मछली पकड़ने का जाल
गलील झील में मछुवारे दो तरह के छोटे जाल इस्तेमाल करते थे। एक, छोटी मछलियाँ पकड़ने के लिए जो महीन बुना हुआ होता था और दूसरा, बड़ी मछलियाँ पकड़ने के लिए जो मोटा बुना होता था। ये जाल बड़े जाल से अलग होते थे। बड़े जाल से मछलियाँ पकड़ने के लिए आम तौर पर कम-से-कम एक नाव और कई लोगों की ज़रूरत होती थी। लेकिन छोटे जाल से मछलियाँ पकड़ने के लिए एक ही आदमी काफी होता था। वह नाव पर से, झील के किनारे पानी में या पानी के बाहर खड़े होकर जाल फेंकता था। छोटे जाल का व्यास शायद 15 फुट (5 मी.) या उससे ज़्यादा होता था और जाल के बाहरी किनारों पर पत्थर या सीसे के टुकड़े बँधे होते थे। सही तरह से फेंकने पर यह पानी की सतह पर फैल जाता था। पहले किनारा पानी में डूबता था और फिर जैसे-जैसे जाल झील के अंदर जाता था, मछलियाँ उसके अंदर फँसती जाती थीं। मछुवारा या तो डुबकी लगाकर जाल में फँसी मछलियाँ निकालता था या फिर सावधानी से जाल को किनारे पर खींचता था। जाल को अच्छी तरह इस्तेमाल करने के लिए काफी हुनर और मेहनत लगती थी।
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