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  • mwbr23 ମେ ପୃଷ୍ଠା ୧-୧୩
  • मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले

ଏ ସମ୍ୱନ୍ଧରେ କୌଣସି ଭିଡିଓ ଉପଲବ୍ଧ ନାହିଁ ।

ଭିଡିଓ ଲୋଡିଙ୍ଗ୍ ହେବାରେ କିଛି ତ୍ରୁଟି ରହିଛି । ଆମେ ଦୁଃଖିତ ।

  • मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
  • ଜୀବନ ଓ ସେବା ପାଇଁ ରେଫରେନ୍‌ସ—ସଭା ପୁସ୍ତିକା (୨୦୨୩)
  • ଉପଶୀର୍ଷକ
  • 1-7 मई
  • 8-14 मई
  • 15-21 मई
  • 22-28 मई
  • 29 मई–4 जून
  • 5-11 जून
  • 12-18 जून
  • 19-25 जून
  • 26 जून–2 जुलाई
ଜୀବନ ଓ ସେବା ପାଇଁ ରେଫରେନ୍‌ସ—ସଭା ପୁସ୍ତିକା (୨୦୨୩)
mwbr23 ମେ ପୃଷ୍ଠା ୧-୧୩

मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले

© 2023 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania

1-7 मई

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 इतिहास 17-19

“दूसरों को यहोवा की नज़र से देखिए”

प्र17.03 पेज 24-25 पै 7

क्या हम बीते समय के राजाओं से सबक सीखेंगे?

7 अब आइए आसा के बेटे यहोशापात पर ध्यान दें। उसमें कई अच्छे गुण थे, जिस वजह से यहोवा उससे खुश था। जब उसने यहोवा पर भरोसा रखा, तो उसने कई अच्छे काम किए। लेकिन उसने कुछ गलत फैसले भी किए। जैसे, उसने अपने बेटे की शादी इसराएल के दुष्ट राजा अहाब की बेटी से करवायी। बाद में जब अहाब सीरिया से युद्ध करने जा रहा था, तो यहोशापात ने उसका साथ दिया, जबकि भविष्यवक्‍ता मीकायाह ने उसे खबरदार किया था कि ऐसा करना सही नहीं होगा। युद्ध में उसकी जान पर बन आयी थी। (2 इति. 18:1-32) जब वह यरूशलेम लौटा, तो भविष्यवक्‍ता येहू ने उससे कहा, “क्या तुझे एक दुष्ट की मदद करनी चाहिए और उन लोगों से प्यार करना चाहिए जो यहोवा से नफरत करते हैं?”—2 इतिहास 19:1-3 पढ़िए।

प्र15 8/15 पेज 11-12 पै 8-9

यहोवा के अटूट प्यार पर मनन कीजिए

8 यहोवा हमें बताना चाहता है कि वह हमसे प्यार करता है और वह सिर्फ हमारी खामियाँ नहीं देखता बल्कि वह हममें अच्छाइयाँ ढूँढ़ता है। (2 इति. 16:9) आइए गौर करें कि कैसे उसने यहूदा के राजा यहोशापात की अच्छाइयों पर ध्यान दिया। यहोशापात इसराएल के राजा अहाब से मिल गया और उसने गिलाद के रामोत में अरामियों (सीरिया के लोगों) से युद्ध किया जो कि गलत फैसला था। हालाँकि 400 झूठे भविष्यवक्‍ताओं ने दुष्ट राजा अहाब से कहा कि वह युद्ध में जीत जाएगा, मगर यहोवा के सच्चे भविष्यवक्‍ता मीकायाह ने यहोशापात से कहा कि अगर वह युद्ध करेगा तो हार जाएगा। ठीक वैसा ही हुआ। राजा अहाब युद्ध में मारा गया और यहोशापात की जान बड़ी मुश्‍किल से बची। युद्ध के बाद यहोवा ने येहू के ज़रिए यहोशापात को उसकी गलती के लिए ताड़ना दी। मगर येहू ने राजा को यह भी बताया, “तुझ में कुछ अच्छी बातें पाई जाती हैं।”—2 इति. 18:4, 5, 18-22, 33, 34; 19:1-3.

9 कुछ साल पहले, यहोशापात ने हाकिमों, लेवियों और याजकों को हुक्म दिया था कि वे यहूदा के सभी शहरों में जाएँ और लोगों को यहोवा का कानून सिखाएँ। इस अभियान का इतना ज़बरदस्त असर हुआ कि आस-पास के देशों के लोग भी यहोवा से डरने लगे थे। (2 इति. 17:3-10) जी हाँ, यहोशापात ने अहाब का साथ देकर हालाँकि गलत फैसला लिया था, मगर यहोवा ने उसके वे अच्छे काम नज़रअंदाज़ नहीं किए जो उसने पहले किए थे। यह उदाहरण वाकई हमें बहुत दिलासा देता है क्योंकि कभी-कभी हम भी गलतियाँ करते हैं। लेकिन अगर हम दिलो-जान से यहोवा की सेवा करते रहें, तो वह हमेशा हमसे प्यार करता रहेगा और उन अच्छे कामों को नहीं भूलेगा जो हमने किए हैं।

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प्र17.03 पेज 20 पै 10-11

पूरे दिल से यहोवा की सेवा कीजिए!

10 आसा का बेटा यहोशापात ‘अपने पिता के नक्शे-कदम पर चलता रहा।’ (2 इति. 20:31, 32) वह कैसे? अपने पिता की तरह उसने लोगों को बढ़ावा दिया कि वे यहोवा की उपासना करते रहें। उसने कुछ आदमियों को यह ज़िम्मेदारी दी कि वे यहूदा के शहरों में जाएँ और लोगों को “यहोवा के कानून की किताब” से सिखाएँ। (2 इति. 17:7-10) यहाँ तक कि वह उत्तर के राज्य में भी गया, एप्रैम के पहाड़ी इलाके में रहनेवाले लोगों के पास, ताकि उन्हें “परमेश्‍वर यहोवा के पास लौटा ले आए।” (2 इति. 19:4) यहोशापात ऐसा राजा था, “जो पूरे दिल से यहोवा की खोज करता था।”—2 इति. 22:9.

