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    गवाही दो, पेज 31

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    3/2020, पेज 31

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    गवाही दो, पेज 31

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    गवाही दो, पेज 35

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    प्रेषि 4:5 शास्त्री, यीशु के ज़माने में परमेश्‍वर के कानून का मतलब समझानेवाले और इसके शिक्षक थे।

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    प्रेषि 4:9 या, “इसका उद्धार हुआ है।”

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    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 11/2018, पेज 6

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2011, पेज 12-13

    7/15/2000, पेज 14

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  • खोजबीन गाइड

    एकमात्र सच्चा परमेश्‍वर, पेज 37-38

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    5/15/2008, पेज 30-31

    5/1/2006, पेज 22-23

    सजग होइए!,

    4/8/1998, पेज 25

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (मत्ती-कुलु), पेज 14

प्रेषितों 4:15

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    प्रेषि 4:15 मत्ती 26:59 फुटनोट देखें।

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    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 22

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    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2004, पेज 16-17

प्रेषितों 4:26

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    प्रेषि 4:26 या, “उसके मसीह।”

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2004, पेज 16-17

प्रेषितों 4:27

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  • *

    प्रेषि 4:27 लूका 3:1 फुटनोट देखें।

प्रेषितों 4:29

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  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 34-35

    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/1990, पेज 28

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/1991, पेज 31-32

प्रेषितों 4:34

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    9/1/1987, पेज 28

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    9/1/1987, पेज 28

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    प्रहरीदुर्ग,

    4/15/1998, पेज 20

    12/1/1990, पेज 28

प्रेषितों 4:37

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    प्रहरीदुर्ग,

    4/15/1998, पेज 20

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नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
प्रेषितों 4:1-37

प्रेषितों

4 जब ये दोनों, लोगों को ये बातें बता रहे थे, तभी प्रधान याजक और मंदिर के पहरेदारों का सरदार और सदूकी वहाँ आ धमके। 2 वे इस बात से चिढ़ गए थे कि पतरस और यूहन्‍ना लोगों को सिखा रहे हैं और यीशु की मिसाल दे-देकर मरे हुओं के जी उठने का सरेआम ऐलान कर रहे हैं। 3 और उन्होंने पतरस और यूहन्‍ना को पकड़ लिया और शाम हो जाने की वजह से उन्हें अगले दिन तक हिरासत में रखा। 4 मगर जिन लोगों ने वह भाषण सुना था, उनमें से बहुतों ने विश्‍वास किया और चेलों में आदमियों की गिनती करीब पाँच हज़ार तक पहुँच गयी।

5 अगले दिन यरूशलेम में यहूदियों के धर्म-अधिकारी, बुज़ुर्ग और शास्त्री* जमा हुए। 6 (उनमें प्रधान याजक हन्‍ना और कैफा और यूहन्‍ना और सिकंदर भी थे, यहाँ तक कि प्रधान याजक के सभी भाई-बंधु वहाँ मौजूद थे) 7 उन्होंने पतरस और यूहन्‍ना को अपने बीच खड़ा कर उनसे पूछताछ करनी शुरू की: “तुमने किस अधिकार से या किसके नाम से यह काम किया है?” 8 तब पतरस ने परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति से भरकर उनसे कहा:

“धर्म-अधिकारियो और बुज़ुर्गो सुनो, 9 अगर आज के दिन इस अपाहिज आदमी का भला करने की वजह से हमसे पूछताछ की जा रही है कि हमने किसका नाम लेकर इसे ठीक किया है,* 10 तो तुम सब और इस्राएल के सभी लोग यह जान लें कि यीशु मसीह नासरी के नाम से, जिसे तुमने सूली पर ठोंक दिया था, मगर जिसे परमेश्‍वर ने मरे हुओं में से ज़िंदा किया, उसी के नाम से यह आदमी यहाँ तुम्हारे सामने भला-चंगा खड़ा है। 11 यीशु ही ‘वह पत्थर है जिसे तुम राजमिस्त्रियों ने बेकार समझा और वही कोने का मुख्य पत्थर बन गया है।’ 12 यह भी जान लो कि किसी और के ज़रिए उद्धार नहीं है, क्योंकि परमेश्‍वर ने हमें उद्धार दिलाने के लिए धरती पर इंसानों में कोई और नाम नहीं चुना।”

13 जब उन्होंने देखा कि पतरस और यूहन्‍ना कैसे बेधड़क होकर बोल रहे हैं, और यह जाना कि ये कम पढ़े-लिखे, मामूली आदमी हैं, तो वे ताज्जुब करने लगे। फिर वे जान गए कि ये लोग यीशु के साथ रहा करते थे। 14 यह देखते हुए कि वह आदमी जिसे पतरस और यूहन्‍ना ने ठीक किया था, उनके साथ ही खड़ा है, उनके पास उनके खिलाफ कहने के लिए कुछ न रहा। 15 इसलिए उन्होंने पतरस और यूहन्‍ना को महासभा* के भवन से बाहर जाने का हुक्म दिया और फिर वे आपस में एक-दूसरे से मशविरा करने लगे, 16 और कहने लगे: “हम इन आदमियों के साथ क्या करें? क्योंकि वाकई इनके हाथों एक बड़ा चमत्कार हुआ है, जिसे यरूशलेम के सब रहनेवालों ने देखा है; और हम इसे झुठला नहीं सकते। 17 फिर भी यह बात और लोगों में दूर-दूर तक न फैले, इसलिए आओ हम इन्हें धमकाएँ कि वे इस नाम को लेकर फिर कभी किसी से बात न करें।”

