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  • हमारी राज-सेवा—1992
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km 10/92 पेज 8

निश्‍चित रूप से वापस जाएँ

“पिछले दो सालों में, मैं ने [क्रिएशन किताब] चार बार पढ़ी है और उसे तैयार करने में जितना ज़्यादा अभ्यास, पांडित्य और प्रलेख-पोषण इस्तेमाल हुआ है, उस से मैं प्रभावित होता रहता हूँ। दुनिया के हर व्यक्‍ति के हाथों में इस किताब की एक प्रति होनी चाहिए। अगर ऐसा होगा, तो हमारे उद्‌गम के विषय में इतनी कुड़कुड़ाहट तथा संभ्रान्ति और नास्तिक विश्‍वास फ़ौरन ही ख़त्म हो जाते।” एक तक़रीबन सेवा-निवृत्त वकील ने यों लिखा, जो कि अवेक! के अप्रैल २२, १९९२, अंक के पृष्ठ ३२ पर रिपोर्ट किया गया था।

२ चूँकि हम इस प्रकाशन का इतना बढ़िया समर्थन पा चुके हैं, क्या हम में से हर एक को यथासंभव ज़्यादा से ज़्यादा दिलचस्पी रखनेवालों को क्रिएशन किताब देने के कार्य का जी-जान से समर्थन करना नहीं चाहिए? तो फिर हमें निश्‍चित रूप से पुनःभेंट करने चाहिए ताकि इस अत्युत्तम प्रकाशन में और अधिक दिलचस्पी उत्तेजित कर सकें।

३ हम में से बहुत लोगों ने क्रमविकासवादियों द्वारा पेश की गयी अनगिनत धारणाओं की गहराई में अभ्यास नहीं किया है। बहरहाल, सच्चे-दिलवालों को इस बात का अप्रतिरोध्य सबूत देने के लिए ऐसा अभ्यास ज़रूरी नहीं, कि क्रमविकास की शिक्षा मानवजाति के सृष्टिकर्ता, यहोवा परमेश्‍वर, का मान घटाने के लिए शैतान द्वारा इस्तेमाल किया गया बस एक और ज़रिया ही है। इस डर से वापस जाने के लिए न हिचकिचाएँ कि आप शायद कुछ गृह स्वामियों द्वारा पूछे जानेवाले कुछेक तक़नीकी सवालों का जवाब नहीं दे पाएँगे। इस प्रकाशन में ही अपने हर कथन के लिए भरपूर लिखित प्रमाण दिया गया है।

४ इसके अतिरिक्‍त, मानवजाति का उद्‌गम, इस पृथ्वी और मानव के लिए परमेश्‍वर का उद्देश्‍य, और आज मानवजाति के सम्मुख विकल्पों के विषय में अध्याय १६ से लेकर अध्याय २० तक धर्मशास्त्रों की ठोस शिक्षाओं से संबंध रखनेवाली जानकारी का एक खज़ाना पाया जा सकता है। इसलिए पुनःभेंट करने के लिए काफ़ी उत्तम जानकारी उपलब्ध है।

५ अगर आप ऐसी कुछ जगह पुनःभेंट करने के लिए ज़रा हिचकिचाहट महसूस करते हैं, तो आप शायद कलीसिया से ऐसे किसी व्यक्‍ति को साथ ले जा सकते हैं जिसका तजरबा ज़्यादा हो या जो क्रमविकास की शिक्षा के विषय में ज़्यादा जानकार हो। यह व्यक्‍ति शायद पाठशाला जानेवाले उम्र का कोई भाई या बहन हो सकता है, जिसे पाठशाला में काफ़ी समय तक इस विषय का अभ्यास करना पड़ा है और इसलिए क्रमविकास के प्रचलित परिकल्पनाओं से ज़्यादा वाक़िफ़ है। दूसरी ओर, आपकी कलीसिया में ऐसा कोई व्यक्‍ति होगा जो किसी समय क्रमविकास में विश्‍वास करता था लेकिन जिसने अब बाइबल की सच्चाई सीख ली है और जो क्रमविकास के झूठे उपदेशों का खण्डन करने में बहुत ही मददगार साबित हो सकता है।

६ अपनी पुनःभेंट के लिए एक आधार के तौर से क्रिएशन किताब के अध्याय १९ की ओर ध्यान केंद्रित करने और भविष्य के लिए बाइबल की आशा का इस्तेमाल करने के लिए न हिचकिचाएँ। उस अध्याय में ऐसे कई मुद्दे हैं जिन को भविष्य से सम्बद्ध बाइबल के वादों पर ध्यान देने के लिए किसी व्यक्‍ति को प्रोत्साहित करने में इस्तेमाल किए जा सकते हैं। आप शायद पृष्ठ २३६ पर “दी अर्त ट्रांस्फॉर्मड्‌” (“इस पृथ्वी को परिवर्तित किया गया”) उपशीर्षक से शुरू होनवाला परिच्छेद इस्तेमाल कर सकते हैं, जिस के बाद आप पृष्ठ २३८-९ पर “एन्‌ एन्ड टू पॉवर्टी” (“ग़रीबी का अन्त”) तथा “नो मोर सिक्नेस्‌, नो मोर डेथ” (“अब और न कोई बीमारी, न मृत्यु होगी”) शीर्षकों के नीचे दिए गए विषय को इस्तेमाल कर सकते हैं।

७ इस बढ़िया प्रकाशन ने अनेक लोगों को जीवन का मार्ग ढूँढ़ निकालने में मदद की है। जीवन और यह यहाँ किस तरह आया, इस विषय में क्रिएशन किताब का क्या कहना है, इसे पढ़ने और इस पर ग़ौर करने का प्रोत्साहन देने के ज़रिए हम और भी कई लोगों की मदद कर सकते हैं।

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