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  • किचिन मज़ेदार जगह हो सकती है
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g97 2/8 पेज 20-24

किचिन मज़ेदार जगह हो सकती है

“किचिन के अन्दर मत आओ!” अनेक भूखे बच्चों को यह झिड़की सुनायी जाती है जब वे खाना परोसे जाने से पहले उसका स्वाद लेने की कोशिश कर रहे होते हैं। लेकिन, उन्हें दूर रखने के बजाय, अपने बच्चों को किचिन में बुलाने का माता-पिता के पास अच्छा कारण है। ऐसा क्यों? क्योंकि किचिन, वास्तव में, एक लुभावनी कक्षा है।

किचिन ऐसी जगह है जहाँ बच्चे सृजनात्मकता और समस्याएँ सुलझाने के कौशल विकसित कर सकते हैं, ऐसी जगह जहाँ वे दूसरों की सेवा करना और एक समूह का भाग बनकर काम करना सीख सकते हैं, ऐसी जगह जहाँ दिल को छू लेनेवाली अर्थपूर्ण बातचीत सहज ही छिड़ सकती है, ऐसी जगह जहाँ पुरानी मान्यताओं को चुपचाप मन में बिठाया जा सकता है। हर किचिन की भरी हुई अलमारियों और दराज़ों, और शेल्फ़ों पर अनेक मूल्यवान सबक़ छिपे होते हैं—जो हर अगले भोजन की तैयारी करते वक़्त सजीव होने के लिए तैयार रहते हैं।

टॆक्नॉलॉजी और जानकारी के इस युग में, किचिन को बच्चों को प्रशिक्षण देने के एक स्थान के रूप में क्यों प्रयोग करें? जवाब है समय। अनेक माता-पिता इस बात को समझते हैं कि अपने बच्चों के साथ समय—ढेर सारा समय बिताने का कोई भी अनुकल्प नहीं है!a समस्या है कि इसे लाएँ कहाँ से। कुछ विशेषज्ञ माता-पिता से आग्रह करते हैं कि घर में जो रोज़मर्रा का काम वे करते हैं उसे अपने बच्चों के साथ काम करने और उन्हें सिखाने के एक अवसर की तरह लें। यह उस आज्ञा से मेल खाता है जो परमेश्‍वर ने प्राचीन इस्राएल जाति में माता-पिता को दी: “ये आज्ञाएं जो मैं आज तुझ को सुनाता हूं वे तेरे मन में बनी रहें; और तू इन्हें अपने बालबच्चों को समझाकर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना।”—व्यवस्थाविवरण ६:६, ७.

क्योंकि हर हाल में हमें नियमित रूप से किचिन में समय बिताना पड़ता है, तो ज़ाहिर है कि परिवार में मिल-जुलकर कार्य करने की यह एक जगह है। और ख़ास सैर-सपाटे से अलग, जिसे आयोजित करने के लिए तब तक रुकना पड़ता है जब तक हमारे पास समय, पैसा, या शक्‍ति नहीं होती, अच्छी भूख को टाला नहीं जा सकता। इसके अलावा, बच्चों के लिए किचिन का एक स्वाभाविक आकर्षण होता है। आख़िरकार, उन्हें छुरियों का ध्यानपूर्वक प्रयोग करने और अन्य बर्तनों का प्रयोग करने के लिए कहाँ प्रशिक्षण मिलता है? मज़ा उठानेवाले बच्चे कभी-कभी शायद सबकुछ उल्टा-पुल्टा भी कर दें! लेकिन, किचिन में कौन-से सबक़ सीखने को मिलते हैं?

