জীৱন আৰু পৰিচৰ্য্যা সভাৰ বাবে অধ্যয়ন পুস্তিকাৰ বৰ্ণনা
মাৰ্চ ৭-১৩
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | ১ চমূৱেল ১২-১৩
“অহংকাৰ কৰিলে অপমান হয়”
নিজৰ সীমা বুজি নম্ৰতাৰে ঈশ্বৰৰ সৈতে চলক
১১ ৰজা চৌলৰ উদাহৰণলৈ ধ্যান দিয়ক। তেওঁ প্ৰথমে এজন নম্ৰ ব্যক্তি আছিল আৰু নিজৰ সীমা বুজি পাইছিল। যেতিয়া তেওঁক এটা ডাঙৰ দায়িত্ব দিয়া হৈছিল, তেতিয়া তেওঁ সেই দায়িত্ব গ্ৰহণ কৰিবলৈ সংকোচ কৰিছিল। কিয়নো তেওঁ নিজৰ সীমা বুজি পাইছিল। (১ চমূ. ৯:২১; ১০:২০-২২) কিন্তু ৰজা হোৱাৰ কিছু সময়ৰ পাছতে তেওঁ অহংকাৰী হৈ পৰে। তেওঁ এনে কাম কৰিবলৈ ধৰিলে, যি তেওঁৰ অধিকাৰত নাছিল। এবাৰ তেওঁক ভৱিষ্যতবক্তা চমূৱেলৰ বাবে অপেক্ষা কৰিবলগীয়া আছিল, যাতে তেওঁ আহি হোমবলি দিয়ে। অপেক্ষা কৰাৰ সময়ত তেওঁ ধৈৰ্য্য হেৰুৱায় আৰু নিজে হোমবলি উৎসৰ্গ কৰে। এই ক্ষেত্ৰত যিহোৱাই কোনো এটা ব্যৱস্থা কৰিব বুলি তেওঁ ভৰসা কৰাৰ প্ৰয়োজন আছিল। কিন্তু তেওঁ এইদৰে নকৰিলে আৰু নিজৰ সীমা পাৰ কৰিলে। কিন্তু তেওঁক এনে কৰাৰ কোনো অধিকাৰ নাছিল। ইয়াৰ পৰিণাম কি হʼল? তেওঁ যিহোৱাৰ অনুমোদন হেৰুৱাই পেলায় আৰু ৰজাৰ পদৰপৰা তেওঁক আঁতৰুৱা হয়। (১ চমূ. ১৩:৮-১৪) আমি চৌলৰপৰা শিকিব পাৰোঁ যে আমি কেতিয়াও নিজৰ সীমা পাৰ কৰা উচিত নহয়।
w০৭ ৭/১ ২০ ¶৮
आपका आज्ञाकारी होना, यहोवा की नज़र में अनमोल है
8 बाइबल में राजा शाऊल के बारे में दर्ज़ वाकया दिखाता है कि आज्ञा मानना कितनी अहमियत रखता है। जब शाऊल ने अपनी हुकूमत शुरू की थी, तब वह “अपनी दृष्टि में छोटा” था। यानी वह नम्र था और अपनी मर्यादा में रहता था। मगर वक्त के गुज़रते, उसके फैसलों से ज़ाहिर हुआ कि उसमें घमंड आ गया है। और अपने उन फैसलों को सही ठहराने के लिए उसने झूठी दलीलों का सहारा लिया। (1 शमूएल 10:21, 22; 15:17) एक मौके पर शाऊल को मैदाने-जंग में पलिश्तियों से लड़ना था। लड़ाई से पहले, शमूएल को यहोवा के लिए बलिदान चढ़ाना था और उसे शाऊल को और भी हिदायतें देनी थीं। इसलिए उसने शाऊल को उसके आने का इंतज़ार करने को कहा। मगर जब शमूएल को आने में देर हुई, तो लोग तितर-बितर होने लगे। यह देखकर शाऊल ने खुद ‘होमबलि चढ़ायी।’ उसके इस काम से यहोवा बहुत क्रोधित हुआ। आखिरकार, जब शमूएल आया तो शाऊल उसे यह सफाई देने लगा कि आप वक्त पर नहीं आए, इसलिए ‘इच्छा न होते हुए भी’ मुझे परमेश्वर का अनुग्रह पाने के लिए होमबलि चढ़ानी पड़ी। राजा शाऊल की नज़र में बलिदान चढ़ाना ज़्यादा ज़रूरी था, ना कि उस हिदायत को मानना कि उसे शमूएल का इंतज़ार करना था। इस पर शमूएल ने उससे कहा: “तू ने मूर्खता का काम किया है; तू ने अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा को नहीं माना।” यहोवा की आज्ञा न मानने की वजह से शाऊल को बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ी। यहोवा ने उसे राजा के तौर पर ठुकरा दिया।—1 शमूएल 10:8; 13:5–13.
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
w১১ ৭/১৫ ১৪ ¶১৫
আপুনি যিহোৱাৰ প্ৰেমময় ব্যৱস্থাত চলিবনে?
১৫ যিহোৱাৰ পৰিৱৰ্তে দেখা পোৱা মানৱীয় ৰজাসকলৰ ওপৰত বেছি ভৰসা কৰিব পাৰি বুলি তেওঁলোকে ভাবিছিলনে? যদি তেওঁলোকে এইদৰে ভাবিছিল, তেনেহʼলে তেওঁলোকে অসাৰ বস্তুৰ পাছত গৈছিল। ইয়াৰ যোগেদি তেওঁলোকে ভ্ৰম জন্মোৱা চয়তানৰ আন ফান্দত পৰিলেহেঁতেন। মানৱীয় ৰজাসকলে তেওঁলোকক সহজতে মূৰ্তিপূজাৰ ফান্দত পেলালেহেঁতেন। কিয়নো মূৰ্তিপূজা কৰা লোকসকলে ভাবে যে দেখা পোৱা কাঠ আৰু শিলৰ দেৱতাবোৰেই সঁচা আৰু ভৰসাযোগ্য। তেওঁলোকে গোটেই বিশ্ব-ব্ৰহ্মাণ্ডৰ সৃষ্টিকৰ্তা অদৃশ্য ঈশ্বৰ যিহোৱাৰ ওপৰত ভৰসা নকৰিলেহেঁতেন। কিন্তু পাঁচনি পৌলে স্পষ্টকৈ কৈছিল যে মূৰ্তিবোৰ একোৱেই ‘নহয়।’ (১কৰি. ৮:৪) যদিও আপুনি সেইবোৰক দেখা পায় বা চুব পাৰে, কিন্তু সেইবোৰে দেখা নাপাই, শুনিব বা কথা কʼব নোৱাৰে আৰু একো কাম কৰিব নোৱাৰে। যদি আপুনি সেইবোৰৰ পূজা কৰে, তেনেহʼলে আপুনি অসাৰ বস্তুৰ পাছত গৈ আছে, যিবোৰ মাত্ৰ ধ্বংসকাৰী ভ্ৰম।—গীত. ১১৫:৪-৮.
