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  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद

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इब्रानियों का सारांश

      • जानवरों का बलिदान पापों को नहीं मिटा सका (1-4)

        • कानून बस एक छाया (1)

      • मसीह का बलिदान एक बार हमेशा के लिए (5-18)

      • एक नयी और जीवित राह (19-25)

        • एक-दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें (24, 25)

      • जानबूझकर पाप करने से खबरदार (26-31)

      • धीरज धरने का भरोसा और विश्‍वास (32-39)

इब्रानियों 10:1

फुटनोट

  • *

    या शायद, “ये आदमी।”

संबंधित आयतें

  • +कुल 2:16, 17; इब्र 8:5
  • +इब्र 7:19; 9:9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2000, पेज 17

इब्रानियों 10:2

फुटनोट

  • *

    शा., “पवित्र सेवा करनेवाले।”

इब्रानियों 10:3

संबंधित आयतें

  • +लैव 16:34

इब्रानियों 10:5

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए),

    अंक 6 2017, पेज 8

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2000, पेज 18

    7/1/1996, पेज 14

इब्रानियों 10:6

संबंधित आयतें

  • +भज 40:6

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2000, पेज 18

इब्रानियों 10:7

फुटनोट

  • *

    शा., “किताब के खर्रे में।”

संबंधित आयतें

  • +भज 40:8

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/15/2012, पेज 28

    8/15/2000, पेज 18

    3/1/1995, पेज 14

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (2इति–यशा), पेज 18

इब्रानियों 10:9

संबंधित आयतें

  • +भज 40:6-8

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 10/2017, पेज 1

इब्रानियों 10:10

संबंधित आयतें

  • +गल 1:4
  • +इब्र 13:12

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    7/2020, पेज 31

    प्रहरीदुर्ग,

    7/1/1996, पेज 15

इब्रानियों 10:11

फुटनोट

  • *

    या “जन-सेवा।”

संबंधित आयतें

  • +1शम 2:27, 28
  • +निर्ग 29:38; गि 28:3
  • +इब्र 7:18; 10:1

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    11/15/2000, पेज 11

इब्रानियों 10:12

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  • +रोम 8:34

इब्रानियों 10:13

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  • +भज 110:1; 1कुर 15:25

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  • खोजबीन गाइड

    सर्वदा जीवित रहिए, पेज 136-137

इब्रानियों 10:14

संबंधित आयतें

  • +इब्र 7:19

इब्रानियों 10:16

फुटनोट

  • *

    अति. क5 देखें।

संबंधित आयतें

  • +यिर्म 31:33; इब्र 8:10

इब्रानियों 10:17

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  • +यिर्म 31:34; इब्र 8:12

इब्रानियों 10:19

फुटनोट

  • *

    या “का भरोसा मिला।”

संबंधित आयतें

  • +इब्र 9:8, 24

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    10/2023, पेज 28

इब्रानियों 10:20

फुटनोट

  • *

    शा., “का उद्‌घाटन किया।”

संबंधित आयतें

  • +मत 27:51

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    10/2023, पेज 28

    प्रहरीदुर्ग,

    1/15/2000, पेज 15-16

    7/1/1996, पेज 15-16

इब्रानियों 10:21

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  • +जक 6:13; इब्र 3:6

इब्रानियों 10:22

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  • +1यूह 1:7
  • +इफ 5:25, 26

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2000, पेज 19-20

इब्रानियों 10:23

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  • +1कुर 15:58; कुल 1:23

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2000, पेज 20-21

    12/15/1999, पेज 23

    3/1/1988, पेज 23

इब्रानियों 10:24

फुटनोट

  • *

    या “का खयाल रखें; पर ध्यान दें।”

  • *

    या “जोश बढ़ाएँ; उभारें।”

