लक्षणों को पहचानना और क़दम उठाना
जब दिल के दौरे के लक्षण नज़र आते हैं, तब फ़ौरन चिकित्सीय मदद लेना अत्यावश्यक है, क्योंकि दौरे के बाद के पहले घंटे के भीतर मृत्यु का ख़तरा सबसे अधिक होता है। शीघ्र उपचार हृद्पेशी को असुधार्य क्षति से बचा सकता है। जितना कम हृद्पेशी को क्षति पहुँचती है, दौरे के बाद हृदय उतनी ही प्रभावी रीति से पम्प करेगा।
बहरहाल, कुछ दिल के दौरे लक्षणहीन होते हैं, और कोई बाह्य लक्षण नहीं दिखाते। ऐसे मामलों में व्यक्ति को शायद पता न हो कि उसे परिहृद् धमनी विकार (सी.ए.डी.) है। दुःख की बात है, कुछ लोगों के लिए शायद एक तीव्र दौरा हृदय सम्बन्धित समस्या का पहला संकेत हो। जब पूर्णहृद्रोध होता है (हृदय पम्प करना बंद करता है), तो बचने की गुंजाइश बहुत ही कम होती है जब तक कि एक बचाव दल को फ़ौरन नहीं बुलाया जाता और पास खड़ा एक व्यक्ति तुरन्त हृद्फुफ्फुस पुनरुत्थापन (सी.पी.आर.) नहीं करता।
उन अधिकांश जनों में से जिनमें सी.ए.डी. के लक्षण होते हैं, हार्वर्ड हॆल्थ लॆटर रिपोर्ट करती है, क़रीब आधी संख्या तत्काल चिकित्सीय मदद पाना छोड़ देगी। क्यों? “सामान्य तौर पर इसलिए कि वे यह नहीं पहचानते कि उनके लक्षण क्या सूचित करते हैं या उन्हें गम्भीरतापूर्वक नहीं लेते।”
दिल-के-दौरे का एक शिकार और एक यहोवा का साक्षी, प्रकाशa याचना करता है: “जब आपको लगता है कि कुछ गड़बड़ है, तो बहुत ही नख़रेबाज़ दिखने के डर से चिकित्सीय मदद पाने में देर मत कीजिए। मैंने तो लगभग अपनी जान गँवा ही दी थी क्योंकि मैंने जल्द-से-जल्द क़दम नहीं उठाए।”
हुआ क्या था
प्रकाश समझाता है: “मुझे दिल का दौरा पड़ने के डेढ़ साल पहले, एक डॉक्टर ने मुझे मेरे उच्च कोलॆस्ट्रॉल के बारे में चिताया था, जो सी.ए.डी. में एक बड़ा ख़तरा है। लेकिन मैंने मामले को नज़रअंदाज़ कर दिया, क्योंकि मुझे लगा कि मैं जवान हूँ—४० के नीचे—और बिलकुल तंदुरुस्त भी। मुझे बहुत अफ़सोस है कि मैंने उस समय क़दम नहीं उठाया। मुझे अन्य चेतावनी संकेत मिले थे—शारीरिक श्रम के साथ साँस चढ़ना, ऐसा दर्द जो मुझे लगा अपचन था, और दौरे के कई महीनों पहले तक हद से ज़्यादा थकान। इनमें से अधिकांश का दोष मैंने बहुत कम नींद और अत्यधिक कार्य-तनाव को दिया। मुझे दिल का दौरा पड़ने से तीन दिन पहले, मुझे वह हुआ जिसे मैंने अपनी छाती में एक मांसपेशीय ऐंठन समझा। यह तीन दिन के बाद के बड़े दौरे से पहले का एक मन्द दौरा था।”
