स्वास्थ्यलाभ का सफ़र
दिल के दौरे के परिणाम के साथ, एक व्यक्ति को डर और चिन्ता का अनुभव करना साधारण बात है। क्या मुझे एक और दौरा पड़ेगा? क्या मैं विकलांग हो जाऊँगा या दर्द और शक्ति और तेजस्विता के अभाव से सीमित हो जाऊँगा?
हमारे दूसरे लेख में उल्लिखित प्रकाश को उम्मीद थी कि जैसे-जैसे समय गुज़रेगा, तो हर रोज़ की असुविधा और छाती का दर्द कम हो जाएगा। लेकिन कुछ महीने बाद, उसने कहा: “अभी तक तो नहीं गया। वह, साथ ही जल्दी थक जाना और मेरे हृदय का तीव्र गति से धड़कना, हमेशा मुझे ख़ुद से यह पूछने पर मज़बूर करते हैं, ‘कहीं मुझे एक और दौरा तो नहीं पड़नेवाला है?’”
अमरीका की जेन ने, जो अपने दिल के दौरे के समय एक युवा विधवा थी, स्वीकार किया: “मैंने सोचा मैं नहीं बचूँगी या मुझे एक और दौरा पड़ेगा और मैं मर जाऊँगी। दिल में ख़ौफ़-सा बैठ गया, क्योंकि मुझे तीन बच्चों की देखभाल करनी थी।”
जापान के हीरोशी ने कहा: “मुझे यह कहे जाने पर एक सदमा-सा लगा था कि मेरा हृदय पहले की तरह अब काम नहीं कर सकेगा; मेरी पम्प करने की दर ५० प्रतिशत गिर गयी थी। मुझे तो लगभग यक़ीन हो गया था कि मुझे यहोवा के साक्षियों के एक सेवक के रूप में अपने कुछ कार्यों को कम करना पड़ेगा, क्योंकि मैं जो कर रहा था उसका आधा भी नहीं कर सकता था।”
जब व्यक्ति सीमित शक्ति का सामना करता है, तो हताशा के दौरे और व्यर्थता की भावनाएँ शायद आने लगें। ८३-वर्षीया ऑस्ट्रेलियाई मॆरी ने, जिसने यहोवा के साक्षियों के पूर्ण-समय प्रचार कार्य के लिए ख़ुद को समर्पित किया था, दुःख के साथ कहा: “पहले जितनी सक्रिय होने में मेरी अक्षमता ने मुझे दुःखी कर दिया। दूसरों की मदद करने के बजाय, अब मुझे मदद की ज़रूरत थी।” दक्षिण अफ्रीका के हैरल्ड ने कहा: “मैं तीन महीनों तक काम नहीं कर पाया। मैं ज़्यादा-से-ज़्यादा सिर्फ़ बाग़ीचे में टहल सकता था। यह निराशाजनक था!”
ऑस्ट्रेलिया के थॉमस को जब दूसरा दिल का दौरा पड़ा तब एक बायपास शल्यचिकित्सा आवश्यक थी। उसने कहा: “मुझमें दर्द को बरदाश्त करने की क्षमता नहीं है, और एक बड़ा ऑपरेशन कराना लगभग मेरी सोच के बाहर था।” ब्रज़िल के ज़ॉर्ज़ ने हृदय शल्यचिकित्सा के परिणाम पर टिप्पणी की: “अपनी कमज़ोर आर्थिक स्थिति की वज़ह से, मुझे डर था कि मैं अपनी पत्नी को अकेला और बिना किसी सहारे के छोड़ जाऊँगा। मुझे लगा कि मैं ज़्यादा दिन नहीं बचूँगा।”
स्वास्थ्यलाभ
किस बात ने अनेक लोगों को स्वास्थ्यलाभ पाने और अपनी भावनाओं को फिर एक बार स्थिर करने में मदद दी है? जेन ने कहा: “जब मैं डरा हुआ महसूस करती, मैं हमेशा यहोवा के पास प्रार्थना में जाती और अपने बोझ को उस पर डाल देती और उन्हें वहीं छोड़ देती।” (भजन ५५:२२) प्रार्थना एक व्यक्ति को शक्ति और मन की शान्ति प्राप्त करने में मदद करती है जो तब ज़रूरी होते हैं जब वह चिन्ताओं का सामना करता है।—फिलिप्पियों ४:६, ७.
