परिवार के शेड्यूल में पारिवारिक अध्ययन
एक मसीही माँ या पिता अपने बच्चों को एक सबसे अनमोल तोहफा दे सकता है। वह यह कि जितना आप यहोवा से प्यार करते हैं, वही प्यार अपने बच्चों में भी पैदा करें। यह तोहफा आप उन्हें तब दे सकते हैं जब आप “घर में बैठे” उनके साथ हर हफ्ते पारिवारिक बाइबल अध्ययन करते हैं। (व्यव. 6:5-7) चाहे आपका साथी सच्चाई में हो, चाहे परिवार के कुछ लोग दूसरे धर्म को मानते हों, या आप ऐसी माँ या ऐसे पिता हों जो अकेले अपने बच्चे को पाल रहे हों, इन सभी हालात में आप लगातार पारिवारिक अध्ययन करने से अपने बच्चे को अपने करीब आने और यहोवा के करीब आने में मदद दे सकते हैं।
2 शुरू करना: सबसे पहले तो आपको पारिवारिक अध्ययन करने की आदत डालनी पड़ेगी। अगर आपको समझ नहीं आ रहा कि कब पारिवारिक अध्ययन किया जाए, तो क्यों न परिवार से इस बारे में पूछें? (नीति. 15:22) अगर आपके बच्चे छोटे हैं तो हफ्ते के दौरान आप थोड़ी देर के लिए कई बार अध्ययन चलाना चाहेंगे। पहले तय कीजिए कि आपके परिवार के लिए कौन-सा वक्त बिलकुल सही होगा। अपने परिवार के शेड्यूल में पारिवारिक अध्ययन के लिए एक समय अलग रखिए और ठान लीजिए कि आप हर हफ्ते उसी वक्त पर अध्ययन करेंगे।
3 आप किस किताब का अध्ययन करेंगे? कुछ लोग, पारिवारिक अध्ययन में अगले कलीसिया पुस्तक अध्ययन या प्रहरीदुर्ग अध्ययन के भाग की तैयारी करते हैं। कुछ और लोगों को खासकर नौजवानों के लिए तैयार की गयी जानकारी का अध्ययन करना अच्छा लगता है। दो बच्चों यानी एक बेटे और बेटी के पिता ने कहा: “हमारे बच्चों को पूरे हफ्ते बड़ी बेसब्री से पारिवारिक अध्ययन का इंतज़ार रहता है, क्योंकि हम उस वक्त बाइबल कहानियों की मेरी पुस्तक की कहानियों का अभिनय करते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि उस कहानी का बच्चों पर बड़ा ज़बरदस्त असर होता है और वे इसे ज़्यादा अच्छी तरह समझ पाते हैं। यह बात मायने नहीं रखती कि हमने एक बार में कितने पैराग्राफ अध्ययन किए।”
4 हर हफ्ते अध्ययन कीजिए: परिवार का अध्ययन हर हफ्ते बिना नागा होना चाहिए और परिवार के सभी लोगों को इसका बेसब्री से इंतज़ार करना चाहिए। हाँ, अगर अचानक कोई रुकावट आ जाए तो इसके दिन और वक्त में थोड़ी फेरबदल की जा सकती है। ऐसे भी मौके आ सकते हैं जब आप जिस किताब का अध्ययन करते हैं उसके बजाय आपको किसी दूसरे विषय पर चर्चा करनी पड़े। चाहे जो भी फेर-बदल करना ज़रूरी हो, परिवार की कोशिश यही रहेगी कि पारिवारिक अध्ययन के अपने ठहराए वक्त पर वे फिर से जल्द-से-जल्द अध्ययन शुरू करें। एक परिवार में बेटी कहती है: “अगर हमारे अध्ययन का वक्त बदलना पड़ता है, तो डैडी हमेशा ऐसी जगह पर अध्ययन का वक्त लिख देते हैं, जहाँ हर कोई इसे देख सके। इससे सभी को पता रहता है कि अध्ययन कब होगा।” पारिवारिक अध्ययन को बिना नागा जारी रखने की ये कोशिशें वाकई तारीफ के काबिल हैं! जब आप अपने बच्चों की “प्रभु [यहोवा] की शिक्षा और अनुशासन में” परवरिश करते रहेंगे तो न सिर्फ अपने बच्चों के लिए बल्कि अपने स्वर्गीय पिता के लिए प्यार का सबूत देंगे।—इफि. 6:4, NHT.