“मेरा चेला बन जा और मेरे पीछे हो ले”
1. आनेवाले महीनों में मंडली बाइबल अध्ययन में हमें क्या मौका मिलेगा?
यीशु ने धरती पर जिस तरह ज़िंदगी जी, उसके बारे में खुशखबरी की चार किताबें ब्यौरेदार जानकारी देती हैं। और क्योंकि हम मसीहियों को “उसके नक्शे-कदम पर नज़दीकी से” चलना है, तो हमें “मेरा चेला बन जा और मेरे पीछे हो ले” किताब की अच्छी तरह तैयार करनी होगी और पूरा ध्यान देना होगा। हम 18 अप्रैल से शुरू होनेवाले हफ्ते से मंडली बाइबल अध्ययन में इस किताब पर चर्चा करेंगे। (1 पत. 2:21; मर. 10:21) यीशु की ज़िंदगी के कुछ खास पहलू गौर करने लायक हैं, जो हममें सेवा के लिए जोश भर सकते हैं।
2. यीशु ने धीरज धरने की जो बढ़िया मिसाल रखी है, उससे हमें कैसे फायदा हो सकता है?
2 यीशु ने रखी एक मिसाल: घर-घर प्रचार करते वक्त क्या आपको कभी विरोध का सामना करना पड़ा है? जब ऐसा होता है, तब हमें यीशु के कहे इन शब्दों की अहमियत अच्छी तरह समझ आती है: “अगर उन्होंने मुझ पर ज़ुल्म किया है, तो तुम पर भी ज़ुल्म करेंगे।” (यूह. 15:20) यह सच है कि हमारे खिलाफ कही जानेवाली हर बात को हम ज़ुल्म नहीं कह सकते। यीशु ने उस खुशी के लिए जो उसके सामने थी, हर तरह की परीक्षाओं और आज़माइशों में धीरज रखा। हम भी अपना ध्यान यहोवा की मंज़ूरी और अपनी वफादारी का इनाम पाने के ऊपर लगाए रख सकते हैं। इससे हमें मदद मिलेगी कि हम ‘थककर हार न मानें।’ (इब्रा. 12:2, 3; नीति. 27:11) जब हम प्रचार में लगे रहते हैं, तो हम भी यकीन रख सकते हैं कि यीशु मसीह हमारे साथ है।—मत्ती 28:20.
3. हम प्रचार काम के लिए यीशु के जैसा नज़रिया कैसे रख सकते हैं?
3 “मुझे इसीलिए भेजा गया है”: यीशु की ज़िंदगी में राज का प्रचार काम पहली जगह पर था। (लूका 4:43) उसने प्रचार काम में खुद को पूरी तरह लगा दिया। उसने इस काम को सबसे ज़रूरी समझा और हर मौके पर लोगों को राज के बारे में गवाही दी। यीशु के चेले होने के नाते, उसके नक्शे-कदम पर चलने से हमें क्या फायदा होगा? रोज़मर्रा के काम करते वक्त क्या हम लोगों के साथ राज की खुशखबरी बाँट सकते हैं? ऐसा हो कि मसीह का प्यार हमें मजबूर करता रहे कि हम राज की खुशखबरी दूर-दूर तक फैलाते जाएँ!—2 कुरिं. 5:14.
4. हम किन तरीकों से अपने प्रचार काम में सुधार कर सकते हैं?
4 “आज तक किसी भी इंसान ने इस तरह बात नहीं की”: यीशु के सिखाने का तरीका लोगों को हैरत में डाल देता था। (यूह. 7:46; मत्ती 7:28, 29) वह किस मायने में दूसरे शिक्षकों से अलग था? वह जो सच्चाई सिखाता था, वह उसे बहुत प्यारी थी और जिन लोगों को वह सिखाता था, वह भी उसे बेहद प्यारे थे। साथ ही, वह सिखाने के अलग-अलग तरीके इस्तेमाल करता था। इस महान शिक्षक की मिसाल पर चलकर हम भी प्रचार करने के अपने तरीकों में सुधार ला सकते हैं।—लूका 6:40.
5. “मेरा चेला बन जा और मेरे पीछे हो ले” किताब का अध्ययन करते वक्त, हमारा क्या लक्ष्य होना चाहिए?
5 यीशु की ज़िंदगी से हमने बस कुछ खास बातों पर गौर किया। आप यीशु के बारे में और कौन-सी अनमोल बातें सीख सकते हैं? मंडली बाइबल अध्ययन में आप उसकी ज़िंदगी को करीबी से जाँचेंगे। इसलिए लक्ष्य रखिए कि आप उसकी बातों और उसके कामों के मुताबिक चलकर ‘उसके प्यार को जानने’ की कोशिश करेंगे।—इफि. 3:19.