अक्टूबर
बुधवार, 1 अक्टूबर
‘जो बुद्धि स्वर्ग से मिलती है वह आज्ञा मानने के लिए तैयार होती है।’—याकू. 3:17.
क्या आपको कभी दूसरों की बात मानना मुश्किल लगा है? राजा दाविद को भी लगा था, इसलिए उसने यहोवा से प्रार्थना की, “मेरे अंदर ऐसी इच्छा जगा कि मैं तेरी आज्ञा मानूँ।” (भज. 51:12) दाविद यहोवा से बहुत प्यार करता था, फिर भी उसे कभी-कभी उसकी बात मानना मुश्किल लगता था। आज हमें भी यहोवा की बात मानना कभी-कभी मुश्किल लग सकता है। वह क्यों? पहली बात, जन्म से ही हमारे अंदर आज्ञा ना मानने का झुकाव होता है। दूसरी बात, शैतान की हमेशा यही कोशिश रहती है कि हम यहोवा के खिलाफ काम करें, ठीक जैसे उसने किया था। (2 कुरिं. 11:3) तीसरी बात, हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहाँ ज़्यादातर लोग बगावती हैं। उनकी “फितरत” ही ऐसी है कि वे ‘आज्ञा नहीं मानते।’ (इफि. 2:2) इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि हमारे अंदर गलत काम करने का जो झुकाव है, उससे हम लड़ें और शैतान और इस दुनिया की तरह बगावती ना बनें। साथ ही, हमें यहोवा और जिन्हें उसने अधिकार दिया है, उनकी आज्ञा मानने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। प्र23.10 पेज 6 पै 1
गुरुवार, 2 अक्टूबर
तूने अब तक इस बेहतरीन दाख-मदिरा को अलग रखा हुआ है।—यूह. 2:10.
यीशु के इस चमत्कार से हम क्या सीख सकते हैं? यही कि हमें नम्र होना चाहिए। यीशु ने अपने इस चमत्कार के बारे में शेखी नहीं मारी। असल में उसने जो भी काम किए, उनके बारे में कभी-भी शेखी नहीं मारी। इसके बजाय वह नम्र था। वह जो भी करता था, उसका सारा श्रेय और महिमा अपने पिता को देता था। (यूह. 5:19, 30; 8:28) हमें भी यीशु की तरह नम्र रहना चाहिए और अपनी कामयाबियों के बारे में डींगें नहीं मारनी चाहिए। आइए हम इस बात पर गर्व करें कि हमें इतने महान परमेश्वर की सेवा करने का सम्मान मिला है। (यिर्म. 9:23, 24) आइए हम अपने कामों का श्रेय हमेशा यहोवा को दें, क्योंकि उसकी मदद के बिना तो हम कुछ भी नहीं कर सकते। (1 कुरिं. 1:26-31) जब हम नम्र होते हैं, तो हमने दूसरों के लिए जो भले काम किए हैं, उनका श्रेय हम खुद नहीं लेते। हमें यह जानकर खुशी होती है कि हम दूसरों के लिए जो करते हैं, उसे यहोवा देखता है और वह उसकी कदर करता है। (मत्ती 6:2-4 से तुलना करें; इब्रा.13:16) सच में, जब हम यीशु की तरह नम्र रहते हैं, तो इससे यहोवा खुश होता है।—1 पत. 5:6. प्र23.04 पेज 4 पै 9; पेज 5 पै 11-12
शुक्रवार, 3 अक्टूबर
हर एक सिर्फ अपने भले की फिक्र में न रहे, बल्कि दूसरे के भले की भी फिक्र करे।—फिलि. 2:4.
पौलुस ने फिलिप्पी में रहनेवाले मसीहियों को बढ़ावा दिया कि वे दूसरों के बारे में भी सोचें। हम उसकी यह सलाह सभाओं के दौरान कैसे मान सकते हैं? हम याद रख सकते हैं कि हमारी तरह दूसरे भाई-बहन भी जवाब देना चाहते हैं। ज़रा इस बारे में सोचिए, जब आप अपने दोस्तों से बातचीत करते हैं, तो क्या आप खुद ही बात करते रहते हैं? नहीं ना, आप उन्हें भी बात करने का मौका देते हैं। उसी तरह हम चाहेंगे कि सभाओं में ज़्यादा-से-ज़्यादा भाई-बहनों को जवाब देने का मौका मिले। असल में भाई-बहनों की हिम्मत बँधाने का एक अच्छा तरीका है कि हम उन्हें उनका विश्वास ज़ाहिर करने का मौका दें। (1 कुरिं. 10:24) इसलिए ध्यान रखिए कि आपके जवाब छोटे हों। इस तरह और भी भाई-बहनों को जवाब देने के मौके मिलेंगे। छोटे जवाब देने के साथ-साथ यह भी ध्यान रखिए कि आप बहुत सारे मुद्दे ना बताएँ। अगर आप पैराग्राफ में लिखी हरेक बात बता देंगे, तो दूसरों के कहने के लिए कुछ बचेगा ही नहीं। प्र23.04 पेज 22-23 पै 11-13
शनिवार, 4 अक्टूबर
मैं सबकुछ खुशखबरी की खातिर करता हूँ ताकि यह खबर मैं दूसरों को सुना सकूँ।—1 कुरिं. 9:23.
हमें याद रखना चाहिए कि दूसरों की मदद करते रहना बहुत ज़रूरी है, खासकर प्रचार काम करके। हमें प्रचार में फेरबदल करने के लिए तैयार रहना चाहिए। हम जिन लोगों को प्रचार करते हैं, वे अलग-अलग माहौल में पले-बढ़े होते हैं, उनके तौर-तरीके और रहन-सहन अलग-अलग होता है। और जब ईश्वर को मानने की बात आती है, तो सबका अपना-अपना विश्वास होता है। लोगों के हालात को ध्यान में रखकर उनसे बात करने के मामले में पौलुस एक अच्छी मिसाल है। पौलुस को यीशु मसीह ने “गैर-यहूदी राष्ट्रों के लिए प्रेषित” चुना था। (रोमि. 11:13) पर उसने यहूदियों, यूनानियों, पढ़े-लिखे लोगों, गाँववालों, बड़े-बड़े अधिकारियों और राजाओं सबको प्रचार किया। इतने अलग-अलग तरह के लोगों के दिलों में सच्चाई का बीज बोने के लिए पौलुस “सब किस्म के लोगों के लिए सबकुछ बना।” (1 कुरिं. 9:19-22) वह इस बात पर ध्यान देता था कि वह जिन लोगों को प्रचार कर रहा है, वे किस संस्कृति से हैं, किस माहौल में पले-बढ़े हैं और वे क्या मानते हैं। फिर उसके हिसाब से वह प्रचार करने के तरीके में फेरबदल करता था। उसी तरह अगर हम यह सोचें कि हमें अलग-अलग लोगों से किस तरह बात करनी चाहिए और फिर उस हिसाब से अपने प्रचार करने के तरीके में फेरबदल करें, तो हम उन्हें अच्छी तरह गवाही दे पाएँगे। प्र23.07 पेज 23 पै 11-12
रविवार, 5 अक्टूबर
प्रभु के दास को लड़ने की ज़रूरत नहीं बल्कि ज़रूरी है कि वह सब लोगों के साथ नरमी से पेश आए।—2 तीमु. 2:24.