संबंधित आयतें

  • +कुल 3:23; 1ती 6:18

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 10

    यहोवा की मरज़ी, पाठ 6

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2013, पेज 19-21

    3/15/2013, पेज 16

    7/1/2009, पेज 18

    3/15/2002, पेज 24-25

    8/15/2000, पेज 21-22

    12/15/1999, पेज 22-23

    3/15/1999, पेज 11

    3/1/1998, पेज 14-19

    4/1/1995, पेज 15-18, 20

    ज्ञान, पेज 163

इब्रानियों 10:25

फुटनोट

  • *

    यानी सभाओं में आना।

संबंधित आयतें

  • +व्य 31:12; प्रेष 2:42
  • +यश 35:3; रोम 1:11, 12
  • +रोम 13:11; 2पत 3:11, 12

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 10

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    4/2018, पेज 20-24

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 3/2021, पेज 3-4

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    11/2016, पेज 7

    सजग होइए!,

    1/8/1998, पेज 27

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2013, पेज 19, 21-22

    7/1/2009, पेज 18

    11/15/2002, पेज 4, 6-8

    3/15/2002, पेज 24-25

    3/1/2002, पेज 16

    8/15/2000, पेज 21-22

    3/15/2000, पेज 16-17

    12/15/1999, पेज 22-23

    11/15/1999, पेज 20

    3/1/1998, पेज 14-19

    4/1/1995, पेज 15-16, 18-20

    11/1/1993, पेज 31-32

    3/1/1991, पेज 15-18, 19-20

    राज-सेवा,

    6/1990, पेज 3

इब्रानियों 10:26

संबंधित आयतें

  • +2पत 2:21
  • +मत 12:32; इब्र 6:4-6; 1यूह 5:16

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/2009, पेज 10

    3/1/1993, पेज 20

इब्रानियों 10:27

संबंधित आयतें

  • +यश 26:11

इब्रानियों 10:28

संबंधित आयतें

  • +व्य 17:6

इब्रानियों 10:29

संबंधित आयतें

  • +मत 26:27, 28; लूक 22:20
  • +इब्र 6:4-6

इब्रानियों 10:30

फुटनोट

  • *

    अति. क5 देखें।

संबंधित आयतें

  • +व्य 32:35, 36

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/2009, पेज 10

इब्रानियों 10:32

संबंधित आयतें

  • +2कुर 4:6; इब्र 6:4

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/1999, पेज 17

    1/1/1998, पेज 9

    12/1/1996, पेज 29-31

इब्रानियों 10:33

फुटनोट

  • *

    शा., “मानो रंगशाला में तमाशा बनाया गया।”

  • *

    या “साथ खड़े हुए।”

इब्रानियों 10:34

संबंधित आयतें

  • +मत 5:12
  • +लूक 16:9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    9/1/2007, पेज 16-17

    1/1/2006, पेज 22-23

    5/1/2001, पेज 13-14

इब्रानियों 10:35

संबंधित आयतें

  • +मत 10:32; 1कुर 15:58

इब्रानियों 10:36

संबंधित आयतें

  • +लूक 21:19; याकू 5:11

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    6/15/2015, पेज 30-31

    4/1/1996, पेज 32

इब्रानियों 10:37

संबंधित आयतें

  • +यश 26:20
  • +हब 2:3; 2पत 3:9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    4/2023, पेज 30-31

इब्रानियों 10:38

संबंधित आयतें

  • +यूह 3:16; रोम 1:17
  • +हब 2:4

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    2/1/2000, पेज 15

    12/15/1999, पेज 20-21

इब्रानियों 10:39

संबंधित आयतें

  • +2पत 2:20

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/2006, पेज 18

    12/15/1999, पेज 14-24

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (2इति–यशा), पेज 4

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

इब्रा. 10:1कुल 2:16, 17; इब्र 8:5
इब्रा. 10:1इब्र 7:19; 9:9
इब्रा. 10:3लैव 16:34
इब्रा. 10:6भज 40:6
इब्रा. 10:7भज 40:8
इब्रा. 10:9भज 40:6-8
इब्रा. 10:10गल 1:4
इब्रा. 10:10इब्र 13:12
इब्रा. 10:111शम 2:27, 28
इब्रा. 10:11निर्ग 29:38; गि 28:3
इब्रा. 10:11इब्र 7:18; 10:1
इब्रा. 10:12रोम 8:34
इब्रा. 10:13भज 110:1; 1कुर 15:25
इब्रा. 10:14इब्र 7:19
इब्रा. 10:16यिर्म 31:33; इब्र 8:10
इब्रा. 10:17यिर्म 31:34; इब्र 8:12
इब्रा. 10:19इब्र 9:8, 24
इब्रा. 10:20मत 27:51
इब्रा. 10:21जक 6:13; इब्र 3:6
इब्रा. 10:221यूह 1:7
इब्रा. 10:22इफ 5:25, 26
इब्रा. 10:231कुर 15:58; कुल 1:23
इब्रा. 10:24कुल 3:23; 1ती 6:18
इब्रा. 10:25व्य 31:12; प्रेष 2:42
इब्रा. 10:25यश 35:3; रोम 1:11, 12
इब्रा. 10:25रोम 13:11; 2पत 3:11, 12
इब्रा. 10:262पत 2:21
इब्रा. 10:26मत 12:32; इब्र 6:4-6; 1यूह 5:16
इब्रा. 10:27यश 26:11
इब्रा. 10:28व्य 17:6
इब्रा. 10:29मत 26:27, 28; लूक 22:20
इब्रा. 10:29इब्र 6:4-6
इब्रा. 10:30व्य 32:35, 36
इब्रा. 10:322कुर 4:6; इब्र 6:4
इब्रा. 10:34मत 5:12
इब्रा. 10:34लूक 16:9
इब्रा. 10:35मत 10:32; 1कुर 15:58
इब्रा. 10:36लूक 21:19; याकू 5:11
इब्रा. 10:37यश 26:20
इब्रा. 10:37हब 2:3; 2पत 3:9
इब्रा. 10:38यूह 3:16; रोम 1:17
इब्रा. 10:38हब 2:4
इब्रा. 10:392पत 2:20
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
  • अध्ययन बाइबल (nwtsty) में पढ़िए
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र (bi7) में पढ़िए
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
इब्रानियों 10:1-39