মাৰ্চ ১৪-২০
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | ১ চমূৱেল ১৪-১৫
“বলিদানতকৈ আজ্ঞা পালন কৰাটো উত্তম”
w০৭ ৭/১ ১৯ ¶৪
आपका आज्ञाकारी होना, यहोवा की नज़र में अनमोल है
4 यहोवा पूरी कायनात का बनानेवाला है, इसलिए हमारा सबकुछ उसी का दिया हुआ है। तो फिर, क्या ऐसा कुछ है, जो हम उसे दे सकते हैं? जी हाँ, हम उसे जो दे सकते हैं, वह बहुत ही अनमोल है। और वह है, उसके आज्ञाकारी होना। यही बात हमें इस गुज़ारिश से भी पता चलती है: “हे मेरे पुत्र, बुद्धिमान होकर मेरा मन आनन्दित कर, तब मैं अपने निन्दा करनेवाले को उत्तर दे सकूंगा।” (नीतिवचन 27:11) शैतान ने दावा किया कि अगर इंसानों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़े, तो वे परमेश्वर के वफादार नहीं रहेंगे। लेकिन हममें से हरेक परमेश्वर का आज्ञाकारी होकर शैतान के इस दावे को झूठा साबित कर सकता है। फिर चाहे हमारे हालात कैसे भी हों या हमारी परवरिश किसी भी माहौल में हुई हो। शैतान को झूठा साबित करने का हमें क्या ही बड़ा सम्मान मिला है!
it–২ ৫২১ ¶২
आज्ञा मानना
एक व्यक्ति शायद सोचे, ‘मैं कुछ मामलों में यहोवा की आज्ञा नहीं मान रहा हूँ पर दूसरे मामलों में मैं उसकी बात मानूँगा, तो वह मुझे माफ कर देगा।’ ऐसा सोचना बड़ी बेवकूफी होगी। यहोवा ऐसे लोगों को पसंद नहीं करता। भविष्यवक्ता शमूएल ने राजा शाऊल से कुछ ऐसा ही कहा था, “क्या यहोवा को होम-बलियों और बलिदानों से उतनी खुशी मिलती है जितनी उसकी बात मानने से? देख, यहोवा की आज्ञा मानना बलिदान चढ़ाने से कहीं बढ़कर है और उसकी बात पर ध्यान देना मेढ़ों की चरबी अर्पित करने से कई गुना बेहतर है।” (1शम 15:22) अगर एक व्यक्ति यहोवा की बात नहीं मानता, तो इसका यही मतलब है कि वह उसकी बातों पर यकीन नहीं करता और उसे यहोवा पर विश्वास नहीं है। इसीलिए बाइबल में बताया गया है कि जो व्यक्ति यहोवा की आज्ञा तोड़ता है, वह ऐसे व्यक्ति जैसा है जो मूर्तिपूजा या ज्योतिषी का काम करता है। (1शम 15:23; कृपया रोम 6:16 से तुलना करें।) अगर हम किसी से कहें कि हम उसकी बात मानेंगे लेकिन फिर न मानें, तो इसका यही मतलब होगा कि हम दिल से उससे सहमत नहीं हैं और उसकी इज़्ज़त नहीं करते।—मत 21:28-32.
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
it–১ ৪৯৩
দয়া
যদি যিহোৱাই কোনো লোকক দয়া দেখুৱাবলৈ মানা কৰে, তেনেহʼলে আমি সেই লোকক দয়া দেখুৱা উচিত নহয়। আমি আনৰ কথা শুনি তেনে লোকসকলক দয়া দেখুৱালে আমাৰ পৰিণাম বেয়া হʼব পাৰে। আমি চৌলৰ ভুলৰপৰা এটা শিক্ষা শিকিব পাৰোঁ। অমালেকীয়াসকলক দয়া নকৰি সম্পূৰ্ণৰূপে ধ্বংস কৰিবলৈ ঈশ্বৰে চৌলক স্পষ্টৰূপে কৈছিল। কিয়নো ইস্ৰায়েলীয়ে মিচৰ দেশৰপৰা ওলাই অহাৰ সময়ত ইস্ৰায়েলীয়ে অমালেকীয়াসকলক কোনো অনিষ্ট নকৰাৰ সত্ত্বেও অমালেকীয়াই তেওঁলোকক আক্ৰমণ কৰিছিল। যিহোৱাই অমালেকীয়াসকলক সম্পূৰ্ণৰূপে ধ্বংস কৰিব বুলি সেইসময়তেই কৈছিল। এতিয়া চৌলৰ সময়ত যিহোৱাই এইদৰে কৰিব বিচাৰিছিল। কিন্তু চৌলে নিজৰ লোকসকলৰ কথা শুনিলে আৰু যিহোৱাৰ আজ্ঞা সম্পূৰ্ণৰূপে পালন নকৰিলে। সেইবাবে, যিহোৱাই তেওঁক ত্যাগ কৰিলে আৰু ৰজাৰ পদৰপৰা আঁতৰাই দিলে। (১চমূ. ১৫:২-২৪) যদি আমি চৌলৰ দৰে হʼবলৈ নিবিচাৰোঁ আৰু যিহোৱাৰ আশীৰ্বাদ হেৰুৱাব নিবিচাৰোঁ, তেনেহʼলে আমি দুটা কাম কৰিব লাগিব। প্ৰথমতে, যিহোৱাই যি কৰিবলৈ কয়, সেয়াই সঠিক হয় বুলি আমি বিশ্বাস আৰু ভৰসা কৰিব লাগিব। দ্বিতীয়তে, আমি সকলোতকৈ বেছি যিহোৱাৰ বিশ্বাসী হʼব লাগিব।
মাৰ্চ ২১-২৭
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | ১ চমূৱেল ১৬-১৭
“যুদ্ধ যিহোৱাৰেই”
wp১৬.৪ ১১ ¶২-৩
“युद्ध यहोवा का है”
दाविद ने शाऊल को बताया कि किस तरह उसने शेर और भालू को मार डाला था। क्या वह शेखी मार रहा था? नहीं। दाविद को पता था कि उसने वह लड़ाइयाँ कैसे जीती थीं। उसने कहा, “यहोवा, जिसने मुझे शेर और भालू के पंजों से बचाया था, वही मुझे इस पलिश्ती के हाथ से भी बचाएगा।” आखिर में शाऊल ने उसकी बात मान ली और कहा, “जा, यहोवा तेरे साथ रहे।”—1 शमूएल 17:37.