किचिन “कक्षा” में सीखना

लवीज़ स्मिथ ने—जिसके चार-वर्षीय विद्यार्थी उसे केक आन्टी नाम से जानते हैं—छोटे बच्चों को खाना पकाना सिखाने में १७ साल के अनुभव पर आधारित यह टिप्पणी की: “भोजन एक बहुत बड़ा शिक्षा साधन है क्योंकि यह ऐसी चीज़ है जिसे सभी बच्चे समझते हैं। छोटी उम्र में उनकी सूँघने, चखने और छूने की इन्द्रियाँ इतनी तेज़ होती हैं कि वे पूरी तरह लीन हो जाते हैं। और आप भोजन के माध्यम से उन्हें पठन, गणित, और समस्याएँ सुलझाने के कौशल सिखा सकते हैं।” उंडेलना, कूटना, छीलना, छानना, मथना, और बेलना बच्चों में हाथों की दक्षता और आँखों और हाथों का तालमेल विकसित करता है। छाँटना (किशमिश और बादाम को अलग-अलग करना) और अनुक्रम बनाना (माप के कटोरों को एक दूसरे में रखना) ऐसी धारणाएँ सिखाते हैं जो गणित सीखने के लिए आधार का काम करती हैं। एक पाक्‌-नुस्ख़े के अनुसार काम करना, गिनती, माप, समय-निर्धारण, तर्क और भाषा के प्रयोग में एक अभ्यास है। और एक व्यक्‍ति किचिन की जटिल और जोख़िम-भरी दुनिया में, सुरक्षा, ज़िम्मेदारी, व्यक्‍तिगत व्यवस्था और मिलजुलकर काम करने के बारे में सीखे बिना आगे नहीं बढ़ सकता।

खाना पकाना सीखने के महत्त्व को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना है। ऐसे बच्चे जो किचिन में मदद करने के द्वारा शुरू करते हैं उनके लिए अपनी किशोरावस्था में पूरा भोजन बना पाना असामान्य बात नहीं है। कौन-सा व्यस्त माता या पिता इसे कभी-कभार पसन्द नहीं करेगा? इसके अलावा, खाना पकाना युवाओं को आत्मविश्‍वास और आत्मनिर्भरता विकसित करने में मदद देता है—ऐसे गुण जो उनके लिए बाद में लाभदायक हो सकते हैं जब वे प्रौढ़ व्यक्‍तियों की ज़िम्मेदारियों को संभालेंगे, चाहे वे विवाह करें या अविवाहित रहें।—१ तीमुथियुस ६:६ से तुलना कीजिए।

ली, जो अपने आरंभिक तीसेक तक अविवाहित रहा, याद करता है: “जब में क़रीब छः वर्ष का था तब मेरी माँ ने मुझे किचिन के बुनियादी कामकाज में प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया। पहले-पहल, बिस्किट, केक और अन्य मिष्ठान्‍न बनाने में मेरी ख़ास दिलचस्पी थी। लेकिन नौ वर्ष की उम्र तक, मैं अपने परिवार के लिए पूरा भोजन आयोजित और तैयार कर सकता था, और मैं ऐसा नियमित रूप से करता था। बाद में, एक अविवाहित वयस्क के तौर पर, मैं ने पाया कि अनेक घर-गृहस्थी के काम करना, जिसमें खाना पकाना भी है, जानने से जीवन ज़्यादा आसान हो जाता है। और मैं यह निश्‍चित ही कहूँगा कि इसने अब एक सफल विवाह का आनन्द उठाने में मेरी सहायता की है।”

खाना पकाने में मज़ा आता है!

एक माता या पिता किचिन में बच्चों को प्रशिक्षित करने के लिए समय कैसे निकाल सकते हैं? एक माँ ऐसा समय अलग रखने का सुझाव देती है जब कम से कम ध्यान बँटानेवाली बातें हों। अगर आपके एक से ज़्यादा बच्चे हैं, तो जब वे सीखना शुरू कर रहे हैं तो आप शायद एक समय पर एक बच्चे के साथ काम करना चाहें। ऐसा करने के लिए, वो समय चुनिए जब दूसरे बच्चे सो रहे हों या स्कूल गए हुए हों। अकेले खाना बनाते वक़्त आप जितना समय बिताते उससे ज़्यादा समय बिताने की योजना बनाइए। और किचिन में मज़ा उठाने के लिए तैयार रहिए!

अपने पहले दौरे के लिए, आप अपने बच्चे को कुछ ऐसा चुनने की अनुमति दे सकते हैं जो उसे खाना पसन्द है। एक सरल पाक्‌-नुस्ख़ा ढूँढिए जिससे परिणाम जल्द निकलते हैं। यह निश्‍चित कीजिए कि उसमें ऐसे कार्य शामिल हैं जिन्हें वह सफलतापूर्वक पूरा कर सकता/ती है।b आपका बच्चा परेशान न हो या ऊब न जाए, इसके लिए कुछ ज़रूरी साज़-सामान और बर्तनों को पहले से ही ढूँढने के लिए उससे कहिए। आप पहले से थोड़ा सामान कुछ हद तक तैयार भी रख सकते हैं जिससे वह दौर बहुत लम्बा और थकाऊ न हो जाए।