प्रकाश और हीरोशी ने स्वास्थ्यलाभ कार्यक्रमों में भाग लिया। अच्छे आहार और कसरत ने उनके हृदयों को मज़बूत किया, जिससे दोनों ने फिर से काम करना शुरू कर दिया। और उन्होंने अपने मानसिक और भावात्मक स्वास्थ्यलाभ का श्रेय परमेश्वर की आत्मा की संभालनेवाली शक्ति को दिया।
अपने मसीही भाइयों के सहारे से, थॉमस ने शल्यचिकित्सा करवाने के लिए हौसला पाया। उसने कहा: “ऑपरेशन से पहले, एक ओवरसियर मुझ से भेंट करने आया और उसने मेरे साथ प्रार्थना की। एक बहुत ही उत्कट निवेदन में, उसने यहोवा से मुझे मज़बूत करने के लिए कहा। उस रात मैंने उसकी प्रार्थना पर गंभीरता से सोचा और उसके जैसे प्राचीन पाने के लिए बहुत ही आशिषित महसूस किया जिनकी भावावेश की अवधियों के दौरान समानुभूति अपने आप में ही चंगाई क्रिया का भाग होती है।”
इटली से आना ने हताशा से इस प्रकार निपटा: “जब मैं हताश होती हूँ, तो मैं परमेश्वर की एक सेविका के रूप में जो सभी आशिषें मैं प्राप्त कर चुकी हूँ उनके और परमेश्वर के राज्य के अधीन आनेवाली आशिषों के बारे में सोचती हूँ। यह मुझे प्रशान्ति को वापस प्राप्त करने में मदद करता है।”
मॆरी यहोवा की मदद के लिए शुक्रगुज़ार है। उसका परिवार उसके साथ रहा है, और वह कहती है: “मेरे आध्यात्मिक भाई-बहनों ने, जिनमें से हरेक के पास ख़ुद का अपना बोझा है, मुझ से भेंट करने के लिए, फ़ोन पर मुझ से बात करने के लिए, या कार्ड भेजने के लिए समय निकाला। जो इतना सारा प्यार दिखाया जा रहा है उसे देख मैं दुःखी कैसे रह सकती हूँ?”
कोई अकेला हृदय नहीं
ऐसा कहा गया है कि चंगे हो रहे हृदय को अकेला हृदय नहीं होना चाहिए। परिवार और दोस्तों का सहारा उन लोगों के स्वास्थ्यलाभ में एक बड़ी, सकारात्मक भूमिका निभाता है जिनके हृदय को शाब्दिक और लाक्षणिक रूप से चंगा होना है।
दक्षिण अफ्रीका के मायकल ने कहा: “निराश होना कैसा होता है यह दूसरों को समझाना मुश्किल है। लेकिन जब में राज्यगृह में प्रवेश करता हूँ, तो भाई लोग जो परवाह दिखाते हैं वह मेरे लिए बहुत ही मर्मस्पर्शी और प्रोत्साहक होती है।” ऑस्ट्रेलिया का हॆन्री भी उस गहरे प्यार और समझदारी से मज़बूत हुआ था जो उसकी कलीसिया ने दिखायी थी। उसने कहा: “प्रोत्साहन के उन कोमल शब्दों की मुझे सचमुच ज़रूरत थी।”
जॉर्ज ने उस परवाह की गहराई की क़दर की जो दूसरों ने जब तक वह काम करने में समर्थ नहीं था तब तक आर्थिक रूप से उसके परिवार की सहायता करने के द्वारा दिखायी थी। स्वीडन की ओलगा ने भी उसी तरह अनेक आध्यात्मिक भाई-बहनों द्वारा उसे और उसके परिवार को दी गयी व्यावहारिक मदद की क़दर की। कुछ लोगों ने उसके लिए ख़रीदारी की, जबकि अन्य लोगों ने उसके घर की साफ़-सफ़ाई की।
अकसर, दिल के मरीज़ों को उन कार्यों में अपनी सहभागिता को सीमित करना पड़ता है जिन्हें उन्होंने दिल से लगाकर रखा है। स्वीडन के स्वॆन ने कहा: “कभी-कभी मुझे सेवकाई में भाग लेने से दूर रहना पड़ता है जब मौसम काफ़ी तूफ़ानी या ठंडा होता है, क्योंकि यह वाहिकीय ऐंठन को प्रेरित करता है। मैं उस समझदारी की क़दर करता हूँ जो इस मामले में मेरे अनेक संगी साक्षी दिखाते हैं।” और जब शैय्याग्रस्त होता है, तब स्वॆन सभाओं को सुन सकता है क्योंकि भाई लोग उन्हें प्रेमपूर्वक टेप पर रिकार्ड कर लेते हैं। “वे लोग मुझे जानकारी देते रहते हैं कि कलीसिया में क्या हो रहा है, और यह मुझे एक सहभागी की तरह महसूस कराता है।”
मॆरी, जो शैय्याग्रस्त है, आशिषित महसूस करती है जब वे लोग उसके पास आते हैं जिनके साथ वह बाइबल का अध्ययन कर रही है। इस तरह वह उस अद्भुत भविष्य के बारे में चर्चा करना जारी रख सकती है जिसकी वह आस देखती है। थॉमस को जो परवाह दिखायी जाती है उसके लिए वह शुक्रगुज़ार है: “प्राचीन बहुत ही विचारशील रहे हैं और जो कार्य-नियुक्तियाँ वे मुझे देते हैं उसे उन्होंने कम किया है।”