हृदयशूल नामक छाती का दर्द या दबाव क़रीब उन आधे लोगों को चेतावनी देता है जो दिल के दौरे से पीड़ित होते हैं। कुछ लोग लक्षणों के रूप में साँस चढ़ने या थकान और कमज़ोरी का अनुभव करते हैं, जो सूचित करता है कि एक परिहृद् अवरोध के कारण हृदय को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। इन चेतावनी संकेतों से एक व्यक्ति को हृदय परिक्षण के लिए किसी डॉक्टर के पास जाना चाहिए। डॉ. पीटर कॉन कहते हैं: “जब एक बार हृदयशूल का उपचार किया जाता है, तो इस बात की तो कोई गारंटी नहीं है कि दिल के दौरे को रोका जाएगा, लेकिन कम-से-कम तत्काल दौरे की गुंजाइश कम हो जाती है।”
दौरा
प्रकाश आगे कहता है: “उस दिन हम सॉफ़्टबॉल खेलने जा रहे थे। जब मैंने दोपहर के खाने के लिए एक हैमबर्गर और तले हुए आलू फटाफट खाए, तो मैंने कुछ बेचैनी, मतली और ऊपरी-शरीर के कसाव को नज़रअंदाज़ कर दिया। लेकिन जब हम मैदान में गए और खेलने लगे, मुझे लगा कि कुछ तो गड़बड़ है। दोपहर के समय तक, मुझे और भी बदतर महसूस होता चला गया।
“कई बार मैं खिलाड़ियों की बेंचों पर चेहरा ऊपर करके लेटा, और अपनी छाती की माँसपेशीयों को ढीला करने की कोशिश की, लेकिन वे और भी कसती गयीं। खेलते समय, मैंने मन-ही-मन सोचा, ‘शायद मुझे फ्लू हो गया है,’ क्योंकि मैंने कभी-कभी चिपचिपा और कमज़ोर महसूस किया। जब मैं दौड़ा, असाधारण रूप से मेरी साँस फूल रही थी। फिर एक बार मैं बेंच पर लेट गया। जब मैं उठकर बैठा, तो इसमें कोई शक नहीं था कि मैं बड़ी मुसीबत में पड़ गया था। मैंने अपने बेटे अभिषेक को ज़ोर से आवाज़ दी: ‘अभिषेक! मुझे इसी वक़्त अस्पताल ले चलो!’ ऐसा लगा मानो मेरी छाती अंदर की तरफ़ धँस गयी थी। दर्द इतना तीव्र था कि मैं उठ न सका। मैंने सोचा, ‘नहीं, ये दिल का दौरा हो ही नहीं सकता। मेरी उम्र तो सिर्फ़ ३८ है!’”
प्रकाश का बेटा, जो उस समय १५ साल का था, कहता है: “बस चँद मिनटों में ही पापा की ताक़त निकल गयी, इसीलिए उन्हें उठाकर गाड़ी तक ले जाना पड़ा। मेरे दोस्त ने गाड़ी चलायी और पापा से सवाल करता रहा ताकि जान सके कि उनकी मौजूदा हालत क्या है। आख़िरकार, पापा ख़ामोश हो गए। ‘चाचाजी!’ मेरा दोस्त चिल्लाया। लेकिन मेरे पापा ने फिर भी जवाब नहीं दिया। फिर पापा को अपनी सीट पर ही झटका लगा, और आक्षेप और उलटियाँ होने लगीं। मैं बार-बार चीखता रहा: ‘पापा! पापा! हमें छोड़कर मत जाइए पापा!’ उस झटके के बाद, वो वहीं सीट पर ढेर हो गए। मैंने सोचा कि उन्होंने दम तोड़ दिया।”
