ଜୀବନ ଓ ସେବା ସଭା ପୁସ୍ତିକା ପାଇଁ ରେଫରେନ୍ସ
୩-୯ ଜାନୁୟାରୀ
ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ବିଚାରକର୍ତ୍ତା ୧୫-୧୬
“ବିଶ୍ୱାସଘାତକତା ବହୁତ ଲାଜର କଥା !”
ପ୍ର୧୨-ହି ୪/୧୫ ପୃ ୮ ¶୪
ବିଶ୍ୱାସଘାତକତା—ଶେଷକାଳ ଚିହ୍ନର ଭାଗ
4 आइए हम पहले दलीला के उदाहरण पर गौर करते हैं, जिससे न्यायी शिमशोन प्यार करता था। शिमशोन परमेश्वर के लोगों की तरफ से पलिश्तियों के खिलाफ लड़कर उनका सफाया कर देना चाहता था। इसलिए पलिश्तियों ने शिमशोन को खत्म करने की साज़िश रची। पाँच पलिश्ती सरदारों ने दलीला को शिमशोन की बेजोड़ ताकत का राज़ पता लगाने के लिए एक बड़ी रकम देने का वादा किया। शायद वे जानते थे कि दलीला को शिमशोन से सच्चा प्यार नहीं है। लालची दलीला ने यह सौदा मंज़ूर कर लिया, मगर शिमशोन की ताकत का राज़ जानने की उसकी कोशिशें तीन बार नाकाम रहीं। दलीला ने “हर दिन बातें करते करते उसको तंग किया, और यहां तक हठ किया” कि आखिरकार शिमशोन के “नाकों में दम आ गया।” शिमशोन ने उसे बता दिया कि उसके बालों पर कभी छुरा नहीं फिरा था और अगर उसके बाल काट दिए जाएँ, तो उसकी ताकत खत्म हो जाएगी। यह सुनने के बाद, दलीला ने शिमशोन को अपनी गोद में सुला दिया और चुपके से उसके बाल कटवा डाले। इसके बाद, उसने शिमशोन को उसके दुश्मनों के हाथों सौंप दिया ताकि वे उसका जो चाहें, करें। (न्यायि. 16:4, 5, 15-21) कितनी घिनौनी चाल चली उसने! लालच में आकर दलीला ने एक ऐसे इंसान को धोखा दिया, जो उससे प्यार करता था।
ପ୍ର୦୫-ହି ୧/୧୫ ପୃ ୨୭ ¶୪
ବିଚାରକର୍ତ୍ତା ବହିର ମୁଖ୍ୟାଂଶ
14:16, 17; 16:16. किसी के सामने रो-धोकर और उसे तंग करके अपनी बात मनवाने से उसके साथ रिश्ता बिगड़ सकता है।—नीतिवचन 19:13; 21:19.
ପ୍ର୧୨-ହି ୪/୧୫ ପୃ ୧୧-୧୨ ¶୧୫-୧୬
ବିଶ୍ୱାସଘାତକତା—ଶେଷକାଳ ଚିହ୍ନର ଭାଗ
15 शादी-शुदा लोग कैसे अपने साथी के वफादार बने रह सकते हैं? बाइबल कहती है: “अपनी जवानी की पत्नी [या पति] के साथ आनन्दित रह” और ‘अपना जीवन अपनी प्यारी पत्नी [या पति] के संग में बिता।’ (नीति. 5:18; सभो. 9:9) जैसे-जैसे उनकी उम्र ढलती जाती है, पति-पत्नी को अपने रिश्ते को मज़बूत करते रहना चाहिए; शारीरिक तौर पर और मानसिक तौर पर भी। इसका मतलब है एक-दूजे का खयाल करना, एक-दूजे के साथ समय बिताना और एक-दूजे से नज़दीकी बढ़ाना। उन्हें अपने शादी के बंधन और परमेश्वर के साथ अपने रिश्ते को मज़बूत करना चाहिए। यही नहीं, शादी-शुदा जोड़ों को एक-साथ बाइबल पढ़ना चाहिए, प्रचार में एक-साथ काम करना चाहिए और यहोवा की आशीष पाने के लिए एक-साथ प्रार्थना भी करनी चाहिए।
ଯିହୋବାଙ୍କ ବିଶ୍ୱସ୍ତ ରହନ୍ତୁ
16 मंडली के कुछ सदस्यों को गंभीर पाप करने की वजह से ‘सख्ती से ताड़ना दी गयी है ताकि वे विश्वास में मज़बूत बनें रहें।’ (तीतु. 1:13) कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें अपने चालचलन की वजह से मंडली से बहिष्कृत करना पड़ा है। जिन लोगों ने ऐसे अनुशासन से ‘प्रशिक्षण पाया है” उनके लिए यह फायदेमंद साबित हुई है। वे दोबारा परमेश्वर के साथ एक रिश्ता कायम कर पाए हैं। (इब्रा. 12:11) लेकिन जब हमारे किसी दोस्त या रिश्तेदार का बहिष्कार किया जाता है, तब हमारी वफादारी परखी जा सकती है। ऐसे हालात में क्या हम परमेश्वर के वफादार बने रहेंगे या फिर अपने दोस्त या रिश्तेदार के? यहोवा हमें देख रहा है, यह जानने के लिए कि किसी भी बहिष्कृत इंसान के साथ मेल-जोल न रखने की उसकी आज्ञा को हम मानेंगे या नहीं।—1 कुरिंथियों 5:11-13 पढ़िए।
ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ
ପ୍ର୦୫-ହି ୩/୧୫ ପୃ ୨୭ ¶୬
ଶାମ୍ଶୋନ୍ ଯିହୋବାଙ୍କ ଶକ୍ତିରୁ ଜୟ କଲେ !
ଶାମ୍ଶୋନ୍ଙ୍କ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ଥିଲା ପଲେଷ୍ଟୀୟମାନଙ୍କ ସହ ଲଢ଼ିବା, ଆଉ ସେ ଏହି ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରୁ ନିଜ ଧ୍ୟାନ ହଟିବାକୁ ଦେଲେ ନାହିଁ । ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ଶତ୍ରୁମାନଙ୍କଠାରୁ ଲଢ଼େଇ କରିବା ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ସେ ଘସାକୁ ଯାଇ ଏକ ବେଶ୍ୟା ଘରେ ଆଶ୍ରୟ ନେଲେ । ଶାମ୍ଶାନ୍ଙ୍କ ମନରେ ଯୌନ ଅନୈତିକତା ରଖିବାର କୌଣସି ମନୋଭାବ ନ ଥିଲା । ତାଙ୍କୁ ଶତ୍ରୁମାନଙ୍କ ସହରରେ ରାତି କଟାଇବା ପାଇଁ ଗୋଟିଏ ଆଶ୍ରୟ ଦରକାର ଥିଲା ଆଉ ଏଥିପାଇଁ ବେଶ୍ୟାର ଘର ହିଁ ସବୁଠାରୁ ଅଧିକ ସୁରକ୍ଷିତ ଜାଗା ଥିଲା । ସେ ଅଧରାତିରେ ସେହି ଘରୁ ବାହାରିଯାଇ ନଗର ଦ୍ୱାରର କବାଟ ଓ ଦୁଇ ବାଜୁବନ୍ଧ ଧରି ଉପାଡ଼ି ଦେଲେ ଓ ତାକୁ କାନ୍ଧରେ ବୋହି ସେ ହିବ୍ରୋଣ ପର୍ବତ-ଶିଖରକୁ ନେଇଗଲେ । ଯାହା ପ୍ରାୟ ୬୦ କିଲୋମିଟର ଦୂର ଥିଲା । ଶାମ୍ଶୋନ୍ ଏହି ଅଦ୍ଭୁତ କାମ ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ମଞ୍ଜୁରିରୁ ଏବଂ ତାଙ୍କଠାରୁ ମିଳିଥିବା ଶକ୍ତି ଯୋଗୁଁ କରିପାରିଲେ ।—ବିଚାରକର୍ତ୍ତା ୧୬:୧-୩.