क्या आप चाहते हैं कि मुश्किलों का सामना करने के लिए आपका भी वैसा ही विश्वास हो, जैसा दाविद का था? ध्यान दीजिए कि दाविद का परमेश्वर पर विश्वास उसके मन की उपज नहीं थी। वह उस पर विश्वास करता था क्योंकि उसने यहोवा के बारे में सीखा था और पहले भी यहोवा ने उसकी मदद की थी। वह जानता था कि यहोवा अपने लोगों की रक्षा करता है और वह हर हाल में अपने वादे निभाता है। अगर हम भी दाविद की तरह बनना चाहते हैं, तो हमें भी यहोवा परमेश्वर के बारे में सीखना होगा। जब हम सीखी हुई बातों पर चलेंगे, तो परमेश्वर पर हमारा यकीन बढ़ेगा और हमें फायदा होगा।—इब्रानियों 11:1.
wp১৬.৪ ১১ ¶৮–১২ ¶১
“युद्ध यहोवा का है”
दाविद ने गोलियात को जो जवाब दिया, वह इतना बढ़िया है कि आज भी उसे पढ़कर लोगों का हौसला बढ़ता है। ज़रा कल्पना कीजिए कि यह नौजवान गोलियात से कह रहा है, “तू तलवार, भाला और बरछी लेकर मुझसे लड़ने आ रहा है, मगर मैं सेनाओं के परमेश्वर यहोवा के नाम से आ रहा हूँ, इसराएल की सेना के परमेश्वर के नाम से जिसे तूने ललकारा है।” दाविद जानता है कि इंसान की ताकत और हथियार परमेश्वर के आगे कोई मायने नहीं रखते। गोलियात ने यहोवा परमेश्वर की बेइज़्ज़ती की थी और यहोवा उसे उसका जवाब ज़रूर देगा। जैसा कि दाविद ने कहा, “युद्ध यहोवा का है।”—1 शमूएल 17:45–47.
दाविद न तो गोलियात से अनजान है और न ही उसके हथियारों से। लेकिन वह उससे बिलकुल नहीं डरा। शाऊल और उसकी सेना ने अपनी तुलना गोलियात से की थी, जिस वजह से वे डर गए थे। लेकिन दाविद ने सोचा कि सारे जहान के मालिक यहोवा के सामने तो गोलियात कुछ भी नहीं, इसलिए वह नहीं डरा। हालाँकि गोलियात करीब 9.5 फुट लंबा है, लेकिन यहोवा की नज़र में वह एक कीड़े जैसा है, जिसे यहोवा बहुत जल्द रौंदनेवाला है।
wp১৬.৪ ১২ ¶৫
“युद्ध यहोवा का है”
आज परमेश्वर के सेवक युद्ध नहीं करते। (मत्ती 26:52) लेकिन हम दाविद की मिसाल पर ज़रूर चल सकते हैं। उसकी तरह हमें यहोवा के बारे में सीखना होगा और उसके मुताबिक चलना होगा। कई बार हमें लग सकता है कि हमारी समस्याएँ बहुत बड़ी हैं, लेकिन यहोवा के लिए वे कुछ भी नहीं हैं। अगर हम दाविद की तरह यहोवा के बताए रास्ते पर चलें और उस पर विश्वास करें, तो कैसी भी चुनौती हो, वह हमें डगमगा नहीं सकती। दुनिया में ऐसी कोई बात या चीज़ नहीं, जिससे यहोवा जीत नहीं सकता।
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
প্ৰথম চমূৱেল কিতাপৰ আলোকপাত
১৬:১৪—চৌলক কেনে দুষ্ট আত্মাই ব্যাকুল কৰিছিল? দুষ্ট আত্মাই চৌলৰ মানসিক শান্তি কাঢ়ি নি মন আৰু হৃদয়, অৰ্থাৎ অন্তৰত বেয়া কৰিবলৈ অনুপ্ৰাণিত কৰিছিল। যিহোৱাই চৌলৰ পৰা নিজৰ পবিত্ৰ আত্মা নিয়াত তেওঁৰ নিজৰ বেয়া মনোবৃত্তিয়ে প্ৰভুত্ব কৰিব ধৰিলে। যিহেতু যিহোৱাই পবিত্ৰ আত্মাৰ সলনি সেই আত্মাক অনুমতি দিলে। সেয়েহে সেই আত্মাক ‘যিহোৱাৰ পৰা অহা এক দুষ্ট আত্মা’ বুলি কোৱা হয়।
মাৰ্চ ২৮–এপ্ৰিল ৩
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | ১ চমূৱেল ১৮-১৯
“সফলতা লাভ কৰিলেও নম্ৰ হৈ থাকক”
জীৱনৰ পৰিৱৰ্তনশীল অৱস্থাৰ সন্মুখীন হোৱাৰ সময়ত ঈশ্বৰৰ পবিত্ৰ আত্মাত ভাৰসা ৰাখক
৪ অতি কম সময়ৰ ভিতৰত এই মেৰৰখীয়া লʼৰাজন বিখ্যাত হʼবলগীয়া আছিল। প্ৰথমতে তেওঁক ৰজাৰ দৰবাৰত সেৱা কৰিবলৈ আৰু বীণা বজাবলৈ মতা হʼল। তাৰ পিছত সমুদায় ইস্ৰায়েল ৰাষ্ট্ৰত সন্ত্ৰাস সৃষ্টি কৰা পলেষ্টীয়াবিলাকৰ মহাবীৰ গলিয়াথক তেওঁ বধ কৰিলে। সেনাপতি হিচাবে পলেষ্টীয়াবিলাকৰ বিৰুদ্ধে যুদ্ধ কৰি বিজয়ী হৈছিল আৰু লোকসকলৰ প্ৰিয় হৈ পৰিল। সেইবাবে লোকসকলে তেওঁক প্ৰশংসা কৰি কিছুমান গীত গাইছিল। আনকি ৰজা চৌলৰ দাসবিলাকৰ এজনে দায়ূদক কেৱল নিপুণ ‘বীণা বজাওঁতাই’ নহয় কিন্তু “পৰাক্ৰমী বীৰ, যুদ্ধাৰু, কথা কোৱাত বিবেচক, আৰু ৰূপৱান আৰু যিহোৱা তেওঁৰ লগত আছে” বুলিও কৈছিল।—১ চমূৱেল ১৬:১৮; ১৭:২৩, ২৪, ৪৫-৫১; ১৮:৫-৭.