कोमल स्वभाव का होना कोई कमज़ोरी नहीं है। वह इसलिए कि किसी मुश्किल हालात में खुद पर काबू रखने के लिए ताकत चाहिए होती है। कोमलता ‘पवित्र शक्ति के फल’ का एक पहलू है। (गला. 5:22, 23) बाइबल में जिस यूनानी शब्द का अनुवाद “कोमलता” किया गया है, वह शब्द कई बार एक ऐसे जंगली घोड़े के बारे में बताने के लिए इस्तेमाल होता था जिसे काबू में रहना सिखाया गया हो। सोचिए, एक जंगली घोड़ा शांत रहना सीख गया है। भले ही अब वह शांत रहता है, पर वह है तो अब भी ताकतवर। तो हम कोमलता को अपनी ताकत कैसे बना सकते हैं? यह हम अपने दम पर नहीं कर सकते। हमें परमेश्वर से पवित्र शक्ति माँगनी होगी, तभी हम अपने अंदर यह बेहतरीन गुण बढ़ा पाएँगे। और कई भाई-बहनों ने ऐसा किया भी है। जब लोगों ने उनसे बहस करने की कोशिश की, तो वे शांत रह पाए और इसका दूसरों पर भी काफी अच्छा असर हुआ।—2 तीमु. 2:24, 25. प्र23.09 पेज 15 पै 3
सोमवार, 6 अक्टूबर
मैंने प्रार्थना की थी। यहोवा ने मेरी बिनती सुनकर मेरी मनोकामना पूरी की।—1 शमू. 1:27.
प्रेषित यूहन्ना ने एक शानदार दर्शन में देखा कि 24 प्राचीन स्वर्ग में यहोवा की उपासना कर रहे हैं। वे यहोवा की तारीफ कर रहे थे और कह रहे थे कि वह “महिमा, आदर और शक्ति पाने के योग्य है।” (प्रका. 4:10, 11) यहोवा के वफादार स्वर्गदूतों के पास भी उसकी तारीफ या महिमा करने की कई वजह हैं। वे स्वर्ग में यहोवा के साथ रहते हैं और उसे अच्छी तरह जानते हैं। यहोवा जो भी करता है, उसे देखकर वे समझ पाते हैं कि वह कैसा परमेश्वर है और उसमें कौन-कौन-से गुण हैं। इसलिए वे खुद को उसकी तारीफ करने से रोक नहीं पाते। (अय्यू. 38:4-7) हमें भी प्रार्थना करते वक्त यहोवा की तारीफ करनी चाहिए, उसे बताना चाहिए कि हमें उसकी कौन-सी बातें अच्छी लगती हैं और क्यों। इसलिए जब आप बाइबल पढ़ें और उसका अध्ययन करें, तो सोचिए कि आपको यहोवा की कौन-सी बातें, उसके कौन-से गुण बहुत अच्छे लगते हैं। (अय्यू. 37:23; रोमि. 11:33) फिर जब आप यहोवा से प्रार्थना करें, तो उस बारे में उसे बताइए और उसकी तारीफ कीजिए। इसके अलावा, सोचिए कि यहोवा आपके लिए और दुनिया-भर में भाई-बहनों के लिए कितना कुछ करता है। —1 शमू. 2:1, 2. प्र23.05 पेज 3-4 पै 6-7
मंगलवार, 7 अक्टूबर
तुम्हारा चालचलन ऐसा हो जैसा यहोवा के सेवक का होना चाहिए।—कुलु. 1:10.
सन् 1919 में परमेश्वर के लोग महानगरी बैबिलोन की कैद से आज़ाद हो गए। और उसी साल “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” को ठहराया गया। यह एकदम सही समय था। “पवित्र मार्ग” बस अभी-अभी खुला था! अब इस दास ने अपना काम शुरू कर दिया और इस पवित्र मार्ग पर चलने के लिए नेकदिल लोगों का स्वागत करने लगा। (मत्ती 24:45-47; यशा. 35:8) बीते समय में वफादार लोगों ने “पवित्र मार्ग” तैयार करने में जो मेहनत की, उसकी वजह से इस मार्ग पर चलनेवाले नए लोग यहोवा और उसके मकसद के बारे में और भी सीख सकते थे। (नीति. 4:18) वे यहोवा के स्तरों के मुताबिक अपनी ज़िंदगी में भी बदलाव कर सकते थे। लेकिन यहोवा यह उम्मीद नहीं करता कि उसके लोग रातों-रात सारे बदलाव कर लें। वह जानता है कि इसमें वक्त लगता है, इसलिए वह धीरे-धीरे उनकी सोच सुधारता है। ज़रा सोचिए वह कितना अच्छा वक्त होगा जब हम सब अपने हर काम से यहोवा का दिल खुश कर पाएँगे! सड़कों की लगातार मरम्मत करना भी ज़रूरी होता है। उसी तरह सन् 1919 से “पवित्र मार्ग” पर लगातार काम हो रहा है, ताकि और भी नेकदिल लोग महानगरी बैबिलोन को छोड़कर इस पर चल सकें। प्र23.05 पेज 17 पै 15-16
बुधवार, 8 अक्टूबर
मैं तुझे कभी नहीं छोड़ूँगा।—इब्रा. 13:5.
जो भाई शासी निकाय की समितियों में मददगार के तौर पर सेवा कर रहे हैं, उन्हें शासी निकाय के भाई खुद ट्रेनिंग देते हैं। ये भाई अभी से संगठन में बड़ी-बड़ी ज़िम्मेदारियाँ सँभाल रहे हैं और वे आगे भी मसीह की भेड़ों की देखभाल करते रहने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। जब बचे हुए अभिषिक्त मसीही महा-संकट के करीब-करीब आखिर में स्वर्ग चले जाएँगे, तब भी धरती पर शुद्ध उपासना होती रहेगी। मसीह की निगरानी में यहोवा के लोग वफादारी से सेवा करते रहेंगे। हम जानते हैं कि उस वक्त मागोग देश का गोग यानी राष्ट्रों का गठबंधन बड़े गुस्से में आकर हम पर हमला करेगा। (यहे. 38:18-20) लेकिन यह हमला सिर्फ कुछ वक्त का होगा और दुश्मन कामयाब नहीं हो पाएँगे, यहोवा के लोग उसकी उपासना करते रहेंगे। यहोवा ज़रूर अपने लोगों को बचाएगा। प्रेषित यूहन्ना ने एक दर्शन में एक “बड़ी भीड़” देखी थी जो मसीह की दूसरी भेड़ों से मिलकर बनी थी। यूहन्ना को बताया गया था कि यह “बड़ी भीड़,” “महा-संकट से निकलकर” आयी है। (प्रका. 7:9, 14) इससे हमें यकीन हो जाता है कि यहोवा हर हाल में अपने लोगों की हिफाज़त करेगा! प्र24.02 पेज 5-6 पै 13-14
गुरुवार, 9 अक्टूबर
पवित्र शक्ति की आग मत बुझाओ।—1 थिस्स. 5:19, फु.