୧୦-୧୬ ଜାନୁୟାରୀ
ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ବିଚାରକର୍ତ୍ତା ୧୭–୧୯
“ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ଆଜ୍ଞା ନ ମାନିଲେ ଆମର ହିଁ କ୍ଷତି ହୋଇଥାଏ”
ଇନସାଇଟ୍-୨ ପୃ ୩୯୦-୩୯୧
ମୀଖା
1. मीका एप्रैम गोत्र का एक आदमी था। उसने अपनी माँ के चाँदी के टुकड़े चुराए थे, मगर फिर उन्हें लौटा दिया। तब उसकी माँ ने उनमें से 200 टुकड़े सुनार को दिए और उसने उससे “एक तराशी हुई और एक ढली हुई मूरत” बना दी। फिर ये मूरतें मीका के घरलायी गयीं। मीका के यहाँ पहले से ही “देवताओं के लिए एक मंदिर था।” उसने कुल देवताओं की मूरतें और एक एपोद बनवाया और अपने एक बेटे को याजक ठहराया। मीका और उसका परिवार यह दावा कर रहे थे कि वे यह सब यहोवा की महिमा के लिए कर रहे हैं, लेकिन सच तो यह था कि वे यहोवा का निरादर कर रहे थे। वे मूर्ति-पूजा करके यहोवा की आज्ञा तोड़ रहे थे। (निर्ग 20:4-6) इसके अलावा यहोवा ने पवित्र डेरे और याजकपद का जो इंतज़ाम किया था, उसकी भी उन्होंने कोई कदर नहीं की। (न्या 17:1-6; व्य 12:1-14) बाद में मीका ने योनातान नाम के एक लेवी को अपने यहाँ याजक का काम करने के लिए रख लिया। वह अपने इस फैसले से बहुत खुश था और उसने कहा, “अब यहोवा ज़रूर मेरा भला करेगा।” (न्या 17:7-13; 18:4) लेकिन यह उसकी गलतफहमी थी। मूसा के कानून के हिसाब से हारून के वंशज ही याजक बन सकते थे। लेकिन यह लेवी मूसा के बेटे गेरशोम का वंशज था, न कि हारून का। इसीलिए वह याजक के नाते सेवा नहीं कर सकता था। मीका ने पहले ही कई गलतियाँ की थीं, अब योनातान को याजक ठहराकर उसने एक और गलती कर दी।—न्या 18:30; गि 3:10.
ଇନସାଇଟ୍-୨ ପୃ ୩୯୧ ¶୨
ମୀଖା
कुछ समय बाद मीका और उसके आदमी दानियों के पीछे गए। जब वे दानियों के पास पहुँच गए, तो उन्होंने मीका से पूछा, “क्या हुआ?” तब मीका ने उनसे कहा कि तुमने मेरा सबकुछ लूट लिया। उसने कहा, “तुम मेरे देवताओं की मूरतें उठा लाए जिन्हें मैंने बनवाया था और मेरे याजक को भी अपने साथ ले आए।” तब दानियों ने उसे धमकी दी कि अगर वे उनका पीछा करते रहे और इस बारे में दोबारा बात की, तो वे उसे और उसके आदमियों को जान से मार डालेंगे। जब मीका ने देखा कि दान के लोग उससे ज़्यादा ताकतवर हैं, तो वह उलटे पाँव घर लौट गया।—न्या 18:22-26.
ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ
ପ୍ର୧୫-ହି ୧୨/୧୫ ପୃ ୧୦ ¶୬
ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ବାକ୍ୟର ଜୀବନ୍ତ ଅନୁବାଦ
୬ ଆଜି ଏହି କଥାର ଆହୁରି ମଧ୍ୟ ଅନେକ ପ୍ରମାଣ ଅଛି ଯେ ଆମକୁ ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ନାମ ବ୍ୟବହାର କରିବା ଉଚିତ୍ । ୨୦୧୩ ମସିହାରେ ବାହାର କରାଯାଇଥିବା ଇଂରାଜୀର ନୂତନ ଜଗତ ଅନୁବାଦର ବାଇବଲରେ ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ନାମ ୭,୨୧୬ ଥର ଆସେ । ପୂର୍ବରୁ ବାହାର କରାଯାଇଥିବା ବାଇବଲର ତୁଳନାରେ ଏଥିରେ ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ନାମ ୬ ଥର ଅଧିକ ଆସିଛି । ସେମଧ୍ୟରୁ ପାଞ୍ଚଟି ପଦଗୁଡ଼ିକରେ ଏହି ନାମ ଏଥିପାଇଁ ମିଶାଗଲା, କାରଣ ନିକଟ ଅତୀତରେ ମୃତ ସାଗରରୁ ମିଳିଥିବା ଚର୍ମପତ୍ରରେ ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ନାମ ରହିଛି ।a ଏହି ପାଞ୍ଚଟି ପଦଗୁଡ଼ିକ ହେଉଛି— ୧ ଶାମୁୟେଲ ୨:୨୫; ୬:୩; ୧୦:୨୬; ୨୩:୧୪, ୧୬. ତାʼ ସହ, ଭରସାଯୋଗ୍ୟ ପୁରୁଣା ହସ୍ତଲିପିଗୁଡ଼ିକର ଭଲ ଭାବେ ଅଧ୍ୟୟନ କରିବା ଯୋଗୁଁ ଏହି ନାମକୁ ବିଚାରକର୍ତ୍ତା ୧୯:୧୮ ପଦରେ ମଧ୍ୟ ଯୋଡ଼ା ଯାଇଛି ।
୧୭-୨୩ ଜାନୁୟାରୀ
ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ବିଚାରକର୍ତ୍ତା ୨୦-୨୧
“ଯିହୋବାଙ୍କଠାରୁ ପରାମର୍ଶ ନେବା ଜାରି ରଖନ୍ତୁ”
ପ୍ର୧୧-ହି ୯/୧୫ ପୃ ୩୨ ¶୩
କʼଣ ଆପଣ ପୀନହସଙ୍କ ଭଳି ସମସ୍ୟାଗୁଡ଼ିକର ସାମନା କରିପାରିବେ ?