w১৮.০১ ২৮ ¶৬-৭
क्या आप लोगों में फर्क देख पा रहे हैं?
6 कुछ लोग खूबसूरत होते हैं, उनके पास संगीत का हुनर, ताकत और ओहदा होता है, यही नहीं सब उन्हें बहुत पसंद करते हैं। इन वजहों से उनमें घमंड आ जाता है। दाविद के पास यह सबकुछ था फिर भी वह नम्र बना रहा। जब उसने गोलियात को मार गिराया तो राजा शाऊल ने अपनी बेटी की शादी उससे करानी चाही। मगर गौर कीजिए कि दाविद ने क्या कहा। उसने कहा, “मैं क्या हूँ, इसराएल में मेरे पिता के घराने और रिश्तेदारों की हैसियत ही क्या है जो मैं राजा का दामाद बनूँ?” (1 शमू. 18:18) किस वजह से दाविद नम्र बना रहा? वह अच्छी तरह जानता था कि उसके पास जो गुण, काबिलीयतें और सम्मान हैं वे यहोवा की वजह से ही उसे मिले हैं। यहोवा ने नम्र होकर उस पर ध्यान दिया और उसकी मदद की। (भज. 113:5–8) दाविद को एहसास था कि उसके पास जो भी अच्छी चीज़ें हैं, वे सब उसने यहोवा से पायी हैं।—1 कुरिंथियों 4:7 से तुलना कीजिए।
7 दाविद की तरह आज यहोवा के लोग भी नम्र रहने की कोशिश करते हैं। लेकिन सवाल है, किन बातों को ध्यान में रखने से हम नम्र रह सकते हैं? ज़रा सोचिए, यहोवा पूरे जहान में सबसे महान है फिर भी वह खुद को नम्र करता है। यह बात हमें नम्र रहने का बढ़ावा देती है। (भज. 18:35) इसके अलावा, हम इस सलाह पर चलने की कोशिश करते हैं, “करुणा से भरपूर गहरे लगाव, कृपा, नम्रता, कोमलता और सब्र का पहनावा पहन लो।” (कुलु. 3:12) हम यह भी जानते हैं कि प्यार “डींगें नहीं मारता, घमंड से नहीं फूलता।” (1 कुरिं. 13:4) हो सकता है, हमारी नम्रता देखकर दूसरे यहोवा के बारे में जानना चाहें। जी हाँ, जिस तरह एक अविश्वासी पति अपनी मसीही पत्नी का अच्छा चालचलन देखकर यहोवा के बारे में जानना चाहे, उसी तरह लोग यहोवा के सेवकों की नम्रता देखकर उसकी ओर खिंचे चले आएँ।—1 पत. 3:1, 2.
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
it–২ ৬৯৫-৬৯৬
ভৱিষ্যতবক্তা
প্ৰাচীন সময়ত যেতিয়া যিহোৱাৰ পবিত্ৰ আত্মা ভৱিষ্যতবক্তাৰ ওপৰত ‘স্থিতি হৈছিল,’ তেতিয়া তেওঁলোকে ভৱিষ্যতবাণী কৰিছিল। (যিহি ১১:৪, ৫; মীখা ৩:৮) এনে পৰিস্থিতিত তেওঁলোকৰ কথা আৰু ব্যৱহাৰ সাধাৰণ লোকসকলতকৈ বেলেগ হৈছিল আৰু কেতিয়াবা কেতিয়াবা তেওঁলোকে আচৰিত ধৰণে ব্যৱহাৰ কৰিছিল। সেইবাবে, কিছুমান লোকে যেতিয়া আচৰিত ধৰণে ব্যৱহাৰ কৰিছিল, তেতিয়া তেওঁলোকৰ বিষয়ে এইদৰে কোৱা হৈছিল, তেওঁলোকে ‘ভাববাদীৰ’ দৰে ব্যৱহাৰ কৰিছে। (১চমূ ১০:৬-১১; ১৯:২০-২৪; যিৰি ২৯:২৪-৩২; অনুগ্ৰহ কৰি পাঁচ ২:৪, ১২-১৭; ৬:১৫; ৭:৫৫ পদৰ লগত তুলনা কৰক।) যেতিয়া চৌলৰ ওপৰত পবিত্ৰ আত্মা আহিল আৰু তেওঁ ‘ভাববাদীৰ’ দৰে ব্যৱহাৰ কৰিবলৈ ধৰিলে, তেতিয়া তেওঁ নিজৰ কাপোৰ সোলোকাই দিলে আৰু তেওঁ “গোটেই ৰাতি গোটেই দিন উদং গাৰে পৰি থাকিল।” (১চমূ ১৯:১৮–২০:১) ইয়াৰ অৰ্থ এইটো নহয় যে ভৱিষ্যবক্তাসকলে প্ৰায়ে উদং গাৰে থাকিছিল। ভৱিষ্যতবক্তাসকলে উদং গাৰে থকাৰ বিষয়ে বাইবেলৰ কম পদতহে উল্লেখ আছে। গতিকে চৌলে নিজৰ কাপোৰ কিয় সোলোকাই পেলালে? বাইবেলত ইয়াৰ কাৰণ স্পষ্টকৈ উল্লেখ কৰা নাই। ইয়াৰপৰা হয়তো এয়া প্ৰকাশ হʼল যে তেওঁ এজন সাধাৰণ ব্যক্তি হয়, কিয়নো তেওঁ ৰাজকীয় পোছাক পিন্ধা নাছিল। অথবা এয়া প্ৰকাশ হʼল যে যিহোৱাৰ শক্তি আৰু অধিকাৰ ওচৰত তেওঁ একোৱেই নহয় আৰু যিহোৱাই যি বিচাৰে সেয়াই তেওঁক কৰোৱাব পাৰে।
এপ্ৰিল ৪-১০
