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  • परमेश्‍वर की उपासना सही तरीके से कीजिए

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बाइबल हमें क्या सिखाती है?
bhs अध्या. 16 पेज 164-173

अध्याय सोलह

परमेश्‍वर की उपासना सही तरीके से कीजिए

1, 2. आपको खुद से कौन-से सवाल पूछने चाहिए और क्यों?

आपने बाइबल का अध्ययन करके सीखा है कि कई लोग एक तरफ कहते हैं कि वे परमेश्‍वर को मानते हैं, वहीं दूसरी तरफ वे ऐसी बातें सिखाते हैं या ऐसे काम करते हैं जिनसे परमेश्‍वर को नफरत है। (2 कुरिंथियों 6:17) इसलिए यहोवा हमें आज्ञा देता है कि हम झूठे धर्म यानी “महानगरी बैबिलोन” से बाहर निकल आएँ। (प्रकाशितवाक्य 18:2, 4) क्या आप यह आज्ञा मानेंगे? यह फैसला हममें से हरेक को करना होगा। हमें खुद से पूछना चाहिए, ‘क्या मैं परमेश्‍वर की उपासना उस तरीके से करना चाहता हूँ जैसा वह चाहता है? या मैं आज तक जिस तरीके से उपासना करता आया हूँ उसी तरीके से करना चाहता हूँ?’

2 अगर आपने झूठा धर्म छोड़ दिया है या चर्च से अपना नाम कटवा लिया है, तो यह अच्छी बात है। मगर हो सकता है आपको झूठे धर्म से जुड़े कुछ रीति-रिवाज़ या काम अभी-भी अच्छे लगते हों। आइए इनमें से कुछ के बारे में चर्चा करें और देखें कि यह क्यों ज़रूरी है कि उनके बारे में हम परमेश्‍वर जैसा नज़रिया रखें।

मूर्तियों और पूर्वजों की पूजा

3. (क) कुछ लोगों को मूर्तियों के बिना उपासना करना क्यों मुश्‍किल लग सकता है? (ख) उपासना में मूर्तियों के इस्तेमाल के बारे में बाइबल क्या बताती है?

3 सदियों से लोग ईश्‍वर की पूजा करने के लिए मूर्तियों और पूजा-घरों का इस्तेमाल करते आए हैं। अगर आप भी ऐसा करते हैं तो शायद उन चीज़ों के बिना परमेश्‍वर की उपासना करना आपको अजीब या गलत लगे। लेकिन याद रखिए, यहोवा हमें सिखाता है कि उसकी उपासना कैसे की जानी चाहिए। उसने बाइबल में हमें साफ-साफ बताया है कि वह नहीं चाहता कि हम उसकी उपासना में मूर्तियों का इस्तेमाल करें।—निर्गमन 20:4, 5 पढ़िए; भजन 115:4-8; यशायाह 42:8; 1 यूहन्‍ना 5:21.

4. (क) हमें क्यों पूर्वजों की पूजा नहीं करनी चाहिए? (ख) यहोवा ने अपने लोगों से क्यों कहा था कि वे मरे हुओं से संपर्क न करें?

4 कुछ ऐसे भी हैं जो अपने पूर्वजों को खुश करने के लिए अपना बहुत समय और ताकत लगाते हैं। वे शायद उनकी पूजा भी करें। लेकिन हमने सीखा है कि जिनकी मौत हो चुकी है वे न तो हमारी मदद कर सकते हैं, न ही हमें नुकसान पहुँचा सकते हैं। वे कहीं और ज़िंदा नहीं हैं। उनसे बात करने की कोशिश करना भी खतरनाक है। क्योंकि मरे हुओं की आवाज़ में जो बात करते हैं वे असल में दुष्ट स्वर्गदूत होते हैं। इसलिए यहोवा ने अपने लोगों यानी इसराएलियों को आज्ञा दी थी कि वे मरे हुओं से संपर्क करने की कोशिश न करें, न ही जादू-टोने में हिस्सा लें।—व्यवस्थाविवरण 18:10-12; “जादू-टोना” और “दुष्ट स्वर्गदूत” देखिए।

5. क्या बात आपकी मदद कर सकती है ताकि आप मूर्तियों या पूर्वजों की पूजा करना छोड़ दें?