जब बिन्यामीन के गोत्र से, गिबा के पुरुषों ने एक लेवी की सुरैतिन (रखैल) का बलात्कार और खून कर दिया तब बाकी गोत्र बिन्यामीनियों से युद्ध करने को निकल पड़े। (न्यायि. 20:1-11) युद्ध के मैदान में जाने से पहले उन्होंने यहोवा से मदद के लिए प्रार्थनाकी थी, पर दो बार वे हार गए और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा। (न्यायि. 20:14-25) क्या वे इस नतीजे पर पहुँचते कि उनकी प्रार्थनाओं का कोई फायदा नहीं हुआ? क्या यहोवा वाकई चाहता था कि वे इस गलत काम के खिलाफ कोई कदम न उठाएँ?
ପ୍ର୧୧-ହି ୯/୧୫ ପୃ ୩୨ ¶୫
କʼଣ ଆପଣ ପୀନହସଙ୍କ ଭଳି ସମସ୍ୟାଗୁଡ଼ିକର ସାମନା କରିପାରିବେ ?
हम इससे क्या सबक सीख सकते हैं? प्राचीनों की कड़ी मेहनत और यहोवा से मदद की पुकार के बावजूद मंडली की कुछ समस्याएँ हल नहीं होतीं। अगर ऐसा होता है तो प्राचीन यीशु के यह शब्द याद रख सकते हैं: “माँगते [या प्रार्थना करते] रहो और तुम्हें दे दिया जाएगा। ढूँढ़ते रहो और तुम पाओगे। खटखटाते रहो, और तुम्हारे लिए खोला जाएगा।” (लूका 11:9) अगर प्राचीनों को लगता है कि उन्हें जवाब नहीं मिल रहा, तब भी वे इस बात का यकीन रख सकते हैं कि यहोवा अपने ठहराए हुए समय पर ज़रूर कदम उठाएगा।
ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ
ପ୍ର୧୪-ଇଂ ୫/୧ ପୃ ୧୧ ¶୪-୬
କʼଣ ଆପଣ ଜାଣନ୍ତି ?
ପ୍ରାଚୀନ ମସୟରେ ଯୁଦ୍ଧରେ ଛାଟିଣିର ବ୍ୟବହାର କିପରି କରାଯାଉଥିଲା ?
ଦାଉଦ ଛାଟିଣିରେ ଲମ୍ବା ଚଉଡ଼ା ଗଲୀୟାତକୁ ମାରିଦେଲେ । ସେ ଛାଟିଣି ମାରିବା ହୁଏତ ସେତେବେଳେ ଶିଖିଥିବେ ଯେତେବେଳେ ସେ ଜଣେ ମେଷପାଳକ ଭାବେ କାମ କରୁଥିଲେ ।—୧ ଶାମୁୟେଲ ୧୭:୪୦-୫୦.
ମଧ୍ୟ ପୂର୍ବ ଦେଶଗୁଡ଼ିକରେ ଖୋଦନ କରିବାଲୋକମାନଙ୍କୁ (ଗବେଷଣାକାରୀ) ଛାଟିଣିର କିଛି ପଥର ମିଳିଛି । ଏହି ପଥର ପୁରାତନ କାଳରେ ଯୁଦ୍ଧରେ ବ୍ୟବହାର କରାଯାଇଥିଲା । ଛାଟିଣି ମାରିବାଲୋକ ନିଜ ମୁଣ୍ଡର ଉପରେ ଜୋରରେ ଛାଟିଣିକୁ ବୁଲାଉଥିଲେ ଏବଂ ତାʼପରେ ଛାଟିଣିର ଗୋଟିଏ ଡୋରିକୁ ଛାଡ଼ିଦେଉଥିଲେ । ଛାଟିଣିର ପଥରର ବେଗ ଘଣ୍ଟାକୁ ୧୬୦-୨୪୦ କିଲୋମିଟର ରହୁଥିଲା ଏବଂ ତାହା ସିଧା ଲକ୍ଷ୍ୟ ସ୍ଥାନରେ ଯାଇ ବାଜୁଥିଲା । ବିଦ୍ୱାନମାନେ ଏହା ଜାଣି ନ ଥିଲେ ଯେ ଏକ ତୀର ଯେତେଦୂର ଯାଏ, ସେତିକି ଦୂର ଛାଟିଣିର ପଥର ଯାଇପାରିବ କି ନାହିଁ, କିନ୍ତୁ ଗୋଟିଏ କଥା ନିଶ୍ଚିତ ଯେ ଏହା ତୀର ପରି ଘାତକ ଥିଲା ।—ବିଚାରକର୍ତ୍ତା ୨୦:୧୬.
୨୪-୩୦ ଜାନୁୟାରୀ
ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ରୂତ ୧-୨
“ଅଟଳ ପ୍ରେମ କରିବା ଜାରି ରଖନ୍ତୁ”
ପ୍ର୧୬-ହି ୦୨ ପୃ ୧୪ ¶୫
ଯିହୋବାଙ୍କ ପ୍ରିୟ ସାଙ୍ଗମାନଙ୍କୁ ଅନୁକରଣ କରନ୍ତୁ
5 रूत सोच सकती है कि मोआब में उसका परिवार है, वहाँ उसकी माँ है, उसके रिश्तेदार हैं। वह उनके पास लौट सकती है और वे उसकी देखभाल करेंगे। वह वहाँ के लोगों, वहाँ की भाषा और वहाँ के रहन-सहन से वाकिफ है। नाओमी उसे बेतलेहेम में यह सब देने का वादा नहीं कर सकती। उसे डर था कि वह रूत का न तो घर बसा पाएगी, न ही उसके लिए सिर छिपाने की जगह का इंतज़ाम कर पाएगी। इसलिए वह रूत को वापस मोआब जाने के लिए कहती है। जैसा कि हमने देखा, ओर्पा “अपने लोगों और अपने देवता के पास लौट” जाती है। (रूत 1:9-15) लेकिन रूत फैसला करती है कि वह अपने लोगों और उनके झूठे देवताओं के पास नहीं जाएगी।
ପ୍ର୧୬-ହି ୦୨ ପୃ ୧୪ ¶୬
ଯିହୋବାଙ୍କ ପ୍ରିୟ ସାଙ୍ଗମାନଙ୍କୁ ଅନୁକରଣ କରନ୍ତୁ
6 ऐसा लगता है कि रूत ने अपने पति से या नाओमी से यहोवा के बारे में सीखा था। उसने सीखा कि यहोवा, मोआब के देवताओं जैसा नहीं है। रूत यहोवा से प्यार करती थी और जानती थी कि यहोवा इस बात का हकदार है कि वह यहोवा से प्यार करे और उसकी उपासना करे। लेकिन यह ज्ञान होना ही काफी नहीं था। उसे फैसला लेना था कि क्या वह यहोवा को अपना परमेश्वर मानेगी। रूत ने बुद्धि-भरा फैसला लिया। उसने नाओमी से कहा, “तेरे लोग मेरे लोग होंगे, और तेरा परमेश्वर मेरा परमेश्वर होगा।” (रूत 1:16) रूत को नाओमी से जो प्यार था, उस बारे में जब हम सोचते हैं तो यह हमारे दिल को छू जाता है। लेकिन यहोवा के लिए उसका प्यार इससे भी ज़्यादा गौरतलब है। यह बात बोअज़ को भी अच्छी लगी, जिसने बाद में यह कहकर रूत की तारीफ की कि उसने ‘यहोवा के पंखों तले शरण ली’ है। (रूत 2:12 पढ़िए।) बोअज़ ने यहाँ जो शब्द इस्तेमाल किए, उनसे हमें शायद याद आए कि कैसे एक चिड़िया का बच्चा हिफाज़त के लिए अपने पिता के पंखों तले जाता है। (भज. 36:7; 91:1-4) उसी तरह यहोवा ने रूत की प्यार से हिफाज़त की और उसके विश्वास के लिए उसे इनाम दिया। रूत ने जो फैसला लिया था उस पर उसे कभी पछतावा नहीं हुआ।
ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ
ପ୍ର୦୫-ହି ୩/୧ ପୃ ୨୭ ¶୧
ରୂତ ବହିର ମୁଖ୍ୟାଂଶ
୧:୧୩, ୨୧—କʼଣ ଯିହୋବା ନୟମୀଙ୍କୁ ବହୁତ ଦୁଃଖ ଦେଲେ ଓ ତାʼଉପରେ ସମସ୍ୟା ଆଣିଲେ ?