पाक्‌-नुस्ख़े को अपने बच्चे के साथ पढ़िए, उसे दिखाइए कि हर काम कैसे करना है। अपने बच्चे को किचिन में निजी जगह दीजिए—शायद एक दराज़ जिसमें दो-एक कटोरे और कुछ बर्तन हों—और उसे एक एप्रन दीजिए। एक लड़के को स्त्रियों का एप्रन पहनाने के बजाय, आप उसके लिए एक ऐसा एप्रन ला सकते हैं जो एक पुरुष रसोइए के लिए बना है। शुरू से ही, सुरक्षा के महत्त्व पर ज़ोर दीजिए और किचिन के लिए उचित नियम बनाइए।—“पहला सबक़—सुरक्षा,” शीर्षक का बक्स पृष्ठ २२ पर देखिए।

सबसे अधिक, मज़ा उठाने की कोशिश कीजिए। अपने बच्चे को केवल आपको देखने मत दीजिए; आप उससे हाथ धोने के लिए कहिए, और खाने की असल तैयारी में उसे व्यस्त रखिए। उसे खोज करने, परीक्षण करने और सवाल पूछने का अवसर दीजिए। और जब एक व्यंजन अच्छा नहीं बनता, तो घबराइए मत। अगर आपके बच्चे ने ख़ुद उसे बनाया है, तो वह शायद उसे किसी भी हाल में खाएगा!

परिवार का साथ

निःसंदेह, किचिन से मिलनेवाले सबसे बड़े फ़ायदों में परिवार की एकता और उसकी मान्यताएँ शामिल हैं। आपने शायद देखा हो कि आज कुछ परिवारों में, परिवार के सदस्य एक दूसरे के साथ ज़्यादा कोई वास्तविक सम्पर्क रखे बिना अपने अलग-अलग काम करते रहते हैं। ऐसी परिस्थितियों में, घर शायद एक विश्राम-घर, एक हॉटेल से ज़्यादा न हो। इसके विपरीत, जो परिवार एकसाथ खाना पकाता है उसके एकसाथ खाना खाने और एकसाथ सफ़ाई करने की संभावना ज़्यादा है। ये कार्य उन्हें नियमित अवसर देते हैं कि बातचीत करें, एक दूसरे पर प्रभाव डालें, और एक दूसरे से सम्पर्क बनाए रखें। “अपने लड़कों के साथ मेरी सबसे अच्छी चर्चाएँ किचिन के हौज़ के पास खड़े होकर हुई थीं,” एक माँ याद करती है। और एक मसीही पिता, हरमन आगे कहता है: “हमने जानबूझकर बर्तन धोने की मशीन के बिना कई सालों तक काम चलाया, ताकि बर्तनों को हाथ से धोया और सुखाया जाए। हमारे बेटों को बारी-बारी से बर्तन सोखने का काम दिया जाता था। आम बातचीत के लिए इससे अच्छा और कोई समय नहीं था।”

जी हाँ, अपने बच्चों के साथ आप जो समय बिताते हैं—हफ़्ते दर हफ़्ते, साल दर साल—वह एक बुनियाद डालता है जिस पर आध्यात्मिक मूल्य और ईश्‍वरीय गुण विकसित किए जा सकते हैं। एक-साथ रहने की ऐसी तनावमुक्‍त घड़ियों में माता या पिता और बच्चे के बीच हार्दिक बातचीत सहज ही छिड़ सकती है और माता या पिता के उदाहरण का प्रभाव बच्चे के हृदय पर चुपचाप असर डाल सकता है। ऐसा प्रशिक्षण बच्चे को जीवन-भर लाभ पहुँचा सकता है, क्योंकि नीतिवचन २२:६ कहता है: “लड़के को शिक्षा उसी मार्ग की दे जिस में उसको चलना चाहिये, और वह बुढ़ापे में भी उस से न हटेगा।”

सो अगर एक माता या पिता के तौर पर आप अपने बच्चों के साथ ज़्यादा समय बिताने के तरीक़े खोज रहे हैं, तो क्यों न एक केक या पूरा भोजन बनाने में आपकी मदद करने के लिए उन्हें बुलाएँ? आप शायद पाएँ कि उनके साथ किचिन में काम करना अपने परिवार का भरण-पोषण और उसकी परवरिश दोनों करने का एक साधन है।