हम पवित्र शक्ति कैसे पा सकते हैं? हम इसके लिए प्रार्थना कर सकते हैं, परमेश्वर के वचन का अध्ययन कर सकते हैं और पवित्र शक्ति के मार्गदर्शन में चलनेवाले उसके संगठन से जुड़े रह सकते हैं। यह सब करने से हम “पवित्र शक्ति का फल” पैदा कर पाएँगे यानी परमेश्वर के जैसे गुण बढ़ा पाएँगे। (गला. 5:22, 23) परमेश्वर सिर्फ उन्हीं लोगों को अपनी पवित्र शक्ति देता है जो अच्छी बातों के बारे में सोचते हैं और अपना चालचलन शुद्ध बनाए रखते हैं। अगर हम गंदी बातों के बारे में सोचते रहें और वैसे ही काम करें, तो परमेश्वर हमें अपनी पवित्र शक्ति देना बंद कर देगा। (1 थिस्स. 4:7, 8) अगर हम चाहते हैं कि हमें लगातार पवित्र शक्ति मिलती रहे, तो यह भी ज़रूरी है कि हम ‘भविष्यवाणियों को तुच्छ न समझें।’ (1 थिस्स. 5:20) यहाँ “भविष्यवाणियों” का मतलब वे बातें हैं जो परमेश्वर ने अपनी पवित्र शक्ति के ज़रिए लिखवायी हैं, जैसे उसके दिन के बारे में और इस बारे में कि वह दिन कितना करीब है। इसलिए हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हर-मगिदोन के आने में अभी देर है या यह हमारे जीते-जी नहीं आएगा। इसके बजाय हमें यह सोचना चाहिए कि वह बहुत जल्द आनेवाला है। ऐसा हम तभी कर पाएँगे जब हम अपना चालचलन शुद्ध बनाए रखेंगे और “परमेश्वर की भक्ति के काम” करेंगे।—2 पत. 3:11, 12. प्र23.06 पेज 12 पै 13-14
शुक्रवार, 10 अक्टूबर
यहोवा का डर मानना बुद्धि की शुरूआत है।—नीति. 9:10.
अगर हमारे फोन या कंप्यूटर वगैरह पर अचानक कोई गंदी (पोर्नोग्राफी वाली) तसवीर आ जाए, तो हम मसीहियों को क्या करना चाहिए? हमें तुरंत उससे अपनी नज़रें हटा लेनी चाहिए। उस वक्त अगर हम याद रखें कि यहोवा के साथ हमारा रिश्ता कितना अनमोल है, तो हम यह कदम उठा पाएँगे। हो सकता है, कोई तसवीर इतनी गंदी ना हो, लेकिन उसे देखने से हमारे मन में अनैतिक खयाल आएँ। इस तरह की तसवीरें भी हमें क्यों नहीं देखनी चाहिए? क्योंकि हम ऐसा कुछ नहीं करना चाहते जिससे हमारे मन में बुरे खयाल आएँ या हम दिल में व्यभिचार कर बैठें। (मत्ती 5:28, 29) थाईलैंड में रहनेवाले भाई डेविड जो एक प्राचीन हैं, कहते हैं, “मैं सोचता हूँ, ‘भले ही कोई तसवीर इतनी गंदी ना हो, लेकिन अगर मैं उसे देखता रहूँ, तो क्या यहोवा मुझसे खुश होगा?’ इस तरह सोचने से मैं सही कदम उठा पाता हूँ।” अगर हममें इस बात का डर हो कि कोई गलत काम करने से हम यहोवा का दिल दुखाएँगे, तो हम बुद्धि से काम लेंगे। प्र23.06 पेज 23 पै 12-13
शनिवार, 11 अक्टूबर
हे मेरे लोगो, अपने-अपने अंदरवाले कमरे में जाओ।—यशा. 26:20.
‘अंदरवाले कमरों’ का मतलब हमारी मंडलियाँ हो सकती हैं। यहोवा ने वादा किया है कि अगर हम अपने भाई-बहनों के साथ मिलकर उसकी उपासना करते रहें, तो महा-संकट के दौरान वह हमारी हिफाज़त करेगा। इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि आज हम अपने भाई-बहनों को सिर्फ बरदाश्त ना करें, बल्कि उनसे प्यार करें, भले ही यह मुश्किल क्यों ना हो। इससे आगे चलकर हमारी जान बच सकती है! जब “यहोवा का महान दिन” आएगा, तो सभी इंसानों के लिए वह बहुत मुश्किल दौर होगा। (सप. 1:14, 15) यहोवा के लोगों को भी मुश्किलों का सामना करना होगा। लेकिन अगर हम अभी से खुद को तैयार करें, तो हम उस वक्त शांत रह पाएँगे और दूसरों की मदद कर पाएँगे। हमारे सामने चाहे कैसी भी मुश्किल आए, हम धीरज धर पाएँगे। और जब हमारे भाई-बहन किसी मुश्किल से गुज़रेंगे, तो हमारे दिल में उनके लिए करुणा होगी। और उनकी मदद करने के लिए हमसे जो बन पड़ेगा, हम करेंगे। और आज अगर हम भाई-बहनों से प्यार करें, तो उस वक्त भी हम उनका साथ नहीं छोड़ेंगे। फिर यहोवा हमें नयी दुनिया में हमेशा की ज़िंदगी देगा, जहाँ हर तरह की विपत्तियाँ और मुश्किलें बीती बातें बनकर रह जाएँगी।—यशा. 65:17. प्र23.07 पेज 7 पै 16-17
रविवार, 12 अक्टूबर
[यहोवा] तुम्हें मज़बूत करेगा, शक्तिशाली बनाएगा और मज़बूती से खड़ा करेगा।—1 पत. 5:10.