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | ১ চমূৱেল ২০-২২
“ভাল বন্ধু হওক”
w১৯.১১ ৭ ¶১৮
अंत आने से पहले अच्छे दोस्त बनाइए
18 आज हमारे भाई-बहन अलग-अलग मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। कुछ लोग प्राकृतिक विपत्तियों की मार सह रहे हैं, तो कुछ युद्धों की वजह से तकलीफें झेल रहे हैं। ऐसे में हममें से कुछ लोग शायद इन भाई-बहनों को अपने घर ठहराएँ या फिर पैसे दान करके इनकी मदद करें। चाहे हम इन तरीकों से मदद कर पाएँ या नहीं, लेकिन एक चीज़ हम सभी कर सकते हैं। हम यहोवा से इन भाई-बहनों के लिए प्रार्थना कर सकते हैं। कई बार हमें पता चलता है कि कोई भाई या बहन निराश है, मगर हमें समझ में नहीं आता कि हम उससे क्या कहें या क्या करें। ऐसे में भी हम उसकी बहुत मदद कर सकते हैं। जैसे, हम उसके साथ वक्त बिता सकते हैं, उसकी बात सुनकर उसे समझने की कोशिश कर सकते हैं या फिर उसे बाइबल से अपनी मनपसंद आयत बता सकते हैं। (यशा. 50:4) सौ बात की एक बात: जब हमारे दोस्तों को हमारी ज़रूरत होती है, तो हमें उनका साथ देना चाहिए।—नीतिवचन 17:17 पढ़िए।
w০৮ ২/১৫ ৮ ¶৭
यहोवा के मार्गों पर चलिए
7 परमेश्वर हमसे उम्मीद करता है कि हम भरोसेमंद दोस्त बनें। (नीति. 17:17) राजा शाऊल के बेटे, योनातान को ही लीजिए। जब उसने सुना कि दाविद ने गोलियात को मार गिराया है, तो “[उसके] और दाविद के बीच गहरी दोस्ती हो गयी और वह अपनी जान के बराबर दाविद से प्यार करने लगा।” (1 शमू. 18:1, 3) इसके बाद से वह दाविद का जिगरी दोस्त बन गया। उनकी दोस्ती इतनी गहरी थी कि जब योनातान को पता चला कि उसका पिता शाऊल दाविद को जान से मार डालना चाहता है, तो उसने दाविद को खबरदार किया। दाविद के भाग जाने के बाद योनातान उससे मिला और उसके साथ एक वाचा बाँधी। एक बार तो जब योनातान ने अपने पिता से दाऊद के बारे में बात की, तब योनातान शाऊल के हाथों मरने से बाल-बाल बच गया। इतना सबकुछ होने के बाद भी ये दोनों दोस्त दोबारा मिले और अपनी दोस्ती को और भी गहरा किया। (1 शमू. 20:24-41) जब वे आखिरी बार मिले, तो योनातान ने “यहोवा पर” दाविद का भरोसा और बढ़ाया।—1 शमू. 23:16-18.
w০৯ ১০/১৫ ১৯ ¶১১
बेवफा दुनिया में वफा निभाना
11 वफादार रहिए। सुलैमान ने लिखा, “सच्चा दोस्त हर समय प्यार करता हैऔर मुसीबत की घड़ी में भाई बन जाता है।” (नीति. 17:17) ये शब्द लिखते वक्त सुलैमान को शायद अपने पिता दाविद और उसके जिगरी दोस्त योनातान का खयाल आया हो। (1 शमू. 18:1) राजा शाऊल का यह अरमान था कि उसका बेटा योनातान ही इसराएल की गद्दी पर बैठे। मगर योनातान जानता था कि यहोवा, दाविद को यह सम्मान देनेवाला है और उसने यह बात कबूल भी की। इसलिए जब लोग दाविद की तारीफ करते थे, तो योनातान अपने पिता शाऊल की तरह नहीं कुड़कुड़ाता था। और जब शाऊल ने दाविद के बारे में झूठी अफवाहें फैलायीं, तो योनातान ने अपने पिता की बातों पर यकीन नहीं किया। (1 शमू. 20:24-34) क्या हम योनातान की तरह हैं? जब हमारे दोस्तों को मंडली में कोई खास सम्मान मिलता है, तो क्या हम दिल से उनके लिए खुश होते हैं? जब उन पर कोई मुसीबत आती है, तो क्या हम उनकी मदद करते हैं और उन्हें दिलासा देते हैं? जब कोई उनके खिलाफ कुछ कहता है, तो क्या हम आँख मूँदकर उसका यकीन कर लेते हैं? या क्या हम योनातान की तरह अपने दोस्तों के वफादार रहते हैं और उनके बचाव में बात करते हैं?