5 क्या बात आपकी मदद कर सकती है ताकि आप मूर्तियों या पूर्वजों की पूजा करना छोड़ दें? आपको बाइबल पढ़ने और गहराई से सोचने की ज़रूरत है कि इनके बारे में यहोवा का क्या नज़रिया है। यहोवा की नज़र में ये चीज़ें “घिनौनी” हैं। (व्यवस्थाविवरण 27:15) हर दिन यहोवा से मदद माँगिए कि आप इन चीज़ों को उसी नज़र से देख सकें जिस नज़र से वह देखता है। और यह भी कि आप उसकी उपासना उस तरीके से कर सकें जैसा वह चाहता है। (यशायाह 55:9) आप यकीन रख सकते हैं कि यहोवा आपको हिम्मत देगा जिससे आप झूठी उपासना से जुड़ी हर चीज़ को अपनी ज़िंदगी से दूर कर पाएँगे।

क्या क्रिसमस मनाना सही है?

6. यीशु का जन्मदिन मनाने के लिए 25 दिसंबर की तारीख क्यों चुनी गयी थी?

6 क्रिसमस एक जाना-माना त्योहार है। ज़्यादातर लोग सोचते हैं कि इसे यीशु के जन्मदिन की याद में मनाया जाता है। लेकिन सच तो यह है कि क्रिसमस झूठी उपासना से जुड़ा एक त्योहार है। एक विश्‍वकोश बताता है कि रोम के लोग, जो झूठे देवी-देवताओं को पूजते थे, 25 दिसंबर को सूर्य देवता का जन्मदिन मनाते थे। चर्च के अगुवों ने फैसला किया कि इसी तारीख को यीशु का जन्मदिन मनाया जाए, जबकि यीशु इस दिन पैदा नहीं हुआ था। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वे चाहते थे कि झूठे धर्म के माननेवाले ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग ईसाई बन जाएँ। (लूका 2:8-12) लेकिन यीशु के चेलों ने कभी क्रिसमस नहीं मनाया। एक किताब बताती है कि यीशु के जन्म से लेकर 200 साल तक “न तो कोई जानता था और न ही किसी को यह जानने में दिलचस्पी थी कि उसका जन्म ठीक किस दिन हुआ था।” (“गूढ़ बातों की पवित्र शुरूआत,” अँग्रेज़ी) क्रिसमस मनाने की शुरूआत यीशु के जन्म से करीब 300 साल बाद हुई थी।

7. परमेश्‍वर के सच्चे उपासक क्यों क्रिसमस नहीं मनाते?

7 कई लोग जानते हैं कि क्रिसमस और उससे जुड़े रिवाज़ों की शुरूआत झूठे धर्मों से हुई है, जैसे क्रिसमस पार्टी रखना और तोहफे देना। यही वजह है कि क्यों एक समय पर पूरे इंग्लैंड में और अमरीका की कुछ जगहों में क्रिसमस मनाने पर पाबंदी लगा दी गयी थी। जो कोई इसे मनाता था उसे सज़ा दी जाती थी। लेकिन धीरे-धीरे लोग फिर से क्रिसमस मनाने लग गए। परमेश्‍वर के सच्चे उपासक क्रिसमस क्यों नहीं मनाते? क्योंकि वे हर बात में यहोवा को खुश करना चाहते हैं।

क्या हमें जन्मदिन मनाना चाहिए?

8, 9. पहली सदी में यीशु के चेले क्यों जन्मदिन नहीं मनाते थे?

8 बहुत-से लोग अपना जन्मदिन मनाते हैं। क्या यहोवा की उपासना करनेवालों को जन्मदिन मनाना चाहिए? बाइबल में सिर्फ दो जन्मदिन के बारे में बताया गया है और वह भी ऐसे लोगों के, जो यहोवा की उपासना नहीं करते थे। (उत्पत्ति 40:20; मरकुस 6:21) जन्मदिन झूठे देवताओं के आदर में मनाएँ जाते थे। इसलिए पहली सदी में यीशु के चेले “मानते थे कि जन्मदिन मनाना झूठे धर्मों से निकला एक रिवाज़ है।”—द वर्ल्ड बुक इनसाइक्लोपीडिया।

9 पुराने ज़माने में रोमी और यूनानी लोगों का अंधविश्‍वास था कि हर इंसान जिस दिन पैदा होता है उस दिन किसी-न-किसी देवता का जन्मदिन होता है। और उस देवता के साथ जिस आत्मा का रिश्‍ता होता है वह आत्मा उस इंसान के जन्म के समय पर हाज़िर रहती है। इसलिए अगर वह इंसान चाहता है कि वह आत्मा ज़िंदगी-भर उसकी हिफाज़त करे तो उसे अपना जन्मदिन मनाना होगा।

10. परमेश्‍वर के उपासक क्यों जन्मदिन नहीं मनाते?