[फुटनोट]

a इस विषय पर चर्चा के लिए, सजग होइए! के मई २२, १९९३ (अंग्रेज़ी) अंक, पृष्ठ १६-१७, में लेख “‘उत्तम समय’ सीमित मात्रा में बाँटा गया,” देखिए।

b संक्षिप्त रखने के लिए, इसके बाद बच्चे को लड़का बताया जाएगा। लेकिन, यह जानकारी लड़कियों को भी समान रीति से लागू होती है।

[पेज 22 पर बक्स]

पहला सबक़—सुरक्षा

सुरक्षा सचेतन रहिए:

• गंभीर तरीक़े से लेकिन डराए बिना, किचिन में काम करने के ख़तरे समझाइए, ठीक जैसे आप एक भीड़-भरी सड़क पर यातायात के ख़तरों को समझाते। ख़ुद एक अच्छा उदाहरण रखिए।

• जब कभी बच्चे किचिन में काम कर रहे हों किसी बड़े को निगरानी रखने दीजिए। बच्चे को किसी बर्तन या यन्त्र, ख़ासकर बिजली के यन्त्र, का प्रयोग मत करने दीजिए, जब तक वह सुरक्षित रीति से उसका प्रयोग नहीं कर सकता है।

• अपने किचिन को व्यवस्थित रखिए। गिरे हुए पदार्थ को और कूड़े को तुरन्त साफ़ कीजिए। जब आप खाना पका रहे हैं तब पालतू जानवरों और अन्य ध्यान बँटानेवाली वस्तुओं को किचिन से बाहर रखा जाना चाहिए।

उँगलियों की रक्षा कीजिए:

• बिजली पर चलनेवाले मिक्सर, फूड प्रोसेसर केवल तभी प्रयोग किए जाने चाहिए जब कोई बड़ा निगरानी रख रहा है। निश्‍चित कीजिए कि इससे पहले कि उस यन्त्र के कटोरे में आपका बच्चा कोई चम्मच डाले वह यन्त्र बन्द है और उसका प्लग निकला हुआ है।

• छुरियों की धार तेज़ रखिए, क्योंकि मोथरी छुरी के लिए ज़्यादा ज़ोर लगता है और इसलिए फिसलने की संभावना ज़्यादा होती है।

• जब आपका बच्चा एक छुरी का इस्तेमाल करना सीख रहा है, उसे इन क़दमों का पालन करवाइए: (१) छुरी को उसके हत्थे से उठाइए, (२) छुरी को खाद्य-पदार्थ पर रखिए, (३) दूसरा हाथ छुरी की मोटी तरफ़ रखिए, और (४) खाद्य-पदार्थ काटने के लिए ज़ोर लगाइए।

• कर्तन पटिया का इस्तेमाल कीजिए। जब आपका बच्चा सब्ज़ियाँ काटने की कोशिश कर रहा है तो वे लुढ़ककर इधर-उधर न चली जाएँ इसके लिए उन्हें पहले काटकर आधा कीजिए और कर्तन पटिया पर सपाट भाग को रखिए।

जलने से सचेत रहिए:

• जब भी बर्नर और अवन डायल का इस्तेमाल न हो रहा हो उन्हें बन्द कर दीजिए। तौलियों, पाक्‌-पुस्तकों, और बर्तन पकड़ने के कपड़ों को बर्नर से दूर रखिए।

• पतीलियों के हत्थे को गैस के चूल्हे के बीचोंबीच रखिए, ताकि उसे आसानी से हाथ न लगे और कुछ गिरे नहीं।

• अगर आप अपने बच्चे को गैस पर काम करने देते हैं, तो निश्‍चित कीजिए कि वह किसी मज़बूत और स्थिर सतह पर खड़ा हो।

• किसी गर्म चीज़ को तब तक नहीं उठाइए जब तक आप पहले से नहीं जानते कि आप उसे कहाँ रखनेवाले हैं। यह निश्‍चित कीजिए कि जब आप कोई गर्म चीज़ उठाए हुए हैं तो किचिन में दूसरे इसके बारे में जानते हैं, ख़ासकर जब आप उनके पीछे चल रहे हैं।

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