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
প্ৰথম চমূৱেল কিতাপৰ আলোকপাত
২১:১২, ১৩. আমি আমাৰ মানসিক শক্তি আৰু সক্ষমতাৰে জীৱনৰ কঠিন পৰিস্থিতিৰ সৈতে সম্মুখীন হোৱাটো যিহোৱাই অপেক্ষা কৰে। কিয়নো যিহোৱাই আমাক তেওঁৰ প্ৰেৰিত বাক্য, সময়মতে জ্ঞান আৰু ভাৱশক্তি প্ৰদান কৰিছে। তদুপৰি আমি প্ৰকৃত খ্ৰীষ্টান মণ্ডলীত নিযুক্তি কৰা প্ৰাচীনসকলৰ সহায় লোৱা আৱশ্যক।
এপ্ৰিল ১৮-২৪
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | ১ চমূৱেল ২৩-২৪
“যিহোৱালৈ অপেক্ষা কৰক”
জীৱনত পৰিৱৰ্তনশীল অৱস্থাৰ সম্মুখীন হোৱাৰ সময়ত ঈশ্বৰৰ পবিত্ৰ আত্মাত ভাৰসা ৰাখক
৮ কিন্তু দায়ূদে তেনেদৰে কৰিবলৈ অমান্তি হʼল। বৰঞ্চ, তেওঁ বিশ্বাসৰ অনুসাৰে চলি ধৈৰ্য্যশীল হৈ সেই বিষয়টো যিহোৱাৰ ওপৰত এৰি দিলে। চৌলে গুহাৰ পৰা ওলাই অহাৰ পিছত দায়ূদে মাত লগাই এইদৰে কৈছিল: “মোৰ আপোনাৰে মাজত যিহোৱাই বিচাৰ কৰিব, আৰু যিহোৱাই মোৰ নিমিত্তে আপোনাৰ ওপৰত প্ৰতিকাৰ সাধিব; কিন্তু মোৰ হাত আপোনাৰ অহিতে নহব।” (১ চমূৱেল ২৪:১২) দায়ূদে যদিও জানিছিল যে চৌলে লোৱা পদক্ষেপ অনুচিত তথাপিও তেওঁ চৌলৰ বিৰুদ্ধে নতুবা কোনো প্ৰতিশোধ বা তিৰস্কাৰপূৰ্ণ ভাৱনা বিকশিত নকৰিছিল। জীৱনৰ বহুতো ক্ষেত্ৰত তেওঁ নিজৰ বিবেকৰ পৰিৱৰ্তে যিহোৱাৰ ওপৰতহে ভাৰসা কৰিছিল।—১ চমূৱেল ২৫:৩২-৩৪; ২৬:১০, ১১.
क्या आपकी ज़िंदगी हालात के बस में है?
तीसरा सबक है कि हम अपने हालात को बदलने के लिए ऐसा कुछ न करें जो बाइबल के मुताबिक गलत हो बल्कि हमेशा यहोवा की बाट जोहते रहें। शिष्य याकूब ने लिखा: “धीरज को अपना पूरा काम करने दो, कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे।” (याकूब 1:4) धीरज को “अपना पूरा काम करने” देना चाहिए। एक परीक्षा को जल्द-से-जल्द खत्म करने के लिए बाइबल की शिक्षा के खिलाफ जाकर कोई काम करने के बजाय हमें उस परीक्षा को पूरे समय तक चलने देना चाहिए। इस तरह हमारा विश्वास परखा और ताया जाएगा। और यह कितना मज़बूत है यह ज़ाहिर हो जाएगा। यूसुफ और दाऊद ने ऐसा ही धीरज दिखाया था। उन्होंने ऐसा हल निकालने की कोशिश नहीं की जिससे यहोवा नाराज़ हो, बल्कि उन्होंने अपने हालात का बेहतरीन ढंग से इस्तेमाल किया। वे यहोवा की बाट जोहते रहे और इसकी उन्हें क्या ही बढ़िया आशीष मिली! आगे चलकर यहोवा ने इन दोनों को अपने लोगों को छुटकारा दिलाने और उनकी अगुवाई करने के लिए इस्तेमाल किया।—उत्पत्ति 41:39-41; 45:5; 2 शमूएल 5:4, 5.
हमारे सामने भी ऐसे हालात आ सकते हैं जिनकी वजह से हम पर शायद बाइबल की शिक्षाओं के खिलाफ जाने की परीक्षा आए। मिसाल के लिए, क्या आप इसलिए निराश हैं क्योंकि आपको सही जीवन साथी नहीं मिल रहा? अगर ऐसा है तो “केवल प्रभु में” शादी करने की यहोवा की आज्ञा तोड़ने की किसी परीक्षा में मत पड़िए। (1 कुरिन्थियों 7:39) क्या आपकी शादी-शुदा ज़िंदगी समस्याओं से घिर चुकी है? तो अलग होने और तलाक लेने के दुनियावी चलन को अपनाने के बजाय अपने साथी के साथ मिलकर इन मुश्किलों से निपटने की कोशिश कीजिए। (मलाकी 2:16; इफिसियों 5:21-33) क्या तंगहाली की वजह से आपको अपने परिवार की देखभाल करने में मुश्किल हो रही है? इस मामले में परमेश्वर की बाट जोहने का मतलब होगा गलत या गैर-कानूनी तरीके से पैसा कमाने से दूर रहना। (भजन 37:25; इब्रानियों 13:18) जी हाँ, हम सभी को अपने हालात का बेहतरीन ढंग से इस्तेमाल करने के लिए पूरी-पूरी कोशिश और मेहनत करनी चाहिए ताकि हमें आशीष देने के लिए यहोवा को कोई वजह मिले। इस दौरान आइए हम समस्याओं के बेहतरीन हल के लिए यहोवा की बाट जोहते रहने का पक्का इरादा रखें।—मीका 7:7.