बाइबल में अकसर बताया गया है कि यहोवा के वफादार सेवक ताकतवर थे। लेकिन जो बहुत ताकतवर थे, उन्हें भी हमेशा ऐसा नहीं लगता था कि वे ताकतवर हैं। जैसे राजा दाविद को कई बार लगा कि वह “पहाड़ जैसा मज़बूत” है, लेकिन कभी-कभी वह “बहुत डर” भी गया। (भज. 30:7) शिमशोन पर जब परमेश्वर की पवित्र शक्ति काम करने लगती थी, तो उसमें गज़ब की ताकत आ जाती थी। लेकिन वह जानता था कि परमेश्वर की पवित्र शक्ति के बिना उसकी ‘ताकत खत्म हो जाएगी और वह बाकी आदमियों की तरह हो जाएगा।’ (न्यायि. 14:5, 6; 16:17) सच में, इन वफादार सेवकों को यहोवा ने ही ताकतवर बनाया था। प्रेषित पौलुस जानता था कि उसे भी यहोवा से ताकत चाहिए। (2 कुरिं. 12:9, 10) उसे सेहत से जुड़ी कुछ समस्याएँ थीं। (गला. 4:13, 14) कभी-कभी उसे सही काम करना भी मुश्किल लगता था। (रोमि. 7:18, 19) और कई बार तो उसे बहुत चिंता होती थी और उसे यह सोचकर डर लगता था कि पता नहीं उसके साथ आगे क्या होगा। (2 कुरिं. 1:8, 9) फिर भी पौलुस ने कहा कि जब वह कमज़ोर होता है, तभी ताकतवर होता है। वह ऐसा क्यों कह पाया? यहोवा ने उसे ताकत दी। उसी ने पौलुस को मज़बूत किया। प्र23.10 पेज 12 पै 1-2
सोमवार, 13 अक्टूबर
यहोवा दिल देखता है।—1 शमू. 16:7.
कभी-कभी शायद हमें लगे कि हम किसी काम के नहीं हैं। ऐसे में हमें याद रखना चाहिए कि यहोवा ने खुद हमें अपने पास खींचा है। (यूह. 6:44) वह हमारा दिल देखता है। वह हममें ऐसी अच्छाइयाँ देखता है, जो शायद हम खुद में देख ही ना पाएँ। (2 इति. 6:30) इसलिए जब वह कहता है कि वह हमसे प्यार करता है और हमें अनमोल समझता है, तो हम उस पर पूरा यकीन रख सकते हैं। (1 यूह. 3:19, 20) सच्चाई सीखने से पहले हममें से कुछ लोगों ने ऐसे काम किए थे जिनकी वजह से शायद हम आज भी दोषी महसूस करते हों। (1 पत. 4:3) दूसरे वफादार मसीहियों को भी अपनी कमज़ोरियों से लड़ना पड़ता है। क्या आपके साथ भी ऐसा ही है? क्या आपको लगता है कि यहोवा आपको कभी माफ नहीं कर सकता? अगर हाँ, तो आप अकेले नहीं हैं। बीते ज़माने में यहोवा के सेवकों ने भी ऐसा महसूस किया था। ज़रा प्रेषित पौलुस के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। जब वह इस बारे में सोचता था कि उसमें कितनी खामियाँ हैं, कितनी कमज़ोरियाँ हैं, तो उसे बहुत बुरा लगता था। (रोमि. 7:24) पौलुस ने पहले जो पाप किए थे, उनके लिए उसने पश्चाताप किया था और बपतिस्मा लिया था। फिर भी उसने कहा, “मैं प्रेषितों में सबसे छोटा हूँ” और “पापियों में सबसे बड़ा।”—1 कुरिं. 15:9; 1 तीमु. 1:15. प्र24.03 पेज 27 पै 5-6
मंगलवार, 14 अक्टूबर
लोगों ने . . . परमेश्वर यहोवा का भवन छोड़ दिया।—2 इति. 24:18.
राजा यहोआश ने जो गलत फैसला लिया उससे एक सबक हम यह सीखते हैं कि हमें उन लोगों से दोस्ती करनी चाहिए जो यहोवा से प्यार करते हैं और उसे खुश करना चाहते हैं। ऐसे दोस्त हमें सही काम करने का बढ़ावा देंगे। और ज़रूरी नहीं कि हम सिर्फ अपनी उम्र के लोगों से दोस्ती करें। हम अपने से छोटों या बड़ों से भी दोस्ती कर सकते हैं। याद है, यहोआश का दोस्त यहोयादा उससे काफी बड़ा था? तो जब दोस्तों की बात आती है, तो सोचिए, ‘क्या मेरे दोस्त यहोवा पर विश्वास बढ़ाने में मेरी मदद करते हैं? क्या वे मुझे यहोवा की बात मानने का बढ़ावा देते हैं? क्या वे यहोवा के बारे में और बाइबल की सच्चाइयों के बारे में बात करते हैं? क्या वे खुद यहोवा के स्तर मानते हैं? जब मैं कुछ गलत करता हूँ, तो क्या वे मुझे सुधारते हैं या बस मक्खन लगाते रहते हैं?’ (नीति. 27:5, 6, 17) सच तो यह है, अगर आपके दोस्त यहोवा से प्यार नहीं करते, तो आपको उनसे दोस्ती रखने की कोई ज़रूरत नहीं है। लेकिन अगर आपके दोस्त यहोवा से प्यार करते हैं, तो उनका हाथ कभी मत छोड़िए। वे हमेशा आपकी मदद करेंगे।—नीति. 13:20. प्र23.09 पेज 9 पै 6-7
बुधवार, 15 अक्टूबर
मैं ही अल्फा और ओमेगा हूँ।—प्रका. 1:8, फु.
“अल्फा” यूनानी अक्षरों में पहला अक्षर है और “ओमेगा” आखिरी अक्षर। तो जब यहोवा ने कहा कि “मैं ही अल्फा और ओमेगा हूँ,” तो वह एक तरह से यह कह रहा था कि जब वह कोई काम शुरू करता है, तो उसे हर हाल में पूरा करता है। आदम और हव्वा को बनाने के बाद यहोवा ने उनसे कहा, “फूलो-फलो और गिनती में बढ़ जाओ, धरती को आबाद करो और इस पर अधिकार रखो।” (उत्प. 1:28) इस तरह जब परमेश्वर ने अपना मकसद बताया, तो वह एक शुरूआत थी। उस वक्त यहोवा ने मानो “अल्फा” कहा। भविष्य में आदम और हव्वा की परिपूर्ण संतानों से पूरी धरती आबाद हो जाएगी, सभी यहोवा की आज्ञा मानेंगे और धरती एक खूबसूरत फिरदौस बन जाएगी। इस तरह आगे चलकर जब यहोवा का मकसद पूरा होगा, तब वह मानो “ओमेगा” कहेगा। जब यहोवा ने शुरू में “आकाश और पृथ्वी और जो कुछ उनमें है, उन सबको बनाने का काम पूरा” कर लिया था, तब उसने एक गारंटी दी थी। यहोवा ने सातवें दिन को अलग ठहराया ताकि वह पृथ्वी और इंसानों के लिए अपना मकसद पूरा कर सके। तो जब उसने सातवें दिन को पवित्र कहा, तो वह मानो यह गारंटी दे रहा था कि सातवें दिन के आखिर तक उसका मकसद पूरा हो चुका होगा।—उत्प. 2:1-3. प्र23.11 पेज 4-5 पै 13-14
गुरुवार, 16 अक्टूबर
यहोवा का रास्ता तैयार करो, हमारे परमेश्वर के लिए रेगिस्तान से जानेवाला राजमार्ग सीधा करो।—यशा. 40:3.