18 तब उन्होंने उनको बुलाकर सख्ती से कहा कि वे यीशु के नाम को लेकर कहीं कोई बात न करें और न ही कोई शिक्षा दें। 19 मगर पतरस और यूहन्‍ना ने उन्हें जवाब दिया: “क्या परमेश्‍वर की नज़र में यह सही होगा कि हम उसकी बात मानने के बजाय तुम्हारी सुनें, तुम खुद फैसला करो। 20 मगर जहाँ तक हमारी बात है, हम उन बातों के बारे में बोलना नहीं छोड़ सकते जो हमने देखी और सुनी हैं।” 21 उन्होंने पतरस और यूहन्‍ना को एक बार फिर धमकाकर छोड़ दिया, क्योंकि उन्हें सज़ा देने की कोई वजह न मिली। साथ ही अधिकारियों को लोगों का भी डर था, क्योंकि जो कुछ हुआ था, उसे लेकर वे सभी परमेश्‍वर की महिमा कर रहे थे; 22 और जो आदमी इस चमत्कार से चंगा हुआ था, उसकी उम्र चालीस साल से ज़्यादा थी।

23 वहाँ से छूटकर पतरस और यूहन्‍ना अपने लोगों के पास गए और उन सारी बातों की उन्हें खबर दी जो प्रधान याजकों और बुज़ुर्गों ने उनसे कही थीं। 24 यह सुनने के बाद उन सभी ने एक मन होकर ऊँची आवाज़ में परमेश्‍वर से यह बिनती की:

“हे सारे जहान के महाराजा और मालिक, तू ही ने आकाश और पृथ्वी और समुद्र और उनमें की सब चीज़ों को बनाया है, 25 और तू ने पवित्र शक्‍ति के ज़रिए हमारे पुरखे, अपने सेवक दाविद के मुँह से कहलवाया, ‘राष्ट्रों में खलबली क्यों मची हुई है और लोग क्यों खोखली बातों के बारे में बड़बड़ा रहे हैं? 26 यहोवा और उसके अभिषिक्‍त जन* के खिलाफ इस पृथ्वी के राजा खड़े हुए और अधिकारियों ने मिलकर उनके खिलाफ मोर्चा बाँधा है।’ 27 और सचमुच ऐसा ही हुआ। राजा हेरोदेस* और पुन्तियुस पीलातुस दोनों, गैर-यहूदियों और इस्राएल की जनता के साथ मिलकर इस शहर में तेरे पवित्र सेवक यीशु के खिलाफ इकट्ठा हुए, जिसका तू ने अभिषेक किया, 28 ताकि उसके साथ वह सब करें जो तेरी शक्‍ति और तेरी इच्छा ने पहले से ठहराया था। 29 और अब हे यहोवा, उनकी धमकियों पर ध्यान दे और अपने दासों को यह वरदान दे कि वे पूरी तरह निडर होकर तेरा वचन सुनाते रहें, 30 जबकि तू अपना हाथ बढ़ाकर चंगाई करता रहे और तेरे पवित्र सेवक यीशु के नाम के ज़रिए चमत्कार और आश्‍चर्य के काम होते रहें।”

31 और जब वे गिड़गिड़ाकर मिन्‍नत कर चुके, तो वह जगह जहाँ वे इकट्ठा थे, काँप उठी; और वे सब-के-सब पवित्र शक्‍ति से भर गए और निडर होकर परमेश्‍वर का वचन सुनाने लगे।

32 और विश्‍वास करनेवाले तमाम लोग एक दिल और एक जान थे, और उनमें से एक भी ऐसा न था जो अपनी संपत्ति को अपनी कहता हो; बल्कि सब चीज़ों में सबका साझा था। 33 साथ ही प्रेषित, प्रभु यीशु के मरे हुओं में से जी उठने के बारे में बड़े ज़बरदस्त ढंग से गवाही देते रहे; और उन सब पर परमेश्‍वर की अपार महा-कृपा बनी रही। 34 सच तो यह है कि उनमें ऐसा कोई भी न था जो तंगी में हो; क्योंकि जितनों के पास ज़मीन या घर थे, वे उन्हें बेच देते और बिक्री से मिलनेवाली रकम लाकर 35 प्रेषितों के पैरों पर रख देते थे। और फिर जिसकी जैसी ज़रूरत होती, उसके मुताबिक उनके बीच बाँट दिया जाता था। 36 यूसुफ, जिसे प्रेषितों ने बरनबास नाम दिया था, जिसका मतलब “दिलासे का बेटा” है, कुप्रुस का रहनेवाला लेवी था। 37 उसके पास ज़मीन का एक टुकड़ा था, जिसे उसने बेच दिया और रकम लाकर प्रेषितों के पैरों पर रख दी।

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