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
w১৭.১১ ২৭ ¶১১
কোনো কথাই আপোনাক পুৰস্কাৰৰপৰা দূৰ নকৰক
১১ যদি আমাৰ মাজত প্ৰেম আৰু দয়া গুণ থাকে, তেনেহʼলে আমি আনক ঈৰ্ষা নকৰিম। বাইবেলে কৈছে যে, “প্ৰেমে অনেক দিন সহে, মৰমো কৰে; প্ৰেমে ঈৰ্ষা নকৰে।” (১কৰি ১৩:৪) আমাৰ মনত যাতে ঈৰ্ষাৰ ভাবনা নাহে, তাৰ বাবে আমি যিহোৱাৰ দৃষ্টিভংগী ৰখা উচিত। তেওঁৰ দৃষ্টিত আমি একেটা শৰীৰৰ বেলেগ বেলেগ অংগ অৰ্থাৎ মণ্ডলীৰ ভাগ হয়। বাইবেলে কৈছে যে “এক অঙ্গে মৰ্য্যদা পালে, তাৰে সৈতে সকলো অঙ্গ-প্ৰত্যঙ্গে আনন্দ কৰে।” (১কৰি ১২:১৬-১৮, ২৬) সেইবাবে, যেতিয়া কোনো ভায়ে দায়িত্ব লাভ কৰে, তেতিয়া আমি ঈৰ্ষা কৰাৰ পৰিৱৰ্তে আনন্দিত হʼম। ৰজা চৌলৰ পুত্ৰ যোনাথনৰ ভাল উদাহৰণলৈ মন কৰক। তেওঁৰ সলনি দায়ূদক ৰজা হিচাপে বাচনি কৰাৰ সময়ত তেওঁ ঈৰ্ষা কৰা নাছিল। ইয়াৰ পৰিৱৰ্তে তেওঁ দায়ূদক সাহস দিলে আৰু সমৰ্থন কৰিলে। (১চমূ ২৩:১৬-১৮) আমিও যোনাথনৰ দৰে প্ৰেম আৰু দয়া দেখুৱা ব্যক্তি হয়নে?
ভাষণ
w১৯.০৩ ২৩-২৪ ¶১২-১৫
আপুনি যিসকলক শিকাই তেওঁলোকৰ লগত ধৈৰ্য্য ধৰক
১২ তৃতীয় উপায়, আপুনি যিসকলক অধ্যয়ন কৰে, তেওঁলোকৰ লগত ধৈৰ্য্য ধৰক। মনত ৰাখক যে আমি বাইবেলৰ যিবোৰ সত্যতাৰ বিষয়ে ভালদৰে জানোঁ, তাৰে মাজৰ বহুতো বিষয়ে তেওঁলোকে হয়তো কেতিয়াও শুনা নাই। ইয়াৰ উপৰিও বহুতোলোকে নিজৰ ধৰ্মৰ প্ৰতি গভীৰ বিশ্বাস কৰে। তেওঁলোকে ভাবে যে তেওঁলোকৰ বিশ্বাসে তেওঁলোকৰ সংস্কৃতি, পৰিয়াল আৰু সমাজৰ লগত বান্ধি ৰাখে। এনে লোকসকলক আমি কেনেকৈ সহায় কৰিব পাৰোঁ?
১৩ এটা উদাহৰণলৈ মন কৰক। বহু পুৰণি দলঙৰ ঠাইত এখন নতুন দলং নিৰ্মাণ কৰাৰ সময়ত কি কৰা হয়? প্ৰায়ে নতুন দলং নিৰ্মাণ কৰাৰ সময়ত পুৰণি দলঙখন ভাঙি দিয়া নহয়। নতুন দলঙখন নিৰ্মাণ কৰি সম্পূৰ্ণ কৰাৰ পাছতহে পুৰণি দলঙখন ভাঙি দিয়া হয়। ঠিক সেইদৰে লোকসকলে নিজৰ পুৰণি বিশ্বাস এৰি দিয়াৰ আগতে “নতুন” সত্যতাৰ বিষয়ে জানিব লাগিব আৰু তাৰ প্ৰতি প্ৰেম বঢ়াব লাগিব। এই সত্যতাবোৰ বাইবেলৰ এনে শিক্ষা হয়, যাৰ বিষয়ে তেওঁলোকে আগতে নাজানিছিল। এই সত্যতাবোৰৰ প্ৰতি প্ৰেম বঢ়াবলৈ আমি তেওঁলোকক সহায় কৰিব লাগিব। যেতিয়া তেওঁলোকে বাইবেলৰ শিক্ষাবোৰ ভালদৰে বুজি পাব, তেতিয়াহে তেওঁলোকে পুৰণি শিক্ষাবোৰ এৰিব পাৰিব। এইদৰে কৰিবলৈ লোকসকলক সময়ৰ প্ৰয়োজন হʼব পাৰে।—ৰোম ১২:২.
১৪ প্ৰচাৰত লোকসকলৰ লগত কথা পতাৰ সময়ত প্ৰথমবাৰতে তেওঁলোকে সত্যতাৰ বিষয়ে সকলো বুজি পাব বা সত্য গ্ৰহণ কৰিব বুলি আমি আশা নকৰোঁ। সেইসময়ত আমি ধৈৰ্য্য ধৰা উচিত। আমি তেওঁলোকৰ পৰিস্থিতিতিৰ বিষয়ে বুজি শাস্ত্ৰৰপৰা যুক্তি দিম, যাতে তেওঁলোকে বাইবেলৰ কথাবোৰ গভীৰভাৱে চিন্তা কৰিব পাৰে। ধৰি লওক আমি কাৰোবাক এই পৃথিৱীত অনন্ত জীৱন জীয়াই থকাৰ বিষয়ে বুজাব বিচাৰিছোঁ। কিয়নো এই শিক্ষাৰ বিষয়ে বহুতোলোকে একোৱেই নাজানে। তেওঁলোকে ভাৱে যে মৃত্যু হোৱাৰ পাছত এজন ব্যক্তিয়ে পুনৰ জীৱিত হʼব নোৱাৰে বা ভাল লোকসকলে স্বৰ্গলৈ যায়। এনে লোকসকলক আমি কেনেকৈ সহায় কৰিব পাৰোঁ?