11 आज यहोवा चाहता है कि पूरी दुनिया में लोगों को उसके बारे में सिखाया जाए। इस काम में हम सब भाग ले सकते हैं। क्या आपने यह लक्ष्य रखा है कि आप हर महीने लोगों को परमेश्‍वर का संदेश देंगे? क्या आप लोगों को बाइबल के बारे में सिखाना चाहते हैं, ताकि वे भी यहोवा की उपासना कर सकें? तो क्यों न इस बारे में यहोवा से प्रार्थना करें? अगर आप मेहनत करें, तो यहोवा आपकी मेहनत पर आशीष देगा और आप बाइबल अध्ययन शुरू कर पाएँगे। अगर किसी को अध्ययन कराने के लिए आपको अपना आराम का समय त्यागना पड़े, क्या तब भी आप उसे अध्ययन कराएँगे? जिस तरह यहोशापात ने सच्ची उपासना दोबारा शुरू करने में लोगों की मदद की, उसी तरह क्या आप उन भाई-बहनों की मदद कर सकते हैं, जो सच्चाई में ठंडे पड़ गए हैं? प्राचीन अपने इलाके में रहनेवाले बहिष्कार किए गए उन लोगों से मिलते हैं और उनकी मदद करते हैं, जिन्होंने शायद अब गलत काम करने छोड़ दिए हैं।

8-14 मई

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 इतिहास 20-21

“तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा पर विश्‍वास रखो”

प्र14 12/15 पेज 23-24 पै 8

इस मिटती दुनिया के विनाश का मिलकर सामना करना

8 राजा यहोशापात के दिनों में एक बहुत ही विशाल और ताकतवर सेना ने इसराएलियों को चारों तरफ से घेर लिया। (2 इति. 20:1, 2) इस पर इसराएलियों ने क्या किया? उन्होंने अपनी ताकत से उन्हें हराने की कोशिश नहीं की। इसके बजाय, उन्होंने यहोवा से प्रार्थना में मदद माँगी। (2 इतिहास 20:3, 4 पढ़िए।) अपने-अपने तरीके से इस समस्या का हल ढूँढ़ने के बजाय, “सब यहूदी अपने अपने बालबच्चों, स्त्रियों और पुत्रों समेत यहोवा के सम्मुख खड़े रहे।” (2 इति. 20:13) छोटे से लेकर बड़े तक, सभी ने मिलकर यहोवा पर भरोसा दिखाया और वही किया, जो उन्हें करने के लिए कहा गया था। किसी ने किसी का साथ नहीं छोड़ा। इसलिए यहोवा ने उन्हें दुश्‍मनों से बचाया। (2 इति. 20:20-27) परमेश्‍वर के लोगों ने मिलकर चुनौतियों का सामना करने की क्या ही बढ़िया मिसाल रखी!

प्र21.11 पेज 16 पै 7

शादी के बाद यहोवा की और सेवा कीजिए

7 यहोवा ने यहजीएल नाम के एक लेवी के ज़रिए यहोशापात से कहा, “तुम अपनी जगह खड़े रहना और देखना कि यहोवा कैसे तुम्हारा उद्धार करता है।” (2 इति. 20:13-17) खड़े होकर कोई युद्ध नहीं लड़ा जाता! मगर यह हिदायत यहोवा की तरफ से थी। इसलिए यहोशापात ने यहोवा पर भरोसा किया और उसकी सारी हिदायतें मानीं। जब वह युद्ध करने गया, तो उसने अपनी सेना के आगे वीर योद्धाओं को नहीं बल्कि गायकों को खड़ा किया, ठीक जैसे यहोवा ने कहा था। और यहोवा ने अपना वादा निभाया। उसने दुश्‍मनों को हरा दिया।—2 इति. 20:18-23.

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इंसाइट-1 पेज 1271 पै 1-2

यहोराम

यहोराम ने जितने साल राज किया, उस पूरे समय के दौरान उस पर कई मुश्‍किलें आयीं। पहला, एदोम ने उससे बगावत की। फिर लिब्ना, यहूदा के खिलाफ गया। (2रा 8:20-22) एलियाह ने यहोराम को चेतावनी दी, “यहोवा तेरे लोगों, तेरे बेटों और तेरी पत्नियों पर भारी कहर ढाएगा और तेरी सारी दौलत नाश कर देगा।” इससे भी बढ़कर “तू कई बीमारियों से पीड़ित होगा, तुझे अंतड़ियों की बीमारी भी लग जाएगी और दिनों-दिन यह बीमारी इतनी बढ़ जाएगी कि तेरी अंतड़ियाँ बाहर निकल आएँगी।”—2इत 21:12-15.

यहोराम के साथ ऐसा ही हुआ। यहोवा ने अरबी लोगों और पलिश्‍तियों को देश पर हमला करने दिया। वे यहोराम की पत्नियों और बेटों को बंदी बनाकर ले गए। दो साल बाद “उसकी अंतड़ियाँ बाहर निकल आयीं” और कुछ समय बाद उसकी मौत हो गयी।—2इत 21:7, 16-20; 22:1; 1इत 3:10, 11.

15-21 मई

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 इतिहास 22-24

“हिम्मत से काम लेनेवालों को यहोवा आशीष देता है”

प्र09 10/1 पेज 22 पै 1-2

बुरे दोस्तों की वजह से योआश ने यहोवा को छोड़ दिया

बहुत समय पहले की बात है। यरूशलेम नाम के शहर में हर कोई डरा हुआ था। इसी शहर में यहोवा परमेश्‍वर का मंदिर था। मगर वहाँ के लोग क्यों डरे हुए थे? क्योंकि वहाँ के राजा अहज्याह को मार डाला गया था। इसके बाद, उसकी माँ अतल्याह ने जो किया वह तो आप सोच भी नहीं सकते। उसने अहज्याह के बेटों को यानी अपने पोतों को मरवा डाला! क्या आप जानते हैं कि उसने ऐसा क्यों किया?— ताकि वह रानी बनकर राज कर सके।

लेकिन अतल्याह का एक पोता बच गया और उसे इस बारे में बिलकुल पता नहीं चला। उस बच्चे का नाम योआश था। क्या आप जानना चाहेंगे कि वह कैसे बचा?— योआश की एक बुआ थी यहोशेबा। यहोशेबा का पति यहोयादा महायाजक था और परमेश्‍वर के मंदिर में सेवा करता था। इसलिए उन दोनों ने मिलकर योआश को मंदिर में छिपाए रखा।