अस्पताल में
“हम मदद के लिए अस्पताल में दौड़े। दो-तीन मिनट बीत चुके थे कि मैंने सोचा था कि पापा अब नहीं रहे, लेकिन मुझे उम्मीद थी कि उन्हें फिर से जिलाया जा सकता था। मुझे हैरत हुई, क्योंकि क़रीब २० यहोवा के संगी साक्षी जो मैदान में थे अब वेटिंग रूम में पहुँच गए थे। उन्होंने मुझे सांत्वना और प्यार दिया, जो एक ऐसी दुःखद घड़ी मैं बहुत ही बड़ी मदद थी। क़रीब १५ मिनट बाद, एक डॉक्टर ने आकर समझाया: ‘तुम्हारे पापा होश में तो आ गए हैं, लेकिन उन्हें एक बहुत ही तीव्र दिल का दौरा पड़ा है। इसलिए कुछ भी कहना मुश्किल है।’
“फिर उसने मुझे पापा को कुछ घड़ी के लिए देखने की अनुमति दी। हमारे परिवार के लिए पापा की प्यार की अभिव्यक्तियों ने मुझे अभिभूत कर दिया। बड़े दर्द में उन्होंने कहा: ‘बेटे, मैं तुम्हें छोड़कर नहीं जाना चाहता। हमेशा याद रखना कि हमारी ज़िन्दगी में यहोवा सबसे ज़रूरी व्यक्ति है। कभी-भी उसकी सेवा करना मत छोड़ना, और अपनी माँ और भाइयों की मदद करना कि उसकी सेवा करना कभी न छोड़ें। और बेटे, हमारे पास पुनरुत्थान की एक ठोस आशा भी है। अगर मैं चला जाऊँ, तो मैं लौटकर तुम सभी को देखना चाहता हूँ।’ हम दोनों की आँखों में प्यार, डर, और आशा के आँसू थे।”
प्रकाश की पत्नी, ज्योति एक घंटे बाद पहुँची। “जब मैं इमरजॆंसी रूम में पहुँची, डॉक्टर ने कहा: ‘आपके पति को दिल का एक तीव्र दौरा पड़ा है।’ मैं स्तब्ध रह गयी।” उसने समझाया कि आठ बार प्रकाश का तन्तुविकम्पहरण किया गया था। इस आपात्कालीन कार्यवाही में हृदय की अव्यवस्थित धड़कन को रोकने और सामान्य गति में लाने के लिए विद्युत वोल्टेज का इस्तेमाल शामिल है। सी.पी.आर., ऑक्सीजन प्रदान करने, और अन्तःशिराभ दवाइयाँ देने के साथ, तन्तुविकम्पहरण एक उन्नत जीवनरक्षक उपाय है।
“जब मैंने प्रकाश को देखा, मेरा कलेजा बैठ गया। वो एकदम पीले पड़ चुके थे, और अनेक नलियों और तारों ने उनके शरीर को मॉनिटर से जोड़ रखा था। मन ही मन, मैंने यहोवा से प्रार्थना की कि हमारे तीन बेटों की ख़ातिर इस संकट को सहने की मुझे ताक़त दे, और मैंने आगे की बातों के बारे में बुद्धिमान निर्णय करने में मार्गदर्शन के लिए दुआ माँगी। जैसे ही मैं प्रकाश के पलंग के पास गयी, मैंने सोचा, ‘एक ऐसे समय पर उनसे क्या कहूँ? जान-को ख़तरे में डालनेवाली ऐसी स्थिति के लिए क्या हम सचमुच तैयार हैं?’
