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सजग होइए! ब्रोशर (1993) (gbr-6)
gbr-6 पेज 25-27

जवान लोग पूछते हैं . . .

एडस्‌—क्या मैं ख़तरे में हूँ?

न्यूज़वीक (NEWSWEEK) पत्रिका ने कहा कि इस घोषणा ने ‘संसार को हक्का-बक्का कर दिया।’ नवम्बर ७, १९९१ को, लोकप्रिय अमरीकी खिलाड़ी अरवन “मैजिक” जॉनसन ने प्रेस को सूचना दी कि उसे एडस्‌ की बीमारी लग गई है। इस चौंका देनेवाले स्वीकरण के परिणामस्वरूप, एडस्‌ सूचना टेलिफ़ोन लाइनों पर एक के बाद एक फ़ोन आने लगे। कुछ अस्पताल एडस्‌ परीक्षण के लिए निवेदनों से भर गए। कुछ लोगों ने तो अपने स्वच्छन्द-संभोगी व्यवहार को भी कम कर दिया—कम से कम थोड़े समय के लिए।

इस घोषणा का सबसे ज़्यादा प्रभाव शायद जवान लोगों पर पड़ा। एक विश्‍वविद्यालय में स्वास्थ्य सेवा का निर्देशक कहता है: “विद्यार्थियों ने ‘यह उसे हो गया तो यह मुझे भी हो सकता है’ संदेश पर गंभीरतापूर्वक विचार किया—कुछ ही समय के लिए। . . . अधिकांश विद्यार्थियों के लिए, जो मैजिक जॉनसन के साथ हुआ उसका यह अर्थ नहीं कि वे अपने व्यवहार में परिवर्तन लाएँ। वे अब भी सोचते हैं कि वे ‘परिणामों से साफ़ बच निकल सकते हैं।’”

बाइबल ने भविष्यवाणी की कि हमारा समय ‘मरियों’ द्वारा चिह्नित होगा, अर्थात्‌, तीव्रता से फैलनेवाली संक्रामक बीमारियाँ। (लूका २१:११) एडस्‌ को निश्‍चित रूप से एक मरी कहा जा सकता है। अमरीका में एडस्‌ के पहले १,००,००० रोगियों का पता लगाने में—१९८१ से १९८९ तक—आठ साल लगे। लेकिन दूसरे १,००,००० रोगी मात्र दो सालों में रिपोर्ट किए गए!

अमरीकी रोग नियंत्रण केंद्रों के अनुसार, यह दुःखद आँकड़ा “अमरीका में [एडस्‌] महामारी के तीव्रता से बढ़ते हुए परिमाण पर ज़ोर देता है।” लेकिन, एडस्‌ विश्‍वव्यापी महामारी है जो अफ्रीका, एशिया, यूरोप, और लैटिन अमरीका में काफ़ी मृत्यु और दुःख का कारण बन रही है। महत्त्वपूर्णता से, लास एन्जिलस में बच्चों के अस्पताल का डॉ. मारवन बेलज़र एडस्‌ को “१९९० के दशक में युवाओं के सामने सबसे डरावनी समस्या” कहता है।

घातक संक्रामण

यह अनोखी बीमारी है क्या, और यह इतनी घातक क्यों है? डाक्टरों का विश्‍वास है कि एडस्‌ तब विकसित होता है जब एक सूक्ष्मदर्शी कण—एच.आई.वी. (Human Immunodeficiency Virus) नामक एक वाइरस—रक्‍तधारा पर आक्रमण करता है। एक बार वहाँ पहुँचने पर, वाइरस शरीर की एक क़िस्म की श्‍वेत रक्‍त कोशिकाओं, अर्थात्‌ सहायक टी कोशिकाओं के विरुद्ध ढूँढो-और-नाश-करो मिशन शुरू कर देता है। बीमारियों से बचाव करने के लिए शरीर की सहायता करने में ये कोशिकाएँ एक प्रमुख भूमिका निभाती हैं। लेकिन एडस्‌ वाइरस उन्हें अशक्‍त कर देता है और प्रतिरक्षा तंत्र (immune system) का सर्वनाश कर देता है।