ନା, ଯିହୋବା ତାଙ୍କୁ ଦୁଃଖ ଦେଇ ନ ଥିଲେ ଏବଂ ନୟମୀ ମଧ୍ୟ ଈଶ୍ୱରଙ୍କୁ କୌଣସି କଥା ପାଇଁ ଦୋଷ ଦେଲେ ନାହିଁ । ପ୍ରକୃତରେ ତାʼଉପରେ ଯେଉଁ ସମସ୍ୟା ଆସିଲା ସେଥିପାଇଁ ହୁଏତ ତାଙ୍କୁ ଲାଗିଲା ଯେ ଯିହୋବା ତାଙ୍କୁ ଧ୍ୟାନ ଦେଉ ନାହାନ୍ତି । ନୟମୀଙ୍କ ହୃଦୟ କଠୋର ହୋଇଯାଇଥିଲା ଓ ପରିସ୍ଥିତି ତାଙ୍କୁ ଅନ୍ଧ କରିଦେଇଥିଲା । ଖାଲି ଏତିକି ନୁହେଁ, ସେ ସମୟରେ ମାଆ ହେବା ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ତରଫରୁ ଆଶିଷ ବୋଲି ମାନୁଥିଲେ କିନ୍ତୁ ବନ୍ଧ୍ୟା ହେବା ଏକ ଅଭିଶାପ ମନେ କରୁଥିଲେ । ତାଙ୍କ ଦୁଇ ପୁଅଙ୍କ ମୃତ୍ୟୁ ହୋଇଯାଇଥିଲା ଓ ତାଙ୍କର କୌଣସି ଉତ୍ତରାଧିକାରୀ ନ ଥିଲେ, ଏହି ସବୁ କାରଣରୁ ନୟମୀଙ୍କୁ ଲାଗିଲା ଯେ ଯିହୋବା ହିଁ ତାଙ୍କୁ ଏହି ସବୁ ଖରାପ ଦିନଗୁଡ଼ିକ ଦେଖାଉଛନ୍ତି ।
୩୧ ଜାନୁୟାରୀ–୬ ଫେବୃୟାରୀ
ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ରୂତ ୩-୪
“ଉତ୍ତମ ନାମ କମାନ୍ତୁ”
ଅନୁକରଣ କରନ୍ତୁ (ହିନ୍ଦୀ) ପୃ ୪୭ ¶୧୮
“ଜଣେ ଧାର୍ମିକ ସ୍ତ୍ରୀ”
फिर बोअज़ ने रूत से बात की। उसने ज़रूर नरमी से बात की होगी जिससे रूत का डर दूर हुआ होगा। उसने कहा, “यहोवा तुझे आशीष दे मेरी बेटी। तूने पहले भी अपने अटल प्यार का सबूत दिया है, मगर इस बार तूने और भी बढ़कर इसका सबूत दिया है। क्योंकि तू किसी जवान आदमी के पीछे नहीं गयी, फिर चाहे वह अमीर हो या गरीब।” (रूत 3:10) रूत ने नाओमी के लिए अपने अटल प्यार का ‘पहली’ बार सबूत तब दिया था जब वह नाओमी के साथ इसराएल आयी और उसकी सेवा करने लगी। और “इस बार” भी उसने अपने अटल प्यार का सबूत दिया। कैसे? जैसे बोअज़ ने कहा, रूत जवान थी और चाहे तो किसी जवान आदमी से शादी कर सकती थी, फिर चाहे वह अमीर होता या गरीब। मगर उसने नाओमी और उसके पति का भला करना चाहा। वह उस मरे हुए आदमी का वंश आगे बढ़ाना चाहती थी। इसलिए हम समझ सकते हैं कि बोअज़ ने क्यों रूत के निस्वार्थ प्यार के लिए उसकी तारीफ की।
ଅନୁକରଣ କରନ୍ତୁ (ହିନ୍ଦୀ) ପୃ ୪୮ ¶୨୧
“ଜଣେ ଧାର୍ମିକ ସ୍ତ୍ରୀ”
रूत बोअज़ की यह बात याद करके कितनी खुश हुई होगी कि सब लोग उसे एक “नेक औरत” मानते हैं। बेशक उसने यह अच्छा नाम इसलिए कमाया क्योंकि वह यहोवा को जानने और उसकी सेवा करने के लिए तैयार थी। इतना ही नहीं, उसने नाओमी पर बहुत कृपा की और उसके लोगों के तौर-तरीके और रिवाज़ अपनाकर उनका गहरा आदर किया, जबकि ये उसके लिए बिलकुल नए थे। अगर हम रूत जैसा विश्वास ज़ाहिर करें तो हम दूसरों का, उनके तौर-तरीकों और रिवाज़ों का दिल से आदर करेंगे। तब हम भी नेक होने का नाम कमाएँगे।
ଅନୁକରଣ କରନ୍ତୁ (ହିନ୍ଦୀ) ପୃ ୫୦ ¶୨୫
“ଜଣେ ଧାର୍ମିକ ସ୍ତ୍ରୀ”
बोअज़ ने रूत से शादी कर ली। इसके बाद “यहोवा की आशीष से रूत गर्भवती हुई और उसने एक बेटे को जन्म दिया।” बेतलेहेम की औरतों ने नाओमी को आशीर्वाद दिया और रूत की तारीफ करते हुए कहा कि वह नाओमी के लिए सात बेटों से भी बढ़कर है। बाद में रूत के बेटे के खानदान से ही महान राजा दाविद पैदा हुआ। (रूत 4:11-22) आगे चलकर दाविद के वंश से यीशु मसीह पैदा हुआ।—मत्ती 1:1.
ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ
ପ୍ର୦୫-ହି ୩/୧ ପୃ ୨୯ ¶୪
ରୂତ ବହିର ମୁଖ୍ୟାଂଶ
୪:୬—କାହାରିକୁ ଛଡ଼ାଇଲେ ଯେଉଁ ବ୍ୟକ୍ତି ତାହା ଛଡ଼ାଏ, ତାର ନିଜର କିପରି କ୍ଷତି ହେଉଥିଲା ? ଯଦି ଜଣେ ବ୍ୟକ୍ତି ଗରିବ ଅବସ୍ଥାରେ ନିଜ ଜମିକୁ ବିକି ଦିଏ, ତେବେ ଯେଉଁ ବ୍ୟକ୍ତି ଜମିକୁ ଛଡ଼ାଉଥିଲା, ତାକୁ ପ୍ରଥମେ ଜମିକୁ କିଣିବାକୁ ପଡ଼ୁଥିଲା । ଏଥିପାଇଁ ତାଙ୍କୁ ପରବର୍ତ୍ତୀ ଯୋବେଲ ବର୍ଷ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସେହି ଜମିର ନିର୍ଦ୍ଧାରିତ ମୂଲ୍ୟ ଯେତିକି ହେବ ତାʼ ଅନୁଯାୟୀ ମୂଲ୍ୟ ଦେବାକୁ ପଡ଼ୁଥିଲା । (ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ୨୫:୨୫-୨୭) ଏହିପରି ଭାବେ ନିଜ ଟଙ୍କା ଦେଇ ଜମି କିଣିବା ଦ୍ୱାରା ଛଡ଼ାଉଥିବା ବ୍ୟକ୍ତିର କ୍ଷତି ହୁଏ । ଏହା ଛଡ଼ା, ଯଦି ରୂତଙ୍କ ପୁଅ ଜନ୍ମ ହୁଅନ୍ତା ତେବେ ଛଡ଼ାଇଥିବା ଜମି ତାଙ୍କ ସମ୍ପର୍କୀୟଙ୍କୁ ନୁହେଁ ବରଂ ରୂତଙ୍କ ପୁଅକୁ ମିଳନ୍ତା ।
୭–୧୩ ଫେବୃୟାରୀ
ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ୧ ଶାମୁୟେଲ ୧-୨
“ମନ ଖୋଲି ଯିହୋବାଙ୍କଠାରେ ପ୍ରାର୍ଥନା କରନ୍ତୁ”
ଅନୁକରଣ କରନ୍ତୁ (ହିନ୍ଦୀ) ପୃ ୫୫ ¶୧୨
ସେ ମନଖୋଲି ଯିହୋବାଙ୍କୁ ପ୍ରାର୍ଥନା କଲେ
12 प्रार्थना के मामले में हन्ना, यहोवा के सभी सेवकों के लिए एक बेहतरीन मिसाल है। यहोवा हमसे कहता है कि हम उससे प्रार्थना में खुलकर बात करें और बेझिझक उसे अपनी परेशानियाँ बताएँ, ठीक जैसे एक छोटा बच्चा अपने पिता पर भरोसा करता है और उसे सारी बातें बताता है। (भजन 62:8; 1 थिस्सलुनीकियों 5:17 पढ़िए।) प्रार्थना के बारे में प्रेषित पतरस ने परमेश्वर की प्रेरणा से यह बात लिखी जिससे हमें बहुत दिलासा मिलता है: “तुम अपनी सारी चिंताओं का बोझ उसी पर डाल दो क्योंकि उसे तुम्हारी परवाह है।”—1 पत. 5:7.
ଅନୁକରଣ କରନ୍ତୁ (ହିନ୍ଦୀ) ପୃ ୫୫-୫୬ ¶୧୫
ସେ ମନଖୋଲି ଯିହୋବାଙ୍କୁ ପ୍ରାର୍ଥନା କଲେ
यहोवा के आगे अपना दिल खोल देने और पवित्र डेरे में उसकी उपासना करने का हन्ना पर क्या असर हुआ? बाइबल बताती है, “तब वह औरत वहाँ से चली गयी उसने जाकर कुछ खाया और उसके चेहरे पर फिर उदासी न रही” (1 शमू. 1:18) जी हाँ, हन्ना ने राहत महसूस की उसने अपने दिल का सारा बोझ अपने पिता यहोवा पर डाल दिया था जो उससे ज़्यादा ताकतवर था (भजन 55:22 पढ़िए) क्या आपको लगता है कि ऐसी कोई समस्या है जिसे परमेश्वर हल नहीं कर सकता? आज तक न तो ऐसी कोई समस्या उठी है, न कभी उठेगी!
ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ
ପ୍ର୦୫-ହି ୩/୧୫ ପୃ ୨୧ ¶୫
ପ୍ରଥମ ଶାମୁୟେଲ ବହିର ମୁଖ୍ୟାଂଶ
୨:୧୦—ହାନ୍ନା ନିଜ ପ୍ରାର୍ଥନାରେ ଏପରି କାହିଁକି କହିଲେ ଯେ ‘ଆପଣା ରାଜାକୁ ବଳ ଦେବେ,’ ଯେଉଁ ସମୟରେ କି ଇସ୍ରାଏଲରେ କୌଣସି ରାଜା ଶାସନ କରୁ ନ ଥିଲେ ? ମୋଶାଙ୍କ ବ୍ୟବସ୍ଥାରେ ଭବିଷ୍ୟତବାଣୀ କରାଯାଇଥିଲା ଯେ ଆଗକୁ ଯାଇ ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କ ଉପରେ ଶାସନ କରିବା ପାଇଁ ଜଣେ ରାଜାକୁ ନିଯୁକ୍ତ କରାଯିବ । (ଦ୍ୱିତୀୟ ବିବରଣ ୧୭:୧୪-୧୮) ଯାକୁବ ନିଜ ମୃତ୍ୟୁ ପୂର୍ବରୁ ଭବିଷ୍ୟତବାଣୀ କରିଥିଲେ: ‘ଯିହୁଦାଠାରୁ ରାଜଦଣ୍ଡ [ରାଜାଙ୍କ ଅଧିକାରର ଚିହ୍ନ] ଯିବ ନାହିଁ ।’ (ଆଦି ପୁସ୍ତକ ୪୯:୧୦) ଏହା ପରିବର୍ତ୍ତେ, ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କ ଆଦିମାତା ସାରା ବିଷୟରେ ଯିହୋବା କହନ୍ତି: “ତାହାଠାରୁ ନାନାଦେଶୀୟ ରାଜଗଣ ଉତ୍ପନ୍ନ ହେବେ ।” (ଆଦି ପୁସ୍ତକ ୧୭:୧୬) ତାʼମାନେ ଏହାର ଅର୍ଥ ହେଉଛି ପ୍ରାର୍ଥନାରେ ହାନ୍ନା ଭବିଷ୍ୟତରେ ଆସିବାକୁ ଥିବା ରାଜାଙ୍କ ବିଷୟରେ କଥା କହୁଥିଲେ ।
୧୪-୨୦ ଫେବୃୟାରୀ
ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ୧ ଶାମୁୟେଲ ୩-୫
“ଯିହୋବା ମଙ୍ଗଳମୟ ଈଶ୍ୱର ଅଟନ୍ତି”
ପ୍ର୧୮-ହି୦୯ ପୃ ୨୪ ¶୩
ସର୍ବଶକ୍ତିମାନ ହେବା ସତ୍ତ୍ୱେ ଆଦର ଦେଖାଉଥିବା ଈଶ୍ୱର
3 जब शमूएल ने पवित्र डेरे में सेवा करना शुरू किया, तब वह बहुत छोटा था। (1 शमू. 3:1) कुछ सालों बाद उसके साथ एक अनोखी घटना घटी। (1 शमूएल 3:2-10 पढ़िए।) एक रात जब वह सो रहा था, तब उसने सुना कि कोई उसका नाम पुकार रहा है। शमूएल ने सोचा कि महायाजक एली उसे बुला रहा है। वह एक आज्ञाकारी बच्चा था, इसलिए वह फौरन उठा और भागकर एली के पास गया। उसने कहा, “तूने मुझे बुलाया?” एली ने कहा, “नहीं, मैंने तुझे नहीं बुलाया।” ऐसा दो बार और हुआ। तब एली समझ गया कि परमेश्वर शमूएल को बुला रहा है। उसने शमूएल को बताया कि अगली बार आवाज़ सुनने पर उसे क्या करना चाहिए। शमूएल ने एली की बात मानी। लेकिन सवाल उठता है कि यहोवा नेपहली बार ही शमूएल को क्यों नहीं बताया कि वह उसे बुला रहा है? बाइबल इस बारे में कुछ नहीं बताती। लेकिन हो सकता है कि इसकी वजह यह हो कि यहोवा शमूएल की भावनाएँ समझता था।
ପ୍ର୧୮-ହି ୦୯ ପୃ ୨୪ ¶୪
ସର୍ବଶକ୍ତିମାନ ହେବା ସତ୍ତ୍ୱେ ଆଦର ଦେଖାଉଥିବା ଈଶ୍ୱର
4 पहला शमूएल 3:11-18 पढ़िए। यहोवा के कानून में आज्ञा दी गयी थी कि बच्चों को बड़े-बुज़ुर्गों का आदर करना चाहिए, खासकर उनका, जिनके पास कोई अधिकार है। (निर्ग. 22:28; लैव्य. 19:32) इस वजह से हम समझ सकते हैं कि शमूएल को कैसा लगा होगा। उसने सोचा भी नहीं होगा कि सुबह उठकर वह सीधे एली के पास जाए और बेधड़क होकर उसे परमेश्वर का कड़ा संदेश सुनाए। बाइबल बताती है कि “वह दर्शन की बात एली को बताने से डर रहा था।” लेकिन परमेश्वर ने एली पर ज़ाहिर कर दिया था कि वह शमूएल को बुला रहा है। इस वजह से एली ने शमूएल को आज्ञा दी कि परमेश्वर ने उससे जो कुछ कहा, उसकी एक भी बात वह उससे न छिपाए। शमूएल ने एली की आज्ञा मानी और उसे “सारी बात बतायी।”
ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ
ପ୍ର୦୫-ହି ୩/୧୫ ପୃ ୨୧ ¶୬
ପ୍ରଥମ ଶାମୁୟେଲ ବହିର ମୁଖ୍ୟାଂଶ
୩:୩—କʼଣ ଶାମୁୟେଲ ପ୍ରକୃତରେ ମହାପବିତ୍ର ସ୍ଥାନରେ ଶୋଇଥିଲେ ? ବିଲକୁଲ୍ ନୁହଁ । ଶାମୁୟେଲ ଲେବୀ ଗୋଷ୍ଠୀର କହାତ୍ ପରିବାରରୁ ଥିଲେ ଯିଏ ଯାଜକ ବର୍ଗଠାରୁ ଅଲଗା ଥିଲା । (୧ ବଂଶାବଳୀ ୬:୩୩-୩୮) ସେଥିପାଇଁ ତାଙ୍କୁ ‘ଭିତରକୁ ଯାଇ ପବିତ୍ର ସ୍ଥାନ ଦେଖିବା’ ଅନୁମତି ନ ଥିଲା । (ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ୪:୧୭-୨୦) ଶାମୁୟେଲ କେବଳ ନିବାସସ୍ଥାନର ଅଗଣାରେ ଯିବା ଆସିବା କରିପାରୁଥିଲେ, ତେଣୁ ସେ ସେଠାରେ ଶୋଇପଡ଼ିଥିବେ । ଏପରି ଲାଗୁଛି ଯେ ଏଲୀ ମଧ୍ୟ ଅଗଣାରେ ହିଁ ହୁଏତ କେଉଁଠି ଶୋଉଥିଲେ । ତେବେ ସ୍ପଷ୍ଟ ହେଉଛି, “ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ସିନ୍ଦୁକ ଯେଉଁ ସ୍ଥାନରେ ଥାଏ,” ଏହି ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ଅର୍ଥ ନିବାସସ୍ଥାନର ଅଞ୍ଚଳ ବା କ୍ଷେତ୍ରକୁ ବୁଝାଏ ।
୨୧-୨୭ ଫେବୃୟାରୀ
ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ୧ ଶାମୁୟେଲ ୬-୮
“ଆପଣଙ୍କର ରାଜା କିଏ ?”