प्र09 10/1 पेज 22 पै 3-5

बुरे दोस्तों की वजह से योआश ने यहोवा को छोड़ दिया

छ: साल तक योआश मंदिर में रहा और किसी को इसकी भनक तक न पड़ी। वहाँ उसे परमेश्‍वर यहोवा और उसके नियमों के बारे में सिखाया गया। जब योआश 7 साल का हुआ तब यहोयादा उसे राजा बनाने की तैयारी करने लगा। क्या आप जानना चाहेंगे कि यहोयादा ने क्या किया? और योआश की दादी यानी दुष्ट रानी अतल्याह का क्या हुआ?—

उस ज़माने में राजाओं की रक्षा के लिए कुछ खास सिपाही होते थे। यहोयादा ने चुपके से इन सिपाहियों को इकट्ठा किया और बताया कि कैसे उसने और उसकी पत्नी ने मिलकर अहज्याह के बेटे को बचाया। तब वह योआश को उनके सामने लाया। सिपाहियों को यकीन हो गया कि योआश को ही राजा बनना चाहिए। और फिर उन्होंने उसे राजगद्दी दिलाने के लिए एक तरकीब बनायी।

यहोयादा, योआश को लोगों के सामने लाया और उसे ताज पहनाया। इसके बाद सब ‘ताली बजा-बजाकर कह उठे, “राजा जीता रहे!”’ इस दौरान सिपाही योआश के चारों तरफ खड़े थे, ताकि उस पर कोई हमला न कर सके। अतल्याह ने जब यह शोर सुना तो वह दौड़ी-दौड़ी आयी। उसने चिल्लाया: ‘यह मेरे खिलाफ एक साज़िश है!’ पर यहोयादा के हुक्म पर सिपाहियों ने अतल्याह को मौत के घाट उतार दिया।—2 राजा 11:1-16.

इंसाइट-1 पेज 379 पै 5

कब्र, दफनाने की जगह

महायाजक यहोयादा को “दाविदपुर में राजाओं की कब्र में” दफनाया गया। यह एक खास सम्मान की बात थी क्योंकि यहोयादा शाही खानदान का नहीं था। यहोयादा ही एक ऐसा व्यक्‍ति था जिसके बारे में बाइबल में बताया है कि उसे दफनाए जाने का इतना सम्मान मिला।—2इत 24:15, 16.

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इंसाइट-2 पेज 1223 पै 13

जकरयाह

12. जकरयाह ने मरते वक्‍त कहा, “यहोवा यह देखे और तुझसे लेखा ले।” यह भविष्यवाणी तब पूरी हुई जब सीरिया ने यहूदा पर हमला करके उसे भारी नुकसान पहुँचाया और जब यहोआश अपने दो सेवकों के हाथों मारा गया। यह सब इसलिए हुआ क्योंकि यहोआश ने “यहोयादा याजक के बेटों का खून बहाया था।”—2इत 24:17-22, 25.

22-28 मई

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 इतिहास 25-27

“यहोवा के पास तुझे उससे भी ज़्यादा देने की ताकत है”

इंसाइट-1 पेज 1266 पै 6

यहोआश

यहूदा के राजा अमज्याह ने एदोमियों से लड़ने के लिए इसराएल के राजा यहोआश से 1,00,000 सैनिक किराए पर लिए। लेकिन फिर सच्चे परमेश्‍वर के एक सेवक के कहने पर अमज्याह ने उन सैनिकों को वापस भेज दिया। उन सैनिकों को अपना किराया यानी 100 तोड़े चाँदी तो मिल गयी थी मगर युद्ध में न जाने की वजह से उन्हें लूट का माल नहीं मिलता। इसलिए उन सैनिकों को बहुत गुस्सा आया। उस वक्‍त तो वे चुपचाप लौट गए मगर बाद में उन्होंने दक्षिण राज्य यहूदा के शहरों को लूट लिया।—2इत 25:6-10, 13.

प्र21.08 पेज 30-31 पै 16

परखकर देखो कि यहोवा भला है!

16 यहोवा के लिए त्याग कीजिए। इसका यह मतलब नहीं कि यहोवा को खुश करने के लिए हमें अपना सबकुछ त्यागना होगा। (सभो. 5:19, 20) लेकिन अगर हम त्याग करने के डर से ही यहोवा की सेवा में और ज़्यादा न करें, तो हम उस आदमी की तरह होंगे, जिसके बारे में यीशु ने अपनी मिसाल में बताया था। उस आदमी ने अपने लिए अच्छी-अच्छी चीजें तो बटोर ली थीं, लेकिन वह परमेश्‍वर को भूल गया था। (लूका 12:16-21 पढ़िए।) फ्रांस में रहनेवाले एक भाई क्रिस्टियान का उदाहरण लीजिए। वह कहता है, “मैं अपने परिवार और यहोवा को ज़्यादा समय नहीं देता था।” लेकिन फिर उसने और उसकी पत्नी ने पायनियर सेवा करने का फैसला किया। इस लक्ष्य को पाने के लिए उन दोनों को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी। गुज़ारा चलाने के लिए उन्होंने साफ-सफाई का काम शुरू किया और कम पैसों में जीना सीखा। क्या वे इतने त्याग करने के बाद भी खुश हैं? क्रिस्टियान कहता है, “हम बहुत खुश हैं। अब हम प्रचार में ज़्यादा वक्‍त बिता पाते हैं और हमारे पास कई वापसी भेंट हैं। हमारे बाइबल विद्यार्थी यहोवा के बारे में सीख रहे हैं और यह देखकर हमें बहुत अच्छा लगता है।”

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प्र07 12/15 पेज 10 पै 1-2, अँग्रेज़ी

क्या ऐसा कोई मसीही है जो आपका आदर्श है और तरक्की करने में आपकी मदद करता है?

उज्जियाह 16 साल का था जब वह दक्षिण राज्य यहूदा का राजा बना। उसने 50 से भी ज़्यादा साल तक राज किया। शुरू से ही वह “यहोवा की नज़र में सही काम करता रहा।” वह यह कैसे कर पाया? बाइबल में लिखा है, “जकरयाह के दिनों में [उज्जियाह] परमेश्‍वर की खोज करता रहा। जकरयाह ने ही उसे सच्चे परमेश्‍वर का डर मानना सिखाया था। जब तक उज्जियाह सच्चे परमेश्‍वर यहोवा की खोज करता रहा, तब तक परमेश्‍वर की आशीष से वह फलता-फूलता रहा।”—2इत 26:1, 4, 5.