हो सकता है कि एक व्यक्‍ति संक्रामित होने के काफ़ी समय बाद बीमार महसूस करे। कुछ व्यक्‍ति क़रीबन एक दशक तक लक्षण मुक्‍त रह सकते हैं। लेकिन समय आने पर फ़्लू समान लक्षण विकसित होते हैं—वज़न और भूख कम होना, बुख़ार, और दस्त। जैसे-जैसे प्रतिरक्षा तंत्र का निरंतर अनर्थकर शक्‍तिपात होता जाता है, मरीज़ अनेकों संक्रामणों के प्रति असुरक्षित हो जाता है—न्यूमोनिया, तानिका-शोथ (मेनिनजाइटिस), क्षय रोग (टीबी), या कई कैंसर—जिन्हें अवसरवादी कहा जाता है क्योंकि ये मरीज़ की कम हुई प्रतिरोधशक्‍ति द्वारा उत्पन्‍न अवसर का फ़ायदा उठाते हैं।

एक २०-वर्षीय एडस्‌ का मरीज़ कहता है, “मैं हर समय निरंतर पीड़ा में रहता हूँ।” बीमारी ने उसके बृहदांत्र (colon) और मलाशय (rectum) में फोड़े कर दिए हैं। लेकिन पूर्ण-विकसित एडस्‌ का अर्थ बेचैनी और पीड़ा से ज़्यादा है; असल में इसके सभी मरीज़ों के लिए, इसका अर्थ मृत्यु है। उन्‍नीस सौ इक्यासी से यह वाइरस मात्र अमरीका में ही १० लाख से ज़्यादा लोगों को लग गया है। पहले ही १,६०,००० से ज़्यादा लोग मर चुके हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि वर्ष १९९५ तक मृत्युसंख्या दूनी हो जाएगी। इस समय तक एडस्‌ का कोई ज्ञात इलाज नहीं है।

युवा ख़तरे में हैं

अब तक, एडस्‌ के दर्ज किए गए रोगियों का केवल एक बहुत छोटा प्रतिशत—अमरीका में १ प्रतिशत से कम—युवाओं को सम्मिलित करता है। इसलिए, शायद आप व्यक्‍तिगत रूप से किसी युवा को न जानते हों जो इस बीमारी के कारण मरा हो। इसका यह अर्थ नहीं कि युवा ख़तरे में नहीं हैं! अमरीका में सारे एडस्‌ मरीज़ों का एक बटा पाँच भाग २०-३० की उम्र का है। क्योंकि रोग-लक्षण दिखने में कई साल लगते हैं, यह अति संभव है कि इनमें से अधिकांश जन अपनी किशोरावस्था में थे जब वे संक्रामित हुए थे। यदि वर्तमान प्रवृत्ति चलती रही, तो हज़ारों और युवा एडस्‌ के मरीज़ बन जाएँगे।

अमरीकी रोग नियंत्रण केंद्रों के अनुसार, घातक वाइरस “संक्रामित लोगों के ख़ून, शुक्र, और योनिक द्रवों में” छिपा रहता है। इसलिए “संक्रामित व्यक्‍ति के साथ—योनिक, गुदा, या मौखिक—मैथुन करने” के द्वारा एच.आई.वी. फैलता है। अधिकांश लोग इसी ढंग से इस बीमारी से संक्रामित हुए हैं। “एक संक्रामित व्यक्‍ति द्वारा या उसके लिए प्रयोग की गई सूई या पिचकारी प्रयोग करने या चुभने” से भी एडस्‌ लग सकता है। इसके अतिरिक्‍त, “कुछ लोग” एच.आई.वी. से संदूषित “रक्‍ताधान लेने के द्वारा भी संक्रामित हुए हैं।”—वॉलनटरि एच.आई.वी. काउन्सलिंग एण्ड टेर्स्टिग: फ़ैक्टस्‌, इशूस्‌, एण्ड आनसरस्‌, (Voluntary HIV Counseling and Testing: Facts, Issues, and Answers).