इब्रानियों के नाम चिट्ठी

10 कानून आनेवाली अच्छी बातों की बस एक छाया है,+ मगर असलियत नहीं। यह* साल-दर-साल चढ़ाए जानेवाले एक ही तरह के बलिदानों से परमेश्‍वर की उपासना करनेवालों को कभी परिपूर्ण नहीं बना सकता।+ 2 अगर ऐसा होता तो क्या बलिदान चढ़ाना बंद नहीं हो जाता? क्योंकि बलिदान लानेवाले* जब एक बार शुद्ध हो जाते, तो उन्हें फिर कभी पापी होने का एहसास नहीं रहता। 3 इसके बजाय, इन बलिदानों से लोगों को साल-दर-साल उनके पाप याद दिलाए जाते हैं+ 4 क्योंकि यह मुमकिन नहीं कि बैलों और बकरों का खून पापों को मिटा सके।

5 इसलिए जब मसीह दुनिया में आया तो उसने कहा, “‘तूने बलिदान और चढ़ावा नहीं चाहा, मगर तूने मेरे लिए एक शरीर तैयार किया। 6 तूने न होम-बलियों को मंज़ूर किया न पाप-बलियों को।’+ 7 तब मैंने कहा, ‘हे परमेश्‍वर, देख! मैं तेरी मरज़ी पूरी करने आया हूँ (ठीक जैसे खर्रे में* मेरे बारे में लिखा है)।’”+ 8 कानून के मुताबिक चढ़ाए जानेवाले बलिदानों के बारे में पहले वह कहता है, “तूने बलिदान और चढ़ावे और होम-बलियाँ और पाप-बलियाँ नहीं चाहीं और न ही उन्हें मंज़ूर किया।” 9 फिर वह कहता है, “देख! मैं तेरी मरज़ी पूरी करने आया हूँ।”+ वह पहले इंतज़ाम को खत्म कर देता है ताकि दूसरा इंतज़ाम शुरू करे। 10 जिस “मरज़ी”+ के बारे में उसने कहा, उसी के मुताबिक हमें पवित्र किया गया क्योंकि यीशु मसीह ने एक ही बार हमेशा के लिए अपना शरीर बलि कर दिया।+

11 इसके अलावा, हर याजक पवित्र सेवा* के लिए हर दिन अपनी जगह पर खड़ा होता है+ और बार-बार वही बलिदान चढ़ाता है,+ जो कभी-भी पापों को पूरी तरह नहीं मिटा सकते।+ 12 मगर इस इंसान ने पापों के लिए एक ही बलिदान हमेशा के लिए चढ़ा दिया और परमेश्‍वर के दाएँ हाथ जा बैठा।+ 13 तब से वह उस वक्‍त का इंतज़ार कर रहा है जब उसके दुश्‍मनों को उसके पाँवों की चौकी बना दिया जाएगा।+ 14 उसने एक ही बलिदान चढ़ाकर उन लोगों को हमेशा के लिए परिपूर्ण कर दिया है जो पवित्र किए जा रहे हैं।+ 15 और परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति भी हमें इस बात के सच होने की गवाही देती है, क्योंकि यह पहले कहती है, 16 “यहोवा* कहता है, ‘उन दिनों के बाद मैं उनके साथ यही करार करूँगा। मैं अपने कानून उनके दिलों में डालूँगा और उनके दिमाग पर लिखूँगा।’”+ 17 फिर वह कहती है, “मैं उनके पापों और दुष्ट कामों को फिर कभी याद नहीं करूँगा।”+ 18 जिन पापों की माफी मिल गयी है, उनके लिए दोबारा बलिदान चढ़ाने की ज़रूरत नहीं।