बैबिलोन से इसराएल तक का सफर काफी मुश्किलों-भरा था, जिसे तय करने में करीब चार महीने लग सकते थे। लेकिन यहोवा ने यहूदियों से वादा किया कि वह उनके रास्ते में आनेवाली हर रुकावट दूर कर देगा। जो यहूदी यहोवा के वफादार थे, वे जानते थे कि यह सफर तय करने के लिए उन्हें त्याग करने पड़ेंगे। पर वे यह भी जानते थे कि ये त्याग उन आशीषों के आगे कुछ भी नहीं जो इसराएल लौटने से उन्हें मिलतीं। सबसे बड़ी आशीष तो यह होती कि अब वे अच्छे-से यहोवा की उपासना कर पाते। बैबिलोन शहर में यहोवा का कोई मंदिर नहीं था, ना ही कोई वेदी थी जिस पर वे मूसा के कानून के हिसाब से बलिदान चढ़ा सकते थे। और उन बलिदानों को चढ़ाने के लिए वहाँ याजकों का भी कोई इंतज़ाम नहीं था। इसके अलावा वे ऐसे लोगों से घिरे हुए थे जो झूठे देवी-देवताओं की उपासना करते थे और जिन्हें यहोवा के स्तरों की ज़रा भी परवाह नहीं थी। उन लोगों की गिनती यहूदियों से कहीं ज़्यादा थी। इस सबकी वजह से हज़ारों वफादार यहूदी अपने देश लौटने के लिए बेताब थे जहाँ वे दोबारा शुद्ध उपासना कर पाते। प्र23.05 पेज 14-15 पै 3-4
शुक्रवार, 17 अक्टूबर
रौशनी की संतानों के नाते चलते रहो।—इफि. 5:8.
हमें पवित्र शक्ति की मदद लेनी होगी ताकि हम हमेशा “रौशनी की संतानों” की तरह जी पाएँ। वह क्यों? क्योंकि यह दुनिया अनैतिक लोगों से भरी पड़ी है। ऐसे में खुद को शुद्ध बनाए रखना आसान नहीं है। (1 थिस्स. 4:3-5, 7, 8) लेकिन पवित्र शक्ति की मदद से हम दुनिया की सोच ठुकरा पाएँगे, हम ऐसी सोच और रवैए को खुद पर हावी नहीं होने देंगे जो परमेश्वर की सोच से मेल नहीं खाता। इसके अलावा पवित्र शक्ति की मदद से हम ‘हर तरह की भलाई और नेकी’ कर पाएँगे। (इफि. 5:9) पवित्र शक्ति पाने का एक तरीका है कि हम उसके लिए प्रार्थना करें। यीशु ने कहा था कि यहोवा “माँगनेवालों को पवित्र शक्ति” ज़रूर देगा। (लूका 11:13) इसके अलावा सभाओं में साथ मिलकर यहोवा की उपासना करने से भी हमें पवित्र शक्ति मिलती है। (इफि. 5:19, 20) जब पवित्र शक्ति हम पर काम करती है, तो हम ऐसी ज़िंदगी जी पाते हैं जिससे यहोवा खुश होता है। प्र24.03 पेज 23-24 पै 13-15
शनिवार, 18 अक्टूबर
माँगते रहो तो तुम्हें दिया जाएगा। ढूँढ़ते रहो तो तुम पाओगे। खटखटाते रहो तो तुम्हारे लिए खोला जाएगा।—लूका 11:9.
क्या आप और भी सब्र से काम लेना चाहते हैं? तो प्रार्थना कीजिए। सब्र पवित्र शक्ति के फल का एक पहलू है। (गला. 5:22, 23) इसलिए यहोवा से पवित्र शक्ति माँगिए और उससे बिनती कीजिए कि आप सब्र रख पाएँ। अगर कभी आपके सामने ऐसे हालात आएँ, जब आपको सब्र रखना मुश्किल लगे, तो पवित्र शक्ति ‘माँगते रहिए।’ (लूका 11:13) हम यह भी बिनती कर सकते हैं कि हम हालात को उसी नज़र से देख पाएँ जैसे यहोवा देखता है। फिर प्रार्थना करने के बाद हमें हर दिन सब्र रखने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। हम सब्र रखने के लिए जितना ज़्यादा प्रार्थना करेंगे और ऐसा करने की जितनी कोशिश करेंगे, उतना ही ज़्यादा हम सब्र रख पाएँगे और फिर यह हमारी आदत बन जाएगी। इसके अलावा, बाइबल में दिए उदाहरणों पर भी मनन कीजिए। बाइबल में ऐसे कई लोगों के बारे में बताया गया है जिन्होंने सब्र से काम लिया। उन लोगों के किस्से पढ़कर और उन पर मनन करके हम जान सकते हैं कि हम कैसे अलग-अलग हालात में सब्र से काम ले सकते हैं। प्र23.08 पेज 22 पै 10-11
रविवार, 19 अक्टूबर
‘वहाँ अपने जाल डालो।’—लूका 5:4.
यीशु ने प्रेषित पतरस को भरोसा दिलाया कि यहोवा उसकी ज़रूरतें पूरी करेगा। ज़िंदा होने के बाद यीशु ने फिर से एक चमत्कार किया, जिस वजह से पतरस और दूसरे प्रेषित बहुत सारी मछलियाँ पकड़ पाए। (यूह. 21:4-6) इस चमत्कार से एक बार फिर पतरस को यकीन हो गया होगा कि यहोवा उसकी ज़रूरतें पूरी करेगा। शायद उसे यीशु की यह बात भी याद आयी होगी कि जो हमेशा ‘परमेश्वर के राज को पहली जगह देते’ हैं, यहोवा उनकी ज़रूरतें पूरी करता है। (मत्ती 6:33) इसी वजह से पतरस ने मछली पकड़ने के अपने कारोबार को नहीं, बल्कि प्रचार काम को ज़िंदगी में पहली जगह दी। फिर ईसवी सन् 33 में पिन्तेकुस्त के दिन उसने हिम्मत से यीशु के बारे में लोगों को बताया जिस वजह से हज़ारों लोगों ने खुशखबरी कबूल की। (प्रेषि. 2:14, 37-41) इसके बाद उसने सामरियों और गैर-यहूदियों को भी मसीह का चेला बनने में मदद की। (प्रेषि. 8:14-17; 10:44-48) यहोवा ने कितने बढ़िया तरीके से उसे सेवा करने का मौका दिया! पतरस के ज़रिए वह सब किस्म के लोगों को मसीही मंडली में लाया। प्र23.09 पेज 20 पै 1; पेज 23 पै 11
सोमवार, 20 अक्टूबर
तुम लोग बताओ कि मैंने क्या सपना देखा और उसका मतलब क्या है। वरना तुम्हारे टुकड़े-टुकड़े कर दिए जाएँगे।—दानि. 2:5.
