प्रहरीदुर्ग और अवेक! का अच्छा प्रयोग करना
आज लोग जितनी भी पत्रिकाएँ पढ़ सकते हैं, उनमें से प्रहरीदुर्ग और अवेक! सबसे मूल्यवान और सबसे लाभदायक हैं। क्यों? क्योंकि इन में पायी जानेवाली आध्यात्मिक सच्चाई की बातें, लोगों के जीवन पर अच्छाई के लिए अनन्त प्रभाव डाल सकती हैं। लेकिन, बहुत लोग अपने आध्यात्मिक ज़रूरत के प्रति पूर्ण रीति से सचेत नहीं हैं, या तो वे यह नहीं जानते कि इसे संतुष्ट करने के लिए कहाँ जाएँ। यह हमारा विशेषाधिकार है कि हम आध्यात्मिक रीति से लोगों की आँखें खोलने में मदद करने के द्वारा प्रेरित पौलुस का अनुकरण करें।—मत्ती ५:३; प्रेरि. २६:१८.
२ सकारात्मक होइए और अच्छी तरह से तैयारी कीजिए: संभव है कि आपके क्षेत्र में भेड़-समान लोग हैं जो सत्य के प्रति अनुक्रिया दिखाएँगे। कुछ लोगों को शायद पत्रिका पढ़ने के लिए सिर्फ़ स्नेही प्रोत्साहन की ही ज़रूरत हो। इसलिए, प्रहरीदुर्ग और अवेक! पेश करते समय सकारात्मक और विश्वासप्रद होइए। अपने पास पत्रिकाओं की सप्लाई रखिए और उन्हें वितरित करने के हर अवसर का लाभ उठाइए, तब भी जब आप अन्य प्रकाशन प्रस्तुत करते हैं।
३ पत्रिकाओं को वितरित करने में हमें अधिक प्रभावकारी बनाने के लिए क्या बात मदद कर सकती है? सबसे पहली बात यह है कि हमें वास्तव में इनके मूल्य की स्वयं क़दर करनी चाहिए। जिन पत्रिकाओं को हम प्रस्तुत कर रहे हैं, उनके लेखों से हमें परिचित होना चाहिए, और इससे उन्हें पेश करने में हमारा विश्वास और हमारी उत्सुकता बढ़ेगी। इसी विचार को मन में रखिए जब आप उन्हें शुरू-शुरू में पढ़ते हैं। ऐसे मुद्दों को चुनने के प्रति चौकस रहिए जिन्हें आप सेवकाई में विशिष्ट कर सकते हैं। अपने आप से पूछिए: ‘यह लेख ख़ासकर किन्हें पसन्द आएगा? क्या एक गृहस्वामिनी, एक युवा व्यक्ति, या शायद एक व्यवसायी इसकी क़दर करेगा? क्या यह मुद्दा एक विद्यार्थी, एक विवाहित व्यक्ति, या पर्यावरण के बारे में चिन्तित किसी व्यक्ति को दिलचस्प लगेगा?’ सचमुच प्रभावकारी होने के लिए, हमें पत्रिकाओं में समयोचित लेखों के अपने निजी ज्ञान और उनसे प्राप्त आनन्द के आधार पर इनके पक्ष में बोलने में समर्थ होना चाहिए।
४ पुराने अंकों का अच्छा प्रयोग कीजिए: याद रखिए, चाहे प्रहरीदुर्ग और अवेक! के अंक अपनी तारीख़ से एक या दो महीने में वितरित न भी किए गए हों, उनका मूल्य घटता नहीं है। उनमें पायी जानेवाली जानकारी समय के बीतने के साथ-साथ कम महत्त्वपूर्ण नहीं होती, और यदि वे अच्छी दशा में हैं, तो हमें पुरानी प्रतियाँ पेश करने में हिचकिचाना नहीं चाहिए। पुरानी पत्रिकाओं का ढेर लगने देना और उनको कभी भी प्रयोग न करना, इन मूल्यवान यंत्रों के लिए मूल्यांकन की कमी दिखाता है। हर पत्रिका में ऐसी सच्चाई की बातें हैं जो जागरूक करने और आध्यात्मिक भूख को संतुष्ट करने की क्षमता रखती हैं। पुराने अंकों को एक तरफ़ रखकर उन्हें भूल जाने के बजाय, क्या यह बेहतर न होगा कि हम उन्हें दिलचस्पी रखनेवाले लोगों के हाथ में देने या कम से कम जहाँ लोग घर में नहीं होते हैं वहाँ उन्हें किसी अविशिष्ट स्थान पर छोड़ने का ख़ास प्रयत्न करें?
५ अवेक! पत्रिका ने ऐसे बहुत से लोगों को, जो शुरू-शुरू में आध्यात्मिक रीति से प्रवृत्त व्यक्ति नहीं थे, अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत के प्रति सचेत होने में मदद की है। प्रहरीदुर्ग यहोवा के लोगों के आध्यात्मिक भोजन कार्यक्रम में एक मुख्य साधन है। ये पत्रिकाएँ एक दूसरे को अच्छी तरह से पूर्ण करती हैं, और सुसमाचार का प्रचार करने में एक अत्यावश्यक भूमिका अदा करती हैं।
६ जैसे-जैसे हम पत्रिकाओं को वितरित करने के हर अवसर का लाभ उठाते हैं, हम भेड़-समान लोगों की आध्यात्मिक ज़रूरतों को पूरा करने में इनकी प्रभावकारिता में पूरा विश्वास रख सकते हैं। हम एक सकारात्मक मनोवृत्ति कायम रखना, अच्छी तरह से तैयारी करना, और सेवकाई में नियमित होना चाहते हैं। सुसमाचार के प्रकाशक होने के नाते, ऐसा हो कि हम सब नियमित रूप से प्रहरीदुर्ग और अवेक! पत्रिकाओं का अच्छा प्रयोग करें।