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आपकी मेहनत रंग लाएगी

अगर हम ‘यहोवा की तरफ से आनेवाले अनुशासन और उसी की सोच के मुताबिक’ बच्चों का ‘मन ढालना’ चाहते हैं, तो उनके साथ पारिवारिक उपासना और बाइबल अध्ययन करना बेहद ज़रूरी है। (इफि. 6:4) लेकिन माता-पिता अच्छी तरह जानते हैं कि बच्चे आसानी से ऊब जाते हैं। तो आप ऐसा क्या कर सकते हैं जिससे उनका ध्यान न भटके? गौर कीजिए कुछ माता-पिताओं ने क्या किया है।

अमरीका के कैलिफोर्निया राज्य का रहनेवाला जॉर्ज कहता है, “जब हमारे बच्चे छोटे थे तब मैंने और मेरी पत्नी ने पूरी कोशिश की कि हमारे पारिवारिक अध्ययन में हमेशा नयापन बना रहे। कभी-कभी हम बाइबल के किरदारों की तरह कपड़े पहनते और बाइबल कहानियों की मेरी मनपसंद किताब से कहानी पढ़कर उस घटना का अभिनय करते। हमने इसके लिए कुछ चीज़ें भी तैयार कीं, जैसे तलवार, राजदंड, टोकरियाँ वगैरह। हम एक खेल भी खेलते, जिसका नाम था ‘बताओ मैं कौन हूँ।’ इसमें बाइबल के किरदारों के नाम बताने पड़ते थे। फिर हमने बोर्ड पर खेले जानेवाला एक खेल तैयार किया, जिसमें बाइबल के कुछ आसान, तो कुछ मुश्‍किल सवालों की परचियाँ होती थीं जिनके जवाब देने होते थे। इसके अलावा, हम साथ मिलकर कुछ बनाते भी थे, जैसे नूह के जहाज़ का नमूना या समय की एक तालिका कि बाइबल की फलाँ घटना कब घटी। कभी-कभी हम बाइबल के किरदारों या घटनाओं की तसवीरें बनाते। फिलहाल हम इफिसियों 6:11-17 में ज़िक्र आध्यात्मिक हथियारों की तसवीर बनाने की सोच रहे हैं, जिसके बारे में हममें से हरेक समझाएगा कि फलाँ हथियार किस चीज़ की निशानी है। वाकई, इन तरीकों को अपनाने से हमारा पारिवारिक अध्ययन मज़ेदार हो गया है।”

अमरीका के मिशिगन राज्य की रहनेवाली डेबी कहती है: “जब हमारी बेटी करीब 3 साल की थी, तो उसे सिखाना मुझे और मेरे पति को बहुत मुश्‍किल लग रहा था। फिर एक दिन जब मैं बाइबल कहानियों की मेरी मनपसंद किताब से इसहाक और रिबका की कहानी सुना रही थी, तब मैंने दो गुड़ियाँ अपने हाथ में लीं और उन्हें कठपुतली की तरह इस्तेमाल करके कहानी सुनाने लगी। अब तो वह बड़े ध्यान से मेरी सुनने लगी! और अगले कुछ महीनों के दौरान, उन दो गुड़ियों ने न जाने कितने बाइबल के किरदार निभाए! जब भी हम एक कहानी पढ़कर खत्म करते, तो हमारी बेटी घर में से अपने खिलौने या ऐसी चीज़ें ढूँढ़कर ले आती, जिनकी मदद से कहानी को दोबारा अभिनय करके सुनाया जा सके। कहानी के मुताबिक चीज़ें ढूँढ़ना उसका शौक बन गया। जूते का डिब्बा, राहेल का घर और लाल रंग का फीता उसकी डोरी बनता। उसके पास पाँच फुट का एक नकली साँप था, जिसे वह लंबे डंडेवाली झाड़ू पर लपेट देती जो उसके लिए गिनती 21:4-9 में बताया गया पीतल का साँप बन जाता। हम ये सारी चीज़ें एक थैले में रख देते थे। और हमें बड़ा अच्छा लगता जब हम देखते कि वह अकसर बैठक में अपने ‘बाइबल कहानियों के थैले’ में से कुछ-न-कुछ खोजती रहती और जब वह कहानियों को पूरे हाव-भाव के साथ अपने अंदाज़ में सुनाती, तो हमारी खुशी दुगनी हो जाती!”

बच्चों की परवरिश करना आसान नहीं। और यह भी सच है कि उनमें यहोवा की सेवा करने की इच्छा पैदा करने में वक्‍त लगता है। इसलिए हफ्ते में सिर्फ एक बार अध्ययन करने से बात नहीं बनेगी। फिर भी, पारिवारिक अध्ययन और दूसरे तरीकों से आध्यात्मिक तालीम देने के ज़रिए बच्चों में एक अच्छी बुनियाद डाली जा सकती है। और बेशक, आपकी मेहनत रंग लाएगी!

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