10 क्या आपको लगता है कि यहोवा ऐसे तीज-त्योहारों को मंज़ूर करता है जिनका नाता झूठे धर्म से है? (यशायाह 65:11, 12) जी नहीं। इसलिए हम जन्मदिन और ऐसे तीज-त्योहार नहीं मनाते जिनका नाता झूठे धर्म से है।

तीज-त्योहारों की शुरूआत कहाँ से हुई, क्या इससे फर्क पड़ता है?

11. (क) कुछ लोग क्यों तीज-त्योहार मनाते हैं? (ख) हमारा ध्यान किस बात पर होना चाहिए?

11 कुछ लोग जानते हैं कि क्रिसमस जैसे तीज-त्योहारों की शुरूआत झूठे धर्म से हुई है, फिर भी वे इन्हें मनाते हैं। वे सोचते हैं कि इन्हें मनाने से उन्हें अपने परिवारवालों के साथ अच्छा वक्‍त बिताने का मौका मिलता है। क्या आप भी ऐसा ही सोचते हैं? अपने परिवार के साथ वक्‍त बिताने में कोई बुराई नहीं। आखिर, यहोवा ने परिवार की शुरूआत की और वह चाहता है कि परिवार के हर सदस्य के साथ हमारा एक अच्छा रिश्‍ता हो। (इफिसियों 3:14, 15) लेकिन इससे भी बढ़कर हमारा ध्यान यहोवा के साथ मज़बूत रिश्‍ता बनाए रखने पर होना चाहिए, न कि झूठे धर्म के त्योहारों में हिस्सा लेकर अपने रिश्‍तेदारों को खुश करने पर। पौलुस ने कहा, “जाँच करके पक्का करते रहो कि प्रभु किन बातों को स्वीकार करता है।”—इफिसियों 5:10.

12. यहोवा किस तरह के तीज-त्योहारों को मंज़ूर नहीं करता?

12 कई लोगों को लगता है कि तीज-त्योहारों की शुरूआत कहाँ से हुई, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन यहोवा को फर्क पड़ता है। वह झूठे धर्म से निकले त्योहारों को मंज़ूर नहीं करता। वह ऐसे दिवसों को भी मंज़ूर नहीं करता है जिनमें किसी इंसान या देश की बड़ाई की जाती है। उदाहरण के लिए, पुराने ज़माने में मिस्र के लोग अपने झूठे देवताओं के लिए कई त्योहार मनाते थे। इसलिए जब इसराएली मिस्र की गुलामी से आज़ाद हुए तो उन्होंने मिस्र के एक त्योहार की नकल की। उन्होंने उस त्योहार को “यहोवा के लिए एक त्योहार” कहा। लेकिन यहोवा को यह त्योहार मंज़ूर नहीं था, इसलिए उसने इसराएलियों को सज़ा दी। (निर्गमन 32:2-10) हमें भविष्यवक्‍ता यशायाह की बात माननी चाहिए जिसने कहा, “किसी भी अशुद्ध चीज़ को मत छूओ!”—यशायाह 52:11 पढ़िए।

दूसरों के साथ प्यार से पेश आइए

13. जब आप फैसला करते हैं कि आप तीज-त्योहार मनाना बंद कर देंगे तो आपके मन में कौन-से सवाल उठ सकते हैं?

13 जब आप फैसला करते हैं कि आप तीज-त्योहार या जन्मदिन मनाना बंद कर देंगे तो आपके मन में कई सवाल उठ सकते हैं। जैसे, अगर मेरे साथ काम करनेवाला कोई पूछे कि तुम यह त्योहार क्यों नहीं मनाते तो मुझे उसे क्या जवाब देना चाहिए? अगर कोई मुझे त्योहार पर कोई तोहफा देता है तो मुझे क्या करना चाहिए? अगर मेरा पति या मेरी पत्नी मुझसे उम्मीद करती है कि मैं त्योहार मनाऊँ तो मुझे क्या करना चाहिए? मैं अपने बच्चों की मदद कैसे करूँ ताकि त्योहार या जन्मदिन न मनाने की वजह से वे दुखी न हो जाएँ?

14, 15. अगर कोई आपको त्योहार की शुभकामनाएँ देता है या कोई तोहफा देता है तो आपको क्या करना चाहिए?