19 तो भाइयो, हमें यीशु के खून के ज़रिए उस राह पर चलने की हिम्मत मिली* है जो पवित्र जगह ले जाती है।+ 20 उसने यह नयी और जीवित राह खोली* है जो परदे को पार करके जाती है+ और यह परदा उसका शरीर है। 21 और हमारे पास ऐसा महान याजक है जो परमेश्‍वर के घराने का अधिकारी है।+ 22 तो आओ हम सच्चे दिल से और पूरे विश्‍वास से परमेश्‍वर के पास जाएँ। क्योंकि हमारे दिलों पर छिड़काव करके हमारे दुष्ट ज़मीर को शुद्ध किया गया है+ और हमारे शरीर को शुद्ध पानी से नहलाया गया है।+ 23 आओ हम बिना डगमगाए अपनी आशा का सब लोगों के सामने ऐलान करते रहें,+ क्योंकि जिसने वादा किया है वह विश्‍वासयोग्य है। 24 और आओ हम एक-दूसरे में गहरी दिलचस्पी लें* ताकि एक-दूसरे को प्यार और भले काम करने का बढ़ावा दे सकें*+ 25 और एक-दूसरे के साथ इकट्ठा होना* न छोड़ें,+ जैसा कुछ लोगों का दस्तूर है बल्कि एक-दूसरे की हिम्मत बँधाएँ।+ और जैसे-जैसे तुम उस दिन को नज़दीक आता देखो, यह और भी ज़्यादा किया करो।+

26 एक बार सच्चाई का सही ज्ञान पाने के बाद अगर हम जानबूझकर पाप करते रहें,+ तो हमारे पापों के लिए कोई बलिदान बाकी नहीं रहता।+ 27 मगर सिर्फ भयानक सज़ा और क्रोध की ज्वाला बाकी रह जाती है जो विरोधियों को भस्म कर देगी।+ 28 जो इंसान कानून तोड़ता है उसे दो या तीन गवाहों के बयान पर मार डाला जाता है और उस पर दया नहीं की जाती।+ 29 तो सोचो कि वह इंसान और भी कितनी बड़ी सज़ा के लायक समझा जाएगा, जो परमेश्‍वर के बेटे को पैरों तले रौंदता है और करार के उस खून को मामूली समझता है+ जिसके ज़रिए उसे पवित्र किया गया था और जिसने पवित्र शक्‍ति के ज़रिए की गयी महा-कृपा का घोर अपमान किया है।+ 30 क्योंकि हम परमेश्‍वर को जानते हैं जिसने कहा है, “बदला लेना मेरा काम है, मैं ही बदला चुकाऊँगा।” और यह भी लिखा है, “यहोवा* अपने लोगों का न्याय करेगा।”+ 31 जीवित परमेश्‍वर के हाथों में पड़ना भयानक बात है।

32 मगर तुम उन बीते दिनों को याद करते रहो जब तुमने ज्ञान की रौशनी पाने के बाद+ कड़ा संघर्ष करते हुए मुश्‍किलें सही थीं और धीरज धरा था। 33 कभी सरेआम तुम्हारा मज़ाक उड़ाया गया* और तुम्हें सताया गया, तो कभी तुम यह सब सहनेवालों के साथ उनके दुखों में भागीदार बने।* 34 तुमने उन लोगों के साथ हमदर्दी जतायी जो कैद में थे। और जब तुम्हारी चीज़ें लूटी गयीं तो तुमने खुशी से यह सह लिया+ क्योंकि तुम जानते थे कि तुम्हारे पास ऐसी संपत्ति है जो कहीं बेहतर है और सदा कायम रहेगी।+

35 इसलिए हिम्मत के साथ बेझिझक बोलना मत छोड़ो, क्योंकि तुम्हें इसका बड़ा इनाम दिया जाएगा।+ 36 तुम्हें धीरज धरने की ज़रूरत है+ ताकि परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करने के बाद तुम वह पा सको जिसका वादा परमेश्‍वर ने किया है। 37 बस अब “थोड़ा ही वक्‍त” बाकी रह गया है+ और “जो आनेवाला है वह आएगा और देर नहीं करेगा।”+ 38 “लेकिन मेरा नेक जन अपने विश्‍वास से ज़िंदा रहेगा”+ और “अगर वह पीछे हट जाए तो मैं उससे खुश नहीं होऊँगा।”+ 39 हम पीछे हटकर नाश होनेवालों में से नहीं,+ बल्कि उनमें से हैं जो विश्‍वास रखते हैं ताकि अपना जीवन बचा सकें।

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