राजा के सलाहकार जकरयाह के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है। बाइबल में बस इतना बताया गया है कि उसने उज्जियाह को “सच्चे परमेश्‍वर का डर मानना सिखाया था।” इससे पता चलता है कि जकरयाह का उस नौजवान राजा पर काफी अच्छा असर पड़ा और उसी से राजा ने सही काम करना सीखा। द एक्सपॉज़िटर्स बाइबल किताब में लिखा है कि जकरयाह को ज़रूर ‘शास्त्र का अच्छा ज्ञान रहा होगा। उसे बहुत तजुरबा था और उसे जो भी ज्ञान था वह दूसरों को बताता था।’ बाइबल के एक विद्वान ने जकरयाह के बारे में कहा, ‘वह एक अच्छा आदमी था और बहुत बुद्धिमान था। वह परमेश्‍वर का डर मानता था और उसे भविष्यवाणियों के बारे में बहुत कुछ पता था। ऐसा लगता है कि उसने उज्जियाह की ज़िंदगी पर गहरा असर किया।’

29 मई–4 जून

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 इतिहास 28-29

“अगर आपके माता-पिता अच्छी मिसाल ना हों, फिर भी आप यहोवा की सेवा कर सकते हैं”

प्र16.02 पेज 14-15 पै 8

यहोवा के करीबी दोस्तों की मिसाल पर चलिए

8 हिजकियाह, रूत के जैसे माहौल में नहीं पला-बढ़ा था। वह एक ऐसे राष्ट्र में पैदा हुआ था जो पहले से परमेश्‍वर को समर्पित था। लेकिन सभी इसराएली वफादार नहीं रहे। हिजकियाह का पिता राजा आहाज बड़ा दुष्ट था। उसने परमेश्‍वर के मंदिर का अनादर किया था। उसने लोगों से दूसरे देवताओं की उपासना करवायी। आहाज ने अपने कुछ बेटों यानी हिजकियाह के भाइयों को झूठे देवता को बलि चढ़ाने के लिए आग में ज़िंदा ही जला दिया था। कितना बुरा बचपन रहा उसका!—2 राजा 16:2-4, 10-17; 2 इति. 28:1-3.

प्र16.02 पेज 15-16 पै 9-11

यहोवा के करीबी दोस्तों की मिसाल पर चलिए

9 आहाज जिस बुरी राह पर चल रहा था, उसकी वजह से हिजकियाह, यहोवा के खिलाफ कड़वाहट से भर सकता था या उससे चिढ़ने लग सकता था। आज कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने हिजकियाह के जितनी तो नहीं, पर थोड़ी-बहुत मुश्‍किलों का सामना किया है, फिर भी वे सोचते हैं कि उनके पास ‘यहोवा से चिढ़ने’ या उसके संगठन के खिलाफ कड़वाहट से भर जाने का वाजिब कारण है। (नीति. 19:3) कुछ लोगों को लगता है कि उनकी जिस माहौल में परवरिश हुई, शायद उसी वजह से वे मजबूरन बुरी राह पर चल पड़े हैं या वही गलतियाँ करते हैं जो उनके माँ-बाप ने की थीं। (यहे. 18:2, 3) लेकिन क्या ऐसा सोचना सही है?

10 हिजकियाह की ज़िंदगी से पता चलता है कि इस सवाल का जवाब है, नहीं! यहोवा से चिढ़ने का कभी कोई वाजिब कारण नहीं हो सकता। वह किसी के साथ बुरा नहीं करता। (अय्यू. 34:10) और हाँ, यह सच है कि माता-पिता से बच्चे या तो अच्छे काम करना सीख सकते हैं या बुरे। (नीति. 22:6; कुलु. 3:21) लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हमारी परवरिश जिस माहौल में हुई है उससे तय होगा कि हम अच्छे बनेंगे या बुरे। वह क्यों? क्योंकि यहोवा ने हमें आज़ाद मरज़ी दी है, यानी ऐसी काबिलीयत जिससे हम खुद चुन सकते हैं कि हम अच्छे काम करेंगे या बुरे। (व्यव. 30:19) हिजकियाह ने इस अनमोल तोहफे का कैसे इस्तेमाल किया?

11 हिजकियाह का पिता आहाज यहूदा देश का बहुत ही बुरा राजा था, मगर हिजकियाह बहुत ही अच्छा राजा बना। (2 राजा 18:5, 6 पढ़िए।) उसने फैसला कर लिया था कि वह अपने पिता की बुरी मिसाल पर नहीं चलेगा। इसके बजाय उसने यहोवा के वफादार सेवकों पर गौर किया, जैसे यशायाह, मीका और होशे। इन भविष्यवक्‍ताओं ने यहोवा की तरफ से उसे जो सलाह या हिदायतें दीं, उन पर उसने पूरा ध्यान दिया। इसलिए उसने वे सारे बिगड़े काम सही करने की ठान ली, जो उसके पिता के किए-कराए थे। उसने मंदिर को शुद्ध करवाया, लोगों के पापों के लिए परमेश्‍वर से माफी माँगी और पूरे देश से मूर्तियों का नामो-निशान मिटा दिया। (2 इति. 29:1-11, 18-24; 31:1) जब अश्‍शूर का राजा सन्हेरीब यरूशलेम पर हमला करनेवाला था, तब हिजकियाह ने बड़ी हिम्मत से काम लिया और ज़बरदस्त विश्‍वास दिखाया। उसने बचाव के लिए यहोवा पर भरोसा रखा और अपने लोगों का हौसला मज़बूत किया। (2 इति. 32:7, 8) बाद में हिजकियाह घमंडी हो गया, लेकिन जब यहोवा ने उसको सुधारा तो उसने खुद को नम्र किया। (2 इति. 32:24-26) सचमुच हिजकियाह हमारे लिए क्या ही बढ़िया मिसाल है! वह जिस परिवार में पला-बढ़ा था, उसकी वजह से उसने अपनी ज़िंदगी बरबाद नहीं होने दी, बल्कि उसने दिखाया कि वह यहोवा का दोस्त है।

