हृदय विकार—जीवन के लिए एक ख़तरा
हर साल दुनिया-भर में लाखों स्त्री-पुरुषों को दिल का दौरा पड़ता है। अनेक लोग कुछ उत्तर-प्रभावों के साथ बच जाते हैं। अन्य लोग नहीं बचते। और भी अन्य लोगों के लिए हृदय इतना क्षतिग्रस्त हो जाता है कि “लाभदायक गतिविधियों की ओर वापसी संदेहास्पद होती है,” हृदयरोग विशेषज्ञ पीटर कॉन कहते हैं, और आगे बताते हैं: “इसलिए, जब भी संभव हो, दिल के दौरों की जड़ को ही काट देना अनिवार्य है।”
हृदय एक ऐसी मांसपेशी है जो हमारे सम्पूर्ण शरीर में रक्त पम्प करती है। एक दिल के दौरे (हृद्पेशीरोधगलन) में, रक्त न मिलने पर हृदय पेशी का एक भाग मर जाता है। तंदुरुस्त रहने के लिए, हृदय को ऑक्सीजन और अन्य पोषकों की ज़रूरत होती है जो रक्त द्वारा ले जाए जाते हैं। यह इन्हें परिहृद् धमनियों के मार्ग से प्राप्त करता है, जो हृदय को बाहर से घेरे होती हैं।
बीमारियाँ हृदय के किसी भी भाग को प्रभावित कर सकती हैं। लेकिन, सबसे सामान्य है परिहृद् धमनियों की गुप्त बीमारी जिसे धमनीकलाकाठिन्य कहते हैं। जब यह होती है तब धमनी की भित्तियों में प्लैक, अथवा वसा की परत विकसित हो जाती हैं। कुछ समयावधि के बाद, प्लैक बढ़ सकता है, और धमनियों को कठोर और सँकरी कर सकता है, और हृदय तक रक्त प्रवाह को रोक सकता है। यही वह आधारभूत परिहृद् धमनी विकार (सी.ए.डी.) है जो अधिकांश दिल के दौरों की ओर ले जाता है।
जब ऑक्सीजन के लिए हृदय की माँग उसकी सप्लाई से अधिक हो जाती है, एक या अधिक धमनियों का अवरुद्ध होना एक दौरे का कारण बन सकता है। उन धमनियों में भी जहाँ धमनी इतनी गंभीर रूप से सँकरी नहीं है, प्लैक की परत विघटित हो सकती है और रक्त का थक्का (घनास्र) जम सकता है। रोगग्रस्त धमनियों को ऐंठन का भी ज़्यादा ख़तरा होता है। ऐंठन की जगह पर रक्त का एक थक्का जम सकता है, जिससे एक ऐसा रसायन निकलता है जो धमनी भित्ति को और भी सिकोड़ता है, और दौरे को प्रवर्तित करता है।
जब हृद्पेशी को काफ़ी देर तक ऑक्सीजन नहीं मिलती, तब आस-पास के ऊतकों को शायद क्षति हो। कुछ ऊतकों के विपरीत, हृद्पेशी नवीनीकृत नहीं होती। दौरा जितना लम्बा हो, हृदय की क्षति उतनी ही ज़्यादा होगी और मृत्यु की सम्भावना भी उतनी ही बढ़ जाएगी। यदि हृदय के विद्युत तंत्र को क्षति होती है, तो हृदय की सामान्य धड़कन अव्यवस्थित हो सकती है और हृदय का बेतहाशा काँपना (तन्तुविकम्प) शुरू हो सकता है। एक ऐसी वितालता में, मस्तिष्क को प्रभावी रूप से रक्त पम्प करने की हृदय की क्षमता विफल हो जाती है। दस मिनट के अन्दर ही मस्तिष्क मर जाता है और मृत्यु हो जाती है।
अतः, प्रशिक्षित चिकित्सीय व्यक्ति द्वारा शीघ्र हस्तक्षेप अत्यावश्यक है। यह हृदय को जारी क्षति से बचा सकता है, वितालता को रोक सकता है अथवा उसका उपचार कर सकता है, और व्यक्ति की जान भी बचा सकता है।