जब बैबिलोन के हाथों यरूशलेम का नाश हुए करीब दो साल हो गए थे, तब बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर ने सपने में एक विशाल मूरत देखी, जिस वजह से वह बहुत बेचैन हो गया। उसने अपने ज्ञानियों से कहा कि वे उसका सपना और उसका मतलब बताएँ और अगर वे नहीं बता पाए, तो उन्हें जान से मार डाला जाएगा। दानियेल की जान को भी खतरा था। (दानि. 2:3-5) उसे फौरन कदम उठाना था, क्योंकि बहुत-से लोगों की जान दाँव पर लगी थी। वह “राजा के सामने गया और उससे गुज़ारिश की कि अगर राजा उसे थोड़ा वक्त दे, तो वह उसे सपने का मतलब बता सकता है।” (दानि. 2:16) इससे पता चलता है कि दानियेल कितना हिम्मतवाला था और उसे परमेश्वर पर कितना विश्वास था। हम यह क्यों कह सकते हैं? क्योंकि बाइबल में ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि दानियेल ने पहले कभी किसी सपने का मतलब बताया था। उसने अपने दोस्तों से “यह प्रार्थना करने के लिए कहा कि स्वर्ग का परमेश्वर दया करे और इस रहस्य का खुलासा करे।” (दानि. 2:18) यहोवा ने उनकी प्रार्थनाएँ सुन लीं। परमेश्वर की मदद से दानियेल नबूकदनेस्सर के सपने का मतलब बता पाया। इससे दानियेल और उसके दोस्तों की जान बच गयी। प्र23.08 पेज 3 पै 4
मंगलवार, 21 अक्टूबर
जो अंत तक धीरज धरेगा, वही उद्धार पाएगा।—मत्ती 24:13.
सोचिए कि सब्र रखने के कितने फायदे होते हैं। जब हम सब्र रखते हैं, तो हम ज़्यादा खुश रह पाते हैं और शांत रहते हैं। इससे काफी हद तक हमारी सेहत अच्छी रहती है और हमें बेवजह तनाव नहीं होता। सब्र रखने से दूसरों के साथ भी हमारे रिश्ते अच्छे हो जाते हैं। मंडली में एकता का बंधन और भी मज़बूत होता है। और अगर कोई हमें भड़काने की कोशिश करे, तो हम जल्दी गुस्सा नहीं होते और इससे बात और नहीं बिगड़ती। (भज. 37:8, फु.; नीति. 14:29) सबसे बढ़कर, हम अपने पिता यहोवा की तरह बन रहे होते हैं और उसके और भी करीब आ जाते हैं। सच में, सब्र कितना बढ़िया गुण है और इसके कितने फायदे होते हैं! सब्र रखना हमेशा आसान तो नहीं होता, लेकिन यहोवा की मदद से हम और भी सब्र से काम ले सकते हैं। और जब तक हम ‘सब्र रख रहे हैं’ और नयी दुनिया का “इंतज़ार” कर रहे हैं, हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हमारी मदद करेगा और हमारी हिफाज़त करेगा। (मीका 7:7, फु.) तो आइए ठान लें कि हम हमेशा सब्र का पहनावा पहने रहेंगे! प्र23.08 पेज 22 पै 7; पेज 25 पै 16-17
बुधवार, 22 अक्टूबर
सिर्फ विश्वास होना काफी नहीं, विश्वास कामों के बिना मरा हुआ है।—याकू. 2:17.
याकूब ने कहा कि एक आदमी शायद दावा करे कि उसे विश्वास है, लेकिन उसके काम तो कुछ और ही दिखाते हैं। (याकू. 2:1-5, 9) याकूब ने एक और व्यक्ति के बारे में बताया। वह व्यक्ति देखता है कि ‘उसके किसी भाई या बहन के पास कपड़े नहीं हैं या दो वक्त की रोटी नहीं है,’ लेकिन वह उसकी कोई मदद नहीं करता। अगर ऐसा व्यक्ति कहे कि उसे विश्वास है, लेकिन वह अपने विश्वास के मुताबिक काम ना करे, तो उसका विश्वास किसी काम का नहीं है। (याकू. 2:14-16) याकूब ने राहाब की मिसाल देकर बताया कि अगर हमें विश्वास है, तो हम कामों से उसे ज़ाहिर करेंगे। (याकू. 2:25, 26) राहाब ने सुना था कि यहोवा इसराएलियों की मदद कर रहा है और वह भी उस पर विश्वास करने लगी थी। (यहो. 2:9-11) और उसने अपना यह विश्वास कामों से ज़ाहिर किया। जब दो इसराएली जासूसों की जान खतरे में थी, तो उसने उनकी हिफाज़त की। यही वजह थी कि अब्राहम की तरह उसे भी नेक कहा गया, जबकि वह भी अपरिपूर्ण थी और मूसा का कानून नहीं मानती थी। राहाब से हम सीखते हैं कि विश्वास होने के साथ-साथ काम करना भी बहुत ज़रूरी है। प्र23.12 पेज 5 पै 12-13
गुरुवार, 23 अक्टूबर
मेरी दुआ है कि तुम गहराई तक जड़ पकड़ो और उस नींव पर मज़बूती से टिके रहो।—इफि. 3:17.
हम मसीही बाइबल का सिर्फ ऊपरी तौर पर ज्ञान लेकर ही संतुष्ट नहीं हो जाते। हम पवित्र शक्ति की मदद से ‘परमेश्वर की गहरी बातें’ भी जानना चाहते हैं। (1 कुरिं. 2:9, 10) तो क्यों ना अपने निजी अध्ययन के दौरान ऐसे विषयों पर अध्ययन करें जिससे आप यहोवा के और करीब आ सकें? जैसे आप चाहें तो इस बारे में खोजबीन कर सकते हैं कि यहोवा ने पुराने ज़माने में अपने सेवकों के लिए कैसे अपना प्यार ज़ाहिर किया और इससे यह कैसे साबित होता है कि वह आपसे भी प्यार करता है। या आप इस बारे में अध्ययन कर सकते हैं कि पुराने ज़माने में यहोवा ने इसराएलियों को उपासना करने का जो तरीका बताया था और आज उसने मसीहियों से जिस तरह उपासना करने को कहा है, उसमें कौन-सी बातें एक जैसी हैं। या फिर आप उन भविष्यवाणियों का गहराई से अध्ययन कर सकते हैं, जिन्हें यीशु ने धरती पर सेवा करते वक्त पूरा किया था। आप इन विषयों पर खोजबीन करने के लिए यहोवा के साक्षियों के लिए खोजबीन गाइड का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तरह अध्ययन करने से आपको बहुत खुशी होगी। जब आप बाइबल का गहराई से अध्ययन करेंगे, तो आपका विश्वास मज़बूत होगा और आपको “परमेश्वर का ज्ञान हासिल होगा।”—नीति. 2:4, 5. प्र23.10 पेज 19 पै 3-5
शुक्रवार, 24 अक्टूबर
सबसे बढ़कर, एक-दूसरे को दिल की गहराइयों से प्यार करो क्योंकि प्यार ढेर सारे पापों को ढक देता है।—1 पत. 4:8.