परिवारों को सहारे की ज़रूरत है
यह रास्ता पारिवारिक सदस्यों के लिए उतना ही कठिन हो सकता है जितना की यह पीड़ित व्यक्ति के लिए है। वे भी काफ़ी तनाव और डर के अधीन होते हैं। अपनी पत्नी की चिन्ता के बारे में, दक्षिण अफ्रीका के ऐल्फ्रॆड ने कहा: “जब मैं अस्पताल से घर आया, तो मेरी पत्नी मुझे रात के दौरान अनेक बार यह देखने के लिए उठाती थी कि मैं ठीक तो हूँ, और वह जिद्द करती थी कि मैं जाँच के लिए डॉक्टर से हर तीन महीने में मिलूँ।”
नीतिवचन १२:२५ (NHT) कहता है कि ‘चिन्ता से मनुष्य का हृदय निराश हो जाएगा।’ इटली का कार्लो नोट करता है कि उसके पिछले दिल के दौरे से, उसकी प्यारी और हिमायती पत्नी “हताशा में पड़ गयी है।” ऑस्ट्रेलिया के लॉरॆंस ने कहा: “एक बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि आपके साथी की देखभाल की जा रही है। साथी पर तनाव बहुत ही ज़्यादा हो सकता है।” अतः, हमें परिवार के सभी लोगों की ज़रूरतों को मन में रखना चाहिए, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं। यह स्थिति उन पर भावात्मक और शारीरिक रूप से हावी हो सकती है।
हमारे दूसरे लेख में उल्लिखित अभिषेक ने अपने पिता के दिल के दौरे के बाद मेल-जोल छोड़ दिया। उसने कहा: “मुझे लगा मैं अब और मज़े नहीं कर सकता क्योंकि मैंने सोचा कि जिस पल मैं ऐसा करूँ, कुछ गड़बड़ हो जाएगी।” अपने डर को अपने पिता को व्यक्त करने से और दूसरों के साथ अच्छा संचार स्थापित करने के लिए काम करने से उसे चिन्ता से मुक्ति पाने में मदद मिली। इस दरमियान अभिषेक ने कुछ और किया जिसका उसके जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ा। उसने कहा: “मैंने बाइबल का अपना व्यक्तिगत अध्ययन और हमारी मसीही सभाओं के लिए तैयारी को बढ़ाया।” तीन महीने बाद उसने यहोवा को अपना जीवन समर्पित किया और उसे पानी के बपतिस्मे से चिन्हित किया। “तब से,” वह कहता है, “मैंने यहोवा के साथ एक बहुत ही क़रीबी सम्बन्ध विकसित किया है। उसे धन्यवाद करने के लिए मेरे पास सचमुच बहुत कुछ है।”
दिल के दौरे के परिणाम के समय व्यक्ति के पास जीवन की फिर से जाँच करने का समय होता है। मिसाल के तौर पर प्रकाश की मनोवृत्ति बदल गयी। उसने कहा: “आप सांसारिक कार्यों की व्यर्थता को देखते हैं और आपको एहसास होता है कि परिवार और दोस्तों का प्यार कितना महत्त्वपूर्ण है और यहोवा के लिए हम कितने क़ीमती हैं। यहोवा, अपने परिवार, और अपने आध्यात्मिक भाई-बहनों के साथ मेरे सम्बन्ध की अब और भी ऊँची प्राथमिकता है।” अपने अनुभव के सदमे पर विचार करते हुए उसने आगे कहा: “एक ऐसे समय की हमारी आशा के बग़ैर, जब ये बातें ठीक की जाएँगी, इसका सामना करने के बारे में मैं सोच भी नहीं सकता। जब मैं हताश हो जाता हूँ, मैं भविष्य के बारे में सोचता हूँ, और अभी जो हो रहा है वह कम महत्त्वपूर्ण लगता है।”
जैसे-जैसे वे स्वास्थ्यलाभ के रास्ते के उतार-चढ़ावों से गुज़रते हैं, दिल-के-दौरों से इन बचनेवालों की आशा उस राज्य पर दृढ़ता से टिकी रहती है जिसके लिए यीशु मसीह ने हमें प्रार्थना करना सिखाया। (मत्ती ६:९, १०) परमेश्वर का राज्य मनुष्यों के लिए एक परादीस पृथ्वी में परिपूर्णता में अनन्त जीवन लाएगा। तब हृदय विकार और अन्य सभी विकलांगताओं को हमेशा-हमेशा के लिए निकाल दिया जाएगा। यह नया संसार बस निकट है। सचमुच, सर्वोत्तम जीवन अब भी आना बाक़ी है!—अय्यूब ३३:२५; यशायाह ३५:५, ६; प्रकाशितवाक्य २१:३-५.
[पेज 13 पर तसवीर]
परिवार और दोस्तों का सहारा स्वास्थ्यलाभ में एक सकारात्मक भूमिका अदा करता है