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  • समस्याओं के बारे में कैसे बात करें?

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g16 अंक 3 पेज 10-11
एक पति अपनी पत्नी की बात सुन रहा है

परिवार के लिए मदद | शादी का बंधन

समस्याओं के बारे में कैसे बात करें?

चुनौती

क्या आपके साथ ऐसा होता है कि जब आप किसी समस्या के बारे में अपने पति या पत्नी से बात करते हैं, तो समस्या सुलझने के बजाय और बड़े झगड़े में बदल जाती है। अगर ऐसा है, तो हिम्मत मत हारिए। कुछ ऐसे तरीके हैं, जिन्हें अपनाने से हालात सुधारे जा सकते हैं। इसके लिए हम सभी को एक बात समझनी होगी, वह यह कि स्त्री और पुरुष अलग-अलग तरह से अपनी बात कहते हैं।a

आपको क्या मालूम होना चाहिए?

पुरुष समस्याओं को सुलझाने के बारे में सोचते हैं, जबकि स्त्रियाँ सिर्फ उन समस्याओं के बारे में बात करना चाहती हैं

किसी समस्या का हल जानने के बजाय स्त्रियाँ चाहती हैं कि पहले उनकी बात पूरी सुन ली जाए। देखा गया है कि कई बार सिर्फ बात करने से ही उनकी समस्या हल हो जाती है।

“जब मैं अपने दिल का हाल अपने पति को बताती हूँ और मुझे लगता है कि वे मेरी बात समझ गए, तब मेरा मन हलका हो जाता है। उनसे बात करने के बाद कुछ ही मिनटों में मेरी चिंता दूर हो जाती है।”—शिल्पा।b

“जब तक मैं अपने पति से खुलकर अपनी बात कह न लूँ, तब तक मुझे चैन नहीं मिलता। अपनी बात कह देने से मेरे मन को शांति मिलती है।”—ईशा।

“जब मैं बात करने लगती हूँ, तो उस दौरान मैं समस्या को समझने की कोशिश करती हूँ और बात करते-करते मामले की तह तक पहुँच जाती हूँ।”—लारा।

पुरुष सोचते हैं कि किसी समस्या का हल कैसे निकाला जाए। कोई समस्या खड़ी होने पर आदमी उसका हल ढूँढ़ने लगते हैं। जब वह हल मिल जाता है, तो उन्हें अच्छा लगता है कि उन्होंने कुछ हासिल किया है। ऐसा करके वे अपनी पत्नी को जताना चाहते हैं कि उनकी पत्नी अपनी समस्या का हल निकालने के लिए बेखटके उनके पास आ सकती है और जब उनकी पत्नी उनके सुझाव को नहीं अपनाती, तो वे झुँझला उठते हैं। कार्तिक कहता है “मैं तो समझ ही नहीं पाता हूँ कि अगर आपको किसी समस्या का हल नहीं चाहिए, तो आप उस बारे में बात ही क्यों करते हैं!”

शादीशुदा जीवन को कामयाब बनाने के बारे में लिखी एक किताब में बताया गया है, ‘सलाह देने से पहले बात को समझना ज़रूरी है। कोई सुझाव देने से पहले आपको अपने साथी को यह जताना चाहिए कि आप उसकी बात अच्छी तरह समझ रहे हैं और वह जिस भी मुश्‍किल से गुज़र रही है, उससे आपको पूरी हमदर्दी है। कई बार पत्नियाँ अपनी समस्या का हल नहीं चाहतीं, बल्कि बस यही चाहती हैं कि पति उनकी बात ध्यान से सुनें।’

आप क्या कर सकते हैं?

पतियों के लिए: अपनी पत्नी की बात ध्यान से सुनने और उसके जज़बात समझने की आदत डालें। तरुण कहता है, “कभी-कभी अपनी पत्नी की पूरी बात सुनने के बाद मुझे लगता है कि इससे तो कुछ हासिल ही नहीं हुआ। लेकिन मेरी पत्नी को यही चाहिए होता है कि मैं उसकी बात सुनूँ।” समीर भी ऐसा ही कुछ कहता है, “जब मेरी पत्नी अपनी बात कहने लगती है, तो यही अच्छा रहता है कि मैं उसे बीच में न टोकूँ। और जब वह अपनी बात खत्म कर लेती है, तो वह कहती है कि उसे अच्छा लग रहा है।”

इसे आज़माइए: अगली बार जब आप अपनी पत्नी से किसी समस्या पर बातचीत कर रहे हों, तो उसे तुरंत सलाह देने से खुद को रोकिए। जब वह अपनी बात कहती है, तब उसकी आँखों में देखिए और वह जो कह रही है, उस पर ध्यान दीजिए। उसकी हाँ-में-हाँ मिलाइए। उसने जो भी कहा है, उसे दोहराइए ताकि उसे पता चले कि आप उसकी बात समझ रहे हैं। चेतन कहता है, “कभी-कभी मेरी पत्नी बस इतना ही चाहती है कि मैं उसे यह जताऊँ कि मैं उसकी बात समझ गया हूँ और उसकी तरफ हूँ।”—पवित्र शास्त्र से सलाह: याकूब 1:19.

