विश्वव्यापी समाधान—क्या यह संभव है?
विशेषज्ञ सहमत हैं कि तपेदिक (टी.बी.) एक विश्वव्यापी समस्या है जो एक विश्वव्यापी समाधान की माँग करती है। कोई देश अकेले ही टी.बी. को नियंत्रण में नहीं कर सकता, क्योंकि करोड़ों लोग हर सप्ताह अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ पार करते हैं।
अनेक लोगों का मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग माँग करता है कि धनी राष्ट्र ग़रीब राष्ट्रों की मदद करें, जो टी.बी. से सर्वाधिक प्रभावित हैं। जैसे डॉ. अराटा कोची कहता है, “यह धनी देशों के हित में है कि तपेदिक से लड़ने में कम-विकसित देशों की मदद करें, इससे पहले कि उन्हें अपने ही देशों में उससे लड़ना पड़े।”
लेकिन ऐसी बातों से घिरे हुए जिन्हें वे अधिक महत्त्वपूर्ण प्राथमिकताएँ और समस्याएँ समझते हैं, अमीर राष्ट्र मदद करने के लिए दौड़े नहीं आये हैं। कुछ ग़रीब देश ख़ुद भी अकसर स्वास्थ्य रक्षा पर ध्यान नहीं देते और इसके बदले में ज़्यादा-से-ज़्यादा पैसा अपने अस्त्र-शस्त्र में लगाते हैं। वर्ष १९९६ के मध्य तक, संसार के केवल १० प्रतिशत टी.बी. के मरीज़ों का इलाज DOTS योजना के अधीन हो रहा था, जो कि इस महामारी को और प्रचंड रूप लेने से रोकने के लिए न के बराबर है।
WHO कहता है: “टी.बी. का इलाज करने की जानकारी और सस्ती दवाएँ दशकों से उपलब्ध हैं। अब ज़रूरत यह है कि संसार के शक्तिशाली, प्रभावशाली और करुणामय लोग कड़ा प्रयास करें और निश्चित करें कि इन दवाओं का संसार भर में प्रभावकारी रूप से उपयोग किया जाए।”
जीत होगी
क्या हम शक्तिशाली और प्रभावशाली मनुष्यों पर भरोसा रख सकते हैं कि वे इस समस्या का समाधान करेंगे? ईश्वरप्रेरित बाइबल भजनहार ने लिखा: “तुम प्रधानों पर भरोसा न रखना, न किसी आदमी पर, क्योंकि उस में उद्धार करने की भी शक्ति नहीं।” तो फिर, हम किस पर भरोसा रख सकते हैं? शास्त्रवचन आगे बताता है: “क्या ही धन्य वह है, जिसका सहायक याकूब का ईश्वर है, और जिसका भरोसा अपने परमेश्वर यहोवा पर है। वह आकाश और पृथ्वी और समुद्र और उन में जो कुछ है, सब का कर्त्ता है।”—भजन १४६:३, ५, ६.
पृथ्वी की अभिकल्पना और रचना करनेवाला होने के कारण, यहोवा परमेश्वर के पास बीमारी का अंत करने की शक्ति और बुद्धि दोनों ही हैं। क्या उसमें करुणा है? अपने ईश्वरप्रेरित भविष्यवक्ता के द्वारा, यहोवा प्रतिज्ञा करता है: “मैं [अपने लोगों] पर ऐसी करुणा करूंगा जैसा कोई अपने सेवा करने वाले पुत्र पर करता है।”—मलाकी ३:१७, NHT.
बाइबल का अंतिम अध्याय एक दर्शन का वर्णन करता है जो प्रेरित यूहन्ना को दिया गया था। उसने देखा कि “जीवन का पेड़ था: उस में बारह प्रकार के फल लगते थे, और वह हर महीने फलता था।” यह लाक्षणिक पेड़ और उसके फल ईश्वरीय प्रबंधों को चित्रित करते हैं जो आज्ञाकारी मनुष्यों को पृथ्वी पर सर्वदा जीवित रहने में समर्थ करेंगे।—प्रकाशितवाक्य २२:२.
यूहन्ना ने आगे लिखा: “उस पेड़ के पत्तों से जाति जाति के लोग चंगे होते थे।” लाक्षणिक पत्ते परमेश्वर से मिलनेवाली आशीषों को चित्रित करते हैं जिनके परिणामस्वरूप मानवजाति की दोनों ही, आध्यात्मिक और शारीरिक चंगाई होगी। अतः, हम निश्चित हो सकते हैं कि परमेश्वर के शासन के अधीन धर्मी नये संसार में, टी.बी. पर पूरी तरह और हमेशा के लिए जीत हासिल कर ली जाएगी।—प्रकाशितवाक्य २१:३, ४.
[पेज 8, 9 पर तसवीर]
परमेश्वर मानवजाति के लिए हमेशा की चंगाई की प्रतिज्ञा करता है