यहाँ प्रेषित पतरस ने जिस तरह के प्यार की बात की, उसके लिए जो यूनानी शब्द इस्तेमाल हुआ है, उसका मतलब है, “खींचकर फैलाया गया।” आयत के दूसरे भाग में बताया गया है कि जब हम भाई-बहनों से इस तरह का प्यार करते हैं, तो क्या होता है। यह उनके पाप ढक देता है। यह ऐसा है मानो आप अपने दोनों हाथ से प्यार का एक ऐसा कपड़ा पकड़े हुए हैं जिसे खींचा जा सकता है। आप उसे इतना खींचते हैं कि इससे दूसरों के एक-दो नहीं, बल्कि ‘ढेर सारे पाप’ ढक जाते हैं। जब पतरस ने पापों को ढक देने की बात की, तो उसका मतलब था उन्हें माफ कर देना। ठीक जैसे एक कपड़ा बिछा देने से दाग-धब्बे ढक जाते हैं, उसी तरह प्यार से हम दूसरों की कमज़ोरियाँ और खामियाँ ढक सकते हैं। हमें भाई-बहनों से इतना प्यार करना है कि हम उनकी गलतियाँ माफ कर सकें, उस वक्त भी जब ऐसा करना हमारे लिए मुश्किल हो। (कुलु. 3:13) जब हम भाई-बहनों को माफ करते हैं, तो इससे पता चलता है कि हम उनसे बहुत प्यार करते हैं और हम यहोवा को भी खुश करना चाहते हैं। प्र23.11 पेज 10-11 पै 13-15
शनिवार, 25 अक्टूबर
शापान राजा को वह किताब पढ़कर सुनाने लगा।—2 इति. 34:18.
जब राजा योशियाह बड़ा हुआ, तब उसने मंदिर की मरम्मत करवाना शुरू कर दिया। उस दौरान “यहोवा के कानून की वह किताब मिली जो मूसा के ज़रिए दी गयी थी।” जब उसे वह किताब पढ़कर सुनायी गयी, तो उसकी बातें उसके दिल को छू गयीं और उसने फौरन कदम उठाया। (2 इति. 34:14, 19-21) क्या आप हर दिन बाइबल पढ़ना चाहते हैं? अगर आप ऐसा कर रहे हैं, तो आपको कैसा लग रहा है? क्या आप वे आयतें कहीं लिखकर रखते हैं जिनसे आपको मदद मिल सकती है? जब योशियाह 39 साल का था, तब उसने एक बहुत बड़ी गलती की। उसने यहोवा से सलाह लेने के बजाय खुद पर भरोसा किया। (2 इति. 35:20-25) इस वजह से उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इससे हम एक सबक सीख सकते हैं। हम चाहे कितने भी बड़े हो जाएँ या कितने भी समय से बाइबल का अध्ययन कर रहे हों, हमें हमेशा यहोवा की सोच जानने की कोशिश करते रहनी चाहिए। हमें लगातार यहोवा से प्रार्थना करते रहनी चाहिए कि वह हमें सही राह दिखाए, हमें उसके वचन बाइबल का अध्ययन करते रहना चाहिए और उन मसीहियों से सलाह लेते रहनी चाहिए जिन्हें तजुरबा है। जब हम ऐसा करेंगे, तो मुमकिन है कि हमसे कोई बड़ी गलती नहीं होगी और हम खुश रहेंगे।—याकू. 1:25. प्र23.09 पेज 12 पै 15-16
रविवार, 26 अक्टूबर
परमेश्वर घमंडियों का विरोध करता है, मगर नम्र लोगों पर महा-कृपा करता है।—याकू. 4:6.
बाइबल में ऐसी बहुत-सी औरतों के बारे में बताया गया है जो यहोवा से प्यार करती थीं और जिन्होंने तन-मन से उसकी सेवा की। वे ‘हर बात में संयम बरतती थीं’ और “सब बातों में विश्वासयोग्य” थीं। (1 तीमु. 3:11) नौजवान बहनो, आप इन औरतों से बहुत कुछ सीख सकती हैं। इनके अलावा हो सकता है, आपकी मंडली में भी ऐसी बहुत-सी प्रौढ़ बहनें हों जिनसे आप काफी कुछ सीख सकती हैं। ज़रा कुछ ऐसी प्रौढ़ बहनों के बारे में सोचिए जिनकी तरह आप बनना चाहती हैं। ध्यान दीजिए कि उनमें कौन-से गुण हैं और फिर सोचिए कि आप उनकी तरह कैसे बन सकती हैं। एक प्रौढ़ या अच्छा मसीही बनने के लिए नम्र होना बहुत ज़रूरी है। जो बहन नम्र होती है, उसका यहोवा और दूसरों के साथ एक अच्छा रिश्ता होता है। जैसे अगर एक बहन नम्र हो और यहोवा से प्यार करती हो, तो वह 1 कुरिंथियों 11:3 में दिया सिद्धांत मानेगी और मंडली में या परिवार में जिन्हें कुछ अधिकार दिया गया है, उनके अधीन रहेगी। प्र23.12 पेज 18-19 पै 3-5
सोमवार, 27 अक्टूबर
पतियों को चाहिए कि वे अपनी-अपनी पत्नी से ऐसे प्यार करें जैसे अपने शरीर से।—इफि. 5:28.
यहोवा चाहता है कि एक आदमी अपनी पत्नी से प्यार करे और उसकी ज़रूरतों का खयाल रखे, उसका अच्छा दोस्त हो और परमेश्वर के साथ रिश्ता मज़बूत करने में उसकी मदद करे। अगर आप अभी से सोचने-परखने की काबिलीयत बढ़ाएँ, औरतों की इज़्ज़त करना सीखें और भरोसेमंद बनें, तो आप आगे चलकर एक अच्छे जीवन-साथी बन पाएँगे। शादी के बाद शायद आपके बच्चे भी हों। तो आप एक अच्छे पिता कैसे बन सकते हैं? आप यहोवा से सीख सकते हैं। (इफि. 6:4) यहोवा ने खुलकर अपने बेटे यीशु को बताया कि वह उससे प्यार करता है और उससे खुश है। (मत्ती 3:17) तो आगे चलकर अगर आप पिता बनें, तो आप भी अपने बच्चों को यकीन दिलाना कि आप उनसे प्यार करते हैं। जब भी वे कुछ अच्छा काम करें, तो खुलकर उनकी तारीफ करना। जब आप इस तरह अपने बच्चों से पेश आएँगे, तो आगे चलकर वे भी प्रौढ़ मसीही बन पाएँगे। तो अभी से अपने परिवारवालों और मंडली के भाई-बहनों की परवाह कीजिए, उन्हें बताइए कि आप उनसे बहुत प्यार करते हैं और उन्हें बहुत अनमोल समझते हैं।—यूह. 15:9. प्र23.12 पेज 28-29 पै 17-18
मंगलवार, 28 अक्टूबर
हे यहोवा, तेरा अटल प्यार मुझे सँभाले रहा।—भज. 94:18.