पत्नियों के लिए: आपके पति को बताइए कि आप उससे क्या उम्मीद करते हैं। ईला कहती है कि हम अपने पति से यह उम्मीद करते हैं कि हमारे बिना कुछ कहे वह हमारी बात समझ जाए, लेकिन कभी-कभी ऐसा नहीं होता है, हमें खुलकर अपनी बात बतानी पड़ती है। इशिता भी यही तरीका अपनाती है। वह बताती है, “मैं कुछ ऐसा कहती हूँ, ‘मुझे कोई बात सता रही है और मैं चाहती हूँ कि आप उस बात को बस सुन लें। मैं यह नहीं चाहती कि आप इसका कोई हल निकालें, बल्कि यह कि आप यह समझें कि मुझे कैसा लग रहा है।’”

इसे आज़माइए: अगर आपके पति पूरी बात सुनने से पहले कोई सलाह दे दें, तो यह मत मान बैठिए कि उन्हें आपकी कोई परवाह नहीं है। असल में, वह आपकी मदद करना चाहते हैं। आइशा कहती है, “उनसे चिढ़ने के बजाय मैं खुद को यह याद दिलाती हूँ कि मेरे पति मेरी बात सुनना चाहते हैं। उन्हें मेरी फिक्र है और वह बस मेरी परेशानी दूर करना चाहते हैं।”—पवित्र शास्त्र से सलाह: रोमियों 12:10.

दोनों के लिए: हम चाहते हैं कि हमारे साथी हमारे साथ वैसा ही व्यवहार करें, जैसा हम उनके साथ करते हैं। लेकिन जब हम अपने साथी से किसी समस्या के बारे में बात कर रहे हों, तो हमें कुछ फेरबदल करना होगा। हमें यह ध्यान रखना होगा कि हमारा साथी हमसे क्या चाहता है। (1 कुरिंथियों 10:24) मयूर इसी बात को कुछ इस तरह कहता है, “अगर आप पति हैं, तो अपनी पत्नी की बात ध्यान से सुनिए। अगर आप पत्नी हैं, तो कभी-कभी अपने पति के सुझावों को भी सुन लिया कीजिए। अगर आप अपनी-अपनी बात पर अड़े न रहें और मिलकर कोई ऐसा उपाय ढूँढ़ें, जिससे आप दोनों ही सहमत हों, तो आपके रिश्‍ते में मिठास आएगी।”—पवित्र शास्त्र से सलाह: 1 पतरस 3:8. ◼ (g16-E No. 3)

a स्त्री-पुरुष जिस तरह से बात करते हैं उस बारे में इस लेख में जो बताया गया है, वह शायद सभी पति-पत्नियों पर लागू न हो। लेकिन इस लेख में दी कुछ सलाह मानने से शादीशुदा लोग अपने जीवन साथी को अच्छी तरह समझ पाएँगे और वे आपस में अच्छी तरह बातचीत कर पाएँगे।

b इस लेख में नाम बदल दिए गए हैं।

खास आयतें

  • ‘सुनने में फुर्ती करो, बोलने में सब्र करो।’—याकूब 1:19.

  • “एक-दूसरे का आदर करने में पहल करो।”—रोमियों 12:10.

  • ‘तुम्हारे विचारों में एकता हो, एक-दूसरे का दर्द महसूस करो।’—1 पतरस 3:8.

बात करने का सही वक्‍त

पवित्र शास्त्र में लिखा है कि सही वक्‍त पर कही गयी बात कितनी अच्छी होती है। (नीतिवचन 15:23) उसी तरह अगर कोई बात गलत वक्‍त पर कही जाए, तो मामला बिगड़ सकता है।

“जब गलत वक्‍त पर कोई बात कही जाती है, तो बात बिगड़ जाती है।”—शिल्पा।

“अगर आप भूखे पेट हैं या थके हुए हैं, तो ऐसी हालत में आप किसी बड़े मामले पर बातचीत मत कीजिए।”—जया।

“एक बार किसी बात को लेकर मैं परेशान थी और जैसे ही मेरे पति ने घर में कदम रखा, मैं शुरू हो गयी। लेकिन तभी मुझे लगा कि मेरे इस तरह बात करने से उन्हें कितनी चिढ़ आ रही होगी, इसलिए मैं चुप हो गयी और मैंने उनसे कहा कि हम खाना खाने के बाद इस बारे में बात करेंगे। यह सुनकर उन्हें अच्छा लगा। खाना खाने के बाद हम दोनों ही शांत मन से एक-दूसरे की बात सुन पा रहे थे।”—लारा।

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