परमेश्वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा
29 अगस्त, 2011 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए सवालों पर चर्चा होगी।
1. परमेश्वर की अटल कृपा कैसे “जीवन से भी उत्तम है”? (भज. 63:3) [प्रहरीदुर्ग 01 10/15 पेज 15 पैरा. 17]
2. भजन 70 से हम दाविद के बारे में क्या सीखते हैं? [प्रहरीदुर्ग 08 9/15 पेज 4 पैरा. 4]
3. भजन 75:5 में क्या चेतावनी दी गयी है? [प्रहरीदुर्ग 06 8/1 पेज 4 पैरा. 1]
4. हम खासकर कब यहोवा से उम्मीद कर सकते हैं कि वह हमारी प्रार्थनाएँ सुनेगा? (भज. 79:9) [प्रहरीदुर्ग 06 8/1 पेज 5 पैरा. 2]
5. “छिपे हुए पापों” के बारे में हम भजन 90:7, 8 से क्या सीख सकते हैं? [प्रहरीदुर्ग 01 11/15 पेज 12-13 पैरा. 14-16]
6. भजन 92:12-15 के मुताबिक मंडली में बुज़ुर्गों को क्या ज़िम्मेदारी दी गयी है? [प्रहरीदुर्ग 04 5/15 पेज 13-14 पैरा. 14-18]
7. अब्राहम और उसके वंशजों के मामले में भजन 105:14, 15 में लिखी बात कैसे पूरी हुई? [प्रहरीदुर्ग 10 4/15 पेज 8 पैरा. 5]
8. समझ का इस्तेमाल करने के बारे में हम भजन 106:7 से क्या सबक सीखते हैं? [प्रहरीदुर्ग 95 9/1 पेज 19 पैरा. 4–पेज 20 पैरा. 2]
9. भजन 110:1, 4 के मुताबिक यहोवा ने वादा किए गए वंश या मसीहा के बारे में क्या शपथ खायी और इससे सारी मानवजाति को कैसे आशीष मिलेगी? [यहोवा के करीब पेज 194 पैरा. 13]
10. जब भजनहार ने परमेश्वर की सेवा करने से मिले फायदों के बारे में गहराई से सोचा, तो इसका उस पर क्या असर हुआ? (भज. 116:12, 14) [प्रहरीदुर्ग 09 7/15 पेज 29 पैरा. 4-5]