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व्यवस्थाविवरण का सारांश

      • मूसा की मौत करीब (1-8)

      • कानून पढ़कर सुनाना (9-13)

      • यहोशू ठहराया गया (14, 15)

      • इसराएल की बगावत की भविष्यवाणी (16-30)

        • इसराएल को एक गीत सिखाना (19, 22, 30)

व्यवस्थाविवरण 31:2

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  • +गि 20:12; व्य 3:27

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  • +गि 14:9; व्य 7:18
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इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/1998, पेज 10-11

व्यवस्थाविवरण 31:7

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  • +यह 10:25
  • +व्य 1:38

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फुटनोट

  • *

    शा., “नन्हे-मुन्‍नों।”

  • *

    शा., “फाटकों के अंदर।”

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  • +व्य 4:10; इब्र 10:25

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    4/15/2010, पेज 3

    9/15/2004, पेज 27

    3/15/2000, पेज 17

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  • +व्य 6:6, 7; इफ 6:4
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फुटनोट

  • *

    या “अपनी-अपनी जगह लेना।”

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फुटनोट

  • *

    शा., “तू अपने पुरखों के साथ सो जाएगा।”

  • *

    या “के साथ वेश्‍याओं जैसी बदचलनी करने लगेंगे।”

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  • +न्या 2:17; भज 106:37-39
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फुटनोट

  • *

    शा., “मोटे हो जाएँगे।”

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फुटनोट

  • *

    ज़ाहिर है, परमेश्‍वर ने।

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दूसरी

व्यव. 31:2निर्ग 7:7; व्य 34:7; प्रेष 7:23
व्यव. 31:2गि 20:12; व्य 3:27
व्यव. 31:3व्य 9:3
व्यव. 31:3गि 27:18; व्य 3:28; यह 1:2
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व्यव. 31:6गि 14:9; व्य 7:18
व्यव. 31:6व्य 4:31; यह 1:5; इब्र 13:5
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व्यव. 31:7व्य 1:38
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व्यव. 31:8यह 1:9
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व्यव. 31:13व्य 30:16
व्यव. 31:14गि 27:13
व्यव. 31:14व्य 3:28
व्यव. 31:15निर्ग 33:9; 40:38
व्यव. 31:16न्या 2:17; भज 106:37-39
व्यव. 31:161रा 11:33
व्यव. 31:16न्या 2:12, 20
व्यव. 31:17व्य 29:20
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व्यव. 31:20नहे 9:25
व्यव. 31:20निर्ग 24:7; व्य 8:12-14; 29:1; नहे 9:26
व्यव. 31:21व्य 28:59
व्यव. 31:21निर्ग 16:4
व्यव. 31:23गि 27:18; व्य 31:14
व्यव. 31:23यह 1:6, 9
व्यव. 31:23व्य 1:38; 3:28
व्यव. 31:24निर्ग 34:27
व्यव. 31:26व्य 17:18; 2इत 34:14
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व्यव. 31:29न्या 2:19
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
व्यवस्थाविवरण 31:1-30

व्यवस्थाविवरण

31 फिर मूसा इसराएल के सभी लोगों के पास गया और उसने ये बातें उनसे कहीं: 2 “अब मैं 120 साल का हो गया हूँ।+ मैं और तुम्हारी अगुवाई नहीं कर सकता क्योंकि यहोवा ने मुझसे कहा है, ‘तू इस यरदन को पार नहीं करेगा।’+ 3 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे आगे-आगे जाएगा और यरदन पार करेगा और वही तुम्हारे सामने से इन सब जातियों को नाश करेगा और तुम उन्हें खदेड़ दोगे।+ और जैसे यहोवा ने बताया है, यहोशू तुम्हारी अगुवाई करके तुम्हें उस पार ले जाएगा।+ 4 यहोवा इन जातियों को नाश कर देगा जैसे उसने एमोरियों के राजा, सीहोन+ और ओग+ और उनके देश के साथ किया था।+ 5 यहोवा तुम्हारी तरफ से लड़ेगा और उन्हें हरा देगा। तुम उनके साथ वह सब करना जिसकी मैंने तुम्हें आज्ञा दी है।+ 6 तुम हिम्मत से काम लेना और हौसला रखना।+ उन जातियों से बिलकुल न डरना और न ही उनसे खौफ खाना+ क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे साथ चलेगा। वह तुम्हारा साथ कभी नहीं छोड़ेगा और न ही तुम्हें त्यागेगा।”+