“‘सुनो,’ प्रकाश ने कहा, ‘तुम जानती हो कि शायद मैं इससे ना बचूँ। लेकिन ये ज़रूरी है कि तुम और बच्चे यहोवा के प्रति वफ़ादार रहो क्योंकि जल्द ही यह व्यवस्था ख़त्म हो जाएगी और कोई बीमारी और मौत नहीं होगी। मैं उस नयी व्यवस्था में उठकर तुम्हें और हमारे बेटों को वहाँ देखना चाहता हूँ।’ हमारी आँखों से आँसुओं की धारा बह निकली।”
डॉक्टर समझाता है
“बाद में डॉक्टर ने मुझे एक तरफ़ ले जाकर समझाया कि जाँच ने दिखाया कि प्रकाश को दिल का दौरा बायीं अपाक्ष अवरोही धमनी में १००-प्रतिशत अवरोध की वज़ह से हुआ था। उसकी एक और धमनी में भी अवरोध था। डॉक्टर ने मुझे बताया कि प्रकाश के उपचार के बारे में मुझे फ़ैसला करना चाहिए। उपलब्ध दो विकल्प थे दवाइयाँ और ऎंजियोप्लास्टी। उसने सोचा कि दूसरावाला ठीक रहेगा, सो हमने ऎंजियोप्लास्टी चुना। लेकिन डॉक्टरों ने कोई वादा नहीं किया क्योंकि अधिकांश लोग इस प्रकार के दिल के दौरे से नहीं बचते।”
ऎंजियोप्लास्टी एक शल्यचिकित्सीय तकनीक है जिसमें एक गुब्बारे की नोंकवाली नाल-शलाका एक परिहृद् धमनी में डाली जाती है और फिर अवरोध खोलने के लिए फुलाया जाता है। रक्त प्रवाह को पुनःस्थापित करने में इस पद्धति की सफलता की दर ऊँची है। जब कई धमनियाँ गंभीर रूप से अवरुद्ध हो जाती हैं, तब सामान्यतः बायपास शल्यचिकित्सा की सिफ़ारिश की जाती है।
धूमिल पूर्वानुमान
ऎंजियोप्लास्टी के बाद, प्रकाश की हालत अगले ७२ घंटों के लिए नाज़ुक बनी रही। आख़िरकार, उसका हृदय उस सदमे से ठीक होने लगा। लेकिन प्रकाश का हृदय अपनी पहली क्षमता से केवल आधा ही पम्प कर रहा था, और उसका एक बड़ा हिस्सा क्षतचिन्ह उत्तक बन गया था, सो हृद् विकलांग होने की प्रत्याशा लगभग अटल थी।
अनुदर्शन में, प्रकाश सलाह देता है: “हम पर अपने सृष्टिकर्ता, अपने परिवारों की, अपने आध्यात्मिक भाई-बहनों की, और स्वयं अपनी बाध्यता है कि चेतावनियों को मानें और अपनी सेहत की देखभाल करें—ख़ासकर अगर हम ख़तरे में हैं। काफ़ी हद तक, हम ख़ुद अपनी ख़ुशी या दुःख का कारण बन सकते हैं। ये हम पर ही निर्भर करता है।”
प्रकाश का मामला गंभीर था और इसने तत्काल ध्यान की माँग की। लेकिन हृद्दाह-नुमा परेशानीवाले सभी लोगों को डॉक्टर के पास भागने की ज़रूरत नहीं है। फिर भी, उसका अनुभव एक चेतावनी है, और जिन्हें महसूस होता है कि उनमें लक्षण हैं तो उन्हें जाँच करानी चाहिए।
दिल के दौरे के ख़तरे को कम करने के लिए क्या किया जा सकता है? अगला लेख इसकी चर्चा करेगा।
[फुटनोट]
a इन लेखों में नाम बदल दिए गए हैं।
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दिल के दौरे के लक्षण
• छाती में दबाव, ऐंठन, या दर्द की एक बेचैन-सी करनेवाली भावना जो कुछ मिनटों से ज़्यादा समय तक बनी रहती है। ग़लती से इसे तीव्र हृद्दाह समझा जा सकता है
• दर्द जो शायद जबड़े, गरदन, कंधों, बाँहों, कोहनियों, या बाँए हाथ तक फैल जाए—या केवल वहीं हो
• पेट के ऊपरी भाग में काफ़ी समय तक रहनेवाला दर्द
• साँस चढ़ना, चक्कर आना, बेहोशी, पसीना आना, या छूने पर चिपचिपा महसूस करना
