मानव इतिहास की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना
यीशु अपने पिता के निर्देशन पर अनन्त जीवन की ओर ले जानेवाली सच्चाई की गवाही देने के लिए पृथ्वी पर आया। (यूह. १८:३७) मृत्यु तक उसकी वफ़ादारी ने यहोवा के नाम को महिमान्वित किया, परमेश्वर के नाम को पवित्र ठहराया, और छुड़ौती प्रदान की। (यूह. १७:४, ६) इसी बात ने यीशु की मृत्यु को पूरे मानव इतिहास की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना बनाया।
२ आदम की सृष्टि के बाद, इस पृथ्वी पर सिर्फ़ दो परिपूर्ण मनुष्य जवित रहे हैं। आदम अपनी अजन्मी सन्तानों के लिए अद्भुत आशीषें लाने की स्थिति में था। इसके बजाय, उसने स्वार्थ के कारण विरोध किया, और इस प्रकार उन्हें एक दुःखद अस्तित्व की स्थिति तक पहुँचाया जो मृत्यु में समाप्त होती। जब यीशु आया, उसने पूर्ण वफ़ादारी और आज्ञाकारिता दिखाई और इस प्रकार विश्वास रखनेवाले सभी लोगों के लिए अनन्त जीवन का अवसर प्रदान किया।—यूह. ३:१६; रोमि. ५:१२.
३ यीशु की बलिदान-रूपी मृत्यु के साथ किसी और घटना की तुलना नहीं की जा सकती। इसने मानव इतिहास को एक नया मोड़ दिया। इसने करोड़ों लोगों के मृतकों में से पुनरुत्थित किए जाने का आधार प्रदान किया। इसने एक अनन्तकालीन राज्य की नींव डाली जो बुराई का अन्त करता और पृथ्वी को एक परादीस बनाता। यह अंततः सारी मनुष्यजाति को हर प्रकार के अत्याचार और गुलामी से मुक्त करेगा।—भज. ३७:११; प्रेरि. २४:१५; रोमि. ८:२१, २२.
४ यह सब हमें इस बात की क़दर करने में मदद करता है कि यीशु ने क्यों अपने चेलों को आदेश दिया कि वे हर साल स्मरणोत्सव मनाने के द्वारा उसकी मृत्यु का स्मारक मनाएँ। (लूका २२:१९) इसके महत्त्व का मूल्यांकन करते हुए, संसार-भर में यहोवा के गवाहों की कलीसियाओं के साथ शुक्रवार, अप्रैल १४ को सूर्यास्त के बाद इकट्ठा होने का हम उत्सुकता से इंतज़ार करते हैं। उस समय से पहले, यह अच्छा होगा कि परिवार के तौर पर यीशु के पृथ्वी पर आख़िरी दिनों और सच्चाई के प्रति उसकी साहसी स्थिति के बारे में बाइबल वृत्तांतों को पढ़ें। (सुझाए गए वृत्तांत १९९५ कैलेंडर में छापे गए हैं, अप्रैल ९-१४.) उसने हमारे लिए हमारे सृष्टिकर्ता के प्रति भक्ति का एक नमूना रखा। (१ पत. २:२१) इस महत्त्वपूर्ण समूहन में अपने मित्रों और परिवार के सदस्यों, और साथ ही बाइबल विद्यार्थियों और दूसरे दिलचस्पी रखनेवाले लोगों को आमंत्रित करने के लिए पूरी कोशिश कीजिए। पहले ही समझाइए कि वहाँ क्या होगा और प्रतीकों का क्या महत्त्व है।—१ कुरि. ११:२३-२६.
५ पर्याप्त समय पूर्व प्राचीनों को योजना बनानी चाहिए ताकि वे निश्चित कर सकें कि राज्यगृह साफ़-सुथरा हो। यह प्रबंध किया जाना चाहिए कि कोई व्यक्ति प्रतीक ले आए। प्रतीकों को परोसने का प्रबंध सुव्यवस्थित होना चाहिए। प्रहरीदुर्ग फरवरी १, १९८५, के पृष्ठ २४ पर सहायक सुझाव दिए गए थे कि हम प्रभु के संध्या भोज के लिए कैसे आदर दिखा सकते हैं। यह बिलकुल उचित होगा कि स्मारक के कुछ दिनों पहले के समय के दौरान और उसके बाद के कुछ दिनों में भी कलीसिया विस्तृत क्षेत्र सेवा गतिविधियों के लिए प्रबंध करे।
६ पिछले साल, इस महत्त्वपूर्ण घटना के स्मारक के लिए संसार-भर में कुल १,२२,८८,९१७ लोग उपस्थित थे। चूँकि यह हमारे कैलेंडर का सबसे महत्त्वपूर्ण दिन है, हम सब को उपस्थित होना चाहिए।