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प्र12 2/15 पेज 24-25

नातान—शुद्ध उपासना का वफादार हिमायती

यहोवा का वफादार उपासक होने के नाते, नातान ने बड़े जोश के साथ, इस धरती पर शुद्ध उपासना के लिए सबसे पहला मंदिर बनाने की दाविद की योजना का समर्थन किया। मगर लगता है कि उस वक्‍त नातान ने जो कुछ कहा, वह यहोवा की मरज़ी के मुताबिक नहीं था। यहोवा ने उसी रात अपने नबी से कहा कि वह राजा को एक अलग संदेश दे। वह यह था कि यहोवा के लिए मंदिर दाविद नहीं, बल्कि उसका एक बेटा बनाएगा। इसके अलावा, नातान ने यह घोषणा भी की, कि परमेश्‍वर ने यह करार किया है कि दाविद की राजगद्दी “सदैव बनी रहेगी।”—2 शमू. 7:4-16.

हालाँकि मंदिर के मामले में यहोवा ने नातान की सलाह से बिलकुल अलग आदेश दिया, मगर इस नम्र नबी ने बिना कुड़कुड़ाए यहोवा का निर्देश माना और उसके मकसद के मुताबिक काम किया। अगर कभी यहोवा हमें सुधारे, तो हमें भी नातान की बढ़िया मिसाल पर चलना चाहिए। नातान पर यहोवा की मंज़ूरी बनी रही क्योंकि बाइबल बताती है कि वह यहोवा के नबी के तौर पर सेवा करता रहा। आगे चलकर यहोवा ने दर्शी गाद के साथ-साथ नातान को भी शायद दाविद को यह निर्देश देने के लिए प्रेरित किया कि वह मंदिर में सेवा करने के लिए 4,000 संगीतकारों का इंतज़ाम करे।—1 इति. 23:1-5; 2 इति. 29:25.

5-11 जून

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 इतिहास 30-31

“एक-साथ इकट्ठा होना हमारे लिए फायदेमंद है”

इंसाइट-1 पेज 1103 पै 2

हिजकियाह

सच्ची उपासना के लिए जोश: हिजकियाह 25 साल की उम्र में राजा बना। इसके तुरंत बाद उसने कुछ कदम उठाए जो दिखाता है कि उसमें यहोवा की उपासना के लिए बहुत जोश था। सबसे पहले उसने मंदिर दोबारा खुलवाया और उसकी मरम्मत करवायी। फिर उसने याजकों और लेवियों को इकट्ठा किया और उनसे कहा, “मेरी दिली तमन्‍ना है कि मैं इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा के साथ एक करार करूँ।” यह करार एक वादा था कि सब लोग यहोवा के वफादार रहेंगे। हालाँकि उस वक्‍त कानून का करार था पर लोग उसकी शर्तें पूरी नहीं कर रहे थे। इसलिए वफादार रहने का करार करके हिजकियाह ने फिर से यहूदा में कानून का करार लागू करवाया। उसने बड़े उत्साह से इंतज़ाम किया कि लेवी, संगीतकार और गायक मंदिर में सेवा करें। वह नीसान का महीना था जब फसह मनाया जाना था। मगर मंदिर, याजक और लेवी अशुद्ध थे। नीसान महीने के 16वें दिन तक मंदिर शुद्ध किया गया। फिर एक खास तरीके से पूरे इसराएल के पापों का प्रायश्‍चित किया गया। पहले हाकिमों ने बलिदान चढ़ाए और उसके बाद लोगों ने हज़ारों होम-बलियाँ चढ़ायीं।—2इत 29:1-36.

इंसाइट-1 पेज 1103 पै 3

हिजकियाह

अशुद्ध होने की वजह से वे लोग तय समय पर फसह नहीं मना सकते थे। लेकिन एक कानून था कि अगर कोई अशुद्ध हो जाता है, तो वह एक महीने बाद फसह मना सकता है। हिजकियाह ने इसी कानून का फायदा उठाकर एक महीने बाद फसह का त्योहार रखा। उसने दूतों के हाथ चिट्ठियाँ भिजवाकर न सिर्फ अपने राज्य यहूदा के लोगों को बल्कि दस गोत्रोंवाले उत्तरी राज्य इसराएल के लोगों को भी त्योहार के लिए बुलाया। इसराएल के कई लोगों ने दूतों का मज़ाक उड़ाया। मगर कुछ लोगों ने खासकर आशेर, मनश्‍शे और जबूलून के लोगों ने खुद को नम्र किया और त्योहार में हाज़िर हुए। एप्रैम और इस्साकार के कुछ लोग भी इस त्योहार में हाज़िर हुए। इनके अलावा ऐसे कई लोग भी त्योहार में हाज़िर हुए, जो इसराएली नहीं थे मगर यहोवा की उपासना करते थे। इन सबके लिए त्योहार में आना और सच्ची उपासना के पक्ष में खड़े होना बेशक मुश्‍किल रहा होगा, क्योंकि इसराएल में लगभग सभी झूठी उपासना में डूबे हुए थे। जिस तरह दूतों का मज़ाक उड़ाया गया था त्योहार में हाज़िर होनेवाले इन लोगों का भी मज़ाक उड़ाया गया होगा और विरोध किया गया होगा।—2इत 30:1-20; गि 9:10-13.

इंसाइट-1 पेज 1103 पै 4-5

हिजकियाह

फसह के बाद सात दिन के लिए बिन-खमीर की रोटी का त्योहार मनाया गया। लोग इतने खुश थे कि उन्होंने और सात दिन यह त्योहार मनाने का फैसला किया। बाइबल में लिखा है, “यरूशलेम में खूब जश्‍न मनाया गया क्योंकि इसराएल के राजा दाविद के बेटे सुलैमान के दिनों से लेकर अब तक यरूशलेम में ऐसा जश्‍न नहीं मनाया गया था।”—2इत 30:21-27.