14 हर मामले में आप क्या करेंगे या क्या जवाब देंगे, यह तय करते वक्‍त समझ से काम लीजिए। उदाहरण के लिए, अगर लोग आपको त्योहार की शुभकामनाएँ देते हैं तो बिना कुछ कहे वहाँ से चले मत जाइए। इसके बजाय, आप उन्हें बस धन्यवाद कह सकते हैं। लेकिन कभी-कभी लोग शायद जानना चाहें कि आप क्यों त्योहार नहीं मनाते, तो ऐसे में आप उन्हें वजह बता सकते हैं। मगर हमेशा ध्यान रखिए कि आप प्यार से और आदर के साथ उनसे बात करें और सोच-समझकर अपनी बात कहें। बाइबल बताती है, “तुम्हारे बोल हमेशा मन को भानेवाले और सलोने हों। तब तुम्हें हर किसी को सही तरह से जवाब देना आ जाएगा।” (कुलुस्सियों 4:6) आप उन्हें समझा सकते हैं कि दूसरों के साथ अच्छा समय बिताना और तोहफे देना आपको भी पसंद हैं, मगर बस त्योहार के दिन आप ऐसा नहीं करते।

15 अगर कोई आपको तोहफा देता है तो आपको क्या करना चाहिए? हालात अलग-अलग हो सकते हैं। जैसे, जो व्यक्‍ति आपको तोहफा दे रहा है उसे शायद पता ही न हो कि आप त्योहार नहीं मनाते। या यह भी हो सकता है कि वह कहे, “मैं जानता हूँ कि आप त्योहार नहीं मनाते, फिर भी मैं आपको यह तोहफा देना चाहता हूँ।” हर मामले में आपको क्या करना चाहिए, इस बारे में बाइबल कोई नियम नहीं देती। मगर यह ज़रूर बताती है कि हमें अपना ज़मीर साफ बनाए रखना चाहिए। (1 तीमुथियुस 1:18, 19) इसलिए आपको खुद फैसला करना होगा कि आप तोहफा लेंगे या नहीं। आप जो भी फैसला करें आपको अपना ज़मीर साफ बनाए रखना चाहिए। हम ऐसा कुछ नहीं करना चाहते जिससे यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता बिगड़ जाए।

आपके परिवार के बारे में क्या?

एक परिवार के सभी सदस्य मिलकर खुशखबरी का प्रचार कर रहे हैं, मसीही सभाओं में हाज़िर हैं और पिकनिक में एक-दूसरे को तोहफे दे रहे हैं

यहोवा की उपासना करनेवाले खुश रहते हैं

16. अगर आपके परिवारवाले कोई त्योहार मनाना चाहते हैं तो आपको क्या करना चाहिए?

16 अगर आपके परिवारवाले कोई त्योहार मनाना चाहते हैं तो आपको क्या करना चाहिए? आपको उनसे लड़ने की ज़रूरत नहीं। याद रखिए, उन्हें यह तय करने का पूरा हक है कि वे क्या करना चाहते हैं। इसलिए उनके फैसले का आदर कीजिए, ठीक जैसे आप चाहते हैं कि वे आपके फैसलों का आदर करें। (मत्ती 7:12 पढ़िए।) लेकिन अगर आपके परिवारवाले चाहते हैं कि किसी त्योहार के वक्‍त आप उनके साथ समय बिताएँ तो आपको क्या करना चाहिए? सबसे पहले यहोवा से प्रार्थना कीजिए कि वह आपको सही फैसला करने में मदद दे। इसके अलावा, सोचिए कि त्योहार के वक्‍त परिवार के साथ समय बिताने में क्या-क्या शामिल होगा और इस बारे में खोजबीन कीजिए। याद रखिए कि आप हमेशा यहोवा को खुश करना चाहते हैं।

17. आप अपने बच्चों की मदद कैसे कर सकते हैं ताकि वे दूसरों को त्योहार मनाते देखकर दुखी न हो जाएँ?

17 जब आपके बच्चे दूसरों को त्योहार मनाते देखते हैं तो वे शायद यह सोचकर दुखी हो जाएँ कि अब वे मज़ा नहीं कर सकते। बच्चे ऐसा महसूस न करें, इसके लिए आप क्या कर सकते हैं? समय-समय पर आप उनके लिए कुछ खास कर सकते हैं। आप उन्हें तोहफे भी दे सकते हैं। सबसे बेहतरीन तोहफा जो आप उन्हें दे सकते हैं, वह है आपका प्यार और समय।

सही तरीके से उपासना कीजिए

18. हमें मसीही सभाओं में क्यों जाना चाहिए?