परिणामस्वरूप अनेक युवा लोग ख़तरे में हैं। युवाओं की भयप्रद संख्या (कुछ लोगों का कहना है कि अमरीका में ६० प्रतिशत) ने ग़ैरक़ानूनी नशीले पदार्थों के साथ प्रयोग किया है। क्योंकि इनमें से कुछ नशीले पदार्थों का इन्जेक्शन लगाया जाता है, संदूषित सूई के ज़रिए संक्रामण का ख़तरा बहुत है। एक अमरीकी सर्वेक्षण के अनुसार, हाई स्कूल (माध्यमिक स्कूल) के ८२ प्रतिशत विद्यार्थियों ने मादक पदार्थों का प्रयोग किया है, और क़रीब ५० प्रतिशत इस समय ऐसा कर रहे हैं। एक बोतल बीअर पीने से आपको एडस्‌ नहीं लगेगा, लेकिन बाद में यह शायद आपके विवेक को विकृत कर दे और ज़्यादा संभव बना दे कि आप सबसे ख़तरेभरे व्यवहार में उलझ जाएँगे—स्वच्छन्द-संभोग, समलिंगकामी या इतरलिंगकामी।

वर्ष १९७० में ५ प्रतिशत से भी कम १५-वर्षीय लड़कियों ने लैंगिक संभोग का अनुभव किया था। वर्ष १९८८ तक वह संख्या बढ़कर २५ प्रतिशत से ज़्यादा हो गई थी। जैसा कि सर्वेक्षण भी दिखाते हैं, अमरीका में २० साल की उम्र होने तक ७५ प्रतिशत स्त्रियाँ और ८६ प्रतिशत पुरुष लैंगिक रूप से सक्रिय हो जाते हैं। एक और डरावना आँकड़ा: ५ किशोरों में से लगभग १ ने चार से ज़्यादा साथियों के साथ कामक्रिया की है। जी हाँ, अधिकाधिक युवा विवाहपूर्व कामक्रिया में भाग ले रहे हैं, और वे पहले से कहीं छोटी उम्र में इसे शुरू कर रहे हैं।

अन्य देशों में तस्वीर कम घिनौनी नहीं है। लैटिन-अमरीकी देशों में, तीन-चौथाई तक किशोरों ने विवाहपूर्व सम्बन्धों में भाग लिया है। रिपोर्ट किया गया है कि अफ्रीकी देशों में अनेक आदमियों ने अपने आपको एडस्‌ वाइरस से बचाने की कोशिश में किशोरियों को अपने मैथुन साथियों के रूप में चुना है। परिणाम? अफ्रीकी किशोरियों के बीच एडस्‌ रोगियों का विस्फोट।

एडस्‌ के फैलाव ने विनाशक आचरण की इस धारा को रोकने में थोड़ा ही योगदान दिया है। एक लैटिन-अमरीकी देश पर विचार कीजिए। “लैंगिक रूप से सक्रिय” ६० प्रतिशत से ज़्यादा “अविवाहित युवा लोगों को एडस्‌ वाइरस लगने का बहुत ख़तरा है।” फिर भी, १० प्रतिशत से कम युवा यह महसूस करते हैं कि वे व्यक्‍तिगत रूप से ख़तरे में हैं। वे अपने आप से कहते हैं: ‘यह मुझे नहीं होगा।’ लेकिन “अमरीका के जिन देशों में एच.आई.वी. वाइरस संक्रामण का दर सबसे ऊँचा है” यह देश “उनमें से एक है।”—अमरीकी रोग नियंत्रण केंद्र।

यह हो सकता है!

एडस्‌ महामारी बाइबल की चेतावनी के महत्त्व पर ज़ोर देती है कि लैंगिक अनैतिकता का “परिणाम नागदौना सा कप्तडवा . . . होता है।” (नीतिवचन ५:३-५; ७:२१-२३) निःसंदेह, बाइबल मुख्यतः आध्यात्मिक और भावात्मक नुकसान का ज़िक्र करती है। लेकिन इससे हमें हैरान नहीं होना चाहिए कि लैंगिक अनैतिकता के अनेक नुकसानदेह शारीरिक परिणाम भी होते हैं।