इसके बाद लोगों ने जो किया उससे पता चलता है कि वे सचमुच खुश थे। अपने घर लौटने से पहले उन्होंने न सिर्फ यहूदा और बिन्यामीन के इलाकों में बल्कि एप्रैम और मनश्‍शे के इलाकों में भी पूजा-स्तंभ चूर-चूर कर दिए, ऊँची जगह और वेदियाँ ढा दीं और पूजा-लाठें काट डालीं। (2इत 31:1) ऐसा करने में हिजकियाह ने एक अच्छी मिसाल रखी। उसने ताँबे का वह साँप चूर-चूर कर दिया, जो मूसा ने बनवाया था और जिसकी लोग पूजा कर रहे थे। (2रा 18:4) इस सबसे वाकई में सच्ची उपासना बहाल हुई, लोग फिर से सच्ची उपासना करने लगे। बड़े पैमाने पर त्योहार मनाने के बाद हिजकियाह ने कुछ कदम उठाए ताकि लोग सच्ची उपासना करते रहें। जैसे, उसने मंदिर में सेवा करने के लिए याजकों और लेवियों का इंतज़ाम किया। उसने यह भी इंतज़ाम किया कि लोग दान करते रहें ताकि याजक और लेवी अपनी सेवा करते रह सकें।—2इत 31:2-12.

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प्र18.09 पेज 6 पै 14-15

अगर तुम ये बातें मानो, तो सुखी होगे

14 हम नम्र हैं, यह दिखाने का एक और तरीका है, दूसरों की ध्यान से सुनना। याकूब 1:19 में लिखा है कि हमें “सुनने में फुर्ती” करनी चाहिए। इस मामले में सबसे बढ़िया उदाहरण यहोवा का है। (उत्प. 18:32; यहो. 10:14) ज़रा निर्गमन 32:11-14 में दर्ज़ यहोवा और मूसा की बातचीत पर गौर कीजिए। (पढ़िए।) हालाँकि यहोवा को मूसा की राय जानने की ज़रूरत नहीं थी, फिर भी उसने मूसा को अपनी बात कहने दी। क्या आप ऐसे इंसान की ध्यान से सुनेंगे और उसकी बात मानेंगे, जिसकी सोच पहले सही नहीं थी? मगर यहोवा ने मूसा की सुनी। वह सभी इंसानों की ध्यान से सुनता है और उनके साथ सब्र से पेश आता है, जो पूरे विश्‍वास से उससे प्रार्थना करते हैं।

15 खुद से पूछिए, ‘अगर यहोवा इतना नम्र है कि वह अब्राहम, राहेल, मूसा, यहोशू, मानोह, एलियाह और हिजकियाह जैसे लोगों की सुनता है, तो क्या मुझे भी ऐसा नहीं करना चाहिए? अपने सभी भाइयों के सुझाव सुनकर, यहाँ तक कि उनके अच्छे सुझाव मानकर क्या मैं उनका और भी आदर कर सकता हूँ? क्या मंडली में या परिवार में ऐसा कोई है, जिस पर मुझे और भी ध्यान देना है? इस मामले में मैंने क्या करने की सोची है?’—उत्प. 30:6; न्यायि. 13:9; 1 राजा 17:22; 2 इति. 30:20.

12-18 जून

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 इतिहास 32-33

“मुश्‍किल की घड़ी में भाई-बहनों का सहारा बनिए”

इंसाइट-1 पेज 204 पै 5

अश्‍शूर

सनहेरिब: हिजकियाह ने अश्‍शूर के राजा सनहेरीब से बगावत की। (2रा 18:7) इस पर सनहेरीब ने यहूदा पर हमला कर दिया और उसके 46 शहरों पर कब्ज़ा कर लिया। (यश 36:1, 2 से तुलना करें।) जब वह लाकीश में डेरा डाले हुए था, तो उसने हिजकियाह पर 30 तोड़े सोने और 300 तोड़े चाँदी का जुरमाना लगाया। (2रा 18:14-16; 2इत 32:1. यश 8:5-8 से तुलना करें।) हिजकियाह के जुरमाना भरने के बाद भी सनहेरीब ने अपना दूत भेजकर माँग की कि यरूशलेम के लोग अपना हथियार डाल दें। (2रा 18:17–19:34; 2इत 32:2-20)

प्र13 11/15 पेज 19 पै 12

सात चरवाहे, आठ प्रधान—आज हमारे लिए क्या मायने रखते हैं?

12 जब हमें लगता है कि हम किसी समस्या को नहीं सुलझा सकते, तो यहोवा हमें ज़रूरी मदद देने के लिए हमेशा तैयार रहता है। लेकिन वह यह भी चाहता है कि उस समस्या को सुलझाने के लिए हम अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश करें। हिज़किय्याह जो कर सकता था, उसने किया। बाइबल कहती है कि उसने “अपने हाकिमों और वीरों के साथ” सलाह-मशविरा किया और साथ मिलकर उन्होंने फैसला किया कि वे “नगर के बाहर के सोतों को [“रोक,” हिंदी ईज़ी-टू-रीड वर्शन] दें; . . . फिर हिजकिय्याह ने हियाव बान्धकर शहरपनाह जहां कहीं टूटी थी, वहां वहां उसको बनवाया, और उसे गुम्मटों के बराबर ऊंचा किया और बाहर एक और शहरपनाह बनवाई, . . . और बहुत से तीर और ढालें भी बनवाईं।” (2 इति. 32:3-5) उस वक्‍त, अपने लोगों की हिफाज़त और चरवाहों की तरह देखभाल करने के लिए यहोवा ने हिज़किय्याह, उसके हाकिमों, यानी राजकुमारों और वफादार नबियों जैसे शूरवीरों का इस्तेमाल किया।

प्र13 11/15 पेज 19 पै 13

सात चरवाहे, आठ प्रधान—आज हमारे लिए क्या मायने रखते हैं?

