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शूशन में राजा अहश-वेरोश की दावत (1-9)
रानी वशती ने आने से इनकार किया (10-12)
राजा ने अपने ज्ञानियों से सलाह की (13-20)
राजा ने फरमान निकाला (21, 22)
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मोर्दकै को ऊँचा पद दिया गया (1, 2)
राजा से एस्तेर की बिनती (3-6)
राजा का दूसरा फरमान (7-14)
यहूदियों को मिली राहत और खुशी (15-17)
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