১৫ এজন ভায়ে প্ৰচাৰ কেনেকৈ কৰে তাৰ বিষয়ে কৈছে, প্ৰথমে তেওঁ আদিপুস্তক ১:২৮ পদটো পঢ়ি শুনায়। তাৰ পাছত তেওঁ এইদৰে প্ৰশ্ন সোধে, ‘মানৱজাতিয়ে কʼত থকা আৰু কেনেধৰণৰ জীৱন-যাপন কৰাটো ঈশ্বৰে বিচাৰিছিল?’ বেছিভাগ লোকে এইদৰে উত্তৰ দিয়ে, “হয়তো এই পৃথিৱীত আৰু সুখেৰে জীৱন-যাপন কৰাটো।” তাৰ পাছত ভাইজনে যিচয়া ৫৫:১১ পদটো পঢ়ি এইদৰে প্ৰশ্ন সোধে যে ‘তেনেহʼলে ঈশ্বৰৰ উদ্দেশ্য পূৰ নহʼলনে?’ সাধাৰণতে লোকসকলে উত্তৰ দিয়ে যে ‘নহয়।’ অৱশেষত ভাইজনে গীতমালা ৩৭:১০, ১১ পদটো পঢ়ে আৰু মানৱজাতিৰ ভৱিষ্যৎ কেনেকুৱা হʼব, তাৰ বিষয়ে সোধে। এইদৰে যুক্তি দি ভাইজনে বহুতোলোকক এয়া বুজিবলৈ সহায় কৰিলে যে ভাল লোকসকলে সুন্দৰ পৃথিৱীত অনন্ত জীৱন জীয়াই থকাটো ঈশ্বৰে এতিয়াও বিচাৰে।
এপ্ৰিল ২৫– মেʼ ১
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | ১ চমূৱেল ২৫-২৬
“আপুনি নভবা-নিচিন্তাকৈ কাম কৰেনে?”
ia ৭৮ ¶১০-১২
उसने समझ-बूझ से काम लिया
10 ये मेहनती सैनिक इन चरवाहों के साथ कैसे पेश आते थे? वे चाहते तो जब-तब भेड़ों को मारकर खा सकते थे, मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया। इसके बजाय, उन्होंने एक बाड़े की तरह उन चरवाहों और भेड़-बकरियों की हिफाज़त की। (1 शमूएल 25:15, 16 पढ़िए। ) उस ज़माने में भेड़ों और चरवाहों को कई खतरों का सामना करना पड़ता था। जंगली जानवर बहुत हुआ करते थे। ऊपर से इसराएल देश की दक्षिणी सरहद पास थी, इसलिए दूसरे देशों के लुटेरे अकसर हमला बोल देते थे।
11 वीराने में इतने सारे आदमियों को खिलाना दाविद के लिए बहुत मुश्किल रहा होगा। इसलिए उसने नाबाल से मदद लेने की सोची। उसने बुद्धि से काम लेते हुए एक सही दिन चुना और नाबाल के पास अपने 10 दूत भेजे। वह दिन भेड़ों का ऊन कतरने का समय था और ऐसे दिन में आम तौर पर लोग दरियादिली दिखाते और जश्न मनाते थे। दाविद ने अपने आदमियों को यह भी बताया कि उन्हें नाबाल से कैसे अदब से बात करनी है। उसने सोच-समझकर शब्द चुने और बड़ी नम्रता से गुज़ारिश की। उसने खुद को नाबाल का “बेटा” भी कहा। उसने शायद नाबाल को इज़्ज़त देने के लिए ऐसा कहा क्योंकि नाबाल उम्र में उससे बड़ा था। तब नाबाल ने क्या किया?—1 शमू. 25:5–8.
12 उसका गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया! एक जवान सेवक ने, जिसका ज़िक्र लेख की शुरूआत में किया गया है, अबीगैल को बताया कि वह “उन पर बरस पड़ा और उनकी बेइज़्ज़ती की।” कंजूस नाबाल चिल्लाने लगा कि वह अपना अनमोल रोटी-पानी और हलाल किया गोश्त, दाविद के आदमियों पर नहीं लुटाएगा। उसने दाविद के बारे में भी भला-बुरा कहा, मानो वह कोई मामूली इंसान हो। उसने उसकी तुलना एक भगोड़े नौकर से की। नाबाल की राय शायद राजा शाऊल जैसी थी जो दाविद से नफरत करता था। दोनों ही परमेश्वर का नज़रिया नहीं रखते थे। मगर यहोवा दाविद से बहुत प्यार करता था। उसकी नज़र में वह कोई बागी सेवक नहीं बल्कि इसराएल का अगला राजा था।—1 शमू. 25:10, 11, 14.
ia ৮০ ¶১৮
उसने समझ-बूझ से काम लिया
18 दाविद के आदमियों के साथ जो हुआ उसका सारा इलज़ाम अबीगैल ने अपने सिर ले लिया और दाविद से माफी माँगी। उसने माना कि उसका पति वाकई अपने नाम के मुताबिक मूर्ख है। यह कहकर उसने शायद दाविद को सुझाया कि ऐसे आदमी के मुँह लगना उसकी शान के खिलाफ है। उसने दाविद पर भरोसा जताया कि वह यहोवा का चुना हुआ आदमी है और “यहोवा की तरफ से युद्ध करता है।” उसने यह भी बताया कि उसे मालूम है, यहोवा ने दाविद और उसके राज करने के अधिकार के बारे में क्या वादा किया है। उसने कहा, ‘यहोवा तुझे इसराएल का अगुवा ठहराएगा।’ इसके अलावा, उसने दाविद से बिनती की कि वह ऐसा कुछ न करे जिससे वह खून का दोषी ठहरे या बाद में ‘उसका मन उसे धिक्कारे।’ शायद अबीगैल के कहने का यह मतलब था कि बाद में दाविद का ज़मीर उसे कचोट सकता है। (1 शमूएल 25:24–31 पढ़िए। ) है न उसके शब्द सलोने और दिल को छू लेनेवाले!
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
ia ৭৯ ¶১৬
তাই বুদ্ধিমত্তাৰে কাম কৰিলে
১৬ অবীগলে নিজৰ স্বামীৰ মুৰব্বীৰ বিৰুদ্ধে বিদ্ৰোহ কৰিছিলনে? নিশ্চয় নহয়। নাবলে যিহোৱাৰ অভিষিক্ত সেৱকৰ লগত দুষ্টতাৰে ব্যৱহাৰ কৰাৰ বাবে তেওঁৰ ঘৰৰ সকলো নিৰ্দোষী লোকসকলৰ জীৱন বিপদত পৰিছিল। এনে পৰিস্থিতিত তাই পদক্ষেপ নোলোৱা হʼলে তাইৰ স্বামীয়ে কৰা ভুলৰ তাই সহভাগী হʼলহেঁতেন। কেৱল ইমানেই নহয়, এনে পৰিস্থিতিত তাই নিজৰ স্বামীতকৈ ঈশ্বৰৰ অধীনত থকাটো তাইৰ কৰ্তব্য আছিল।