​—दानियेल 3:28 पढ़िए।

19. (क) यहोवा किस हिसाब से अपने लोगों का न्याय करेगा? (ख) आज हमें क्या करना चाहिए?

19 भजन के एक लेखक ने बताया कि जब यहोवा अपने लोगों का न्याय करेगा, तो वह देखेगा कि कौन उसके वफादार हैं। उस वक्‍त यहोवा कहेगा, “मेरे वफादार लोगों को मेरे पास इकट्ठा करो।” (भज. 50:4, 5) दाविद ने भी लिखा, “यहोवा न्याय से प्यार करता है, वह अपने वफादार सेवकों को कभी नहीं त्यागेगा। वह हमेशा उनकी हिफाज़त करेगा।” (भज. 37:28) इससे पता चलता है कि यहोवा के वफादार रहना क्यों इतना ज़रूरी है, इसमें हमारी ही भलाई है। तो आइए हम पक्का इरादा कर लें कि चाहे जो हो जाए, हम यहोवा के वफादार रहेंगे। तब हम भी भजन के लेखक की तरह ‘खुशी से जयजयकार करेंगे’!​—भज. 132:9.

आपका जवाब क्या होगा?

  • हम प्रेषितों से क्या सीख सकते हैं?

  • हमें कब “ऊँचे अधिकारियों” की बात माननी चाहिए और कब नहीं?

  • यहोवा ने कैसे साबित किया है कि वह “सबसे महान” है?

गीत 122 अटल रहें!

a बाइबल में मसीहियों को आज्ञा दी गयी है कि वे ऊँचे अधिकारियों यानी दुनिया की सरकारों के अधीन रहें। पर कुछ सरकारें यहोवा और उसके लोगों का विरोध करती हैं। ऐसे में हम सरकारों के अधीन रहने के साथ-साथ यहोवा के वफादार कैसे रह सकते हैं?

b प्रहरीदुर्ग  के इस अंक में दिया लेख, “अगर इसराएलियों ने युद्ध लड़े थे, तो हम क्यों नहीं लड़ सकते?” देखिए।

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