18 यहोवा को खुश करने के लिए हमें झूठे धर्म और उससे जुड़े रीति-रिवाज़ों और त्योहारों को छोड़ने की ज़रूरत है। मगर यह काफी नहीं। हमें सही तरीके से उपासना भी करनी चाहिए। हम यह कैसे कर सकते हैं? एक तरीका है मसीही सभाओं में लगातार जाकर। (इब्रानियों 10:24, 25 पढ़िए।) सभाएँ, सच्ची उपासना का एक अहम हिस्सा हैं। (भजन 22:22; 122:1) जब हम सभाओं में इकट्ठा होते हैं तो हम एक-दूसरे का हौसला बढ़ा पाते हैं।—रोमियों 1:12.

19. दूसरों को बाइबल की सच्चाइयाँ बताना क्यों ज़रूरी है?

19 सच्ची उपासना करने में एक और बात शामिल है। वह है, बाइबल से हम जो सीखते हैं वह दूसरों को बताना। कई लोग दुनिया में हो रही बुराइयों को देखकर परेशान हैं। शायद आप भी ऐसे कुछ लोगों को जानते होंगे। उन्हें भविष्य की बढ़िया आशा के बारे में बताइए। जब आप मसीही सभाओं में जाएँगे, साथ ही दूसरों को बाइबल की सच्चाइयाँ बताएँगे तो आप पाएँगे कि झूठे धर्म और उसके रीति-रिवाज़ों के लिए आपका लगाव खत्म होता जाएगा। आप यकीन रख सकते हैं कि अगर आप यहोवा की उपासना सही तरीके से करें तो आपको खुशी मिलेगी और वह आपको ढेरों आशीषें देगा।—मलाकी 3:10.

आपने क्या सीखा?

पहली बात: झूठी उपासना से दूर रहिए

“उनमें से बाहर निकल आओ और खुद को उनसे अलग करो और अशुद्ध चीज़ को छूना बंद करो।”—2 कुरिंथियों 6:17

मूर्तियों और पूर्वजों की पूजा करना क्यों गलत है?

  • निर्गमन 20:4, 5; 1 यूहन्‍ना 5:21

    यहोवा नहीं चाहता कि हम उपासना में मूर्तियों का इस्तेमाल करें।

  • व्यवस्थाविवरण 18:10-12

    जो लोग मरे हुओं से बात करने की कोशिश करते हैं, वे असल में दुष्ट स्वर्गदूतों से बात कर रहे होते हैं।

दूसरी बात: यहोवा हर तीज-त्योहार को मंज़ूर नहीं करता

“जाँच करके पक्का करते रहो कि प्रभु किन बातों को स्वीकार करता है।”—इफिसियों 5:10

आप कैसे तय कर सकते हैं कि आपको किसी तीज-त्योहार में हिस्सा लेना चाहिए या नहीं?

  • यहेजकेल 44:23; 2 कुरिंथियों 6:14, 15

    पता लगाइए कि उसकी शुरूआत कहीं झूठे धर्म से तो नहीं हुई।

  • निर्गमन 32:2-10

    हो सकता है लोग नेक इरादे से वह तीज-त्योहार मनाएँ, मगर ज़रूरी नहीं कि उस पर परमेश्‍वर की मंज़ूरी हो।

  • दानियेल 3:1-27

    ऐसे त्योहारों या दिवसों में हिस्सा मत लीजिए जिनमें किसी इंसान, संगठन या देश की बड़ाई की जाती है।

  • 1 तीमुथियुस 1:18, 19

    समझ से काम लीजिए। यहोवा के सामने साफ ज़मीर बनाए रखने पर भी ध्यान दीजिए।

तीसरी बात: दूसरों को अपने विश्‍वास के बारे में प्यार से समझाइए

“तुम्हारे बोल हमेशा मन को भानेवाले और सलोने हों। तब तुम्हें हर किसी को सही तरह से जवाब देना आ जाएगा।”—कुलुस्सियों 4:6

आपको अपने विश्‍वास के बारे में दूसरों को कैसे समझाना चाहिए?

  • मत्ती 7:12

    दूसरों के फैसले का आदर कीजिए, ठीक जैसे आप चाहते हैं कि वे आपके फैसलों का आदर करें।

  • 2 तीमुथियुस 2:24

    हमेशा प्यार से पेश आइए। अपने विश्‍वास के बारे में बताते वक्‍त आपको दूसरों से लड़ने की ज़रूरत नहीं।

  • 1 पतरस 3:15

    कोमल स्वभाव और गहरे आदर के साथ अपने विश्‍वास की पैरवी कीजिए।

  • इब्रानियों 10:24, 25

    मसीही सभाओं में लोग आपकी हिम्मत बढ़ा सकते हैं। वे आपको अपने विश्‍वास के बारे में दूसरों को बताने में मदद दे सकते हैं।

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
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