13 इसके बाद हिज़किय्याह ने जो कदम उठाया वह सोतों के पानी को रोकने या शहरपनाह को और मज़बूत करने से कहीं ज़्यादा अहमियत रखता था। हिज़किय्याह अपने लोगों की परवाह करनेवाला चरवाहा था, इसलिए उसने उन्हें इकट्ठा किया और यह कहकर उनका हौसला बढ़ाया: “तुम न तो अश्‍शूर के राजा से डरो . . . और न तुम्हारा मन कच्चा हो; क्योंकि जो हमारे साथ है, वह उसके संगियों से बड़ा है। अर्थात्‌ उसका सहारा तो मनुष्य ही है; परन्तु हमारे साथ, हमारी सहायता और हमारी ओर से युद्ध करने को हमारा परमेश्‍वर यहोवा है।” यह सुनकर उनका विश्‍वास कितना बढ़ा होगा कि यहोवा अपने लोगों की तरफ से लड़ेगा! इसका नतीजा क्या हुआ? “यहूदा के राजा हिजकिय्याह [“के शब्दों से लोगों को आत्मबल मिला,” वाल्द-बुल्के अनुवाद]।” ध्यान दीजिए कि हिज़किय्याह “के शब्दों से” लोगों को हिम्मत मिली और उनका हौसला बढ़ा। हिज़किय्याह, उसके राजकुमार और शूरवीर, साथ ही भविष्यवक्‍ता मीका और यशायाह असरदार चरवाहे साबित हुए, ठीक जैसे यहोवा ने अपने भविष्यवक्‍ता के ज़रिए पहले से बताया था।—2 इति. 32:7, 8; मीका 5:5, 6 पढ़िए।

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प्र21.10 पेज 4-5 पै 11-12

दिल से पश्‍चाताप करने का क्या मतलब है?

11 यहोवा ने देखा कि मनश्‍शे का मन सच में बदल गया है। इसलिए उसने उसे माफ किया और कुछ समय बाद उसे उसकी राजगद्दी लौटा दी। राजा बनने के बाद, मनश्‍शे ने यह दिखाया कि उसे अपने किए पर सचमुच पछतावा है। उसने वह किया जो अहाब ने नहीं किया था। उसने खुद को बदला। अपने राज्य से झूठी उपासना निकालने की कोशिश की और लोगों को सच्ची उपासना करने का बढ़ावा दिया। (2 इतिहास 33:15, 16 पढ़िए।) यह सब करना उसके लिए आसान नहीं था, क्योंकि उसने अपनी पूरी जवानी बुरे-बुरे काम किए। और अपने परिवारवालों, मंत्रियों और लोगों के लिए बुरी मिसाल रखी। लेकिन अपने बुढ़ापे में उसने यहोवा पर विश्‍वास रखकर और हिम्मत जुटाकर अपनी गलतियों को सुधारने की कोशिश की। शायद इस सबका, उसके पोते योशियाह पर अच्छा असर पड़ा, क्योंकि बाद में वह एक अच्छा राजा बना।—2 राजा 22:1, 2.

12 मनश्‍शे से हम क्या सीखते हैं? मनश्‍शे ने खुद को नम्र किया। लेकिन उसके साथ-साथ उसने और भी बहुत कुछ किया। उसने यहोवा से प्रार्थना की, रहम की भीख माँगी। खुद को बदला। अपनी गलती सुधारने की कोशिश की। यहोवा की उपासना की और दूसरों को भी उसकी उपासना करने का बढ़ावा दिया। मनश्‍शे के उदाहरण से हम सीखते हैं कि जो लोग बुरे-से-बुरे पाप करते हैं, उन्हें भी माफी मिल सकती है, क्योंकि यहोवा “भला है और माफ करने को तत्पर रहता है।” (भज. 86:5) लेकिन उन्हें अपने किए पर दिल से पश्‍चाताप करना चाहिए।

19-25 जून

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 इतिहास 34-36

“क्या आप परमेश्‍वर के वचन से पूरा फायदा पा रहे हैं?”

इंसाइट-1 पेज 1157 पै 4

हुल्दा

जब योशियाह ने कानून की किताब में लिखी बातें सुनीं तो वह उनके बारे में यहोवा से जानना चाहता था। इसलिए उसने कुछ आदमियों को भविष्यवक्‍तिन हुल्दा के पास भेजा। हुल्दा ने उन आदमियों को यहोवा का यह संदेश सुनाया कि जिन लोगों ने यहोवा की उपासना करना छोड़ दिया है उन पर वे सारी विपत्तियाँ आएँगी जो उस किताब में लिखी हैं। हुल्दा ने यह भी कहा कि योशियाह के जीते-जी लोगों पर ये विपत्तियाँ नहीं आएँगी क्योंकि उसने खुद को यहोवा के सामने नम्र किया है।—2रा 22:8-20; 2इत 34:14-28.

प्र09 6/15 पेज 10-11 पै 20

यहोवा के घर के लिए जोश दिखाइए

20 राजा योशिय्याह ने अपनी हुकूमत में मंदिर की मरम्मत का काम शुरू किया। इस दौरान महायाजक हिल्किय्याह को मंदिर में “मूसा के द्वारा दी हुई यहोवा की व्यवस्था की पुस्तक मिली।” उसने वह पुस्तक राजा के मंत्री शापान को दी और शापान ने उसमें लिखी बातें योशिय्याह को पढ़कर सुनायीं। (2 इतिहास 34:14-18 पढ़िए।) इसका क्या असर हुआ? दुख के मारे राजा ने अपने कपड़े फाड़े और कुछ आदमियों को यहोवा से पूछने के लिए भेजा कि अब उनका क्या होगा। वे लोग नबिया हुल्दा के पास गए जिसने यहोवा का यह पैगाम सुनाया कि वह यहूदा में हो रही झूठी उपासना से क्रोधित है और वह उस पूरे देश पर विपत्तियाँ लाने जा रहा है। लेकिन यहोवा ने मूर्तिपूजा मिटाने के योशिय्याह के अच्छे कामों को नज़रअंदाज़ नहीं किया। इस वजह से उसने वादा किया कि वह योशिय्याह को बख्श देगा। (2 इति. 34:19-28) इस घटना से हम क्या सीख सकते हैं? बेशक हमें भी योशिय्याह की तरह यहोवा के निर्देशन को फौरन मानना चाहिए। और इस बात पर गंभीरता से सोचना चाहिए कि अगर हम धीरे-धीरे सच्ची उपासना से दूर चले जाएँ और यहोवा के वफादार न रहें, तो उसके भयानक अंजाम हो सकते हैं। इसके अलावा, हम इस बात का भरोसा रख सकते हैं कि सच्ची उपासना के लिए हम जो जोश दिखाते हैं, उसे यहोवा नज़रअंदाज़ नहीं करता, ठीक जैसे उसने योशिय्याह के जोश को नज़रअंदाज़ नहीं किया था।

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प्र17.03 पेज 27 पै 15-17

क्या हम बीते समय के राजाओं से सबक सीखेंगे?