7 फिर मूसा ने यहोशू को बुलाया और सभी इसराएलियों के सामने उससे कहा, “तू हिम्मत से काम लेना और हौसला रखना,+ क्योंकि तू ही इन लोगों को उस देश में ले जाएगा जिसे देने के बारे में यहोवा ने इनके पुरखों से शपथ खायी थी और तू ही इन लोगों को वह देश विरासत में देगा।+ 8 यहोवा खुद तेरे आगे चलेगा और तेरे साथ-साथ रहेगा।+ वह तेरा साथ कभी नहीं छोड़ेगा और न ही तुझे त्यागेगा। इसलिए तू डरना मत और न ही खौफ खाना।”+

9 फिर मूसा ने यह कानून लिखकर+ लेवी याजकों को, जो यहोवा के करार का संदूक ढोया करते थे और इसराएल के सभी मुखियाओं को दिया। 10 मूसा ने उन्हें यह आज्ञा दी: “हर सातवें साल के आखिर में यानी रिहाई के साल+ में जब तय वक्‍त पर छप्परों का त्योहार मनाया जाएगा+ 11 और सभी इसराएली तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा के सामने उसकी चुनी हुई जगह पर हाज़िर होंगे,+ तब तुम उन्हें यह कानून पढ़कर सुनाना।+ 12 उस मौके पर तुम सब लोगों को इकट्ठा करना,+ आदमियों, औरतों, बच्चों* और तुम्हारे शहरों में* रहनेवाले परदेसियों, सबको इकट्ठा करना ताकि वे सब तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा के बारे में सुनें और सीखें और उसका डर मानें और इस कानून में लिखी सारी बातों को सख्ती से मानें। 13 फिर जब तुम यरदन पार करके उस देश को अपने अधिकार में कर लोगे तो वहाँ उनके बच्चे भी इस कानून के बारे में जान सकेंगे जो इसे नहीं जानते। तुम जितने समय तक उस देश में बसे रहोगे, उतने समय तक वे इस कानून के बारे में सुना करेंगे+ और हमेशा तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा का डर मानना सीखेंगे।”+

14 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “देख, अब वह समय आ गया है जब तेरी मौत हो जाएगी।+ इसलिए यहोशू को बुला और तुम दोनों भेंट के तंबू के आगे हाज़िर होना।* फिर मैं उसे अगुवा ठहराऊँगा।”+ तब मूसा और यहोशू जाकर भेंट के तंबू के सामने हाज़िर हुए। 15 और यहोवा बादल के खंभे में उनके सामने प्रकट हुआ और वह खंभा तंबू के द्वार पर ठहर गया।+

16 यहोवा ने मूसा से कहा, “देख, अब बहुत जल्द तेरी मौत हो जाएगी* और ये लोग जब उस देश में जाकर बस जाएँगे तो वे अपने आस-पास की जातियों के देवी-देवताओं को पूजने लगेंगे।*+ वे मुझे छोड़ देंगे+ और उस करार को तोड़ देंगे जो मैंने उनके साथ किया है।+ 17 तब उन पर मेरा क्रोध भड़क उठेगा।+ मैं उन्हें छोड़ दूँगा+ और तब तक उनसे अपना मुँह फेरे रहूँगा+ जब तक कि वे तबाह नहीं हो जाते। उन पर बहुत-सी दुख-तकलीफें और मुसीबतें टूट पड़ेंगी।+ तब वे कहेंगे, ‘ये सब मुसीबतें हम पर इसलिए आयी हैं क्योंकि हमारा परमेश्‍वर हमारे बीच नहीं है।’+ 18 मगर उन्होंने दूसरे देवताओं के पीछे जाने की जो दुष्टता की होगी उस वजह से मैं उनसे अपना मुँह फेरे रहूँगा।+