• थकान—दौरे के शायद हफ़्तों पहले अनुभव हो
• मतली या उल्टी
• प्रायिक हृद्शूल दौरे जो मेहनत करने की वज़ह से नहीं होते
लक्षण शायद मन्द से तीव्र हों और ये सब हर दिल के दौरे में नहीं होते। लेकिन अगर इनमें से कोई भी साथ में होते हैं, तो शीघ्र मदद लीजिए। बहरहाल, कुछ मामलों में कोई लक्षण नहीं होते; इन्हें लक्षणहीन दिल के दौरे कहा जाता है।
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बचाव के लिए क़दम
अगर आप या जिसे आप जानते हैं वह दिल के दौरे के लक्षण दिखाता है:
• लक्षणों को पहचानिए।
• आप जो भी कर रहे हों उसे छोड़कर बैठ जाइए या लेट जाइए।
• अगर लक्षण कुछ मिनटों से ज़्यादा देर तक रहते हैं, तो स्थानीय आपात्कालीन फ़ोन लगाइए। भेजनेवाले से कहिए कि आपको दिल के दौरे का शक है, और उसे आपको खोजने के लिए ज़रूरी जानकारी दीजिए।
• यदि आप पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल आपात्कालीन कक्ष में ख़ुद गाड़ी चलाकर वहाँ ज़्यादा जल्दी ले जा सकते हैं, तो ऐसा कीजिए। अगर आपको लगता है कि आपको दिल का दौरा पड़ रहा है, तो किसी से कहिए कि आपको वहाँ ले जाए।
अगर आप एक आपात्कालीन चिकित्सीय दल का इंतज़ार करते हैं:
• तंग कपड़ों को ढीला कर दीजिए, जिसमें बॆल्ट या एक टाई शामिल है। पीड़ित व्यक्ति को आराम पहुँचाने में मदद दीजिए, अगर आवश्यक हो तो उसे तकियों का सहारा दीजिए।
• शान्त रहिए, चाहे आप पीड़ित व्यक्ति हों या सहायता करनेवाले। उत्तेजना प्राण-घातक वितालता की सम्भावना को बढ़ा सकती है। शान्त बने रहने में प्रार्थना एक शक्तिप्रद सहायक हो सकती है।
अगर लगता है कि पीड़ित व्यक्ति की साँस रुक रही है:
• ऊँची आवाज़ में पूछिए, “क्या तुम मुझे सुन सकते हो?” अगर कोई जवाब नहीं मिलता और पीड़ित व्यक्ति साँस नहीं ले रहा है, तो हृद्फुफ्फुस पुनरुत्थापन (सी.पी.आर.) शुरू कीजिए।
• सी.पी.आर. के तीन मूल क़दमों को याद रखिए:
१. वायुमार्ग को खोलने के लिए पीड़ित व्यक्ति की ठुड्डी को ऊपर उठाइए।
२. वायुमार्ग के खुल जाने पर, पीड़ित व्यक्ति के नाक को भींच कर बंद कर दीजिए और धीरे-धीरे मुँह में दो बार श्वास भरें जब तक कि छाती फूलने न लगे।
३. चूचुक के मध्य में छाती के बीच में हृदय और छाती से रक्त को बाहर निकालने के लिए १० से १५ बार दबाइए। हर १५ सेकण्ड़ों में, दो बार श्वास भरने के बाद १५ बार दबाइए। ऐसा क्रमानुसार तब तक कीजिए जब तक कि नाड़ी और श्वसनक्रिया वापस शुरू नहीं हो जाती या आपात्कालीन दल नहीं पहुँच जाता है।
सी.पी.आर. उसके द्वारा किया जाना चाहिए जिसे यह करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। लेकिन जब कोई भी प्रशिक्षित व्यक्ति उपलब्ध नहीं है, तो “बिलकुल नहीं करने से तो कैसा भी सीपीआर बेहतर है,” डॉ. आर. कमिन्ज़ कहते हैं जो आपात हृदय सेवा के निदेशक हैं। जब तक कोई इन क़दमों को उठाने में पहल नहीं करता, बचने की गुंजाइश बहुत ही कम है। सी.पी.आर. से समय मिल जाता है जब तक कि मदद नहीं पहुँचती।
[पेज 5 पर तसवीर]
एक दिल-के-दौरे के बाद शीघ्र उपचार शायद एक जान बचाए और हृदय की क्षति को कम करे