ଇନସାଇଟ୍-୨ ପୃ ୧୬୩ ¶୧
ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ରାଜ୍ୟ
एक इंसान को राजा ठहराने की माँग। इसराएली चाहते थे कि दूसरे राष्ट्रों की तरह उनका भी एक राजा हो। यह माँग करके वे दरअसल यहोवा को अपना राजा मानने से इनकार कर रहे थे। (1शम 8:4-8) यहोवा ने वादा किया था कि वह एक राज कायम करेगा। उसने यह वादा अब्राहम और याकूब से किया था। याकूब ने भी अपनी मौत से पहले यहूदा के बारे में भविष्यवाणी करते वक्त इस राज का ज़िक्र किया। (उत 49:8-10) इसराएलियों को मिस्र से बाहर निकालने के बाद भी यहोवा ने इस राज के बारे में बताया था। (निर्ग 19:3-6) यहाँ तक कि मूसा के कानून में भी यहोवा ने इस बारे में ज़िक्र किया। (व्य 17:14, 15) यहोवा ने भविष्यवक्ता बिलाम के ज़रिए जो संदेश सुनाया, उसमें भी इस राज का ज़िक्र था। (गि 24:2-7, 17) शमूएल की माँ हन्ना ने भी प्रार्थना करते वक्त यह यकीन ज़ाहिर किया कि परमेश्वर का राज आएगा। (1शम 2:7-10) यह सच है कि यहोवा ने अब तक इस “पवित्र रहस्य” यानी राज लाने के वादे के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी थी, जैसे यह नहीं बताया था कि यह राज कब आएगा, इसमें कौन-कौन होगा और यह धरती पर होगा या स्वर्ग में। लेकिन उसने यह साफ ज़ाहिर कर दिया था कि वह अपना राज लाएगा। इसलिए हम कह सकते हैं कि एक इंसानी राजा की माँग करके इसराएलियों ने सही नहीं किया, उन्हें ऐसी माँग करने का कोई अधिकार नहीं था।
ପ୍ର୧୧-ହି ୭/୧ ପୃ ୧୯ ¶୧
ନିରାଶା ସତ୍ତ୍ୱେ ସେ ଧୈର୍ଯ୍ୟ ରଖିଲେ
गौर कीजिए कि जब शमूएल ने यहोवा से इस बारे में प्रार्थना की तो यहोवा ने उसे क्या जवाब दिया: “वे लोग जो कुछ तुझ से कहें उसे मान ले; क्योंकि उन्हों ने तुझ को नहीं परन्तु मुझी को निकम्मा जाना है, कि मैं उनका राजा न रहूं।” यह सुनकर शमूएल को कितना दिलासा मिला होगा, लेकिन ऐसी माँग करके इसराएलियों ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कितनी तौहीन की! यहोवा ने अपने भविष्यवक्ता से कहा कि वह लोगों को चेतावनी दे कि अगर एक इंसानी राजा उन पर राज करेगा तो उन्हें इसकी बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। जब शमूएल ने उन्हें यह चेतावनी दी तब भी वे अपनी बात पर अड़े रहे और कहा: “नहीं! हम निश्चय अपने लिये राजा चाहते हैं।” इस पर परमेश्वर ने उनके लिए राजा चुना और आज्ञाकारी शमूएल ने जाकर उसका अभिषेक किया।—1 शमूएल 8:7-19.
ପ୍ର୧୦-ହି ୧/୧୫ ପୃ ୩୦ ¶୯
ଯିହୋବାଙ୍କ ଶାସନ ପ୍ରତିଷ୍ଠିତ ହେଲା !
9 इतिहास दिखाता है कि यहोवा की यह चेतावनी सच साबित हुई। इंसानी राजाओं के हुकूमत करने से इसराएल जाति कई बार मुसीबतों के भँवर में फँस गयी, खासकर तब जब एक राजा परमेश्वर का वफादार साबित नहीं होता था। इसलिए इस उदाहरण को ध्यान में रखते हुए हमारे लिए यह कोई हैरानी की बात नहीं कि सदियों से इंसानी सरकार यहोवा को न जानने की वजह से हमेशा के लिए अच्छे हालात नहीं ला पायी। यह सच है कि कुछ नेताओं ने शांति और सुरक्षा लाने की अपनी कोशिशों पर परमेश्वर की बरकत माँगी। लेकिन परमेश्वर उन्हें आशीष कैसे दे सकता है, जिन्हें उसकी हुकूमत के अधीन रहना गवारा नहीं?—भज. 2:10-12.
ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ
ପ୍ର୦୨-ହି ୪/୧ ପୃ ୧୨ ¶୧୩
ବାପ୍ତିସ୍ମ କାହିଁକି ନେବା ?
୧୩ ବାପ୍ତିସ୍ମ ନେଇ ଯିହୋବାଙ୍କ ସାକ୍ଷୀ ହେବା ଆଗରୁ ଆମେ ପଶ୍ଚାତାପ କରିବା ଜରୁରୀ ଅଟେ । ପଶ୍ଚାତାପ ଏକ ଏପରି ପଦକ୍ଷେପ ଯାହା କି ଜଣେ ବ୍ୟକ୍ତି ନିଜ ଇଛା ଅନୁସାରେ ନେଇଥାଏ, ଯେତେବେଳେ ସେ ଯୀଶୁ ଖ୍ରୀଷ୍ଟଙ୍କ ପଦ ଚିହ୍ନରେ ଚାଲିବା ପାଇଁ ସ୍ୱ ହୃଦୟରୁ ନିଷ୍ପତ୍ତି କରିଥାଏ । ଏପରି ଲୋକମାନେ ଭୁଲ ବାଟରେ ଚାଲିବା ଛାଡ଼ି ଦିଅନ୍ତି ଏବଂ ଦୃଢ଼ ସଂକଳ୍ପ ନିଅନ୍ତି ଯେ ସେମାନେ ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ଦୃଷ୍ଟିରେ ଯେଉଁ କାମ ଠିକ୍ ସେହି କାମ କରିବେ । ବାଇବଲରେ, ପଶ୍ଚାତାପ ଯୋଡ଼ିତ ଏବ୍ରୀ ଓ ଗ୍ରୀକ୍ କ୍ରିୟା ଗୁଡ଼ିକର ଅର୍ଥ, ଫେରି ଆସିବା ଅଟେ । ଏହି ପଦକ୍ଷେପ, ଭୁଲ ବାଟକୁ ଛାଡ଼ି ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ଆଡ଼କୁ ଫେରିଯିବାକୁ ଦର୍ଶାଇଥାଏ । (୧ ରାଜାବଳୀ ୮:୩୩, ୩୪) ଏପରି କରିବା ପାଇଁ “ମନ ପରିବର୍ତ୍ତନର ଉପଯୁକ୍ତ କାର୍ଯ୍ୟ” କରିବା ଆବଶ୍ୟକ ହୋଇଥାଏ । (ପ୍ରେରିତ ୨୬:୨୦) ଏହି କାମ ହେଉଛି, ମିଥ୍ୟା ଉପାସନାକୁ ଛାଡ଼ିଦେବା, ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ଆଜ୍ଞାଗୁଡ଼ିକ ଅନୁସାରେ ଚାଲିବା ଏବଂ ଯିହୋବାଙ୍କ ଛଡ଼ା ଆଉ କାହାରି ଉପାସନା ନ କରିବା । (ଦ୍ୱିତୀୟ ବିବରଣ ୩୦:୨, ୮-୧୦; ୧ ଶାମୁୟେଲ ୭:୩) ଯେତେବେଳେ ଆମେ ପଶ୍ଚାତାପ କରୁ, ସେତେବେଳେ ଆମ ଚିନ୍ତାଧାରା, ଲକ୍ଷ୍ୟ ଓ ସ୍ୱଭାବରେ ପରିବର୍ତ୍ତନ ଆସିଥାଏ । (ଯିହିଜିକଲ ୧୮:୩୧) ଯେବେ ଆମେ ଖରାପ ଗୁଣଗୁଡ଼ିକ ସ୍ଥାନରେ ନୂତନ ସ୍ୱଭାବ ପରିଧାନ କରୁଛୁ, ସେତେବେଳେ ଆମେ ‘ଫେରି ଆସୁଛୁ’ ।—ପ୍ରେରିତ ୩:୧୯; ଏଫିସୀୟ ୪:୨୦-୨୪; କଲସୀୟ ୩:୫-୧୪.