19 अब तू यह गीत लिख+ और इसे इसराएलियों को सिखा।+ उनसे कहना कि वे इसे ज़बानी याद कर लें ताकि यह गीत उन्हें याद दिलाए कि परमेश्‍वर की आज्ञा न मानने का क्या अंजाम होता है।+ 20 जब मैं उन्हें उस देश में ले जाऊँगा जहाँ दूध और शहद की धाराएँ बहती हैं,+ ठीक जैसे मैंने उनके पुरखों से शपथ खायी थी+ और वहाँ जब उनके पास खाने-पीने की कोई कमी नहीं होगी और वे फूलेंगे-फलेंगे*+ तो वे दूसरे देवताओं की तरफ फिरकर उनकी सेवा करेंगे। वे मेरा अनादर करेंगे और मेरा करार तोड़ देंगे।+ 21 फिर जब उन पर बहुत-सी दुख-तकलीफें और मुसीबतें टूट पड़ेंगी+ तो यह गीत (जो उनके वंशजों को नहीं भूलना चाहिए) उन्हें याद दिलाएगा कि परमेश्‍वर की आज्ञा न मानने का क्या अंजाम होता है। मैं अभी से देख सकता हूँ कि जिस देश के बारे में मैंने शपथ खायी थी उसमें कदम रखने से पहले ही उनमें कैसी फितरत पैदा हो गयी है।”+

22 तब मूसा ने यह गीत लिखा और इसराएलियों को सिखाया।

23 फिर उसने* नून के बेटे यहोशू को अगुवा ठहराया+ और उससे कहा, “तू हिम्मत से काम लेना और हौसला रखना,+ क्योंकि तू ही इसराएलियों को उस देश में ले जाएगा जिसके बारे में मैंने उनसे शपथ खायी थी।+ और मैं हमेशा तेरे साथ रहूँगा।”

24 मूसा ने जब कानून की सारी बातें किताब में लिख लीं+ तो उसके फौरन बाद 25 उसने लेवियों को, जो यहोवा के करार का संदूक ढोया करते थे, यह आज्ञा दी: 26 “तुम कानून की यह किताब+ लेना और इसे अपने परमेश्‍वर यहोवा के करार के संदूक+ के पास रखना और यह तुम्हारे खिलाफ गवाह ठहरेगी। 27 मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि तुम ढीठ और बगावती लोग हो।+ आज जब मैं ज़िंदा हूँ तब तुम यहोवा के खिलाफ इस कदर बगावत कर रहे हो, तो मेरी मौत के बाद और कितनी ज़्यादा बगावत करोगे! 28 तुम अपने गोत्रों के सभी मुखियाओं और अधिकारियों को मेरे सामने इकट्ठा करना। मैं उनसे ये बातें कहूँगा और आकाश और धरती को उनके खिलाफ गवाह ठहराऊँगा।+ 29 मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि मेरे मरने के बाद तुम ज़रूर दुष्ट काम करोगे+ और मैंने तुम्हें जिस राह पर चलने की आज्ञा दी है, उससे हटकर दूर चले जाओगे। और भविष्य में तुम पर ज़रूर मुसीबतें टूट पड़ेंगी+ क्योंकि तुम ऐसे काम करोगे जो यहोवा की नज़र में बुरे हैं और अपने हाथ के कामों से उसे गुस्सा दिलाओगे।”

30 इसके बाद मूसा ने इसराएल की पूरी मंडली के सामने इस गीत के सारे बोल शुरू से आखिर तक कह सुनाए:+

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