दुनिया के लोगों की तरह यहोवा के वफादार सेवकों को भी कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा कई लोग हमारा विरोध करते हैं या हम पर ज़ुल्म करते हैं क्योंकि हम यहोवा की सेवा करते हैं। यहोवा शायद हमें इस तरह की मुश्किलों से ना बचाए, लेकिन उसने वादा किया है कि वह इन्हें पार करने में हमारी मदद ज़रूर करेगा। (यशा. 41:10) उसकी मदद से हम मुश्किल-से-मुश्किल घड़ी में भी खुश रह सकते हैं, सही फैसले कर सकते हैं और उसके वफादार रह सकते हैं। यहोवा ने वादा किया है कि वह हमें ऐसी शांति देगा जिसे बाइबल में ‘परमेश्वर की शांति’ कहा गया है। (फिलि. 4:6, 7) यह एक ऐसा सुकून है जो हमें तब मिलता है जब यहोवा के साथ हमारा मज़बूत रिश्ता होता है। यह शांति हमारी “समझ से परे है,” यह एक ऐसा एहसास है जिसे हम शब्दों में बयान नहीं कर सकते। क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि आपने यहोवा से गिड़गिड़ाकर प्रार्थना की और फिर आपका मन एकदम शांत हो गया? यही है ‘परमेश्वर की शांति।’ प्र24.01 पेज 20 पै 2; पेज 21 पै 4
बुधवार, 29 अक्टूबर
मेरा मन यहोवा की तारीफ करे, मेरा रोम-रोम उसके पवित्र नाम की तारीफ करे।—भज. 103:1.
यहोवा के वफादार सेवक उससे प्यार करते हैं, इसलिए वे पूरे दिल से उसके नाम की तारीफ करते हैं। राजा दाविद जानता था कि यहोवा के नाम की तारीफ करने का मतलब है, खुद यहोवा की तारीफ करना। वह इसलिए कि यहोवा नाम सुनते ही मन में एक ऐसे शख्स की तसवीर आ जाती है जिसमें बहुत बढ़िया गुण हैं और जिसने लाजवाब काम किए हैं। इसी वजह से दाविद अपने पिता के नाम को पवित्र करना चाहता था और दिलो-जान से उसकी तारीफ करना चाहता था। वह चाहता था कि उसका “रोम-रोम” यहोवा की तारीफ करे। दाविद की तरह लेवियों ने भी बढ़-चढ़कर यहोवा की तारीफ की। वे नम्र थे, इसलिए उन्होंने कहा कि वे यहोवा के पवित्र नाम की चाहे जितनी भी तारीफ करें, वह कम है। (नहे. 9:5) इसमें कोई शक नहीं कि लेवियों की दिल से की गयी तारीफ सुनकर यहोवा बहुत खुश हुआ होगा। प्र24.02 पेज 9 पै 6
गुरुवार, 30 अक्टूबर
हमने जिस हद तक तरक्की की है, आओ हम इसी राह पर कायदे से चलते रहें।—फिलि. 3:16.
आपने जो लक्ष्य रखा था, अगर वह आपके बस के बाहर हो, तो यहोवा यह नहीं सोचेगा कि आप नाकाम हो गए हैं। (2 कुरिं. 8:12) जब कोई रुकावट आए, तो उससे सबक लीजिए। आपने अब तक जो-जो किया है, उसे याद रखिए। बाइबल में लिखा है कि ‘परमेश्वर अन्यायी नहीं कि तुम्हारे काम भूल जाए।’ (इब्रा. 6:10) आपको भी अपने काम नहीं भूलने चाहिए। सोचिए कि आपने अब तक क्या-क्या हासिल किया है। जैसे आप यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्ता बना पाए हैं, आप उसके बारे में दूसरों को बताते हैं या आपने बपतिस्मा लिया है। जिस तरह अब तक आपने तरक्की की है और अपने लक्ष्य हासिल किए हैं, उसी तरह आगे भी आप तरक्की करते रह सकते हैं और अपना लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। आप यहोवा की मदद से अपना लक्ष्य हासिल कर सकते हैं और खुशी पा सकते हैं। जब आप अपना लक्ष्य पाने के लिए मेहनत करते हैं, तो ध्यान दीजिए कि यहोवा कैसे आपकी मदद कर रहा है और आपको आशीषें दे रहा है और इस बात से खुशी पाइए। (2 कुरिं. 4:7) अगर आप हिम्मत ना हारें, तो आप और भी आशीषें पाएँगे!—गला. 6:9. प्र23.05 पेज 31 पै 16-18
शुक्रवार, 31 अक्टूबर
पिता खुद तुमसे लगाव रखता है क्योंकि तुम मुझसे लगाव रखते हो और तुमने यकीन किया है कि मैं परमेश्वर की तरफ से आया हूँ।—यूह. 16:27.
यहोवा जिनसे प्यार करता है, उन्हें बताता है कि वह उनसे खुश है। जैसे बाइबल में लिखा है कि यहोवा ने दो बार यीशु से कहा कि वह उसका प्यारा बेटा है और उसने उसे मंज़ूर किया है। (मत्ती 3:17; 17:5) क्या आप भी यहोवा से यह सुनना चाहते हैं कि वह आपसे खुश है? यहोवा स्वर्ग से तो हमसे बात नहीं करता, लेकिन अपने वचन बाइबल के ज़रिए हमसे बात करता है। जैसे जब हम खुशखबरी की किताबों में यीशु की बातें पढ़ते हैं, तो यह ऐसा है मानो हम यहोवा की बातें सुन रहे हैं। वह क्यों? क्योंकि यीशु बिलकुल अपने पिता की तरह है। तो जब हम पढ़ते हैं कि यीशु ने किस तरह अपने शिष्यों से बात की, कैसे उनके लिए अपना प्यार ज़ाहिर किया, तो हम कल्पना कर सकते हैं कि यहोवा खुद हमसे वे बातें कह रहा है। (यूह. 15:9, 15) और अगर हम पर मुश्किलें आएँ, तो इसका यह मतलब नहीं है कि यहोवा हमसे खुश नहीं है। उलटा उस वक्त हमारे पास यह ज़ाहिर करने का मौका होता है कि हम यहोवा से कितना प्यार करते हैं और उस पर कितना भरोसा रखते हैं।—याकू. 1:12. प्र24.03 पेज 28 पै 10-11