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  • 3 | मन में भी नफरत न करें

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  • 3 | मन में भी नफरत न करें
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (जनता के लिए)—2022
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (जनता के लिए)—2022
wp22 अंक 1 पेज 10-11
एक आदमी कल्पना कर रहा है कि वह दूसरे देश के एक आदमी से हाथ मिला रहा है। परछाईं में दोनों के हाथ में बोर्ड हैं जिन पर नारे लिखे हुए हैं। वे एक-दूसरे से झगड़ रहे हैं।

नफरत करना कैसे छोड़ें?

3 | मन में भी नफरत न करें

बाइबल में लिखा है:

“नयी सोच पैदा करो ताकि तुम्हारी कायापलट होती जाए। तब तुम परखकर खुद के लिए मालूम करते रहोगे कि परमेश्‍वर की भली, उसे भानेवाली और उसकी परिपूर्ण इच्छा क्या है।”​—रोमियों 12:2.

इसका क्या मतलब है?

हम जिनसे मन-ही-मन नफरत करते हैं, उन्हीं के बारे में बुरी बातें कहते हैं और उनसे बुरा व्यवहार करते हैं। ईश्‍वर ध्यान देता है कि हम मन में किस तरह की बातें सोचते हैं। (यिर्मयाह 17:10) इसलिए दूसरों के बारे में बुरी बातें कहना और बुरा व्यवहार करना तो गलत है ही, लेकिन हमें मन में भी किसी से नफरत नहीं करनी चाहिए। तब जाकर अंदर से हमारी “कायापलट” होगी और हम नफरत करना छोड़ पाएँगे।

आप क्या कर सकते हैं?

सोचिए कि आप दूसरी जाति, रंग, भाषा या देश के लोगों के बारे में क्या सोचते हैं और कैसा महसूस करते हैं। कुछ सवालों के बारे में सोचिए, जैसे ‘मैं फलाँ लोगों को क्यों नहीं पसंद करता? क्या मैं उन्हें अच्छी तरह जानता हूँ? या फिर मैं दूसरों की कही-सुनी बातों की वजह से उनसे नफरत करने लगा हूँ?’ टीवी या इंटरनेट पर ऐसे कार्यक्रम मत देखिए, जिनमें नफरत और हिंसा का बढ़ावा दिया जाता है।

बाइबल के उसूलों को मानने से हम अपने दिलो-दिमाग से नफरत निकाल पाएँगे

हम खुद सही-सही नहीं बता सकते कि हम फलाँ देश या रंग के लोगों के बारे में जो सोचते हैं, वह सही है या गलत। लेकिन बाइबल पढ़ने से हम अपने “दिल के विचारों और इरादों” को जाँच सकते हैं। (इब्रानियों 4:12) तो क्यों न इसे पढ़कर देखें? फिर आप जान पाएँगे कि इसमें जैसा लिखा है, आप वैसा ही सोचते हैं या नहीं। अगर नफरत हमारे दिल में गहराई तक समा गयी है, तो भी हम ईश्‍वर की मदद से इसे “जड़ से उखाड़” सकते हैं।​—2 कुरिंथियों 10:4, 5.

सच्ची कहानी​—स्टीवन

अपनी सोच बदल दी

स्टीवन।

स्टीवन और उनके परिवार पर कुछ गोरे लोगों ने बहुत अत्याचार किया था। इसलिए स्टीवन एक ऐसे राजनीतिक गुट के साथ जुड़ गए जो लोगों के अधिकार के लिए लड़ता था और दंगे करता था। कुछ समय बाद स्टीवन भी गोरे लोगों पर ज़ुल्म करने लगे। वे कहते हैं, “मैं कभी-कभी अपने दोस्तों के साथ अफ्रीका के लोगों पर बनी फिल्में देखता था। उनमें दिखाया जाता था कि बहुत पहले उन्हें अमरीका में गुलाम बनाकर कैसे सताया गया। उनके साथ जो अन्याय हुआ, उसे देखकर हमारा खून खौल उठता था। हम वहीं सिनेमा हॉल में ही गोरे लड़कों को पीटने लगते थे। फिर हम गोरों के इलाकों में जाते थे ताकि और भी लोगों की धुनाई कर सकें।”

कुछ समय बाद स्टीवन यहोवा के साक्षियों से बाइबल के बारे में सीखने लगे। तब उनकी सोच पूरी तरह बदल गयी। वे उन दिनों को याद करते हुए कहते हैं, “मैंने तो बस यही देखा था कि काले और गोरे लोग एक-दूसरे के साथ बुरा व्यवहार करते हैं। लेकिन यहोवा के साक्षियों में मैंने देखा, उनके बीच कितना प्यार है। मैं हैरान रह गया! एक बार एक गोरे आदमी को कुछ दिनों के लिए बाहर जाना था, तो उसने अपने बच्चों को एक काले परिवार के यहाँ छोड़ दिया। और एक बार ऐसा हुआ कि एक काले नौजवान को रहने के लिए जगह चाहिए थी, तो एक गोरे परिवार ने उसे अपने यहाँ जगह दी।” जब स्टीवन ने देखा कि यहोवा के साक्षियों के बीच कितना प्यार है, तो वे समझ गए कि यही यीशु के सच्चे शिष्य हैं, क्योंकि यीशु ने कहा था कि उसके शिष्यों के बीच प्यार होगा।​—यूहन्‍ना 13:35.

स्टीवन ने भी दूसरों से नफरत करना छोड़ दिया। वे यह कैसे कर पाए? बाइबल पढ़कर उन्होंने जाना कि उन्हें अपने मन से नफरत निकालनी होगी। (रोमियों 12:2) वे कहते हैं, “मैं समझ गया कि मुझे अपनी सोच बदलनी होगी। मुझे न सिर्फ लड़ाई-झगड़ा छोड़ना होगा और सबके साथ प्यार से रहना होगा, बल्कि अपने मन से भी नफरत निकालनी होगी। ज़िंदगी जीने का सबसे अच्छा तरीका यही है!” इस बात को लगभग 40 साल हो चुके हैं। स्टीवन ने मन से नफरत निकाल दी और अब वे सबके साथ प्यार से रहते हैं।

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