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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (जनता के लिए)—2018
wp18 अंक 2 पेज 8-9

सच्ची भविष्यवाणी का जीता-जागता सबूत

इटली की राजधानी रोम में एक ऐसा स्मारक है, जिसे देखने के लिए दुनिया-भर से लोग आते हैं। यह स्मारक रोम के पसंदीदा सम्राट टाइटस के सम्मान में बनाया गया था।

यह स्मारक “आर्क ऑफ टाइटस” के नाम से जाना जाता है। इस पर दो बड़ी नक्काशियाँ बनी हुई हैं, जो एक ऐतिहासिक घटना को दर्शाती हैं। लेकिन बहुत-से लोगों को नहीं पता कि यह स्मारक इस बात का सबूत है कि बाइबल की भविष्यवाणियाँ सच्ची हैं।

शहर का नाश होगा

ईसवी सन्‌ 30 के आते-आते रोमी साम्राज्य ब्रिटेन और गॉल (जो अब फ्रांस कहलाता है) से लेकर मिस्र तक फैल गया था। इस साम्राज्य के सभी प्रांतों में शांति का माहौल था और लोगों को किसी चीज़ की कमी नहीं थी। लेकिन एक प्रांत ने रोमी सरकार की नाक में दम कर रखा था। वह था यहूदिया।

प्राचीन रोम के बारे में लिखा एक विश्‍वकोश कहता है, “रोमी साम्राज्य में यहूदिया ही एक ऐसा प्रांत था, जहाँ के लोग रोमी लोगों से नफरत करते थे और जिनसे रोमी भी उतनी ही नफरत करते थे। यहूदी लोग उनसे नफरत करते थे क्योंकि रोमी लोगों को उनके रीति-रिवाज़ों की ज़रा भी कदर नहीं थी। वहीं रोमी लोग यहूदियों से नफरत करते थे, क्योंकि वे उनकी सुनना नहीं चाहते थे।” बहुत-से यहूदी मसीहा के आने का इंतज़ार कर रहे थे। उनका मानना था कि वह उन्हें दुष्ट रोमी सरकार से छुटकारा दिलाएगा और फिर इसराएल में खुशहाली लौट आएगी। लेकिन ईसवी सन्‌ 33 में यीशु मसीह ने बताया कि यरूशलेम पर कहर टूट पड़ेगा।

यीशु ने कहा, “वे दिन आएँगे जब तेरे दुश्‍मन तेरे चारों तरफ नुकीले लट्ठों से घेराबंदी कर लेंगे और तुझे हर तरफ से घेर लेंगे। वे तुझे और तेरे बच्चों को ज़मीन पर पटक-पटककर मार डालेंगे। वे तेरे यहाँ एक पत्थर पर दूसरा पत्थर भी नहीं छोड़ेंगे”​—लूका 19:43, 44.

शायद यीशु के शिष्य उसकी यह बात समझ नहीं पाए, क्योंकि दो दिन बाद ही यरूशलेम के मंदिर की ओर देखते हुए एक शिष्य ने उससे कहा, “गुरु, देख! ये कितने बढ़िया पत्थर हैं, कितनी शानदार इमारतें हैं!” कहा जाता है कि मंदिर के कुछ पत्थर करीब 36 फुट (11 मी.) लंबे, 16 फुट (5 मी.) चौड़े और 10 फुट (3 मी.) ऊँचे थे! लेकिन यीशु ने उनसे कहा, “ऐसे दिन आएँगे जब यह सब जो तुम देख रहे हो, इनका एक भी पत्थर दूसरे पत्थर के ऊपर नहीं बचेगा जो ढाया न जाए।”​—मरकुस 13:1; लूका 21:6.

फिर यीशु ने उनसे कहा, “जब तुम यरूशलेम को फौजों से घिरा हुआ देखो, तो जान लेना कि उसके उजड़ने का समय पास आ गया है। तब जो यहूदिया में हों वे पहाड़ों की तरफ भागना शुरू कर दें और जो यरूशलेम के अंदर हों, वे बाहर निकल जाएँ और जो देहातों में हों वे यरूशलेम में न जाएँ।” (लूका 21:20, 21) क्या यीशु की यह बात पूरी हुई?

