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परमेश्वर सातवें दिन विश्राम करता है (1-3)
यहोवा ने आकाश और पृथ्वी बनायी (4)
अदन के बाग में आदमी और औरत (5-25)
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स्वर्गदूतों ने औरतों से शादी की (1-3)
नफिलीम पैदा हुए (4)
इंसान की बुराई से यहोवा दुखी (5-8)
नूह को जहाज़ बनाने का काम मिला (9-16)
जलप्रलय का ऐलान (17-22)
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जलप्रलय का पानी घटा (1-14)
जहाज़ से बाहर निकलना (15-19)
धरती के बारे में परमेश्वर का वादा (20-22)
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अब्राहम जातियों का पिता बनेगा (1-8)
खतने का करार (9-14)
सारै को सारा नाम दिया गया (15-17)
बेटे इसहाक के जन्म का वादा (18-27)
18
अब्राहम के पास 3 स्वर्गदूत आए (1-8)
सारा से बेटे का वादा; वह हँसी (9-15)
सदोम के लिए अब्राहम की फरियाद (16-33)
19
लूत के पास स्वर्गदूत आए (1-11)
शहर छोड़ने के लिए कहा गया (12-22)
सदोम और अमोरा का नाश (23-29)
लूत और उसकी बेटियाँ (30-38)
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इसहाक का जन्म (1-7)
इश्माएल ने उसकी खिल्ली उड़ायी (8, 9)
हाजिरा और इश्माएल भेज दिए गए (10-21)
अबीमेलेक के साथ अब्राहम का करार (22-34)
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25
अब्राहम की दूसरी शादी (1-6)
अब्राहम की मौत (7-11)
इश्माएल के बेटे (12-18)
याकूब और एसाव का जन्म (19-26)
एसाव ने अपना अधिकार बेचा (27-34)
26
इसहाक और रिबका गरार में (1-11)
कुओं को लेकर झगड़ा (12-25)
अबीमेलेक के साथ इसहाक का करार (26-33)
एसाव की दो हित्ती पत्नियाँ (34, 35)
27
याकूब को मिला आशीर्वाद (1-29)
एसाव ने पश्चाताप नहीं किया (30-40)
याकूब से एसाव की दुश्मनी (41-46)
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याकूब, राहेल से मिला (1-14)
उसे राहेल से प्यार हो गया (15-20)
लिआ और राहेल से शादी की (21-29)
लिआ से चार बेटे हुए: रूबेन, शिमोन, लेवी और यहूदा (30-35)
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बिल्हा से दान और नप्ताली (1-8)
जिल्पा से गाद और आशेर (9-13)
लिआ से इस्साकार और जबूलून (14-21)
राहेल से यूसुफ (22-24)
याकूब के जानवर बढ़ गए (25-43)
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याकूब कनान के लिए निकला (1-18)
लाबान, याकूब के पास पहुँचा (19-35)
लाबान के साथ याकूब का करार (36-55)
32
स्वर्गदूत, याकूब से मिले (1, 2)
एसाव से मिलने की तैयारी (3-23)
याकूब स्वर्गदूत से कुश्ती लड़ा (24-32)
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याकूब ने मूर्तियाँ फेंकीं (1-4)
याकूब बेतेल लौटा (5-15)
बिन्यामीन का जन्म; राहेल की मौत (16-20)
इसराएल के 12 बेटे (21-26)
इसहाक की मौत (27-29)
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फिरौन के सपनों का मतलब (1-36)
यूसुफ को ऊँचा उठाया गया (37-46क)
अनाज बाँटने की ज़िम्मेदारी मिली (46ख-57)
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यूसुफ के भाई मिस्र गए (1-4)
यूसुफ उनसे मिला; उन्हें परखा (5-25)
उसके भाई याकूब के पास लौटे (26-38)
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याकूब का घराना मिस्र में बसा (1-7)
मिस्र में बसनेवालों के नाम (8-27)
यूसुफ, याकूब से गोशेन में मिला (28-34)
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याकूब, फिरौन से मिला (1-12)
यूसुफ ने बुद्धिमानी से प्रशासन चलाया (13-26)
इसराएल, गोशेन में बस गया (27-31)
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यूसुफ ने उसे कनान में दफनाया (1-14)
यूसुफ ने उन्हें माफ करने का भरोसा दिलाया (15-21)
उसके आखिरी दिन; उसकी मौत (22-26)