इसलिए यह अत्यावश्‍यक है कि युवा लोग सच्चाई को ध्यान में रखते हुए एडस्‌ और लैंगिक रूप से फैलनेवाली अन्य बीमारियों से संक्रामित होने के ख़तरे का सामना करें। आत्म-सन्तुष्ट मनोवृत्ति कि एडस्‌ ‘मुझे नहीं हो सकता’ घातक साबित हो सकती है। डेविड नामक एक युवा ने कहा, “जब आपकी उम्र पंद्रह या सोलह या यहाँ तक कि सतरह, अठारह, उन्‍नीस, या बीस होती है, आप यह सोचना चाहते हैं कि आप सुरक्षित हैं।” लेकिन, तथ्य इसका उल्टा साबित करते हैं। डेविड को १५ साल की उम्र में एडस्‌ वाइरस लग गया।

स्पष्टतया, फिर: यदि आप ग़ैरक़ानूनी नशीले पदार्थो का प्रयोग कर रहे हैं या विवाहपूर्व कामक्रिया में भाग ले रहे हैं, आप ख़तरे में हैं! लेकिन उन दावों के बारे में क्या, कि एक व्यक्‍ति “सुरक्षित संभोग” में भाग ले सकता है? क्या इस महामारी से अपने आपको बचाने के यथार्थवादी तरीक़े हैं? इस श्रृंखला में हमारा अगला लेख इन प्रश्‍नों पर चर्चा करेगा।

[Box on page 27]

लैंगिक रूप से फैलनेवाली अन्य बीमारियाँ

एडस्‌ मुखसमाचार बना है। फिर भी, द मेडिकल पोस्ट (The Medical Post) चेतावनी देती है: ‘कनाडा एक किशोर एस.टी.डी. [sexually transmitted disease, लैंगिक रूप से फैलनेवाली बीमारी] महामारी के बीच है।’ कनाडा अकेला नहीं है। अमरीका-आधारित जनसंख्या विकल्प केंद्र कहता है, “हर साल २५ लाख अमरीकी किशोर एक एस.टी.डी. से संक्रामित होते हैं। यह संख्या लगभग हर छः में से एक लैंगिक रूप से सक्रिय किशोर को और राष्ट्र के एक बटा पाँच एस.टी.डी. रोगियों को चित्रित करती है।”

उदाहरण के लिए, साइफिलिस, जिसे एक समय समझा जाता था कि समाप्त होनेवाली है, हाल के सालों में लौट आयी है और लगभग रेकार्ड संख्या में युवाओं को शिकार बना रही है। सूज़ाक और क्लमिडीआ (अमरीका में सबसे व्यापक एस.टी.डी.) भी इसी समान उन्हें समाप्त करने के प्रयासों के प्रति विशिष्ट रूप से प्रतिरोधी साबित हुई हैं। और युवाओं में संक्रामण का दर सबसे ऊँचा है। इसी प्रकार द न्यू यॉर्क टाइम्स्‌ (The New York Times) जनानांगी मस्सों (कांडिलोमा) से पीड़ित किशोरों की संख्या में “एक तीव्र वृद्धि” रिपोर्ट करता है। हज़ारों युवाओं को हर्पीज़ वाइरस भी है। साइन्स न्यूज़ (Science News) के अनुसार, “जिन लोगों को जननांगी हर्पीज़ है उन्हें [एच.आई.वी.] से संक्रामण की ज़्यादा संभावना है, जिससे एडस्‌ होता है।”

जनसंख्या विकल्प केंद्र कहता है: “जबकि किशोरों में किसी दूसरी उम्र के लोगों से एस.टी.डी. के दर ऊँचे हैं, यह संभावना कम है कि वे चिकित्सीय सेवा प्राप्त करेंगे। जब बिना रोग-निदान और बिना इलाज के छोड़ी जाती हैं तो, एस.टी.डी. श्रोणि शोध रोग, अनुर्वरता, अस्थानी गर्भ, और ग्रीवा-कैंसर के रूप में ऊँची क़ीमत लेती हैं।”

[Pictures on page 25, 26]

जो कोई ग़ैरक़ानूनी नशीले पदार्थों का इन्जेक्शन लेता है या स्वच्छन्द-संभोग में भाग लेता है, एडस्‌ से संक्रामित होने के भारी ख़तरे में है

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