शहर का नाश हो गया

यीशु को यह बात कहे 33 साल हो चुके थे, लेकिन अब भी यहूदिया पर रोमी सरकार राज कर रही थी। फिर ईसवी सन्‌ 66 में जब यहूदिया के राज्यपाल, जेसियस फ्लोरस ने मंदिर के खज़ाने से पैसे लूटे, तो यहूदी आग बबूला हो गए। जल्द ही कुछ कट्टरपंथी यहूदी यरूशलेम आ गए, उन्होंने रोमी सैनिकों की टुकड़ी को मार गिराया और ऐलान किया कि यहूदी लोग रोमियों से आज़ाद हो गए हैं।

इस बगावत को रोकने के लिए करीब तीन महीने बाद रोमी राज्यपाल सेस्टियस गैलस ने 30 हज़ार सैनिकों के साथ मिलकर यरूशलेम पर हमला बोल दिया। कुछ ही समय में रोमी सैनिक शहर के अंदर घुस आए और उन्होंने मंदिर की बाहरी दीवार गिरा दी। फिर अचानक किसी वजह से रोमी सेना वापस चली गयी। कट्टरपंथी यहूदी खुश हो गए और उन्हें मार-भगाने के लिए उनका पीछा करने लगे। जब रोमी सैनिक और कट्टरपंथी यहूदी शहर से बाहर चले गए, तो मसीही यरूशलेम से भागकर यरदन नदी के पार पहाड़ों की तरफ चले गए, जैसे यीशु ने उन्हें आज्ञा दी थी।​—मत्ती 24:15, 16.

इसके अगले साल रोम ने दोबारा यहूदिया पर हमला किया। इस बार सेनापति वैस्पेसियन और उसका बेटा टाइटस रोमी सेना के साथ यहूदियों से लड़ने आए। लेकिन जब ईसवी सन्‌ 68 में सम्राट नीरो की मौत हो गयी, तो वैस्पेसियन रोम लौट गया और उसे रोमी साम्राज्य का अगला सम्राट बनाया गया। लेकिन उसके बेटे टाइटस ने 60 हज़ार सैनिकों के साथ युद्ध जारी रखा।

ईसवी सन्‌ 70 के जून महीने में टाइटस ने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि वे यहूदिया के देहातों के पेड़ काट डालें। फिर उसने इन पेड़ों से नुकीले लट्ठों की 7 किलोमीटर (4.5 मील) लंबी दीवार बनाकर यरूशलेम के चारों तरफ घेराबंदी कर दी। सितंबर महीने के आते-आते रोमी यरूशलेम को पूरी तरह लूट चुके थे, उन्होंने शहर और मंदिर को जला दिया था और एक पत्थर पर दूसरा पत्थर भी नहीं छोड़ा, जैसा कि यीशु ने पहले ही बताया था। (लूका 19:43, 44) एक किताब बताती है कि यरूशलेम और पूरे यहूदिया में मरनेवालों की संख्या करीब पाँच लाख रही होगी।

ई.सन्‌ 33 से 81 तक की समय-रेखा, यानी जब यीशु ने यरूशलेम के नाश की भविष्यवाणी की थी तब से लेकर टाइटस की मौत तक

एक शानदार जीत

अपनी जीत के बाद ईसवी सन्‌ 71 में टाइटस इटली लौटा और रोम के निवासियों ने बड़े धूम-धाम से उसका स्वागत किया। इस शानदार जीत की खुशी में जुलूस निकाला गया और पूरा शहर खुशियाँ मनाने के लिए इकट्ठा हुआ। इससे पहले रोम में इतना बड़ा जुलूस कभी नहीं निकाला गया था।

सड़कों पर बड़ी-बड़ी झाँकियाँ निकाली गयीं, जिनमें यरूशलेम के मंदिर से लाया खज़ाना रखा गया था। झाँकियाँ युद्ध के चित्रों से सजी थीं और कुछ लोग युद्ध का अभिनय कर रहे थे। जुलूस में यहूदिया के जहाज़ भी थे। यह नज़ारा देखकर लोग दंग रह गए।

ईसवी सन्‌ 79 में टाइटस अपने पिता वैस्पेसियन की जगह रोम का अगला सम्राट बना। लेकिन दो साल बाद ही टाइटस की अचानक मौत हो गयी। उसकी जगह उसका भाई डोमिशियन रोम का सम्राट बना और उसने टाइटस के सम्मान में फौरन एक शानदार स्मारक बनवाया।

आर्क ऑफ टाइटस

आर्क ऑफ टाइटस

रोम का आर्क ऑफ टाइटस

हर साल रोम की सैर करने आए लाखों लोग “आर्क ऑफ टाइटस” की खूबसूरती निहारते हैं। कुछ इसे एक सुंदर कलाकृति मानते हैं, तो कुछ रोमी साम्राज्य की महानता का सबूत। लेकिन कई लोगों को यह स्मारक, प्राचीन यरूशलेम शहर और उसके मंदिर के नाश की याद दिलाता है।

लेकिन बाइबल का गहराई से अध्ययन करनेवालों के लिए “आर्क ऑफ टाइटस” एक स्मारक से कहीं बढ़कर है। उनके लिए यह इस बात का सबूत है कि बाइबल में दी भविष्यवाणियाँ पूरी होती हैं, ये परमेश्‍वर की तरफ से हैं और इन पर पूरा भरोसा किया जा सकता है।​—2 पतरस 1:19-21.

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