15 अब राजा योशियाह से हम क्या सबक सीख सकते हैं? योशियाह अच्छा राजा था, लेकिन उसने भी एक गलती की, जिस वजह से उसकी मौत हो गयी। (2 इतिहास 35:20-22 पढ़िए।) योशियाह ने क्या किया? उसने बेवजह मिस्र के राजा निको से युद्ध किया। निको ने तो योशियाह से कहा था कि वह उससे युद्ध नहीं करना चाहता। बाइबल में लिखा है कि निको की बात “परमेश्‍वर की तरफ से थी।” इसके बावजूद योशियाह ने उससे युद्ध किया और वह मारा गया। आखिर उसने निको से युद्ध क्यों किया? बाइबल नहीं बताती।

16 योशियाह को पता लगाना चाहिए था कि निको ने जो कहा है, क्या वह सच में यहोवा की तरफ से है। वह यह कैसे कर सकता था? वह यहोवा के भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह से पूछ सकता था। (2 इति. 35:23, 25) यही नहीं, योशियाह को सबूतों पर भी ध्यान देना चाहिए था। निको असल में एक दूसरे राष्ट्र कर्कमीश पर हमला करने जा रहा था, न कि यरूशलेम पर। उसने यहोवा या उसके लोगों का कोई अपमान नहीं किया था। युद्ध करने से पहले योशियाह ने इन बातों पर ज़रा भी ध्यान नहीं दिया। इससे हम क्या सीखते हैं? जब कोई समस्या आए और हमें फैसला करना हो, तो हमें पहले यह सोचना चाहिए कि उस बारे में यहोवा की क्या मरज़ी है।

17 जब हमें कोई फैसला करना हो, तो पहले हमें सोचना चाहिए कि उस मामले में बाइबल में कौन-से सिद्धांत दिए हैं और उनके मुताबिक क्या करना सही होगा। कभी-कभी शायद हमें अपनी किताबों-पत्रिकाओं में और खोजबीन करनी पड़े या किसी प्राचीन से सलाह लेनी पड़े। प्राचीन हमें बाइबल के कुछ और सिद्धांत बता सकते हैं। ज़रा एक ऐसी बहन के बारे में सोचिए, जिसका पति साक्षी नहीं है। एक दिन वह बहन प्रचार के लिए जानेवाली है। (प्रेषि. 4:20) लेकिन उस दिन उसका पति नहीं चाहता कि वह प्रचार में जाए। वह उससे कहता है कि उन्होंने काफी दिनों से एक-साथ वक्‍त नहीं बिताया है, इसलिए वह उसे कहीं घुमाने ले जाना चाहता है। अब वह बहन अपने हालात से जुड़ी बाइबल की कुछ आयतों पर सोचती है, ताकि वह सही फैसला ले सके। वह जानती है कि उसे परमेश्‍वर की आज्ञा माननी चाहिए और यीशु की आज्ञा के मुताबिक उसे चेला बनाने का काम करना चाहिए। (मत्ती 28:19, 20; प्रेषि. 5:29) लेकिन वह यह भी जानती है कि एक पत्नी को अपने पति के अधीन रहना चाहिए और परमेश्‍वर के सेवकों को दूसरों का लिहाज़ करना चाहिए। (इफि. 5:22-24; फिलि. 4:5) इन सिद्धांतों को ध्यान में रखकर वह सोच सकती है, ‘क्या मेरे पति मुझे प्रचार करने से रोक रहे हैं या वे बस आज मेरे साथ थोड़ा वक्‍त बिताना चाहते हैं?’ यहोवा के सेवक होने के नाते हमें ऐसे फैसले लेने चाहिए, जिनसे यहोवा खुश हो और यह ज़ाहिर हो कि हम सूझ-बूझ से काम लेते हैं।

26 जून–2 जुलाई

पाएँ बाइबल का खज़ाना | एज्रा 1-3

“यहोवा की सेवा करने के लिए खुद को दे दीजिए”

प्र22.03 पेज 14 पै 1

जकरयाह का दर्शन याद रखिए

यहूदी बहुत सालों से बैबिलोन में बंदी थे। लेकिन फिर परमेश्‍वर यहोवा ने फारस के राजा कुसरू के मन को उभारा कि वह इन यहूदियों को छोड़ दे। राजा कुसरू ने ऐसा ही किया। उसने यह भी ऐलान किया कि यहूदी अपने देश लौटकर ‘इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा का भवन दोबारा खड़ा करें।’ (एज्रा 1:1, 3) यह सुनकर सभी यहूदियों में खुशी की लहर दौड़ गयी। अब वे अपने देश वापस जा सकते थे और फिर से अपने परमेश्‍वर की उपासना कर सकते थे।

प्र17.10 पेज 26 पै 2

रथ और ताज आपकी हिफाज़त करते हैं

2 जकरयाह जानता था कि यरूशलेम लौटनेवाले यहूदी यहोवा के वफादार उपासक थे। तभी जब उनके “मन को सच्चे परमेश्‍वर ने उभारा” तो वे बैबिलोन में अपना घर और कारोबार छोड़ने के लिए तैयार हो गए। (एज्रा 1:2, 3, 5) उन्होंने वहाँ अपनी पूरी ज़िंदगी बितायी थी, पर अब वे इसे छोड़कर ऐसे देश के लिए निकल पड़े जो उनमें से ज़्यादातर लोगों के लिए एक अनजान देश था। सोचिए, अगर यहोवा का मंदिर बनाना उनके लिए कोई मायने नहीं रखता, तो क्या वे 1,600 किलोमीटर का लंबा सफर तय करते? क्या वे पहाड़ी और ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर सफर करने का खतरा मोल लेते?

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प्र06 1/15 पेज 18-19 पै 8

एज्रा किताब की झलकियाँ

1:3-6. बाबुल में रह जानेवाले चंद इस्राएलियों की तरह, आज यहोवा के कई साक्षी पूरे समय की सेवा नहीं कर सकते या जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है, वहाँ नहीं जा सकते। फिर भी वे इस तरह की सेवा करनेवालों की मदद करते और उनका जोश बढ़ाते हैं। इसके अलावा, वे राज्य के प्रचार और चेला बनाने के काम को आगे बढ़ाने के लिए तहेदिल से दान देते हैं।

    ଓଡ଼ିଆ ପ୍ରକାଶନ (୧୯୯୮-୨୦୨୫)
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