୨୮ ଫେବୃୟାରୀ–୬ ମାର୍ଚ୍ଚ
ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ୧ ଶାମୁୟେଲ ୯-୧୧
“ଶାଉଲ ପ୍ରଥମେ ନମ୍ର ଥିଲେ”
ପ୍ର୨୦-ହି ୦୮ ପୃ ୧୦ ¶୧୧
ନମ୍ର ହେବା ଓ ନିଜ ସୀମା ଭିତରେ ରହିବା
11 राजा शाऊल के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। वह पहले एक नम्र इंसान था और अपनी मर्यादा में रहता था। जब उसे एक बड़ी ज़िम्मेदारी दी गयी, तो वह उसे लेने से झिझकने लगा क्योंकि वह अपनी हद पहचानता था। (1 शमू. 9:21; 10:20-22) मगर जब वह राजा बना, तो कुछ ही समय बाद उसमें घमंड आ गया। वह ऐसे काम करने लगा जिन्हें करने का अधिकार उसे नहीं था। एक बार उसे भविष्यवक्ता शमूएल का इंतज़ार करना था कि वह आकर होम-बलि चढ़ाए। जब शमूएल को आने में देर होने लगी, तो शाऊल उतावला होने लगा। उसे यहोवा पर भरोसा रखना था कि वह बलि चढ़ाने के लिए कोई इंतज़ाम करेगा। लेकिन शाऊल ने भरोसा नहीं रखा। उसने खुद जाकर बलि चढ़ा दी जबकि उसे ऐसा करने का अधिकार नहीं था। अंजाम क्या हुआ? यहोवा ने शाऊल को ठुकरा दिया और बाद में उसे राजा के पद से हटा दिया। (1 शमू. 13:8-14) हमें शाऊल से सबक लेना चाहिए और कभी-भी अपनी मर्यादा नहीं लाँघनी चाहिए।
ପ୍ର୧୪-ହି ୩/୧୫ ପୃ ୯ ¶୮
ତ୍ୟାଗର ଭାବନା କିପରି ବଜାୟ ରଖିବା
8 राजा शाऊल की मिसाल हमारे लिए एक चेतावनी है कि कैसे हमारा स्वार्थी रवैया, हमारी त्याग की भावना को खत्म कर सकता है। जब शाऊल ने राज करना शुरू किया, तब वह नम्र था और खुद को हद-से-ज़्यादा अहमियत नहीं देता था। (1 शमू. 9:21) उसने नम्र होकर यह फैसला किया कि वह उन इसराएलियों को सज़ा नहीं देगा, जो उसके राज के बारे में बुरी-बुरी बातें कर रहे थे, हालाँकि ऐसा करके वे दरअसल उस अधिकार पर उँगली उठा रहे थे, जो परमेश्वर ने उसे दिया था। (1 शमू. 10:27) इसराएलियों को अम्मोनियों के खिलाफ जंग में जीत दिलाकर, राजा शाऊल ने परमेश्वर की पवित्र शक्ति के मार्गदर्शन को कबूल किया। इसके बाद, शाऊल ने नम्रता दिखाते हुए इस जीत का सारा श्रेय यहोवा को दिया।—1 शमू. 11:6, 11-13.
ପ୍ର୯୫-ହି ୧୨/୧୫ ପୃ ୧୦ ¶୧
ଅମ୍ମୋନୀୟ ଏପରି ଲୋକ ଯେଉଁମାନେ କୃପାର ପ୍ରତିଶୋଧ ଶତ୍ରୁତାରୁ ଦେଲେ
एक बार फिर अम्मोनियों ने यहोवा की कृपा का बदला दुश्मनी से दिया। यहोवा ने इस धमकी को अनदेखा नहीं किया। “जब शाऊल ने [नाहाश का संदेश] सुना तो परमेश्वर की पवित्र शक्ति उस पर काम करने लगी और वह गुस्से से तमतमा उठा।” परमेश्वर की पवित्र शक्ति के निर्देशन में शाऊल ने 3,30,000 सैनिकों को इकट्ठा किया और उन्होंने अम्मोनियों को इस कदर तितर-बितर किया कि “उनमें से हर किसी को अकेले भागना पड़ा।”—1 शमूएल 11:6, 11.
ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ
ପ୍ର୦୫-ହି ୩/୧୫ ପୃ ୨୨ ¶୮
ପ୍ରଥମ ଶାମୁୟେଲ ବହିର ମୁଖ୍ୟାଂଶ
୯:୯—“ବର୍ତ୍ତମାନ ଯାହାକୁ ଭବିଷ୍ୟଦ୍ବକ୍ତା କହନ୍ତି, ପୂର୍ବକାଳରେ ତାହାକୁ ଦର୍ଶକ କହୁଥିଲେ,” ଏହି ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ଅର୍ଥ କʼଣ ରହିଛି ? ଏହି ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ଅର୍ଥ ଏହା ହୋଇପାରେ ଯେ ଶାମୁୟେଲଙ୍କ ସମୟରେ ଓ ଇସ୍ରାଏଲୀୟ ରାଜାମାନଙ୍କ ସମୟରେ, ଯିହୋବାଙ୍କ ଇଚ୍ଛା ପ୍ରକାଶ କରିବା ପାଇଁ ଭବିଷ୍ୟଦ୍ବକ୍ତାମାନଙ୍କୁ ବହୁତ ସଂଖ୍ୟାରେ ବ୍ୟବହାର କରାଯାଉଥିଲା । ସେଥିପାଇଁ “ଦର୍ଶକ” ଜାଗାରେ “ଭବିଷ୍ୟଦ୍ବକ୍ତା” ଶବ୍ଦ ବ୍ୟବହାର ହେବାକୁ ଲାଗିଲା । ଶାମୁୟେଲ ସବୁଠୁ ପ୍ରଥମ ଭବିଷ୍ୟଦ୍ବକ୍ତା କୁହାଯାଏ ।—ପ୍ରେରିତ ୩:୨୪.
[ପାଦ ଟିପ୍ପଣୀ]
a ମୃତ ସାଗର ପାଖରେ ମିଳିଥିବା ଚର୍ମ ପତ୍ର, ଏବ୍ରୀ ମସୋରା ପାଠ (ଅର୍ଥାତ୍ ‘ଏବ୍ରୀ ଶାସ୍ତ୍ରର ପୁରୁଣା ହସ୍ତଲିପିଗୁଡ଼ିକ’) ରୁ ୧,୦୦୦ ବର୍ଷ ଅଧିକ ପୁରୁଣା । ମସୋରା ପାଠରୁ ହିଁ ନୂତନ ଜଗତ ଅନୁବାଦ ବାଇବଲର ଅନୁବାଦ କରାଗଲା ।